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एक विशाल ज्वालामुखी के साए में जीना

एक विशाल ज्वालामुखी के साए में जीना

एक विशाल ज्वालामुखी के साए में जीना

ज्वालामुखी हमेशा से एक अनबुझ पहेली रहे हैं। वे सदियों तक शांति से सो सकते हैं और फिर अचानक, एक दिन गड़गड़ाहट के साथ जाग सकते हैं। उस वक्‍त का मंज़र हैरतअँगेज़, मगर बहुत ही खौफनाक भी हो सकता है। ज्वालामुखी के फटने से कुछ ही मिनटों में, पूरा-का-पूरा शहर खाक में मिल सकता है और कई लोगों के जीवन की लौ बुझ सकती है।

ज्वालामुखी बहुत ही खतरनाक होते हैं, इस बात पर किसी को शक नहीं। पिछले 300 सालों के दौरान, इन्होंने सैकड़ों-हज़ारों लोगों की जानें ली हैं। बेशक, हममें से कई लोग इन बड़े-बड़े ज्वालामुखियों से कोसो दूर, सही-सलामत रहते हैं। मगर पृथ्वी की आबादी में से लाखों लोग ऐसे ज्वालामुखियों के बिलकुल नज़दीक रहते हैं, जो कभी-भी फूट सकते हैं। मिसाल के लिए, इक्वेडोर की राजधानी, क्वीटो से कुछ ही दूर, उत्तर-पूर्व में ज्वालामुखी पीचीनचा है। पोपोकेटपेटल पर्वत, जिसके नाम का एज़टेक भाषा में मतलब है “धुआँधार पर्वत,” मेक्सिको सिटी से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। इसके अलावा, बड़े-बड़े शहर जैसे न्यू ज़ीलैंड का औकलैंड और इटली का नेपल्स, ज्वालामुखियों के साए में बसे हैं। यानी, कुल मिलाकर लाखों लोग इस खतरे के साथ जी रहे हैं कि ज्वालामुखी के अंदर गड़गड़ाहट कभी-भी शुरू हो सकती है और फिर एक धमाके के साथ ये सोए हुए विशाल पर्वत जाग सकते हैं।

एक खतरनाक ज्वालामुखी

नेपल्स शहर के रहनेवाले लोग, लगभग 3,000 सालों से वेसूवियस पर्वत के दामन में रहते आए हैं। यह पर्वत, नेपल्स से सिर्फ 11 किलोमीटर दूर है। वेसूवियस शंकु के आकार का पर्वत है, जो प्राचीन ज्वालामुखी मॉन्टे सॉम्मा के मुहाने (काल्डेरा) के अंदर पाया जाता है। वेसूवियस पर्वत, पृथ्वी के सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों में गिना जाता है। इस पर्वत का निचला हिस्सा समुद्र के अंदर है, इसलिए यह पर्वत जितना बड़ा दिखता है, दरअसल उससे कई गुना ज़्यादा विशाल है।

वेसूवियस पर्वत का इतिहास काफी पुराना है। सदियों से इस पर्वत का ज्वालामुखी कई बार फूट चुका है। सबसे जाना-माना विस्फोट सा.यु. 79 में हुआ था। उस विस्फोट ने पॉम्पे और हर्कलेनीअम शहर को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था। तब से लेकर आज तक, यह पर्वत 50 से भी ज़्यादा बार फूट चुका है। सन्‌ 1631 में जब यह ज्वालामुखी फूटा था, तब यह इतना विनाशकारी था कि इसमें करीब 4,000 लोग मारे गए थे। तभी से शब्द “लावा” का इस्तेमाल किया जाने लगा। यह शब्द, लातिनी शब्द लाबी से निकला है जिसका मतलब है, “खिसकना।” यह शब्द क्या ही बढ़िया तरीके से समझाता है कि कैसे लावा वेसूवियस की खड़ी ढलानों से खिसकते हुए नीचे बहता है।

