इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

धरती के भविष्य की बागडोर —किसके हाथों में?

धरती के भविष्य की बागडोर —किसके हाथों में?

धरती के भविष्य की बागडोर —किसके हाथों में?

नैशनल जिओग्राफिक पत्रिका के अक्टूबर 2007 के अंक में लिखा था, “धरती का बढ़ता तापमान आज इंसान के सामने सबसे बड़ी समस्या है।” पत्रिका आगे कहती है कि अगर इस समस्या पर पूरी तरह काबू पाना है, तो हमें “जल्द-से-जल्द ठोस कदम उठाने होंगे और समझदारी से काम लेना होगा, जो कि इंसानी समाज ने अभी तक नहीं दिखायी है।”

क्या इंसान समझदारी से काम लेंगे? कई बातें इसके आड़े आ जाती हैं। जैसे लोगों की बेरुखी, लालच, सही ज्ञान की कमी, ऐसे संगठन जिन्हें सिर्फ अपनी पड़ी रहती है, विकसित देशों में पैसा कमाने की होड़ और बिजली का इस्तेमाल करने के आदी लाखों लोगों की जीवन-शैली, जिसके लिए बड़े पैमाने पर ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है।

पुराने ज़माने में, परमेश्‍वर के एक सेवक ने हम इंसानों को हमारी सीमाओं से दो-चार करा दिया, जब उसने लिखा: “मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” (यिर्मयाह 10:23) इसलिए हममें इतनी काबिलीयत नहीं कि हम नैतिक, सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं का हल कर सकें। इंसानों का दर्दनाक इतिहास इस सच्चाई को बखूबी बयान करता है। आज भले ही विज्ञान और टेकनॉलजी तरक्की के आसमान छू रहे हों, लेकिन इंसानों के सिर पर ऐसे खतरे मँडरा रहे हैं, जिनका खयाल तक पहले किसी को नहीं आया था। तो फिर इस बात की क्या गारंटी कि हमारा आनेवाला कल बेहतर होगा?

यह सच है कि जलवायु में बदलाव और दूसरे बुरे असर को दूर करने की डींगे तो खूब हाँकी जाती हैं, मगर किया कुछ नहीं जाता। मसलन जब सन्‌ 2007 में नार्थ-वेस्ट पैसेज की बर्फ पहली बार इतनी पिघली कि जहाज़ आने-जाने के लिए रास्ता खुल गया, तब दुनिया के देशों ने क्या किया? न्यू साइंटिस्ट पत्रिका के एक संपादक ने लिखा: “जलमार्ग के खुल जाने की वजह से, उनमें समुद्र से तेल और गैसें निकालने की होड़ लग गयी।”

बाइबल ने करीब 2,000 साल पहले यह बता दिया था कि इंसान ‘पृथ्वी को बिगाड़ने’ की हद तक पहुँच जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 11:18) इसलिए अब हमें एक ऐसे नेता की ज़रूरत है जिसके पास धरती की हालत सुधारने की बुद्धि और ताकत, दोनों हो और ऐसी प्रजा की भी, जो खुशी-खुशी उस नेता का साथ दे। क्या दुनिया के किसी भी नेता या वैज्ञानिक में यह काम करने की काबिलीयत है, फिर चाहे वह कितना ही बुद्धिमान और ईमानदार क्यों न हो? बाइबल कहती है: “तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्‍ति नहीं।”—भजन 146:3.

धरती के भविष्य की बागडोर

दुनिया आज जिन मुसीबतों को झेल रही है, उनसे निजात दिलाने के काबिल सिर्फ एक नेता है। उसके बारे में बाइबल यह भविष्यवाणी करती है: ‘यहोवा की आत्मा, बुद्धि और समझ की आत्मा, युक्‍ति और पराक्रम की आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी। वह कंगालों का न्याय धर्म से करेगा; और अपने फूंक के झोंके से दुष्ट को मिटा डालेगा।’—यशायाह 11:2-5.

