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सारी विपत्तियों का अंत—अब दूर नहीं

सारी विपत्तियों का अंत—अब दूर नहीं

सारी विपत्तियों का अंत—अब दूर नहीं

“बच्चो और बच्चो के बच्चो। सुनो! सुनो! . . . आज नहीं तो कल इस पहाड़ से आग की ज्वाला ज़रूर भड़क उठेगी। मगर इससे पहले, तुम्हें पहाड़ के अंदर से गड़गड़ाहट और गर्जन सुनायी देगी और भूकंप होंगे। ज्वालामुखी में से धुआँ और आग की लपटें उठेंगी, बिजली चमकेगी, हवा में खलबली मचेगी और यह साँय-साँय करती फिरेगी। उस वक्‍त तुम जितनी दूर भाग सकोगे भाग जाना . . . अगर तुम इस खतरे को नज़रअंदाज़ करोगे और अगर तुम्हें पैसा और साज़ो-सामान जान से ज़्यादा प्यारे हैं, तो यह पहाड़ तुम्हें अपनी लापरवाही और लालच की सज़ा ज़रूर देगा। अपने घर-बार की चिंता मत करो, आगे-पीछे मत सोचो, सीधे भाग जाओ।”

एन्ड्रू रॉबिन्सन की किताब धरती का सदमा (अँग्रेज़ी) में दर्ज़ यह चेतावनी, इटली के वेसूवियस पर्वत के दामन में बसे पोरटिची शहर में एक स्मारक पटिया पर लिखी है। सन्‌ 1631 में इस पर्वत से ज्वालामुखी फूटने के बाद इस पटिया को वहाँ पर लगाया गया था। इस ज्वालामुखी के फूटने से 4,000 से भी ज़्यादा लोगों की जानें गयी थीं। रॉबिन्सन कहता है: “सन्‌ 1631 में तकदीर ने अचानक पासा बदला और इसी विस्फोट ने वेसूवियस को एक जाना-माना शहर बना दिया।” वह कैसे? ज्वालामुखी से तहस-नहस हुए पोरटिची शहर को दोबारा बसाते वक्‍त, हर्कलेनीअम और पॉम्पे शहर का पता चला। एक बार पहले भी, सा.यु. 79 में जब वेसूवियस पर्वत से ज्वालामुखी फूटा तब ये दोनों शहर राख में दफन हो गए थे।

प्लीनी द यंगर नाम का रोमी, जो आगे चलकर बितूनिया प्रांत का गवर्नर बना, वह इस हादसे से ज़िंदा बचनेवालों में से एक था। उसने लिखा कि ज़मीन के काँपने से डरावनी आवाज़ें आयी थीं। तब खतरे की चेतावनी को पहचानकर वह, उसकी माँ और दूसरे फौरन वहाँ से भाग निकले।

हमारे समय के लिए चेतावनी देनेवाला चिन्ह

आज हम एक ऐसे मोड़ पर जी रहे हैं, जब दुनिया की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का बहुत जल्द अंत होनेवाला है। यह हम कैसे जानते हैं? यीशु मसीह ने अपनी एक भविष्यवाणी में ऐसी कुछ घटनाओं का ज़िक्र किया था जो इस बात का चिन्ह होतीं कि दुनिया से परमेश्‍वर का हिसाब लेने का दिन करीब है। इन घटनाओं में बड़े-बड़े युद्ध, भूकंप, अकाल और महामारियाँ शामिल हैं। जिस तरह एक ज्वालामुखी के फूटने से पहले पहाड़ के अंदर गड़गड़ाहट होती है, धुआँ उठता है और अंगारों की बरसात होती है, उसी तरह सन्‌ 1914 से इन सभी घटनाओं ने दुनिया-भर में बड़े पैमाने पर तबाही मचायी है।—मत्ती 24:3-8; लूका 21:10, 11; प्रकाशितवाक्य 6:1-8.

