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सोने का आकर्षण जो कभी फीका नहीं पड़ा

सोने का आकर्षण जो कभी फीका नहीं पड़ा

सोने का आकर्षण जो कभी फीका नहीं पड़ा

ऑस्ट्रेलिया में सजग होइए! लेखक द्वारा

ऑ स्ट्रेलिया के वीरान इलाके में एक सोना निकालनेवाला, सूखी नदी की ज़मीन पर धीरे-धीरे चल रहा है। दोपहर की कड़कती धूप उसकी पीठ को झुलसा रही है। धूल से सनी उसकी कमीज़ में से पसीना टपक रहा है। मगर वह हार माननेवालों में से नहीं! उसके हाथ में लोहे की एक लंबी छड़ है जो थाली के आकार के एक उपकरण से जुड़ी हुई है। यह नए ज़माने का ‘मेटल डिटैक्टर’ है जिसे वह ज़मीन पर आगे-पीछे घुमाता है। इसकी चुंबक की शक्‍ति पथरीली ज़मीन के नीचे एक मीटर तक किसी भी धातु का पता लगा सकती है। उस धातु का सिगनल मिलते ही मेटल डिटैक्टर एक लंबी और पैनी सीटी जैसी आवाज़ निकालता है जो हैड्‌फोन से सुनायी देती है।

अचानक यह पैनी आवाज़ सुनायी देती है और कम होते-होते गहरी टिक-टिक की आवाज़ होने लगती है। यह सुनते ही उस आदमी के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। क्यों? क्योंकि यह आवाज़ इस बात का इशारा करती है कि ज़मीन में कुछ तो धातु गड़ा हुआ है। वह अपने घुटनों के बल बैठता है और अपनी कुदाली से पथरीली ज़मीन को जल्दी-जल्दी खोदना शुरू कर देता है। हो सकता है कि वह धातु कुछ और नहीं बस एक ज़ंग लगी कील हो, या फिर एक पुराना सिक्का हो। मगर जैसे-जैसे गड्ढा बड़ा होता जाता है, उसकी आँखें बस एक ही चीज़ का इंतज़ार कर रही होती हैं—सोना।

सदियों से चल रही है सोने के लिए भागदौड़

आज, सोना ढूँढ़ने के तरीके भले ही बदल गए हों, मगर इस चमकती पीली धातु को पाने का इंसान का जुनून अभी तक कम नहीं हुआ है। दरअसल ‘विश्‍व स्वर्ण परिषद्‌’ के मुताबिक, बीते 6,000 सालों के दौरान 1,25,000 टन से ज़्यादा सोना खोदकर निकाला गया है। * हालाँकि मिस्र, ओपीर और दक्षिण अमरीका की प्राचीन सभ्यताएँ बेहिसाब सोने के लिए मशहूर थीं, मगर अब तक जितना सोना निकाला गया है उसमें से 90 प्रतिशत पिछले 150 सालों के दौरान ही निकाला गया था।—1 राजा 9:28.

सन्‌ 1848 से सोने की खुदाई में ज़बरदस्त तेज़ी आयी। तब अमरीका के कैलिफोर्निया राज्य में, एक नदी के पास सटर नाम के आदमी के मिल पर सोने का पता लगाया गया। इस खोज से शुरू हुई ‘सोने के लिए भागदौड़’, यानी सोना पाने की उम्मीद से किसी जगह पर भीड़-की-भीड़ का अचानक टूट पड़ना। जो भी कैलिफोर्निया आए, वे सभी ख्वाब देखने लगे कि उन्हें खज़ाना हाथ लगेगा। कई लोग नाकाम रहे, मगर कुछ तो रातों-रात अमीर बन गए, मानो उन्हें सोने के अंडे देनेवाली मुर्गी हाथ लग गयी हो। सन्‌ 1851 के साल में, सिर्फ कैलिफोर्निया की सोने की खानों से 77 टन सोना निकाला गया।

