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भाग-दौड़ की ज़िंदगी से दूर वॉनवॉटू में आराम फरमाइए

भाग-दौड़ की ज़िंदगी से दूर वॉनवॉटू में आराम फरमाइए

भाग-दौड़ की ज़िंदगी से दूर वॉनवॉटू में आराम फरमाइए

न्यू कैलेडोनिया में सजग होइए! लेखक द्वारा

क्या आप ज़िंदगी की भाग-दौड़ से थक चुके हैं? क्या आप सबकुछ छोड़कर कहीं छुट्टियों पर जाना चाहते हैं? अगर हाँ, तो कल्पना कीजिए कि आप गर्म इलाके में पाए जानेवाले एक द्वीप पर हैं और खिली धूप में आराम फरमा रहे हैं। मन की आँखों से देखिए कि आप कभी हलके नीले-हरे रंग के समुद्र में मज़े से तैर रहे हैं, तो कभी हरे-भरे जंगलों में सैर कर रहे हैं। या फिर आप वहाँ के आदिवासियों से घुल-मिल रहे हैं, जिनकी संस्कृति बहुत ही अलग है। लेकिन क्या इस धरती पर ऐसा फिरदौस मौजूद है? जी हाँ! दूर-दराज़ के द्वीप-समूह, वॉनवॉटू में ऐसा ही फिरदौस पाया जाता है।

वॉनवॉटू, दक्षिण-पश्‍चिमी प्रशांत महासागर में, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के बीच पाया जाता है। यह द्वीप-समूह करीब 80 छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर बना है। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, वॉनवॉटू एक ऐसी जगह पर है, जहाँ पृथ्वी की ऊपरी सतह यानी पपड़ी में पाए जानेवाले बड़े-बड़े टेक्टॉनिक्स प्लेटों (विवर्तनिक) के आपस में टकराने की वजह से, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ उभर आए हैं। इनमें से ज़्यादातर पहाड़ पानी के नीचे समाए हुए हैं। इन ऊँचे पहाड़ों की जो चोटियाँ समुद्र की सतह से ऊपर हैं, उन्हीं से वॉनवॉटू के पथरीले द्वीप-समूह बने हैं। आज, ज़मीन की पपड़ी के अंदर अकसर हलचल होती है, जिससे यहाँ कई छोटे-मोटे भूंकप आते रहते हैं। यहाँ नौ ज्वालामुखी ऐसे हैं, जो कभी-भी फूट सकते हैं। दिलेर सैलानी चाहें तो ज्वालामुखी से बहते गरम लावे को नज़दीक से देख सकते हैं।

इस द्वीप-समूह पर कई घने वर्षा-वन हैं। ये जंगल विशाल बरगद के पेड़ों का आशियाना भी हैं, जो इतने घने है कि उनके पत्तों का घेरा दूर-दूर तक फैला है। यही नहीं, यहाँ 150 से भी ज़्यादा किस्म के ऑर्किड और 250 से भी ज़्यादा तरह के फर्न पौधे पाए जाते हैं, जो घने झाड़-झंखाड़ की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं। यहाँ चारों तरफ एक-से-बढ़कर-एक समुद्र-तट और दाँतेदार चट्टानें हैं। और समुद्र का पानी काँच के जैसा साफ है, और रंग-बिरंगी मछलियों और मूँगों से भरा पड़ा है। कुदरत के खूबसूरत इलाकों का लुत्फ उठानेवाले सैलानी, पूरी दुनिया से यहाँ एपी द्वीप आते हैं, ताकि वे सीधे-साधे और नट-खट डूगॉन्ग के साथ तैर सकें। *

आदमखोर और ‘कारगो कल्ट’

सन्‌ 1606 में, यूरोप के खोजकर्ता पहली बार वॉनवॉटू आए। * उस वक्‍त, इन द्वीपों पर खूँखार और आदमखोर जातियाँ रहती थीं। यहाँ के जंगल चंदन के पेड़ों से ढके हुए थे, जिसकी खुशबूदार लकड़ियों की एशिया के देशों में बहुत कीमत थी। यह देखकर यूरोप के व्यापारियों की आँखें पैसों की चमक से चुंधियाँ गयीं। फिर क्या था, उन्होंने बड़ी तरतीब से चंदन के पेड़ों का सफाया कर दिया। इसके बाद, उन्होंने ‘ब्लेकबर्डिंग’ शुरू की। ‘ब्लेकबर्डिंग’ क्या है?

