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आप एक नयी भाषा सीख सकते हैं!

आप एक नयी भाषा सीख सकते हैं!

आप एक नयी भाषा सीख सकते हैं!

माइक कहता है: “मेरे सामने अगर दुनिया-जहान की दौलत रख दी जाए, तो भी मैं उसके बदले में इसे छोड़ने के लिए राज़ी नहीं हो सकता।” और फेल्प्स कहता है: “यह मेरी ज़िंदगी का एक बढ़िया फैसला था।” दोनों किस बारे में बात कर रहे हैं? वे एक नयी भाषा सीखने की चुनौती को स्वीकार करने की बात कर रहे हैं।

दुनिया-भर के देशों में, बढ़ती तादाद में लोग कई वजहों से नयी-नयी भाषाएँ सीख रहे हैं। कुछ निजी वजहों से सीख रहे हैं, तो कुछ पैसा कमाने के लिए। और कुछ धार्मिक वजहों से। सजग होइए! ने ऐसे कई लोगों का इंटरव्यू लिया जो एक विदेशी भाषा सीख रहे हैं। उनसे पूछे गए कुछ सवाल थे: इस उम्र में एक नयी भाषा सीखना आपको कैसा लगता है? इसमें क्या बात मदद कर सकती है? उन्होंने जो जवाब दिए, उनकी बिना पर ही आगे की जानकारी पेश की गयी है। अगर आप एक नयी भाषा सीख रहे हैं या ऐसा करने की सोच रहे हैं, तो खासकर आपको इस जानकारी से हौसला और व्यावहारिक सलाहें मिलेंगी। मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि इंटरव्यू देनेवालों ने इस बारे में क्या कहा कि एक नयी भाषा सीखने के लिए कौन-से गुण ज़रूरी हैं।

सब्र, नम्रता और खुद को ढालने के लिए तैयार रहना

बच्चों के लिए एक ही वक्‍त पर दो या उससे ज़्यादा भाषाएँ सीखना, बाएँ हाथ का खेल है। वे अकसर सिर्फ सुनकर ही सीखते हैं। लेकिन जब बड़ों की बात आती है, तो आम तौर पर उनके लिए एक नयी भाषा सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं होता। इसकी एक वजह यह है कि उन्हें सब्र से काम लेने की ज़रूरत है, क्योंकि एक नयी भाषा सीखने में लंबा समय लग सकता है। और बड़े लोगों को बहुत काम रहता है, इसलिए नयी भाषा सीखने के लिए उन्हें अकसर दूसरे कामों को टालना पड़ता है।

जॉर्ज कहता है: “नम्रता का गुण निहायत ज़रूरी है। जब आप एक नयी भाषा सीखते हैं, तो आपको एक बच्चे की तरह बोलने के लिए तैयार रहना होगा। और कुछ मामलो में आपको इस बात के लिए भी तैयार रहना होगा कि दूसरे आपके साथ ऐसे पेश आएँगे मानो आप कोई बच्चा हों।” किताब एक विदेशी भाषा कैसे सीखें (अँग्रेज़ी) कहती है: “अगर आप सचमुच तरक्की करना चाहते हैं, तो आपको अपनी खुद्दारी और अपने आत्म-सम्मान की चिंता छोड़नी होगी।” इसलिए जब आप गलती करते हैं, तो शर्मिंदा मत होइए। बैन कहता है: “अगर आप कभी गलती नहीं करते, तो इसका मतलब है कि आप नयी भाषा का उतना इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, जितना आपको करना चाहिए।”

दूसरे जब आपकी गलतियों पर हँसते हैं, तो बुरा मत मानिए। इसके बजाय, आप भी उनके साथ हँसिए! एक दिन ऐसा आएगा जब आप दूसरों को अपनी गलतियों के मज़ेदार किस्से सुना-सुनाकर उन्हें हँसाएँगे। और हाँ, सवाल पूछने से मत घबराइए। जब आप समझ जाएँगे कि कुछ शब्दों को क्यों एक खास तरीके से बोला जाता है, तो आप उन शब्दों को अच्छी तरह याद रख पाएँगे।