मगर यीशु के इस चेतावनी देनेवाले चिन्ह में एक आशा का पैगाम भी है। उसने कहा था: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) ध्यान दीजिए कि यीशु ने राज्य के संदेश को “सुसमाचार” कहा। यह वाकई एक सुसमाचार या खुशखबरी है क्योंकि परमेश्‍वर का राज्य, यानी वह स्वर्गीय सरकार जिसकी बागडोर यीशु मसीह के हाथ में है, इंसान के किए सारे नुकसान की भरपाई करेगा। इतना ही नहीं, यह राज्य कुदरती आफतों का भी अंत कर देगा।—लूका 4:43; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.

जब यीशु एक इंसान के नाते धरती पर था, तब भी उसने एक खतरनाक आँधी को शांत करके दिखा दिया था कि उसके पास कुदरती शक्‍तियों को काबू में करने की ताकत है। यीशु के चेले उसकी ताकत का प्रदर्शन देखकर दंग रह गए और डरकर कहने लगे: “यह कौन है? जो आन्धी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उस की मानते हैं।” (लूका 8:22-25) आज यीशु एक मामूली इंसान नहीं बल्कि एक शक्‍तिशाली आत्मिक व्यक्‍ति है। इसलिए, कुदरती शक्‍तियों को वह आसानी से काबू में कर सकता है ताकि उसकी प्रजा पर कोई आफत ना आए!—भजन 2:6-9; प्रकाशितवाक्य 11:15.

कुछ लोग शायद इसे एक कोरी कल्पना समझें। मगर याद रखिए कि बाइबल की भविष्यवाणियाँ इंसान के खोखले वादों की तरह नहीं हैं। बाइबल की भविष्यवाणियों का एक-एक शब्द पूरा हुआ है। इनमें वे भविष्यवाणियाँ भी शामिल हैं जो सन्‌ 1914 से पूरी हो रही हैं। (यशायाह 46:10; 55:10, 11) जी हाँ, यह बात पक्की है कि पृथ्वी का भविष्य सुनहरा होगा। हम इंसानों का भी भविष्य सुखी हो सकता है बशर्ते हम परमेश्‍वर के वचन को अपने दिल में उतार लें और हमारे फायदे के लिए इसमें दी चेतावनी को मानें कि बहुत जल्द ऐसी घटनाएँ घटेंगी जो सारी दुनिया को हिलाकर रख देंगी।—मत्ती 24:42, 44; यूहन्‍ना 17:3. (g05 7/22)

[पेज 11 पर बक्स/तसवीर]

हमारे उन अज़ीज़ों के लिए क्या आशा है जो मर गए हैं?

जब हमारे किसी अज़ीज़ की मौत हो जाती है, तो हमें बहुत दुःख होता है। बाइबल बताती है कि जब यीशु के प्यारे दोस्त लाजर की मौत हो गयी तो उसे भी इतना दुःख हुआ कि वह रो पड़ा। मगर कुछ ही पल बाद उसने एक हैरतअँगेज़ चमत्कार किया—उसने लाजर को दोबारा ज़िंदा कर दिया! (यूहन्‍ना 11:32-44) इस घटना से बहुत पहले यीशु ने अपनी सेवा के दौरान यह वादा किया था: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) लाजर को ज़िंदा करके उसने इंसानों को अपने इस वादे पर यकीन करने की एक ठोस वजह दी थी। ऐसा हो कि धरती पर फिरदौस में मरे हुओं के जी उठने की अनमोल आशा उन सभी को दिलासा देती रहे जिन्होंने अपने अज़ीज़ों को खो दिया है।—प्रेरितों 24:15.

[पेज 10 पर तसवीरें]

क्या आप इस चेतावनी पर ध्यान दे रहे हैं कि ये आज की दुनिया के अंतिम दिन हैं?

[पेज 10 पर चित्र का श्रेय]

USGS, David A. Johnston, Cascades Volcano Observatory