‘ब्लेकबर्डिंग’ का मतलब है कि प्रशांत महासागर के द्वीपों से आदिवासियों को ज़बरदस्ती और धोखे से दूसरे देशों में भेजा जाना ताकि उनसे गन्‍ने और रुई के खेतों में मज़दूरी करायी जा सके। उसी तरह, वॉनवॉटू के द्वीप-समूह से आदिवासियों को सामोआ, फिजी और ऑस्ट्रेलिया भेजा गया। कहा जाता था कि ये लोग अपनी मरज़ी से 3 साल तक काम करने के लिए अर्ज़ी पर दस्तखत करते थे। लेकिन हकीकत में, उनमें से ज़्यादातर को अगवा कर लिया जाता था। सन्‌ 1800 के दशक के खत्म होते-होते, जब गुलामों को बेचने-खरीदने का धंधा पूरे ज़ोरों पर था, तो वॉनवॉटू के कुछ द्वीपों में पुरुषों की आधे से ज़्यादा आबादी दूसरे देशों में काम कर रही थी। सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही प्रशांत महासागर के द्वीपों से आए करीब 10,000 लोगों की मौत हो गयी। इनमें से ज़्यादातर की मौत की वजह बीमारी थी।

यूरोप में फैली बीमारियों ने भी वॉनवॉटू द्वीप-समूह पर बड़ी तबाही मचायी। यहाँ के लोगों में खसरा, हैजा, चेचक, और दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत बहुत ही कम थी। एक किताब कहती है: “लोगों की पूरी-की-पूरी आबादी को मिटाने के लिए ज़ुकाम भी घातक साबित हुआ।”

सन्‌ 1839 में, ईसाईजगत के मिशनरी वॉनवॉटू आए। उनके आते साथ ही उन्हें एक दावत पर बुलाया गया। और कहा जाता है कि दावत में आदमखोरों ने उन्हें ही खा लिया। उनके बाद, यहाँ आए दूसरे और कई मिशनरी का भी यही हश्र हुआ। समय के गुज़रते, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक चर्चों ने वॉनवॉटू के सभी द्वीपों पर अपने पैर जमा लिए। आज यहाँ 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग चर्च के सदस्य होने का दावा करते हैं। लेकिन इसके बावजूद, लेखक पॉल राफाले कहते हैं: “यहाँ रहनेवाले ज़्यादातर लोग अभी-भी जादू-टोना करनेवालों के भक्‍त हैं, जो जादुई रस्मों-रिवाज़ों में ऐसे पत्थरों का इस्तेमाल करते हैं जिनमें आत्मा समायी होती है। ये रस्म-रिवाज़ नए प्रेमी को रिझाने, सुअर को मोटा-ताजा करने या किसी दुश्‍मन का काम तमाम करने के लिए किए जाते हैं।”

वॉनवॉटू में ‘कारगो कल्ट’ नाम के धार्मिक समूह के लोग भी रहते हैं। यह समूह, दुनिया में लंबे समय से बरकरार रहनेवाले समूहों में से एक है। दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान, प्रशांत महासागर के इलाकों में युद्ध लड़ने के लिए जाते वक्‍त, करीब 5 लाख अमरीकी सैनिक वॉनवॉटू से गुज़रे थे। द्वीप के लोग उनके बेशुमार ‘कारगो’ यानी साज़ो-सामान को देखकर दंग रह गए। जब युद्ध खत्म हुआ, तो अमरीकी सैनिकों ने अपना तामझाम बाँधा और वहाँ से निकल गए। लेकिन जाते-जाते, उन्होंने लाखों डॉलर का साज़ो-सामान और दूसरी चीज़ें समुद्र में फेंक दी। इन धार्मिक समूहों ने जिन्हें ‘कारगो कल्ट’ कहा जाता है, अपने इन अमरीकी मेहमानों को लुभाने के लिए बंदरगाह और हवाईजहाज़ के लिए हवाई पट्टियाँ बनायीं। साथ ही, झूठमूठ के युद्ध के हथियार लेकर अभ्यास भी किए। यहाँ तक कि आज भी, टॉना द्वीप के सैकड़ों लोग “अमरीकी मसीहा के भूत,” जॉन फ्रम से प्रार्थना करते हैं। उनका मानना है कि वह एक दिन ज़रूर लौटेगा और उनके लिए ढेर सारा माल-असबाब या ‘कारगो’ लाएगा।

