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इत्र बनानेवालों का पसंदीदा फल

इत्र बनानेवालों का पसंदीदा फल

इत्र बनानेवालों का पसंदीदा फल

इटली में सजग होइए! लेखक द्वारा

इत्र का इतिहास बहुत पुराना है। बाइबल के ज़माने में, जो कोई इत्र खरीदने की हैसियत रखता था, वह अपने घरों, पलंगों, कपड़ों और अपने बदन को इसकी खुशबू से महका देता था। इत्र में इन चीज़ों को मिलाया जाता था: अगर, सुगन्ध-द्रव्य, दालचीनी और दूसरे मसाले।—नीतिवचन 7:17; श्रेष्ठगीत 4:10,14.

आज भी, इत्र में मिलायी जानेवाली एक अहम चीज़ है, वनस्पतियों से निकाला जानेवाला अर्क। इत्र में इस्तेमाल होनेवाली ऐसी ही एक चीज़ को देखने मैं और मेरी पत्नी इटली प्रायद्वीप के सबसे दक्षिणी इलाके, कलाब्रीआ में आए हैं, जहाँ वह चीज़ पायी जाती है। और वह है, बरगमट फल। शायद आपने यह नाम पहले कभी न सुना हो, मगर इसकी खुशबू से आप ज़रूर वाकिफ होंगे। कहा जाता है कि स्त्रियों के एक-तिहाई इत्रों में और पुरुषों के 50 प्रतिशत कलोनों में इसकी खुशबू पायी जाती है। आइए, हम आपको बरगमट के बारे में और भी जानकारी दें।

बरगमट एक सदाबहार पेड़ है और इसके फल रसीले होते हैं। इसके फूल बसंत में खिलते हैं और इसके चिकने, पीले फल पतझड़ के खत्म होते-होते या जाड़े की शुरूआत में पकते हैं। इस फल का आकार लगभग एक संतरे के बराबर होता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि बरगमट फल दोगला नस्ल का है, मगर यह किस जाति की वनस्पति से पैदा हुआ है, इसका अभी तक कोई ठीक-ठीक पता नहीं लगा पाया है। बरगमट पेड़ किसी भी जगह पर अपने-आप से नहीं बढ़ता और ना ही इसे बीज बोकर उगाया जा सकता है। इसके लिए, किसानों को बरगमट पेड़ों की नयी कोंपलों को उन पौधों के साथ कलम लगाना पड़ता है, जो उनसे मिलती-जुलती नस्ल के होते हैं, जैसे कि नींबू या खट्टा संतरा।

बरगमट फल अपने बेजोड़ गुणों की वजह से इत्र बनानेवालों के बहुत काम आता है। इस बारे में एक किताब कहती है कि उनसे निकाले गए अर्क में एक बहुत ही अनोखी काबिलीयत होती है। वह यह कि बरगमट का अर्क “दूसरी खुशबुओं के साथ आसानी से मिल जाता है और उन्हें पक्का कर देता है। इस तरह एक अलग ही महक तैयार होती है। साथ ही, यह अर्क जिस इत्र में मिलाया जाता है, उसमें यह एक खास ताज़गी भर देता है।” *

कलाब्रीआ में बरगमट को लगाना

इतिहास की किताबों से पता चलता है, कलाब्रीआ में बरगमट पेड़ सन्‌ 1700 के दशक के शुरूआती सालों में पाए जाते थे, और वहाँ के निवासी कभी-कभार मुसाफिरों को इसका अर्क बेचते थे। मगर जब से कलोन तैयार करने और बेचने का कारोबार चलने लगा, तब से बरगमट को खास इसी मकसद से लगाया जाने लगा। सन्‌ 1704 में, यान पाओलो फेमीनीस नाम के एक शख्स ने, जो इटली से जर्मनी के कलोन शहर में जा बसा था, एक सुगंधित द्रव्य तैयार किया। इस द्रव्य को उसने ऐक्वा आडमीराबिलिस नाम दिया। इसमें इस्तेमाल की गयी मुख्य सामग्री, बरगमट का अर्क था। आगे चलकर इस इत्र को ‘यू डी कलोन,’ “कलोन वॉटर” या सिर्फ कलोन कहा जाने लगा, इसलिए क्योंकि यह इसी शहर में तैयार किया गया था।