इसी समय के आस-पास, दुनिया की दूसरी छोर पर, ऑस्ट्रेलिया की नयी उभरती बस्ती में सोने का पता लगाया गया। कैलिफोर्निया के सोने की खानों में बेहतरीन तजुरबा हासिल करने के बाद एडवर्ड हारग्रेव्ज़, ऑस्ट्रेलिया आया। वहाँ उसने न्यू साउथ वेल्स के एक छोटे-से कसबे, बाथर्स्ट के पास एक झरने में सोना पाया। सन्‌ 1851 के दौरान, विक्टोरिया राज्य के बैलारैट और बेंडिगो शहरों में भी सोना बहुतायत में पाया गया। जैसे ही इन खोजों की खबरें फैलीं, लोग इन जगहों पर टूट पड़े। सोने की तलाश में आनेवाले कुछ लोग पेशे से खान मज़दूर थे। मगर कई लोग खेत में काम करनेवाले मज़दूर थे तो कुछ दफ्तरों में काम करनेवाले थे, जिन्होंने कभी अपनी ज़िंदगी में खोदनी नहीं उठायी थी। सोने के लिए भागदौड़ का लोगों पर कैसा असर होता है, इस बारे में एक कसबे का अखबार वहाँ के नज़ारे के बारे में यह बयान करता है: “बाथर्स्ट एक बार फिर पगला गया है। लोगों पर पहले से ज़्यादा सोना ढूँढ़ने का जूनून सवार हो गया है। लोग आपस में मिलते हैं, एक-दूसरे को घूरते रहते हैं, अगर कुछ बोलते हैं भी तो, बेसिरपैर की बातें। वे बस अपने ही खयालों में खोए रहते हैं कि आगे क्या होगा।”

इसके बाद, देखते-ही-देखते ऑस्ट्रेलिया की आबादी आसमान छूने लगी। सन्‌ 1851 के बाद दस सालों के अंदर ऑस्ट्रेलिया की आबादी दुगुनी हो गयी क्योंकि दुनिया के हर कोने से लोग सोना पाने की उम्मीद से यहाँ आने लगे। पूरे महाद्वीप में सोना अलग-अलग मात्रा में पाया गया। जब एक जगह पर सोने के लिए भागदौड़ खत्म होती तो दूसरी जगह पर शुरू हो जाती थी। सन्‌ 1856 में यानी एक साल के अंदर ऑस्ट्रेलिया में सोना ढूँढ़नेवालों ने 95 टन सोना खोदकर निकाला। फिर सन्‌ 1893 में खान मज़दूरों ने पश्‍चिमी ऑस्ट्रेलिया के कालगुर्ली-बोल्डर कसबे के पासवाले मैदान से सोना खोदना शुरू किया। तब से इस इलाके में से 1,300 टन से ज़्यादा सोना निकाला गया है। इसे “दुनिया की सबसे ज़्यादा सोना उगलनेवाली 2.5 वर्ग किलोमीटर की ज़मीन” कहा जाता है। इस इलाके से आज भी सोना निकाला जा रहा और यह दुनिया की सबसे गहरी खुली खान है। यह खान दिखने में एक बड़ी घाटी जैसी लगती है जो इंसानों ने बनायी है। यह घाटी दो किलोमीटर चौड़ी, तीन किलोमीटर लंबी और 400 मीटर गहरी है।

आज दुनिया में सबसे ज़्यादा सोना उत्पादन करनेवाले देशों में ऑस्ट्रेलिया तीसरे नंबर पर आता है। वहाँ इस कारोबार में कुल मिलाकर 60,000 लोग काम करते हैं और हर साल करीब 300 टन सोना निकाला जाता है, जिसकी कीमत 5 अरब (ऑस्ट्रेलियन) डॉलर (या, 170 अरब रुपए) के बराबर है। सोने का उत्पादन करने में अमरीका दूसरे नंबर पर आता है। मगर पिछले एक सौ साल से ज़्यादा, दुनिया में सबसे ज़्यादा सोना उत्पादन करनेवाला देश दक्षिण अफ्रीका है। आज तक जितना सोना खोदकर निकाला गया है, उसमें से 40 प्रतिशत सोना उसी देश से आया है। दुनिया भर में हर साल 2,000 टन से ज़्यादा सोना निकाला जाता है। मगर इस बेशकीमती धातु का क्या किया जाता है?

दौलत और खूबसूरती का मिलन

कुछ सोना आज भी सिक्के बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्‍चिम ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में सिक्के बनानेवाला कारखाना, दुनिया के सबसे खास उत्पादकों में से एक है। ये सिक्के पैसों के रूप में इस्तेमाल नहीं किए जाते, मगर कुछ लोग शौकिया तौर पर इन्हें इकट्ठा करते हैं। इसके अलावा, अब तक जितना सोना खोदकर निकाला गया है उसके करीब पच्चीस प्रतिशत सोने को ईंटों के आकार में बैंक की तिजोरियों में महफूज़ रखा जाता है। सबसे ज़्यादा सोने की ईंटें अमरीका के बैंक की तिजोरियों में पायी जाती हैं।

