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अपने घर को प्यार का आशियाना बनाइए

अपने घर को प्यार का आशियाना बनाइए

कदम 2

अपने घर को प्यार का आशियाना बनाइए

यह कदम उठाना क्यों ज़रूरी है? बच्चों को प्यार की सख्त ज़रूरत होती है। प्यार न मिलने पर वे मुरझा जाते हैं। सन्‌ 1950 के दशक में, मानव-वैज्ञानिक एम. एफ. एशली मोन्टागू ने लिखा: “इंसान को बढ़ने के लिए जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, वह है प्यार; जब उसे ज़िंदगी में, खासकर शुरूआती छः सालों में प्यार मिलता है, तो वह [शारीरिक और मानसिक तौर पर] सेहतमंद होता है।” लेकिन “जब बच्चों को बहुत कम प्यार दिया जाता है, तो इससे उन्हें भारी नुकसान पहुँचता है।” मोन्टागू के इस नतीजे से आज के शोधकर्ता भी पूरी तरह सहमत हैं।

चुनौतियाँ: आज हम ऐसे संसार में जी रहे हैं, जहाँ प्यार का अकाल पड़ा है और लोग स्वार्थी हो गए हैं। इसी के चलते परिवार के रिश्‍तों में दरार बढ़ती जा रही है। (2 तीमुथियुस 3:1-5) शादीशुदा जोड़े शायद पाएँ कि बच्चों की परवरिश करने में जो खर्चा और दूसरी माँगें होती हैं, उन्हें पूरा करते-करते उनके बीच पहले से मौजूद समस्याएँ और भी बढ़ जाती हैं। उदाहरण के लिए: मान लीजिए कि एक जोड़े में खुलकर बात न करने की समस्या है। ऐसे में अगर बच्चों को अनुशासन या इनाम देने के बारे में उन दोनों की अलग-अलग राय होगी, तो उनके बीच का तनाव और भी बढ़ सकता है।

हल: नियमित तौर पर, अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर समय बिताइए। माता-पिताओ, आपको भी एक-दूसरे के लिए वक्‍त निकालना चाहिए। (आमोस 3:3) जैसे, जब बच्चे सो जाते हैं, तो उसके बाद के समय का सोच-समझकर इस्तेमाल कीजिए। टी.वी. के आगे बैठ जाने के बजाय, इन कीमती पलों का फायदा उठाकर एक-दूसरे के करीब आइए। हमेशा एक-दूसरे से अपने प्यार का इज़हार कीजिए और इस तरह अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में रोमांस बनाए रखिए। (नीतिवचन 25:11; श्रेष्ठगीत 4:7-10) हर दिन अपने साथी में ‘नुक्स निकालने’ के बजाय, उसकी तारीफ करने के मौके ढूँढ़िए।—भजन 103:9,10, NW; नीतिवचन 31:28.

अपने बच्चों को बताइए कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं। इस मामले में, यहोवा परमेश्‍वर ने माता-पिताओं के लिए एक उम्दा मिसाल रखी। उसने खुलेआम जताया कि वह अपने बेटे, यीशु से बेहद प्यार करता है। (मत्ती 3:17; 17:5) ऑस्ट्रिया का रहनेवाला एक पिता, फ्लेक कहता है: “मैंने पाया है कि बच्चे थोड़े-बहुत, कुछ फूलों की तरह होते हैं। ठीक जैसे ये छोटे-छोटे फूल रोशनी और गर्मी के लिए सूरज की तरफ मुड़ते हैं, वैसे ही बच्चे प्यार और यह आश्‍वासन पाने के लिए अपने माता-पिता की ओर ताकते हैं कि वे परिवार का एक अनमोल हिस्सा हैं।”

चाहे आप शादीशुदा माता-पिता हों या ऐसी माँ या ऐसे पिता हों जो अकेले अपने बच्चे को पाल रहे हैं, अगर आप घर के सभी लोगों को एक-दूसरे और परमेश्‍वर के लिए प्यार बढ़ाने में मदद देंगे, तो आपका परिवार सुखी रहेगा।

लेकिन अब सवाल उठता है: माता-पिता के तौर पर आपको अपना अधिकार कैसे जताना चाहिए, इस बारे में परमेश्‍वर का वचन क्या कहता है? (8/07)

[पेज 4 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“प्रेम . . . एकता का सिद्ध बन्ध है।” —कुलुस्सियों 3:14, NHT