सदियों से वेसूवियस पर्वत अंदर-ही-अंदर खौलता रहा है। सन्‌ 1944 में जब दूसरा विश्‍वयुद्ध चल रहा था, तब एक बार फिर यह ज्वालामुखी फूट पड़ा। और नेपल्स में आनेवाली मित्र-राष्ट्रों की सेनाओं पर राख बरसाकर मानो उनका स्वागत किया। आस-पास के कसबे, मासा और सान सेबास्टियानो राख में दफन हो गए। यहाँ तक कि पहाड़ की एक तरफ, लोहे के तारों के सहारे चलनेवाली रेल (केबल कार) भी नष्ट हो गयी। यह रेल, एक इतालवी लोक-गीत “फूनीकूली फूनीकूला” की वजह से काफी मशहूर हुई थी।

आज, नेपल्स के रहनेवाले बेफिक्र होकर अपनी ज़िंदगी जीने में लगे हुए हैं, इसके बावजूद कि खतरा उनके घर के बिलकुल पास है। यहाँ आनेवाले सैलानी ऐतिहासिक जगहों और जानी-मानी, शानदार इमारतों को देखकर हक्के-बक्के रह जाते हैं। दुकानों और कॉफी-नाश्‍ते की जगहों पर हलचल मची रहती है। नेपल्स की खाड़ी में जहाज़ों के सफेद पाल ऐसे नज़र आते हैं मानो किसी ने पानी पर यहाँ-वहाँ सफेद रंग के छींटे मार दिए हों। इसके अलावा, बाहर से आनेवाले लोग खास वेसूवियस पर्वत को देखने के लिए नेपल्स आते हैं। उनकी नज़रों में अब यह कोई खतरनाक ज्वालामुखी नहीं रहा, बल्कि एक शांत दोस्त बन गया है।

औकलैंड—ज्वालामुखियों का शहर

औकलैंड, न्यू जीलैंड का एक बंदरगाह शहर है। इस शहर के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक, ज्वालामुखी के कई शंकु पाए जाते हैं। दरअसल, यहाँ के 48 छोटे-छोटे ज्वालामुखियों के बीच 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों का बसेरा है। प्राचीन समय में ज्वालामुखियों के फूटने से बनी घाटियाँ अब समुद्र के पानी से भर गयी हैं और इसमें अब दो बंदरगाह पाए जाते हैं। यहाँ कभी ज्वालामुखी फूटे थे, इसकी निशानी के तौर पर अब सिर्फ कुछ ही द्वीप बचे हुए हैं। इन द्वीपों में जो द्वीप एकदम साफ नज़र आता है, वह है 600 साल पुराना राँगिटोटो द्वीप। यह द्वीप बिलकुल वेसूवियस के आकार का है और पानी में से उभरा हुआ है। जब इस द्वीप का जन्म हुआ था, तब पास के माउरी आदिवासियों का गाँव राख में दफन हो गया था।

औकलैंड के लोग, ज्वालामुखियों के बीच जीना सीख गए हैं। मिसाल के लिए, ज्वालामुखी का शंकु, माउनगाकीकी आज शहर के बिलकुल बीचों-बीच है और इसमें एक पार्क और भेड़ों का फार्म बन चुका है। इसी तरह, दूसरे ज्वालामुखियों के मुहानों पर तालाब, पार्क या खेल-कूद के मैदान बनाए जा चुके हैं। एक ज्वालामुखी पर तो कब्रिस्तान बना है। बहुत-से निवासी, ज्वालामुखी के ढलानों पर रहना पसंद करते हैं क्योंकि यहाँ से वे दिलकश नज़ारे का मज़ा लूट सकते हैं।

