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विश्‍व-दर्शन

विश्‍व-दर्शन

विश्‍व-दर्शन

देखा गया है कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान या फिर किसी और वजह से, सन्‌ 1970 और 1990 के दशकों के बीच, मौसम से जुड़ी आफतों का कहर तीन गुना बढ़ गया है।—दी इकॉनमिस्ट पत्रिका, ब्रिटेन। (g 2/08)

अमरीका के इलिनोइज़ राज्य में एक दस महीने के बच्चे के पास बंदूक की लाइसेंस है। इस लाइसेंस की गुज़ारिश उसके पिता ने की थी। उस लाइसेंस में लिखा है कि बच्चे का कद 2 फुट 3 इंच है और उसका वज़न करीब 7.5 किलो है। उस राज्य में बंदूक की लाइसेंस की गुज़ारिश बच्चे से लेकर बूढ़े, सभी कर सकते हैं।—केबल न्यूज़ नेटवर्क, अमरीका। (g 2/08)

यूनान में “16 साल और उससे कम उम्र के 62 प्रतिशत बच्चों ने कबूल किया है कि उन्होंने इंटरनेट से अश्‍लील तसवीरें अपने मोबाइल फोन में डाली हैं।”—इलेफ्थीरोटिप्या अखबार, यूनान। (g 3/08)

ब्रिटेन के सर्वे के मुताबिक, 82 प्रतिशत लोग मानते हैं कि “समाज में फूट डालने और तनाव पैदा करने के लिए धर्म ज़िम्मेदार है।”—द गार्डियन अखबार, ब्रिटेन। (g 3/08)

दोबारा पक्की हुई, जॉर्जिया में धर्म की आज़ादी

मानव अधिकारों की यूरोपीय अदालत ने जॉर्जिया की सरकार के खिलाफ अपना फैसला सुनाया, क्योंकि जब यहोवा के साक्षियों पर ज़ुल्म ढाया जा रहा था, तो सरकार चुपचाप तमाशा देख रही थी। अदालत ने पुख्ता किया कि साक्षियों का धर्म एक जाना-माना मसीही धर्म है, इसलिए उन्हें उपासना के लिए इकट्ठा होने और बाइबल अध्ययन चलाने का पूरा-पूरा हक है। अदालत ने सरकार को यह भी हुक्म दिया कि साक्षियों का जो नुकसान हुआ है और कोर्ट-कचहरी की कार्रवाई में जो खर्चा आया है, उसकी वह भरपाई करे। अक्टूबर 1999 से नवंबर 2002 तक, यहोवा के साक्षियों पर 138 हमले किए गए थे। साथ ही, साक्षियों ने जॉर्जिया के अधिकारियों के पास 784 शिकायतें दर्ज़ करवायी थीं। इसके बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी। यहाँ तक कि पुलिस ने भी मौकाए वारदात पर आने और हमले के शिकार साक्षियों की हिफाज़त करने से इनकार कर दिया था। मगर नवंबर 2003 से साक्षियों पर ये हमले काफी कम हो गए हैं। (g 2/08)

तसवीरें जो औरतों को कर देती हैं मायूस

“पत्रिका के कवर पर छरहरी हसीनों की तसवीरें देखकर सभी औरतें अपने शरीर की बनावट के बारे में बुरा महसूस करती हैं, फिर चाहे उनका डील-डौल कैसा भी हो, या वे किसी भी कद या उम्र की क्यों न हों।” यह बात अमरीका के यूनिवर्सिटी ऑफ मिस्सौरी-कोलम्बिया की एक रिपोर्ट में छपी थी। शिक्षा, स्कूल और मनोविज्ञान सलाह-मशविरा की सहयोगी प्रोफेसर, लोरी मिन्ट्‌स कहती हैं: “पहले माना जाता था कि थुलथुली औरतों को अखबार और टी.वी. में पतली कमरवाली नाज़नीनों की तसवीरें देखकर सबसे ज़्यादा बुरा लगता था। [लेकिन] हमने पाया है कि मोटी औरतें क्या, दुबली-पतली औरतें भी इन तसवीरों को देखकर मायूस हो जाती हैं।” (g 2/08)

गोली बनी सिरदर्दी

‘शिनशुआ’ समाचार एजेन्सी के मुताबिक, एक चीनी स्त्री ने आखिरकार पता लगा ही लिया कि पिछले 60 से भी ज़्यादा सालों से उसे क्यों “लगातार सिरदर्द” हो रहा था। डॉक्टरों ने जब उसके सिर में से तीन सेंटीमीटर लंबी गोली निकाली, तब जाकर उसे सिरदर्द से राहत मिली। दरअसल हुआ यह कि सितंबर 1943 में जब यह स्त्री 13 साल की थी, तब जापानियों ने उसके गाँव पर, जो सिनयी ज़िले में है, हमला बोल दिया था। उसी दौरान हुई लड़ाई में उसके सिर में गोली लगी थी। तब से लेकर उसके ऑपरेशन तक, किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि उसके सिर में गोली है। लेकिन जब उसे अकसर सिरदर्द होने लगा, तब वह डॉक्टर के पास गयी। और जब डॉक्टर ने उसके सिर का एक्स-रे निकाला, तब जाकर पता चला कि उसके सिर में गोली है। यह स्त्री अब 77 साल की है और रिपोर्ट के मुताबिक, वह “भली-चंगी” है। (g 3/08)

लंबी उम्रवाली व्हेल

सन्‌ 2007 में जब अलास्का प्रदेश के शिकारियों ने बोहेड व्हेल मछली का शिकार किया, तो उन्होंने उसके शरीर में एक बहुत ही पुराने मछभाले (हार्पून) की नोंक और उसके टुकड़े फँसे हुए पाए। द बॉस्टन ग्लोब अखबार कहता है कि ये टुकड़े, “सन्‌ 1800 के आखिर में [अमरीकी राज्य मैसाचुसेट्‌स के] न्यू बैडफर्ड शहर में बनाए गए विस्फोट करनेवाले एक मछभाले के हिस्से हैं।” कुछ ही समय बाद, इस तरह के मछभालों का इस्तेमाल बंद हो गया था। इसलिए न्यू बैडफर्ड व्हेलिंग म्यूज़ियम के इतिहासकार इस नतीजे पर पहुँचे कि उस व्हेल को करीब सन्‌ 1885 और 1895 के बीच यह मछभाला लगा था। इसका मतलब यह हुआ कि सन्‌ 2007 में जब यह व्हेल मरी, तब वह कम-से-कम 115 साल की रही होगी। ग्लोब अखबार कहता है कि यह खोज, “लोगों की इस बरसों-पुरानी धारणा का एक और सबूत है कि बोहेड व्हेल, उन स्तनधारी जानवरों में से एक है, जो सबसे ज़्यादा सालों तक ज़िंदा रहते हैं। ये लोग मानते हैं कि यह व्हेल करीब 150 साल तक ज़िंदा रहती है।” (g 3/08)