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हमेशा मुझे ही क्यों छोड़ दिया जाता है?

हमेशा मुझे ही क्यों छोड़ दिया जाता है?

युवा लोग पूछते हैं . . .

हमेशा मुझे ही क्यों छोड़ दिया जाता है?

“शनिवार-रविवार के दिन ऐसा लगता है कि मुझे छोड़ पूरी दुनिया मौज-मस्ती कर रही है।”—रना।

“जवान लड़के-लड़कियाँ एक-साथ जमा होते है, वक्‍त बिताते हैं या फिर कहीं घुमने-फिरने जाते हैं। मगर वे मुझे कभी अपने साथ नहीं ले जाते।”—जेरमी।

एक सुहावना दिन है और आपने अभी तक कुछ तय नहीं किया है कि आप क्या करेंगे। लेकिन आपके दोस्तों ने पहले से सोच रखा है कि वे सभी दिन-भर खूब मज़ा करेंगे। और हमेशा की तरह, इस बार भी आपको छोड़ दिया जाता है!

जब दूसरे आपको अपनी योजना में शामिल नहीं करते, तो बेशक आपको इस बात का बुरा लग सकता है। मगर उससे भी ज़्यादा ठेस आपको इस बात से पहुँच सकती है कि आपको न बुलाने का क्या मतलब है। हो सकता है कि आप खुद से कहें, ‘शायद मुझमें ही कोई खामी है, तभी कोई मुझे अपने साथ नहीं ले जाता।’

आपको क्यों बुरा लगता है?

सबमें यह चाहत होती है कि उनके दोस्त हों, जो उन्हें पसंद करें। वाकई, दूसरों के साथ मेल-जोल रखने से हमें बहुत फायदे होते हैं। हव्वा को बनाने से पहले, परमेश्‍वर ने आदम के बारे में कहा था कि उसका “अकेला रहना अच्छा नहीं” है। (उत्पत्ति 2:18) इससे साफ ज़ाहिर है कि इंसान को इंसान की ज़रूरत है। जी हाँ, हमें ऐसा ही बनाया गया है कि हमें एक-दूसरे का साथ चाहिए। और यही वजह है कि क्यों जब हमें छोड़ दिया जाता है, तो हमें बहुत बुरा लगता है।

आप खासकर उस वक्‍त निराश हो सकते हैं जब वे लोग, जिनके साथ आप दोस्ती करना चाहते हैं, बार-बार आपको नज़रअंदाज़ करते हैं, या फिर आपको यह एहसास दिलाते हैं कि आप उनके दोस्त बनने के बिलकुल भी लायक नहीं हैं। मारी नाम की एक लड़की कहती है: “जवान लोगों के ऐसे बहुत-से गुट हैं, जो बड़े-बड़े काम कर रहे हैं, जैसे पायनियर सेवा वगैरह। लेकिन उन्हें देखकर आप बता सकते हैं कि वे आपके बारे में क्या सोचते हैं। यही कि आप उनके दोस्त बनने के लायक नहीं।” जब दूसरे आपको अपने गुट में शामिल नहीं करते, तो ऐसे में आप अकेलापन महसूस करने लग सकते हैं।

कभी-कभी भीड़ में भी आप खुद को बड़ा अकेला महसूस कर सकते हैं। नीकोल कहती है: “शायद आपको मेरी बात अजीब लगे, मगर यह सच है कि जब मैं पार्टियों में होती थी, तो खुद को बहुत अकेला महसूस करती थी। शायद इसकी वजह यह थी कि इतने सारे लोगों में से, मैं किसी को भी करीब से नहीं जानती थी।” कुछ तो मसीही सम्मेलनों और अधिवेशनों में भी खुद को अकेला महसूस करते हैं। मेगन कहती है: “ऐसा लगता है कि सब लोग एक-दूसरे को जानते हैं, सिवाय मेरे!” मारीआ नाम की एक जवान लड़की भी कहती है: “मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं दोस्तों से घिरी हुई हूँ, मगर मेरा एक भी दोस्त नहीं।”

हर इंसान की ज़िंदगी में ऐसा वक्‍त ज़रूर आता है, जब वह खुद को बिलकुल अकेला महसूस करता है। यहाँ तक कि जो लोग हमेशा हँसते-मुस्कराते दिखायी देते हैं या जिन्हें सभी पसंद करते हैं, वे भी अकेलेपन की गिरफ्त से नहीं बच पाते। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “हंसी के समय भी मन उदास होता है।” (नीतिवचन 14:13) जब अकेलेपन की भावना बहुत ज़बरदस्त और लंबे समय तक रहती है, तो इससे भारी नुकसान पहुँच सकता है। बाइबल कहती है: “मन के दुःख से आत्मा निराश होती है।” बाइबल के एक और अनुवाद में यह आयत कहती है: “जब हृदय उदास होता है तो आत्मा भी निराश हो जाती है।” (नीतिवचन 15:13; NHT) जब आपके हमउम्र लोग आपको नज़रअंदाज़ करते हैं, तो क्या आप निराश हो जाते हैं? अगर हाँ, तो ऐसे में आप क्या कर सकते हैं?