औकलैंड शहर में सबसे पहले माउरी आदिवासी आकर बसे थे। फिर उसके बाद, यानी आज से 180 साल पहले, यूरोप के लोग यहाँ आकर रहने लगे। इन सभी ने शायद ही कभी ज्वालामुखियों के बीते कल के बारे में सोचा हो। उन्हें तो बस यही नज़र आया कि ज़मीन खाली है और समुद्र भी पास में है। और-तो-और, उन्होंने यह भी पाया कि यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है। दरअसल, दुनिया के दूसरे हिस्सों में जहाँ कहीं ज्वालामुखी पाए जाते हैं, वहाँ की ज़मीन भी बहुत उपजाऊ होती है। मिसाल के लिए, इंडोनेशिया में जितने इलाकों को चावल उगाने के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है, उनमें से कुछ ऐसे ज्वालामुखियों के साए में पाए जाते हैं जो किसी भी वक्‍त फूट सकते हैं। पश्‍चिम अमरीका में खेती-बाड़ी के सबसे बेहतरीन इलाकों की ज़्यादातर मिट्टी, दरअसल ज्वालामुखी से निकले लावा से ही बनी है। अगर मौसम सही हो तो लावा से ढकी ज़मीन पर, ज्वालामुखी के फटने के बाद एक साल के अंदर-अंदर पेड़-पौधे उगने लगेंगे।

पहले से चेतावनी देने की व्यवस्था

बहुत-से लोग शायद हैरान होकर पूछें: ‘क्या ज्वालामुखी के पास रहना, खतरे से खाली नहीं है?’ हाँ, यह खतरनाक तो है, मगर वैज्ञानिक आजकल भूकंप आने और ज्वालामुखी के फटने से पहले ही इसका पता लगा सकते हैं। मिसाल के लिए, ‘अमरीका के भू-विज्ञान सर्वे’ दुनिया-भर के उन ज्वालामुखियों पर नज़र रखता है, जो कभी-भी फूट सकते हैं। इनमें नेपल्स और औकलैंड के ज्वालामुखी भी शामिल हैं, जहाँ पर विस्फोट के समय क्या किया जाना चाहिए, इस सिलसिले में ज़रूरी योजनाएँ बनायी गयी हैं। वैज्ञानिक, साइसमॉमीटर नेटवर्क (एक ऐसा भूकंपमापी यंत्र जो धरती के अंदर होनेवाली हलचल को मापता है) और 24 घंटे काम करनेवाले ‘ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम्स’ नाम के उपग्रह का इस्तेमाल करके, ज्वालामुखी के फूटने से पहले ही धरती के अंदर होनेवाले उथल-पुथल का पता लगा लेते हैं।

वेसूवियस पर्वत पर तो कड़ी निगरानी रखी जाती है। इसके अलावा, इटली के अधिकारी एहतियात बरतने के मामले में एक कदम आगे हैं। उन्होंने ऐसी योजनाएँ बनायी हैं, जिनके तहत वे उस पैमाने पर होनेवाले विस्फोट का सामना करने के लिए तैयार हैं, जिस पैमाने पर सन्‌ 1631 में विस्फोट हुआ था। विशेषज्ञों का दावा है कि जो लोग सबसे खतरनाक इलाकों में रहते हैं, उन्हें ज्वालामुखी के फटने से पहले चेतावनी दी जा सकती है और पूरा इलाका खाली किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि औकलैंड शहर, ‘मोनोजेनेटिक वॉलकेनिक फील्ड’ में बसा है। इसका यह मतलब है कि यहाँ मौजूदा ज्वालामुखी फूटने के बजाय, एक बिलकुल ही नया ज्वालामुखी बनने की गुंजाइश हो सकती है और वह भी एक नयी जगह पर। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा सिर्फ तभी होगा जब कई दिनों या कई हफ्तों तक लगातार भूकंप होंगे। इस तरह के भूकंप से लोग पहले से खबरदार हो सकते हैं और उन्हें किसी सुरक्षित जगह पर भागने के लिए काफी वक्‍त भी मिल सकता है।

