क्या अंधविश्वास बाइबल की शिक्षा से मेल खाता है?
बाइबल का दृष्टिकोण
क्या अंधविश्वास बाइबल की शिक्षा से मेल खाता है?
एक पत्रकार ने एक साल तक हवाई जहाज़ से सफर नहीं किया। क्यों? क्योंकि एक ज्योतिषी ने उसे बताया था कि उसकी मौत एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में होगी। देखा जाए तो हर तरह के लोग अंधविश्वास का सहारा लेते हैं, फिर चाहे वे राजनेता हों या व्यापारी, खिलाड़ी हों या अभिनेता-अभिनेत्री, या फिर वे कॉलेजों में पढ़नेवाले विद्यार्थी हों। जब वे भविष्य को लेकर परेशान होते हैं, या जब उन्हें कोई तनाव या चिंता आ घेरती है, तब उन्हें लगता है कि अंधविश्वास से जुड़े काम करने से या तो उनकी खतरों से हिफाज़त होगी या फिर वे अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाएँगे।
कई तरह के अंधविश्वास, लोगों को बड़े दिलचस्प जान पड़ते हैं और वे उन्हें दिमागी तौर से नुकसानदायक भी नहीं लगते। मरहूम मानव-वैज्ञानिक मारग्रट मीड कहती हैं: “जब हम अंधविश्वास के कामों में हिस्सा लेते हैं, तो यह दिखाता है कि कुछ सच होते देखने या कुछ बुरा होने से रोकने की हमारी इच्छा कितनी ज़बरदस्त है। अंधविश्वास को न मानने के बावजूद जब हम उससे जुड़े कामों में हिस्सा लेते हैं, तो इस तरह हम अंधविश्वास के गुलाम न होकर भी उसके फायदों का लुत्फ उठाने की कोशिश करते हैं।” मगर जिन लोगों ने परमेश्वर को खुश करने की ठानी है, उन्हें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या अंधविश्वास बाइबल की शिक्षा से मेल खाता है?’
अंधविश्वास की शुरूआत
इंसान हमेशा से तरह-तरह के डर के साए में जीता आया है। जैसे कि मौत का डर, या फिर इस बात का डर कि मरने के बाद, इंसान कहाँ जाता है या उसका क्या होता है। इंसान के दिल में बसे इस डर को और भी बढ़ाने के लिए, परमेश्वर के विरोधी, शैतान ने कई झूठी शिक्षाएँ फैलायी हैं। उसने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि वह इंसानों को अपने इशारों पर नचाना चाहता है। (यूहन्ना 8:44; प्रकाशितवाक्य 12:9) मगर लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाने में शैतान अकेला नहीं है। बाइबल कहती है कि वह ‘दुष्टात्माओं का सरदार’ है। (मत्ती 12:24-27) ये दुष्टात्माएँ कौन हैं? नूह के समय में बहुत-से स्वर्गदूतों ने शैतान की बगावत में उसका साथ दिया और इस तरह उन्होंने खुद को दुष्टात्मा बना लिया। तब से लेकर आज तक उन्होंने लोगों के दिमागों पर बुरा असर करने के लिए कई तिकड़म आज़माए हैं। इनमें से एक है अंधविश्वास।—उत्पत्ति 6:1, 2; लूका 8:2, 30; यहूदा 6.
शैतान ने जो झूठी शिक्षाएँ फैलायी हैं, उनमें से एक अंधविश्वास की बुनियाद रही है। वह शिक्षा यह है कि इंसान में साए जैसा एक अंश होता है, जो मौत के वक्त शरीर से निकलकर हमेशा ज़िंदा रहता है और जो जीवित लोगों को सता सकता है। मगर बाइबल कहती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” यह आगे कहती है कि मरने के बाद, “न काम न युक्ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक 9:5, 10.
“वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं”
कई लोगों ने शैतान की झूठी शिक्षाओं को मानने का चुनाव किया है। मगर मुद्दतों पहले परमेश्वर ने अपने लोगों, यानी इस्राएलियों को अंधविश्वास के मामले में साफ-साफ निर्देशन दिया था: “तुझ में कोई ऐसा न हो जो . . . भावी कहनेवाला, वा शुभ अशुभ मुहूर्त्तों का माननेवाला, वा टोन्हा, वा तान्त्रिक, वा बाजीगर, वा ओझों से पूछनेवाला, वा भूत साधनेवाला, वा भूतों का जगानेवाला हो। क्योंकि जितने ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं।”—व्यवस्थाविवरण 18:10-12.
मगर अफसोस, इस्राएली हमेशा इस निर्देशन के मुताबिक नहीं चले। मिसाल के लिए, भविष्यवक्ता यशायाह के ज़माने में कुछ इस्राएली यह मानने लगे कि अच्छी फसल पाने के लिए उन्हें “भाग्य देवता” को खुश करने की ज़रूरत है। यह एक अंधविश्वास यशायाह 65:11, 12.
था, जिसे मानने की वजह से उन्हें कई बुरे अंजाम भुगतने पड़े। वे यहोवा के अनुग्रह और उसकी आशीषों से हाथ धो बैठे।—अंधविश्वास के बारे में यहोवा का नज़रिया उस वक्त भी नहीं बदला, जब मसीही धर्म की शुरूआत हुई। प्रेरित पौलुस ने लुस्त्रा शहर के अंधविश्वासी लोगों को उकसाया कि वे “व्यर्थ वस्तुओं [या “अंधविश्वासों,” दी एम्फैटिक डाइग्लॉट बाइबल] से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फि[रें], जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उन में है बनाया।”—प्रेरितों 14:15.
अंधविश्वास की बेड़ियों से आज़ाद होना
अंधविश्वास से जुड़े ढेरों काम हैं और इन सभी में एक बात आम है। वह यह कि इनमें कोई तुक नहीं बनता। अंधविश्वास को मानने का एक नुकसान यह है कि जब कुछ बुरा होता है, तो लोग अपनी किस्मत को दोष देते हैं, बजाय इसके कि वे अपने कामों की ज़िम्मेदारी खुद लें।
खुशी की बात है कि बहुत-से लोग, अंधविश्वास की बेड़ियों से आज़ाद हुए हैं। यीशु ने कहा: “[तुम] सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यूहन्ना 8:32) ब्राज़ील की रहनेवाली क्लेमेन्टीना, जिसने 25 साल तक ज्योतिष का काम किया, कहती है: “लोगों का भविष्य बताना, मेरे लिए रोज़ी रोटी कमाने का एकमात्र ज़रिया था। मगर बाइबल की सच्चाई ने मुझे अंधविश्वास की गुलामी से छुटकारा दिलाया।” वाकई, अगर हम लगातार बाइबल का अध्ययन करें और दिल से यहोवा परमेश्वर से प्रार्थना करें, तो हम अंदर से मज़बूत होंगे। फिर हम ठंडे दिमाग से और सही तरीके से सोच पाएँगे। नतीजा, हम बुद्धि-भरे फैसले कर पाएँगे, जिससे कि हम मुसीबतों से बचें और हमारी चिंताएँ कम हों।—फिलिप्पियों 4:6, 7, 13.
बाइबल कहती है: “ज्योति और अन्धकार की क्या संगति? और मसीह का बलियाल [शैतान] के साथ क्या लगाव?” इसलिए सच्चे मसीहियों को अंधविश्वास से कोसों दूर रहना चाहिए।—2 कुरिन्थियों 6:14-16. (g 3/08)
क्या आपने कभी सोचा है?
◼ यशायाह के ज़माने में, अंधविश्वासी इस्राएलियों ने यहोवा पर भरोसा करने के बजाय, किस पर भरोसा किया?—यशायाह 65:11, 12.
◼ प्रेरित पौलुस ने लुस्त्रा के अंधविश्वासी लोगों को क्या करने के लिए उकसाया?—प्रेरितों 14:15.
◼ क्या अंधविश्वास बाइबल की शिक्षा से मेल खाता है?—2 कुरिन्थियों 6:14-16.