एक नयी भाषा सीखने का अकसर मतलब होता है, एक नयी संस्कृति सीखना। इसलिए खुद को ढालने के लिए तैयार रहना और खुले दिमाग से सोचना, मददगार साबित होगा। जूली कहती है: “नयी भाषा सीखने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि एक मामले को अलग-अलग नज़रिए से देखा जा सकता है और किसी काम को करने के कई तरीके होते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि फलाँ नज़रिया या काम करने का एक तरीका, दूसरे से बेहतर होता है बल्कि वह महज़ अलग होता है।” जे नाम का एक शख्स यह बढ़ावा देता है: “आप जो भाषा सीखते हैं, उस भाषा के बोलनेवालों से दोस्ती करने और उनसे घुलने-मिलने की कोशिश कीजिए।” मगर हाँ, मसीहियों को पहले यह देखने की ज़रूरत है कि क्या वे लोग अच्छी संगति हैं और क्या वे अच्छी बोली का इस्तेमाल करते हैं। (1 कुरिन्थियों 15:33; इफिसियों 5:3,4) जे आगे कहता है: “जब वे देखते हैं कि आपको उनमें, उनके खान-पान, संगीत वगैरह में दिलचस्पी है, तो वे आपकी तरफ खिंचे चले आएँगे।”

आप नयी भाषा सीखने और इससे भी बढ़कर, उसका इस्तेमाल करने में जितना ज़्यादा वक्‍त बिताएँगे, उतनी तेज़ी से आप तरक्की कर पाएँगे। जॉर्ज गौर करता है: “जिस तरह मुर्गी एक-एक दाना चुगती है, उसी तरह नयी भाषा के बारे में हमारा ज्ञान थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ता है। हालाँकि एक-एक दाना अपने आपमें कुछ भी नहीं होता है, लेकिन अगर उन्हें मिलाया जाए तो उनकी गिनती बहुत होती है।” बिल, जिसने एक मिशनरी के तौर पर कई भाषाएँ सीखी हैं, कहता है: “मैं हर जगह अपने साथ शब्दों की सूचियाँ ले जाता था। इससे क्या होता कि जब भी मुझे थोड़ा वक्‍त मिलता, मैं इन्हें देख लेता था।” बहुत-से लोगों ने पाया है कि नियमित तौर पर थोड़ा समय निकालकर नयी भाषा सीखना ज़्यादा असरदार है, बजाय इसके कि कभी-कभार घंटों बैठकर अध्ययन करना।

नयी भाषा सीखने के लिए, ढेर सारी मदद हाज़िर हैं। जैसे, किताबें, कैसेट और सीडी, फ्लैश काड्‌र्स वगैरह-वगैरह। इन सारी चीज़ों के बावजूद, कई लोग पाते हैं कि एक क्लासरूम जैसा माहौल बनाकर तरतीब से सीखना ज़्यादा अच्छा रहता है। फिर भी, जो तरीके आपके लिए अच्छे रहेंगे, उन्हें अपनाइए। लेकिन याद रखिए कि नयी भाषा सीखने का कोई आसान तरीका नहीं है। आपको लगन और मेहनत करने की ज़रूरत है। मगर सीखने का सिलसिला आसान और मज़ेदार बनाने के कई तरीके हैं। एक है, ऐसे माहौल में जाना जहाँ आप उस भाषा और संस्कृति के बारे में ज़्यादा जान सकें।