खतरे को हमेशा ध्यान में रखिए

हालाँकि ज्वालामुखियों पर नज़र रखना निहायत ज़रूरी काम है, मगर इससे क्या फायदा अगर लोग चेतावनियों को अनसुना कर दें। मिसाल के लिए, सन्‌ 1985 में कोलम्बिया के आर्मेरो शहर के अधिकारियों को खबरदार किया गया था कि नेवाडो डेल रुईस ज्वालामुखी कभी-भी फट सकता है। हालाँकि पहाड़ के अंदर की गड़गड़ाहट 50 किलोमीटर दूर तक साफ सुनायी दे रही थी, फिर भी अधिकारियों ने लोगों को शांत रहने को कहा। नतीजा, ज्वालामुखी के फटने के बाद सारा गर्म-कीचड़ बड़ी तेज़ी से बहकर आया और पूरे शहर को निगल गया। उसमें 21,000 से भी ज़्यादा लोग मारे गए।

हालाँकि ऐसी महाविपत्तियाँ विरले ही होती हैं, मगर जब ज्वालामुखी खामोश होता है, तो उस दौरान ज़्यादा खोजबीन और तैयारियाँ की जाती हैं। इस तरह, ज्वालामुखियों पर लगातार नज़र रखने, विपत्ति का सामना करने के लिए अच्छी तैयारी करने और लोगों में जागरूकता पैदा करने से, विशाल ज्वालामुखी के साए में जीनेवालों की जान को कम खतरे हो सकते हैं। (2/07)

[पेज 24 पर बक्स/तसवीर]

हमेशा तैयार रहिए!

क्या आप कुदरती आफतों का सामना करने के लिए तैयार हैं? आपके इलाके में कौन-सी कुदरती आफतें कहर ढा सकती हैं, इसका पता लगाइए। पहले से एक जगह तय कीजिए, ताकि विपत्ति के दौरान अगर परिवार के सदस्य बिछड़ जाएँ, तो सब उस जगह पर मिल सकें। साथ ही, यह भी तय कीजिए कि आप कहाँ पर हैं, इस बारे में किसको इत्तला करेंगे। विपत्ति के समय आपके परिवार के पास कौन-से ज़रूरी सामान होने चाहिए, इसकी योजना बनाइए। जैसे, खाने-पीने की चीज़ें, फर्स्ट-एड के सामान, कपड़े, रेडियो, वॉटरप्रूफ टॉर्चलाइट और कुछ नयी बैटरियाँ। आपके पास ये सारी चीज़ें इतनी मात्रा में होनी चाहिए कि ज़रूरत पड़ने पर आप कई दिनों तक इनसे काम चला सकें।

[पेज 23 पर तसवीर]

सैलानी, वेसूवियस के खास मुहाने के पास चल रहे हैं

[चित्र का श्रेय]

©Danilo Donadoni/Marka/age fotostock

[पेज 23 पर तसवीर]

वेसूवियस पर्वत के सामने, इटली का नेपल्स शहर

[चित्र का श्रेय]

© Tom Pfeiffer

[पेज 23 पर तसवीर]

एक कलाकार का बनाया चित्र, जिसमें सा.यु. 79 में हुए ज्वालामुखी के बड़े विस्फोट का दृश्‍य दिखाया गया है। इस हादसे में पॉम्पे और हर्कलेनीअम शहर पूरी तरह भस्म हो गए थे

[चित्र का श्रेय]

© North Wind Picture Archives

[पेज 24 पर तसवीर]

राँगिटोटो द्वीप, औकलैंड के उन द्वीपों में से एक है जो ज्वालामुखी के फटने से बने हैं

[पेज 25 पर तसवीरें]

बायीं तरफ और नीचे: मेक्सिको का पोपोकेटपेटल पर्वत

[चित्रों का श्रेय]

AFP/Getty Images

Jorge Silva/AFP/Getty Images

[पेज 22 पर चित्र का श्रेय]

USGS, Cascades Volcano Observatory