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मसीही प्यार, तूफान से ज़्यादा ताकतवर!

मसीही प्यार, तूफान से ज़्यादा ताकतवर!

मसीही प्यार, तूफान से ज़्यादा ताकतवर!

सन्‌ 2005 में, कटरीना और रीटा नाम के तूफानों ने मेक्सिको की खाड़ी के पास, अमरीका के तटवर्ती इलाकों में अपना कहर बरपाया था। इससे चारों तरफ भयंकर तबाही मची और बहुत-से लोगों की जानें भी चली गयीं। इस कुदरती आफत के शिकार लोगों में हज़ारों यहोवा के साक्षी भी शामिल थे।

यहोवा के साक्षियों के अमरीकी शाखा दफ्तर ने कई राहत समितियाँ ठहरायीं, जो फौरन अपने काम पर लग गयीं। इन समितियों ने लूइज़ीआना राज्य में 13 राहत केंद्र, 9 गोदाम और 4 पेट्रोल भरने की जगह बनायी। उन्होंने 80,000 वर्ग किलोमीटर तक फैले इलाके में रहनेवालों को मदद दी। अमरीका के सभी हिस्सों से और 13 दूसरे देशों से करीब 17,000 साक्षी मदद देने के लिए आगे आए। उन्होंने राहत सामग्री पहुँचाने और टूटे मकानों की मरम्मत करने में हाथ बँटाया। इस राहत काम का जो नतीजा निकला, वह दिखाता है कि मसीही प्यार में जो ताकत है, उसके आगे कुदरती शक्‍तियों की कोई बराबरी नहीं।—1 कुरिन्थियों 13:1-8.

इन स्वयंसेवकों ने अपने संगी भाई-बहनों के 5,600 से भी ज़्यादा घरों और 90 राज्य घरों (जहाँ यहोवा के साक्षियों की सभाएँ रखी जाती हैं) की मरम्मत की। ये आँकड़े दिखाते हैं कि जितनी भी इमारतें तहस-नहस हो गयी थीं, लगभग उन सभी को ठीक किया गया। यहोवा के साक्षियों ने न सिर्फ अपने भाई-बहनों की, बल्कि दूसरों की भी मदद की। क्योंकि गलतियों 6:10 में मसीहियों को बढ़ावा दिया गया है कि वे “सब के साथ भलाई करें।”

हालाँकि इन स्वयंसेवकों को राहत काम में मदद देने के लिए कई त्याग करने पड़े, मगर उन्हें कई आशीषें भी मिलीं। इनमें से 7 साक्षी भाइयों का अनुभव इस लेख में दिया गया है, जिन्होंने इस काम के अलग-अलग पहलुओं में भाग लिया था। आइए उन्हीं की ज़बानी सुनें।

“मेरी ज़िंदगी का सबसे यादगार वक्‍त”

रॉबर्ट: राहत समिति में रहकर सेवा करने में मैंने जो वक्‍त बिताया, वह मेरी ज़िंदगी का सबसे यादगार वक्‍त था। मैं 67 साल का हूँ और इस समिति में सबसे बुज़ुर्ग हूँ। मैंने स्वयंसेवकों के एक बड़े समूह के साथ काम किया है। इस समूह में कई जवान साक्षी भी थे, जो अपनी-अपनी कलीसिया के कामों में ज़ोर-शोर से हिस्सा लेते थे। वाकई, जब हम ऐसे जवानों को यहोवा और संगी मसीहियों के लिए प्यार और त्याग की भावना ज़ाहिर करते देखते हैं, तो हमें कितना हौसला मिलता है!

मेरी पत्नी वेरोनिका मेरे लिए एक बढ़िया संगिनी साबित हुई। जब मैंने राहत काम में मदद देने के लिए अपनी 40 साल पुरानी नौकरी छोड़ने का फैसला किया, तो मेरी पत्नी ने मेरा पूरा-पूरा साथ दिया। अब हम हफ्ते में एक रात दफ्तरों की साफ-सफाई करने का काम करते हैं। हमने सादी ज़िंदगी जीना और कम आमदनी में अपना गुज़र-बसर करना सीख लिया है। इसके अलावा, जो लोग यहोवा को खुश करना चाहते हैं, उनके साथ काम करके हम और भी अच्छी तरह समझ पाए हैं कि परमेश्‍वर के राज्य को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देने का क्या मतलब है। (मत्ती 6:33) हमने एक बार नहीं, बल्कि कई बार देखा कि यहोवा अपने लोगों का पूरा-पूरा खयाल रखता है।

फ्रैंक: मैं बैटन रूग शहर के राहत केंद्र में, खाना मुहैया करानेवाले विभाग में काम करता हूँ। जब राहत काम शुरू हुआ था, तब सभी स्वयंसेवकों को खाना खिलाने के लिए हमें हफ्ते के सातों दिन और हर दिन 10 से 12 घंटे काम करना पड़ता था। हालाँकि यह काफी मेहनत का काम था, फिर भी इससे हमें बेशुमार आशीषें मिलीं। एक थी, अपनी आँखों से यह देखना कि मसीही प्यार में कितनी ताकत है।