जॉर्ज कहता है: “नयी भाषा की बुनियादी बातें और शब्दों को सीखने के बाद, अच्छा होगा अगर आप कुछ वक्‍त के लिए ऐसे देश में जाकर रहें जहाँ वह भाषा बोली जाती है।” इसी बात की हामी भरते हुए, बार्ब कहती है: “जब आप उस देश में जाते हैं, तो आप और भी अच्छी तरह जान पाते हैं कि वह भाषा कैसे बोली जाती है।” सबसे बड़ी बात यह है कि उस माहौल में डूब जाने से आप नयी भाषा में सोच पाते हैं। यह सच है कि ज़्यादातर लोगों के लिए दूसरे देश में जाना शायद मुमकिन न हो। मगर अपने ही देश में रहकर आपको नयी भाषा और उसकी संस्कृति में और भी तल्लीन हो जाने के मौके मिल सकते हैं। मिसाल के लिए, आप जो भाषा सीख रहे हैं, उस भाषा में कई अच्छे साहित्य उपलब्ध हों। या फिर आप रेडियो या टी.वी. पर उसी भाषा के अच्छे कार्यक्रम सुन या देख सकते हैं। अपने इलाके में ऐसे लोगों को ढूँढ़िए जो वह भाषा अच्छी तरह बोल लेते हों और फिर उनसे बात कीजिए। एक विदेशी भाषा कैसे सीखें किताब कहती है: “सबसे आखिरी और अहम बात, तरक्की करने के लिए अभ्यास करें।” *

आगे न बढ़ पाना

नयी भाषा सीखते वक्‍त, आपको कभी-कभी लग सकता है कि आप कोई तरक्की नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक ही जगह पर अटके हुए हैं। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? सबसे पहले, मनन कीजिए कि आपने शुरू में यह भाषा सीखने का फैसला क्यों किया। बहुत-से यहोवा के साक्षियों ने नयी भाषा इसलिए सीखी है ताकि वे दूसरों को बाइबल के बारे में सीखने में मदद दे सकें। इस तरह नयी भाषा सीखने के अपने मकसद या लक्ष्य पर गहराई से सोचने से आपका इरादा मज़बूत हो सकता है।

दूसरा, खुद से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद मत कीजिए। किताब एक विदेशी भाषा कैसे सीखें कहती है: “आप शायद ही उस इंसान की तरह बोल पाएँ, जिसकी यह मातृ-भाषा है। मगर आप इस लक्ष्य से भाषा नहीं सीख रहे हैं। आप तो बस इतना चाहते हैं कि लोग आपकी बात समझ सकें।” इसलिए इस बात का दुखड़ा मत रोइए कि आप अपनी मातृ-भाषा जितनी अच्छी तरह बोल लेते हैं, उतनी कुशलता के साथ नयी भाषा नहीं बोल पा रहे हैं। इसके बजाय, जितना आपने सीखा है, उसका इस्तेमाल करके साफ-साफ बोलने पर ध्यान दीजिए।

तीसरा, ऐसी खास घटनाओं को लिख लीजिए जिनकी मदद से आप अपनी तरक्की आँक सकें। नयी भाषा सीखना, घास को बढ़ते हुए देखने के बराबर है। आपको उसकी बढ़ोतरी नज़र नहीं आती, मगर घास थोड़ी-थोड़ी करके बढ़ती ज़रूर है। उसी तरह, अगर आप पीछे मुड़कर उस वक्‍त को देखें जब आपने भाषा सीखना शुरू किया था, तो आप बेशक देख पाएँगे कि आपने काफी तरक्की की है। दूसरों के साथ खुद की तुलना मत कीजिए। ऐसे में बाइबल के गलतियों 6:4 में दिए एक बढ़िया सिद्धांत को मानकर चलिए। यह आयत कहती है: “हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।”

चौथा, यह मानकर चलिए कि भाषा सीखना पूँजी जमा करने के बराबर है। इसमें समय और मेहनत ज़रूर लगती है, मगर इससे आपको फायदे भी मिलेंगे। ज़रा सोचिए: एक तीन या चार साल का बच्चा बातचीत करने में कितना काबिल होता है? क्या वह बड़े-बड़े शब्द और जटिल व्याकरण का इस्तेमाल करता है? बिलकुल नहीं! इसके बावजूद, वह दूसरों से बातचीत कर पाता है। असल में देखा जाए, तो एक बच्चे को भी भाषा सीखने में कई साल लग जाते हैं।