वह कौन है? वह और कोई नहीं बल्कि यीशु मसीह है, जिसने हमारी खातिर अपनी जान कुरबान कर दी। (यूहन्‍ना 3:16) आज वह स्वर्ग में है और परमेश्‍वर ने उसे धरती पर हुकूमत करने की ताकत और अधिकार दिया है।—दानिय्येल 7:13, 14; प्रकाशितवाक्य 11:15.

एक और बात जो यीशु मसीह को काबिल बनाती है, वह यह कि उसके पास सृष्टि का अपार ज्ञान है, जो उसने धरती पर आने से पहले हासिल किया था। युगों पहले जब परमेश्‍वर ने इस विश्‍व की रचना की तब यीशु उसका एक “कुशल कारीगर” (NHT) था। (नीतिवचन 8:22-31) ज़रा सोचिए: यीशु जिसने इस धरती और सभी जीवों की रचना करने में परमेश्‍वर का हाथ बँटाया था, अब वही धरती को सुधारने की बागडोर अपने हाथ में लेगा, जो इंसानों की मूर्खता की वजह से बरबादी की तरफ बढ़ रही है।

यीशु के राज्य की प्रजा कैसी होगी? उसकी प्रजा नम्र और नेकदिल होगी जो सच्चे परमेश्‍वर यहोवा को जानेगी और यीशु मसीह को अपने राजा के तौर पर कबूल करेगी। (भजन 37:11, 29; 2 थिस्सलुनीकियों 1:7, 8) यीशु ने कहा कि ऐसे लोग ही “पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” जी हाँ, वे उस पृथ्वी के अधिकारी होंगे, जो एक खूबसूरत बगीचे यानी फिरदौस में तबदील कर दी जाएगी।—मत्ती 5:5; यशायाह 11:6-9; लूका 23:43.

बाइबल जिस फिरदौस का वादा करती है, वहाँ जीने के लिए आपको क्या करना होगा? यीशु ने कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”—यूहन्‍ना 17:3.

जी हाँ, आज धरती की हालत देखकर शायद आपको लगे कि यह खतरे में है, मगर इसमें कोई शक नहीं कि इसी धरती पर हमेशा इंसानों का बसेरा होगा। असल में खतरा तो उन पर मँडरा रहा है जो परमेश्‍वर की सृष्टि के साथ खिलवाड़ करते हैं और यीशु मसीह की बात मानने से इनकार करते हैं। इसलिए यहोवा के साक्षी आपको वह ज्ञान लेने का बढ़ावा देते हैं जो अनंत जीवन की ओर ले जाता है। (g 8/08)

[पेज 8 पर बक्स]

विज्ञान के बस के बाहर

सभी जानते हैं कि मौज-मस्ती के लिए सिगरेट या शराब पीने और ड्रग्स लेने से हमारे शरीर और मन, दोनों पर कितना बुरा असर पड़ता है। लेकिन फिर भी लाखों लोग इन्हें लेने से बाज़ नहीं आते। उनकी नज़र में ज़िंदगी का कोई मोल नहीं। वे यह नहीं समझते कि ज़िंदगी परमेश्‍वर की देन है। (भजन 36:9; 2 कुरिन्थियों 7:1) उसी तरह वे धरती को भी परमेश्‍वर का तोहफा नहीं समझते, तभी तो उन्होंने धरती की यह गत बना दी है।

क्या इसका कोई समाधान है? क्या विज्ञान और ऊँची शिक्षा से इसका हल निकाला जा सकता है? जी नहीं। समस्या इस वजह से उठी है क्योंकि लोगों को धरती के बारे में परमेश्‍वर का नज़रिया ही नहीं मालूम। इसलिए अगर धरती को बचाना है तो पहले परमेश्‍वर का नज़रिया जानना होगा। बाइबल भी इसी बात पर ज़ोर देती है। तभी तो बाइबल उस समय के बारे में वादा करती है, जब इंसान धरती को “न तो कोई दुःख देगा और न हानि करेगा” क्योंकि तब सारी धरती “यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।”—यशायाह 11:9.

[पेज 8,9 पर तसवीर]

मसीह की हुकूमत में नेकदिल लोग पूरी धरती को खूबसूरत बनाने में हिस्सा लेंगे