तरह-तरह की संस्कृतियाँ

द्वीपों से बने इस देश में तरह-तरह के रीति-रिवाज़ मनाए जाते हैं और कई भाषाएँ बोली जाती हैं। एक गाइडबुक बताती है: “वॉनवॉटू में औसतन एक व्यक्‍ति जितनी भाषाएँ बोलता है, उतनी भाषाएँ शायद ही किसी दूसरे देश में कोई व्यक्‍ति बोलता हो।” इस पूरे द्वीप-समूह में कम-से-कम 105 भाषाएँ और कई बोलियाँ बोली जाती हैं। बिस्लामा, यहाँ की आम राष्ट्रीय भाषा है, जबकि अँग्रेज़ी और फ्रांसीसी सरकारी भाषाएँ हैं।

सभी द्वीपों में एक बात आम है। वह यह है कि ज़िंदगी के हर पहलू के लिए रीति-रिवाज़ है। प्राचीन समय में, पेनटीकोस्ट द्वीप पर भूमि को उपजाऊ बनाने का रिवाज़ मनाया जाता था। इसी से ‘बंगी जम्पिंग’ के खेल की शुरूआत हुई, जिसके पीछे आज पूरी दुनिया पागल है। हर साल रतालू की फसल की कटाई के समय, द्वीप के पुरुष और लड़के, 60 से 100 फुट ऊँचे लकड़ी के मचान से छलाँग लगाते हैं। वे अपने टखनों में बेल की रस्सी बाँधते हैं, जो उन्हें गिरकर मरने से बचाती है। ये गोताखोर इतनी ऊँचाई से छलाँग लगाकर अपने सिर से हलके से ज़मीन को छूते हैं। वे मानते हैं कि इस तरह ज़मीन को छूने से वह “उपजाऊ” बन जाएगी और अगले साल उन्हें अच्छी फसल मिलेगी।

हाल ही में, मलाकूला द्वीप के आदिवासियों ने बाहरवालों को अपने इलाके में कदम रखने दिया है। यहाँ दो तरह की जातियाँ रहती हैं: बड़े नामबास और छोटे नामबास। एक वक्‍त पर, ये बहुत ही खूँखार आदमखोर हुआ करते थे। लेकिन बताया जाता है कि इन्होंने अपना आखिरी शिकार सन्‌ 1974 में खाया था। आदमखोरी छोड़ने के अलावा उन्होंने कई सालों पहले अपना एक और रिवाज़ छोड़ा। कौन-सा रिवाज़? जब घर में लड़का पैदा होता था, तो वे उसके सिर को कसकर बाँधते थे, ताकि उसकी खोपड़ी का आकार लंबा और पतला हो और इस तरह वह “खूबसूरत” दिखे। आज, नामबास जाति के लोग बहुत ही मिलनसार हैं और उन्हें अपने मेहमानों को अपनी संस्कृति की धरोहर के बारे में बताने में खुशी होती है।