फिलहाल, हर साल निकाले गए सोने में से करीब 80 प्रतिशत यानी कुछ 1,600 टन सोना, गहने बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अमरीका के बैंकों में भले ही सबसे ज़्यादा सोना मौजूद हो, लेकिन अगर गहने भी शामिल किए जाएँ, तो भारत ऐसा देश है जिसके पास सबसे ज़्यादा सोना है। यह नरम धातु, बेशकीमती और खूबसूरत तो है ही, मगर इसमें ऐसी कुछ खासियतें भी हैं जिसकी वजह से यह कई चीज़ों में इस्तेमाल की जाती है।

पुरानी धातु, नया इस्तेमाल

प्राचीन मिस्र के फिरौन या राजा शायद जानते थे कि सोना ज़ंग नहीं खाता। इसलिए वे इसका इस्तेमाल मरे हुओं का मुखौटा बनाने के लिए किया करते थे। सोना कितना टिकाऊ होता है, इसका सबूत तब देखा गया जब पुरातत्वज्ञानियों ने फिरौन तूतांखामन की मौत के हज़ारों साल बाद उसकी कब्र ढूँढ़ निकाली। इस नौजवान राजा के मुखौटे का सुनहरा रंग फीका नहीं पड़ा था।

सोने की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती। इसकी वजह यह है कि इस पर पानी और हवा का कोई असर नहीं पड़ता, जबकि लोहे जैसी दूसरी धातुओं को ज़ंग लगने में देर नहीं लगती। इस खासियत के अलावा, सोने में ऐसी बेहतरीन काबिलीयत भी है कि उसमें से बिजली होकर गुज़र सकती है। इसलिए यह इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों में इस्तेमाल करने के लिए काम की चीज़ साबित हुई है। टी.वी., वी.सी.आर., सेल फोन और करीब पाँच करोड़ कंप्यूटर बनाने के लिए हर साल करीब 200 टन सोना इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, बेहतरीन क्वालिटी के कॉम्पैक्ट डिस्क में टिकाऊ सोने की एक पतली-सी परत लगायी जाती है ताकि ये डिस्क लंबे समय तक चलें।

सोने की पतली परत में कुछ अनोखी खासियतें होती हैं। सोने की एकदम महीन चादरें पारदर्शी होती हैं। अब ज़रा गौर कीजिए कि इस परत पर रोशनी पड़ने पर क्या होता है। यह हरे रंग की प्रकाश तरंगों को तो पार जाने देती है मगर इंफ्रारॆड प्रकाश को रोक लेती है। यही वजह है कि जिन खिड़कियों पर सोने की परत लगी होती है, वे सिर्फ रोशनी को अंदर आने देती हैं, मगर गर्मी को बाहर ही रखती हैं। और इसीलिए आज के हवाई-जहाज़ों में पाइलट के कमरे (कॉकपिट) की खिड़कियों साथ ही कई नयी ऑफिसवाली इमारतों की खिड़कियों पर सोने की परत लगी होती है। इतना ही नहीं, सोने का अपारदर्शी वर्क, अंतरिक्ष यान के उन पुरज़ों पर लगाया जाता है जो बहुत जल्दी खराब हो सकते हैं। यह वर्क, उन पुरज़ों को तेज़ रेडियेशन और गर्मी से अच्छी तरह महफूज़ रखता है।

सोने पर जीवाणुओं का भी कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए दाँत के डाक्टर, टूटे या सड़े हुए दातों को ठीक करने या नए दाँत लगवाने के लिए सोने का इस्तेमाल करते हैं। हाल के सालों में सोना, सर्जरी में भी बहुत कारगर साबित हुआ है। सोने से मढ़े हुए स्टैंट्‌स यानी तार के बने छोटी-छोटी ट्यूब शरीर के अंदर लगायी जाती हैं ताकि खराब नसों और धमनियों को मज़बूत किया जा सके।

तो देखा आपने, सोना कितने काम की चीज़ है! यह अनमोल और खूबसूरत भी है। इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए इसमें कोई दो राय नहीं कि मन मोह लेनेवाली इस धातु के लिए लोगों की खोज जारी रहेगी। (g05 9/22)

[फुटनोट]

^ सोना इतना भारी है कि इसका घन आकार का एक टुकड़ा, अगर हर तरफ से सिर्फ 37 सेंटीमीटर का हो, तो उस टुकड़े का वज़न एक टन होगा।

[पेज 25 पर बक्स]

सोना कहाँ पाया जाता है?