अकेलेपन से लड़िए

अकेलेपन की भावना से लड़ने के लिए, ये कदम उठाइए:

अपनी खूबियों पर ध्यान दीजिए। (2 कुरिन्थियों 11:6) खुद से पूछिए: ‘मुझमें क्या खूबियाँ हैं?’ फिर अपनी कुछ खूबियों या अच्छे गुणों के बारे में नीचे लिखिए।

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जब आपको लगता है कि आपको छोड़ दिया गया है, तो ऊपर आपने जिन खूबियों के बारे में लिखा है, उन्हें याद कीजिए। यह सच है कि आपमें कुछ कमज़ोरियाँ ज़रूर होंगी, जिन पर आपको काबू पाने की ज़रूरत है। लेकिन अपनी खामियों को अपने ऊपर हद-से-ज़्यादा हावी होने मत दीजिए। इसके बजाय, सोचिए कि आप एक ऐसे घर की तरह हैं, जिसकी मरम्मत की जा रही है। हालाँकि अभी काम पूरा नहीं हुआ है, मगर फिर भी कुछ चीज़ें ठीक की जा चुकी हैं। इसलिए उन चीज़ों पर यानी अपनी खूबियों पर ध्यान दीजिए!

अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाइए। (2 कुरिन्थियों 6:11-13) लोगों से बातचीत करने में पहल कीजिए। माना कि यह आपके लिए एक चुनौती साबित हो सकती है। उन्‍नीस साल की लिज़ कहती है: “भीड़ देखकर एक इंसान सहम सकता है। लेकिन अगर आप किसी एक के पास जाकर बस ‘हेलो’ कहेंगे, तो कुछ ही पल में आप उन लोगों में शामिल हो जाएँगे।” (बक्स, “बातचीत करने के नुस्खे” देखिए।) और हाँ, जहाँ तक छोड़ दिए जाने की बात है, तो ध्यान रखिए कि आप किसी को न छोड़ें, जैसे बड़े-बुज़ुर्गों को। एक किशोर लड़की, कॉरी कहती है: “जब मैं 10 या 11 साल की थी, तब मेरी एक सहेली थी, जो मुझसे उम्र में काफी बड़ी थी। उम्र में इतना बड़ा फासला होने के बावजूद, हममें पक्की दोस्ती थी।”

अपनी कलीसिया के ऐसे दो लोगों के बारे में सोचिए, जो आपसे उम्र में बड़े हैं और जिन्हें आप अच्छी तरह से जानना चाहते हैं।

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क्यों न आप अगली सभा में, ऊपर लिखे लोगों में से किसी एक से जाकर बात करें? बातचीत आप शुरू कीजिए। उससे पूछिए कि किस बात ने उसे बाइबल में दिलचस्पी लेने का बढ़ावा दिया। आप “भाइयों” की पूरी बिरादरी में से जितने ज़्यादा लोगों से जान-पहचान बढ़ाने की कोशिश करेंगे, उतना कम आप खुद को अकेला महसूस करेंगे।—1 पतरस 2:17.

अपने माता-पिता या किसी प्रौढ़ मसीही से अपने दिल की बात कहिए। (नीतिवचन 17:17) अपने माता-पिता या किसी प्रौढ़ मसीही को अपना हमराज़ बनाने से आपमें अकेलेपन की भावना कम हो सकती है। सोलह साल की एक लड़की ने पाया कि यह कदम उठाना कितना फायदेमंद है। पहले-पहल तो उसे इस बात की चिंता खाए जा रही थी कि हमेशा उसे ही क्यों छोड़ दिया जाता है। वह कहती है: “रह-रहकर यही बात मेरे दिमाग में घूमती थी कि आखिर मैंने ऐसा क्या किया, जिसकी वजह से मुझे छोड़ दिया गया है। लेकिन फिर मैं इस बारे में अपनी मम्मी से बात करती और वह मुझे कुछ सुझाव देती कि मैं कैसे अपने हालात का सामना कर सकती हूँ। वाकई, दूसरों को अपने दिल की बात बताना बहुत मददगार है!”

अगर आपको अकेलेपन की भावना लंबे समय तक सताती है, तो आप अपनी भावनाओं को किसे बताएँगे?

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दूसरों के बारे में सोचिए। (1 कुरिन्थियों 10:24) बाइबल कहती है कि हमें “अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता” करनी चाहिए। (फिलिप्पियों 2:4) यह सच है कि जब आपको लगता है कि आपको छोड़ दिया गया है, तो ऐसे में आपका मायूस होना बड़ा आसान है। लेकिन मायूसी के सागर में डूबने के बजाय, क्यों न आप ज़रूरतमंदों के लिए कुछ करें? क्या पता ऐसा करके आप शायद नए दोस्त भी बना लें!