फिरदौस में लोग

कई मेहमान कुछ दिनों की छुट्टियाँ लेकर वॉनवॉटू में आराम फरमाने आते हैं। लेकिन यहोवा के साक्षी करीब 70 साल पहले यहाँ के लोगों को आध्यात्मिक मदद देने के लिए वॉनवॉटू आए थे। ‘पृथ्वी की इस छोर तक’ गवाही देने की साक्षियों की मेहनत रंग लायी है। (प्रेरितों 1:8) (बक्स, “एक नशेड़ी से एक मसीही” देखिए।) सन्‌ 2006 में, इस देश की 5 कलीसियाओं ने 80,000 से भी ज़्यादा घंटे बाइबल के इस संदेश को सुनाने में बिताए कि जल्द ही पूरी धरती फिरदौस में बदल दी जाएगी। (यशायाह 65:17-25) और खुशी की बात तो यह है कि उस फिरदौस में रहकर हमें आज की ज़िंदगी की तमाम चिंताओं और परेशानियों से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा मिलेगा!—प्रकाशितवाक्य 21:4. (9/07)

[फुटनोट]

^ पैरा. 5 डूगॉन्ग एक स्तनधारी समुद्री जंतु है। इसकी लंबाई 11 फुट और वज़न 400 किलोग्राम से ज़्यादा हो सकता है। यह एक शाकाहारी जंतु है।

^ पैरा. 7 सन्‌ 1980 में, आज़ादी पाने से पहले वॉनवॉटू, ‘न्यू हेब्रडीज़’ के नाम से जाना जाता था।

[पेज 17 पर बक्स/तसवीर]

खुशहाल द्वीप

सन्‌ 2006 में वॉनवॉटू द्वीप-समूह, धरती की सबसे खुशहाल जगहों की सूची में पहले नंबर पर आया। इस सूची को ‘न्यू इकोनोमिक्स फाउनडेशन’ ने तैयार किया, जो ब्रिटेन में नीति कायम करनेवाले लोगों का एक समूह है। इस समूह ने 178 देशों को चुना और यह गौर किया गया कि उन देश में कितनी खुशहाली है, लोग कितने साल जीते हैं और वहाँ का वातावरण कैसा है। और फिर उसके मुताबिक उन्हें अलग-अलग श्रेणी में रखा गया। वॉनवॉटू डेली पोस्ट अखबार कहता है: “[वॉनवॉटू द्वीप-समूह] सबसे पहले स्थान पर इसलिए आया, क्योंकि यहाँ के लोग खुश हैं, वे तकरीबन 70 साल तक जीते हैं और धरती को बहुत ही कम नुकसान पहुँचाते हैं।”

[तसवीर]

पारंपरिक पोशाक

[चित्र का श्रेय]

© Kirklandphotos.com

[पेज 17 पर बक्स/तसवीर]

एक नशेड़ी से एक मसीही

विली, पेनटीकोस्ट द्वीप का रहनेवाला है। उसे जवानी से ही हद-से-ज़्यादा कावा पीने की लत लग गयी। कावा, शराब की तरह होती है और इसे काली मिर्च के पौधे की जड़ को पीसकर बनाया जाता है। हर रात को विली कावाखाने से लड़खड़ाते हुए घर आता था। उसके सिर पर भारी कर्ज़ चढ़ गया। अकसर वह गुस्से से पागल होकर अपनी बीवी, आइडा को मारता-पीटता था। फिर एक दिन, उसके साथ काम करनेवाले एक साक्षी ने उसे बाइबल अध्ययन करने का बढ़ावा दिया। वह राज़ी हो गया। पहले-पहल, आइडा ने उसके अध्ययन पर एतराज़ किया। लेकिन जैसे-जैसे उसने अपने पति में बदलाव देखे, तो उसने अपना मन बदला और वह भी बाइबल अध्ययन करने लगी। दोनों ने मिलकर अच्छी तरक्की की। समय के गुज़रते, विली ने अपनी सारी बुरी आदतें छोड़ दीं। सन्‌ 1999 में, उसने और उसकी पत्नी ने बपतिस्मा लिया और यहोवा के साक्षी बन गए।

[पेज 15 पर नक्शा]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

न्यू ज़ीलैंड

ऑस्ट्रेलिया

प्रशांत महासागर

फिजी

[पेज 16 पर तसवीर]

अच्छी पैदावार के लिए गोताखोर बहुत ही खतरनाक रिवाज़ मानते हैं

[चित्र का श्रेय]

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[पेज 15 पर चित्र का श्रेय]

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[पेज 15 पर चित्र का श्रेय]

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[पेज 16 पर चित्र का श्रेय]

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