बरगमट का सबसे पहला बाग सन्‌ 1750 के करीब, रेगिओ शहर में लगाया गया था। और बरगमट अर्क को बेचने पर बहुत मुनाफा कमाया गया था, इसलिए और भी बड़ी तादाद में पेड़ लगाए गए। बरगमट पेड़ों को बढ़ने के लिए ऐसा मौसम चाहिए, जो न तो ज़्यादा ठंड हो और न ही ज़्यादा गरम। साथ ही, उन्हें दक्षिण की तरफ लगाया जाना चाहिए, ताकि वे उत्तर से आनेवाली ठंडी हवाओं से सुरक्षित रह सकें। मगर जब तेज़ हवाएँ चलती हैं, मौसम में अचानक बदलाव आता है और हवा में लंबे समय तक नमी रहती है, तो वे ठीक से बढ़ नहीं पाते। पूरे साल के दौरान एक-जैसा मौसम तो रेगिओ प्रांत में पाया जाता है। यह प्रांत सिर्फ 5 किलोमीटर चौड़ा और 150 किलोमीटर लंबा है और इटली महाद्वीप के दक्षिणी तट के बहुत नज़दीक है। हालाँकि बरगमट को दूसरी जगहों पर लगाने की कोशिशें की जा रही हैं, मगर दुनिया-भर में सबसे ज़्यादा बरगमट इसी प्रांत में पाए जाते हैं। इसके अलावा, अफ्रीका का कोत दिवॉर ही ऐसा दूसरा देश है, जिसमें बरगमट पेड़ पाए जाते हैं।

बरगमट फल के छिलके से एक हरा-पीला खुशबूदार तेल निकाला जाता है। बरसों पहले इस तेल को निकालने के लिए फलों को आधा काटकर उनका गूदा निकाला जाता था और फिर छिलकों को निचोड़ा जाता था। और जो तेल निकलता था, उसे स्पंज से सोख लिया जाता था। सिर्फ आधा किलो अर्क निकालने के लिए करीब 90 किलो बरगमट को निचोड़ा जाता था। मगर आज बरगमट से अर्क निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इन मशीनों पर लगे खुरदरे चक्कों या बेलनों के ज़रिए पूरे-के-पूरे फल के छिलके को कद्दूकश किया जाता है।

नाम एक, काम अनेक

कलाब्रीआ से बाहर इस फल के बारे में लोग शायद ही कुछ जानते हों, मगर जैसा कि एक किताब कहती है, “पारखियों की नज़रों में बरगमट का बड़ा मोल है।” इसकी खुशबू न सिर्फ इत्रों में, बल्कि साबुनों, डिओडरेंट, टूथपेस्ट और क्रीमों में भी पायी जाती है। खुशबुओं के अलावा, बरगमट अर्क का इस्तेमाल खाने की चीज़ों का ज़ायका बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। जैसे कि आइसक्रीम, चाय, मिठाइयों और शरबतों का। इसे उन क्रीमों और लोशनों में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे त्वचा का रंग ताँबे जैसा हो जाता है। इसमें कीटाणुओं और जीवाणुओं से लड़ने के गुण हैं, इसलिए इसे सर्जरी, आँखों के इलाज (ophthalmology) और त्वचा के इलाज (dermatology) में एक कीटाणुनाशक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बरगमट फल में पाया जानेवाला पेकटिन नाम का एक पदार्थ, जिलेटिन की तरह काम करता है, यानी द्रव्यों को जैल की तरह ठोस बनाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल ज़्यादा खून बहने से रोकने, साथ ही दस्त रोकने में किया जाता है।

बरगमट पर अध्ययन करनेवालों ने बरगमट अर्क के कुछ 350 अवयव ढूँढ़ निकाले हैं, जिनकी वजह से यह अपना ही एक अनोखा महक देता है। साथ ही यह ढेरों गुण से भरपूर है। एक ही फल में कितना कुछ पाया जा सकता है। है ना यह कमाल का फल!

पुराने ज़माने में बाइबल के लेखकों को शायद ही बरगमट के बारे में कुछ पता था। लेकिन आज जो लोग कुछ पल ठहरकर इस रसीले फल के गुणों और इसके सिरजनहार की बुद्धि पर गौर करते हैं, वे भजनहार के इन शब्दों को दोहराए बगैर नहीं रहेंगे: ‘हे फलदाई वृक्षों यहोवा की स्तुति करो।’—भजन 148:1,9. (6/07)

[फुटनोट]

^ पैरा. 6 जिस तरह कुछ लोगों को घास के पराग या फूलों से एलर्जी होती है, उसी तरह कुछ लोगों को इत्र से एलर्जी होती है। सजग होइए! कोई खास इत्र का इस्तेमाल करने का बढ़ावा नहीं देती।

[पेज 25 पर तसवीर]

बरगमट का अर्क निकालने के लिए पूरे-के-पूरे फल के छिलके को कद्दूकश किया जाता है

[चित्र का श्रेय]

© Danilo Donadoni/Marka/age fotostock