पाँचवाँ, जितना ज़्यादा हो सके नयी भाषा का इस्तेमाल कीजिए। बैन कहता है: “मैंने देखा है कि जब मैं लगातार नयी भाषा का इस्तेमाल नहीं करता हूँ, तो मेरी तरक्की रुक जाती है।” इसलिए भाषा का इस्तेमाल करते रहिए। उसी भाषा में बात कीजिए, बात कीजिए, बात कीजिए! जब आपको उतने ही शब्द आते हैं जितने कि एक छोटे बच्चे को, तो लाज़िमी है कि दूसरों से बातचीत करने की कोशिश में आप निराश हो सकते हैं। मीलेवी दुःख के साथ कहती है: “मुझे इस बात से बहुत चिढ़ आती है कि जब भी मैं कुछ कहना चाहती हूँ, उसी वक्‍त मेरी ज़बान बंद हो जाती है।” लेकिन यही निराशा आपको टिके रहने की प्रेरणा दे सकती है। माइक बीते दिनों को याद करते हुए कहता है: “पहले मैं एक ऐसे मुकाम पर था जहाँ मुझे कोई भी कहानी और चुटकुले समझ में नहीं आते थे और इससे मुझे बड़ा गुस्सा आता था। लेकिन लगता है कि इसी तरह की भावनाओं ने मुझे और भी मेहनत करने का बढ़ावा दिया और मैं उस मुकाम को पार कर पाया।”

दूसरे कैसे मदद कर सकते हैं

नयी भाषा सीखनेवालों की दूसरे कैसे मदद कर सकते हैं, जो उस भाषा को जानते हैं? बिल, जिसका ज़िक्र पहले भी किया गया था, यह सलाह देता है: “आहिस्ते से, मगर सही तरीके से बात कीजिए। बच्चों की भाषा इस्तेमाल मत कीजिए।” जूली कहती है: “सब्र से काम लीजिए और सीखनेवाले को अपना वाक्य पूरा करने दीजिए।” टोनी पुराने दिनों को याद करके कहता है: “अकसर ऐसा होता था कि जो लोग दो भाषाएँ जानते थे, वे मुझसे मेरी मातृ-भाषा में बात करते थे। मगर इससे मेरी तरक्की और भी धीमी पड़ जाती।” इसलिए कुछ सीखनेवालों ने अपने दोस्तों से कहा है कि कुछ मौकों पर, वे उनसे सिर्फ नयी भाषा में बात करें और उन्हें ठीक-ठीक बताएँ कि कहाँ सुधार करने की ज़रूरत है। इसके अलावा, सीखनेवालों को तब बहुत अच्छा लगता है जब कोई सच्चे दिल से उनकी मेहनत के लिए उन्हें शाबाशी देता है। जैसे जॉर्ज कहता है: “मेरे दोस्तों के प्यार और हौसला-अफज़ाई की वजह से ही मैं कामयाबी के इस मुकाम तक पहुँच पाया हूँ।”

तो क्या नयी भाषा सीखना वाकई फायदेमंद है? इसका जवाब बिल देता है: “बेशक है!” उसका ज़िक्र पहले भी किया गया था और अब वह कई भाषाएँ बोलना जानता है। वह यह भी कहता है: “इसकी वजह से, ज़िंदगी के बारे में मेरी सोच का दायरा बढ़ गया है और अब मैं हर मामले को अलग-अलग नज़रिए से देख सकता हूँ। मगर इससे भी बड़ी बात तो यह है कि मैं दूसरी भाषा बोलनेवालों को बाइबल अध्ययन करा सकता। साथ ही, जब मैं उन्हें बाइबल की सच्चाइयों को कबूल करते और आध्यात्मिक तरक्की करते देखता हूँ, तो इन सबके आगे मेरी सारी मेहनत फीकी पड़ जाती है। दरअसल, एक बार एक आदमी जो 12 भाषाएँ अच्छी तरह बोल लेता है, उसने मुझसे कहा: ‘मुझे आपसे जलन होती है। मैं सिर्फ शौक के लिए भाषाएँ सीखता हूँ, जबकि आप तो लोगों की मदद करने के लिए सीखते हैं।’” (3/07)

[फुटनोट]

^ पैरा. 11 फरवरी 8,2000 की सजग होइए! के पेज 12-13 देखिए।

[पेज 13 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

दूसरों की मदद करने की तमन्‍ना, नयी भाषा सीखने के लिए ज़बरदस्त प्रेरणा देती है