चट्टान: लावा से बनी सभी चट्टानों में कम मात्रा में सोना पाया जाता है। लेकिन दुनिया के कुछ इलाकों की चट्टानों में भारी तादाद में सोना पाया जाता है। इसलिए कंपनियाँ सोना निकालने के लिए अपना वक्‍त-पैसा सबकुछ लगाती हैं। वे चट्टानों को खोदकर, या उन्हें तोड़कर या फिर रासायनिक ढंग से सोना निकालती हैं। हर एक टन चट्टान में सिर्फ 30 ग्राम सोना मौजूद होता है और वह भी तब जब चट्टान बेहतरीन किस्म की होती है।

खनिज-पत्थर: कभी-कभार सोना, चादरों या परत के रूप में चमकीले पत्थरों (क्वार्टज़) के बीचों-बीच पाया जाता है।

नदियाँ: वक्‍त के गुज़रते खनिज-पत्थर, जिन में सोना मौजूद होता है, धूप, बारिश और हवा के थपेड़े खाकर टूट जाते हैं। इससे उनमें फँसा हुआ सोना निकलकर बाहर आ जाता है और छोटे-छोटे कण या टुकड़ों के रूप में नहरों और नदियों में जमा होता है।

ज़मीन के अंदर: ज़मीन के अंदर बेतरतीब ढंग से तैयार होनेवाले और अजीबो-गरीब आकारवाले सोने के टुकड़ों को डला कहा जाता है। इन टुकड़ों का आकार कभी-कभी तो बहुत ही बड़ा होता है। अब तक ऑस्ट्रेलिया में पाए गए सोने के डलों में सबसे बड़े डले को ‘द वेलकम स्ट्रेंजर’ कहा गया है और उसका वज़न करीब 70 किलो था! इसे सन्‌ 1869 में ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में खोज निकाला गया था। ऑस्ट्रेलिया वह जगह है जहाँ सोने के बड़े-बड़े डले पाए गए हैं। अब तक पाए गए 25 सबसे बड़े डलों में से 23 वहीं से हैं। आज सोने के डले, माचिस की तीली के सिरे जितने छोटे हो सकते हैं, मगर ये बेहतरीन-से-बेहतरीन हीरे से भी अनमोल हैं।

[पेज 27 पर बक्स/तसवीर]

मेटल डिटैक्टर कैसे काम करता है?

मेटल डिटैक्टर में आम तौर पर दो तारें होती हैं। इनमें से एक तार में से बिजली को गुज़रने दिया जाता है जिससे एक चुंबकीय क्षेत्र तैयार होता है। जब मेटल डिटैक्टर ज़मीन में गढ़ी किसी धातु, जैसे सोने के एक डले के ऊपर से गुज़रता है, तो उस डले से एक हल्की-सी तरंग पैदा होती है। और मेटल डिटैक्टर की दूसरी तार इसका पता लगा लेती है और फिर बत्ती, उपकरण में लगे इंडीकेटर या आवाज़ के ज़रिए ऑपरेटर को खबरदार कर देती है।

[पेज 25 पर तसवीरें]

सन्‌ 1800 के बीच के सालों के दौरान सोने की खोज में तेज़ी आयी:

1. अमरीका के केलिफॉर्निया राज्य में सटर का मिल

2. ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में बेंडिगो शहर

3. ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य के बैलारैट शहर में गोल्डन पॉईंट

[चित्रों का श्रेय]

1: Library of Congress; 2: Gold Museum, Ballarat; 3: La Trobe Picture Collection, State Library of Victoria

[पेज 26 पर तसवीरें]

आज सोने का इस्तेमाल

बेहतरीन क्वालिटी के कॉम्पैक्ट डिस्क में सोने की एक पतली परत होती है

सोने का वर्क अंतरिक्ष यान में इस्तेमाल किया जाता है

सोना, माइक्रो-चिप में इस्तेमाल किया जाता है

सोने का पानी चढ़ायी गयी तारों में बिजली पार करने की बेहतरीन काबिलीयत होती है

[चित्रों का श्रेय]

NASA photo

Carita Stubbe

Courtesy Tanaka Denshi Kogyo

[पेज 26 पर तसवीर]

पश्‍चिमी ऑस्ट्रेलिया के कालगुर्ली-बोल्डर, दुनिया की सबसे गहरी सोने की खान है

[चित्र का श्रेय]

Courtesy Newmont Mining Corporation

[पेज 24 पर चित्र का श्रेय]

Brasil Gemas, Ouro Preto, MG ▸