अपनी कलीसिया या परिवार के किसी ऐसे सदस्य के बारे में सोचिए, जिसे शायद आपके साथ या मदद की ज़रूरत हो। नीचे उस शख्स का नाम लिखिए और यह भी लिखिए कि आप उसकी मदद कैसे कर सकते हैं।

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जब आप खुद के अलावा दूसरों के बारे में सोचेंगे और उनके लिए कुछ करेंगे, तो आपके पास इतनी फुरसत ही नहीं होगी कि आपको अकेलापन महसूस हो। इस तरह, आप एक अच्छा नज़रिया रख पाएँगे और खुश-मिज़ाज रहेंगे। और यह देखकर दूसरे भी आपसे दोस्ती करना चाहेंगे। नीतिवचन 11:25 कहता है: “जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।”

सोच-समझकर दोस्त चुनिए। (नीतिवचन 13:20) गिने-चुने अच्छे दोस्तों के साथ, जो आपकी परवाह करते हैं, संगति करना ज़्यादा बेहतर है, बजाय उन ढेर सारे दोस्तों के, जो आपको मुश्‍किल में डाल दें। (1 कुरिन्थियों 15:33) बाइबल में दर्ज़ शमूएल की मिसाल पर गौर कीजिए। जब वह छोटा था, तब वह शायद निवासस्थान में खुद को बिलकुल अकेला महसूस करता होगा। उसके साथ काम करनेवालों में से दो थे, होप्नी और पीनहास। हालाँकि वे महायाजक के बेटे थे, मगर वे बुरे काम करते थे। इसलिए शमूएल के लिए वे अच्छी संगति नहीं थे। अगर शमूएल उनके जैसा बनने की कोशिश करता, तो आध्यात्मिक मायनों में वह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लेता! लेकिन शमूएल ने ऐसा हरगिज़ नहीं चाहा। बाइबल कहती है: “शमूएल बालक बढ़ता गया और यहोवा और मनुष्य दोनों उस से प्रसन्‍न रहते थे।” (1 शमूएल 2:26) ये मनुष्य कौन थे? ये होप्नी और पीनहास नहीं हो सकते, जिन्होंने शायद शमूएल के अच्छे कामों को देखकर जानबूझकर उसे नज़रअंदाज़ कर दिया था। इसके बजाय, ये परमेश्‍वर के ऊँचे आदर्शों पर चलनेवाले लोग थे और शमूएल के काबिले-तारीफ गुण देखकर, उससे प्यार करते थे। जी हाँ, आपको ऐसे लोगों से दोस्ती करनी चाहिए, जो यहोवा से प्यार करते हैं!

सही नज़रिया रखिए। (नीतिवचन 15:15) हर कोई कभी-न-कभी यह महसूस करता है कि उसे छोड़ दिया गया है। ऐसे में क्या बात आपकी मदद कर सकती है? गलत बातों पर सोचने के बजाय, ज़िंदगी के बारे में सही नज़रिया अपनाने की कोशिश कीजिए। याद रखिए, ज़िंदगी के सभी हालात पर आपका बस नहीं है, मगर हाँ, उन हालात से गुज़रते वक्‍त आप कैसा रवैया दिखाएँगे, उस पर आप ज़रूर काबू रख सकते हैं।

जब आपको लगता है कि आपको छोड़ दिया गया है, तो अपने हालात या अपने नज़रिए को बदलने के लिए ठोस कदम उठाइए। हमेशा याद रखिए कि यहोवा आपकी बनावट जानता है, इसलिए उसे मालूम है कि आपकी ज़रूरतें क्या हैं और उसे कैसे बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है। अगर आपको अकेलेपन की भावना लगातार परेशान करती है, तो यहोवा से प्रार्थना कीजिए। यकीन रखिए कि ‘वह आपको सम्भालेगा।’—भजन 55:22. (7/07)

“युवा लोग पूछते हैं . . .” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

इस बारे में सोचिए

◼ अगर मुझे लगता है कि मुझे छोड़ दिया गया है, तो मैं क्या कदम उठा सकता/ती हूँ?

◼ बाइबल की कौन-सी आयतें, मुझे गलत सोच में डूबने के बजाय अपने बारे में सही नज़रिया रखने में मदद दे सकती हैं?

[पेज 14 पर बक्स/तसवीर]

बातचीत करने के नुस्खे

◼ मुस्कराइए। आपके चेहरे पर खिली मुस्कान देखकर, दूसरे आपसे बात करने के लिए खिंचे चले आएँगे।

◼ अपना परिचय दीजिए। अपना नाम बताइए और यह भी कि आप कहाँ से हैं।

◼ सवाल पूछिए। दूसरे व्यक्‍ति के परिवार और उसकी परवरिश के बारे में पूछिए। मगर साथ ही सावधान रहिए कि आप उसके ज़ाती मामलों पर हद-से-ज़्यादा सवाल न करें।

◼ ध्यान से सुनिए। यह सोचने मत लग जाइए कि आप आगे क्या कहेंगे। इसके बजाय, ध्यान से उसकी सुनिए। ऐसा करने पर खुद-ब-खुद आप उससे अगला सवाल पूछेंगे या कुछ और बात कहेंगे।

◼ घबराइए मत! बातचीत से ही दोस्ती की शुरूआत होती है। इसलिए इसका पूरा-पूरा मज़ा लीजिए!