जिन स्वयंसेवकों ने एक हफ्ते या उससे ज़्यादा समय के लिए खाना पकाने और परोसने के काम में हाथ बँटाया था, उनमें से कइयों ने वापस आने की इच्छा ज़ाहिर की। और कुछ ने तो पोस्टकार्ड और फोन के ज़रिए इस बढ़िया मौके के लिए अपना एहसान ज़ाहिर किया। इन सभी भाई-बहनों ने जो त्याग की भावना दिखायी, उससे मेरा और मेरी पत्नी वेरोनिका का दिल भर आया।

उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं

ग्रेगरी: मैं और मेरी पत्नी केथी ने अपना घर बेच दिया, जो नवाडा राज्य के लास वेगस शहर में था। इसके बाद हमने एक छोटा-सा ट्रक और ट्रेलर खरीदा और यही हमारा घर बन गया। इस तरह अपनी ज़िंदगी सादा करने की वजह से, हम लूइज़ीआना के राहत केंद्र में दो से भी ज़्यादा सालों तक सेवा कर पाए। उस दौरान, हमने पहले से कहीं ज़्यादा बाइबल की किताब मलाकी 3:10 में लिखी बात को सच होते देखा है। वह आयत कहती है: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि . . . मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।”

अकसर लोग हमसे कहते हैं: “वाह! आप लोगों ने कितना बड़ा त्याग किया है!” मगर हमें नहीं लगता है कि हमने कोई बड़ा त्याग किया है। दरअसल, तीस साल पहले मेरी और केथी की बड़ी तमन्‍ना थी कि हम यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर में सेवा करें। मगर फिर हमारे बच्चे हो गए और हम उनका लालन-पालन करने में जुट गए। लेकिन बाद में जब हमें राहत काम में हाथ बँटाने का मौका मिला, तो यहोवा की सेवा में ज़्यादा करने की हमारी हसरत पूरी हो गयी। इस काम के साथ-साथ हमें एक और बड़ा सम्मान मिला और वह था, अपने संगी भाई-बहनों के साथ और भी नज़दीकी से काम करना। इनमें से कुछ भाई-बहन बहुत ही हुनरमंद हैं। जैसे, खाना बनानेवाला एक भाई एक बड़े होटल में बावरची रह चुका था और एक दूसरा भाई, अमरीका के दो राष्ट्रपतियों का खानसामा रह चुका था।

राहत काम ने बहुत-से स्वयंसेवकों की ज़िंदगी में गहरी छाप छोड़ी है। 57 साल के एक भाई की ही मिसाल लीजिए, जिसने तूफान की चपेट में आए लोगों की मदद की थी। आज भी जब वह अपना अनुभव सुनाता है, तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यहाँ तक कि जो साक्षी मदद के लिए नहीं आ सके, उन्होंने भी दूसरों की हौसला-अफज़ाई की। उदाहरण के लिए, दो स्वयंसेवकों ने, जिनका काम बाढ़ के बाद इमारतों पर लगी फफूँदी निकालना है, एक बड़ा-सा बैनर बनाकर हमें भेजा। उस बैनर पर उनके शहर, नेब्रास्का की तीन कलीसियाओं के सभी लोगों, यहाँ तक कि बच्चों के भी दस्तखत थे।

‘हमने यहोवा को विपत्ति के शिकार लोगों की देखभाल करते देखा है’

वैन्डेल: जिस दिन तूफान कटरीना का कहर बरपा, उसके अगले ही दिन अमरीका के शाखा दफ्तर से मुझे बुलावा आया। शाखा दफ्तर के भाइयों ने मुझसे कहा कि मैं लूइज़ीआना और मिस्सीसिप्पी राज्यों में जाकर यहोवा के साक्षियों के घरों और राज्य घरों का जायज़ा लूँ। इस काम को पूरा करते वक्‍त मैंने कई अनमोल बातें सीखीं। मैं और मेरी पत्नी जनीन ने 32 साल तक एक ऐसे इलाके में सेवा की, जहाँ राज्य प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। इन सालों के दौरान हमने यहोवा को वहाँ के साक्षियों की देखभाल करते देखा है। मगर अब, हमने यहोवा को और भी बड़े पैमाने पर अपने लोगों का खयाल रखते देखा।

मुझे बैटन रूग की राहत समिति में सभापति के तौर पर सेवा करने का सुनहरा मौका मिला है। हालाँकि यह काम आसान नहीं, फिर भी इस काम से मुझे बड़ा संतोष मिला है। हमारी समिति ने परमेश्‍वर को समस्याएँ सुलझाते और मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी मदद देने का रास्ता खोलते देखा है। साथ ही, हमने उसे विपत्ति के शिकार लोगों की इस तरह देखभाल करते देखा है, जो सिर्फ प्यार करनेवाला सर्वशक्‍तिमान पिता ही कर सकता है। और ऐसा उसने हज़ारों बार किया है।

हमसे कई लोगों ने कहा है: “आपको और आपकी पत्नी को राहत काम में सेवा करते दो से भी ज़्यादा साल हो गए। यह आप कैसे कर पा रहे हैं?” सच पूछिए तो यह काम कभी-कभी काफी मुश्‍किल रहा है। हमें अपनी ज़िंदगी में कई बदलाव करने पड़े हैं। मगर अपनी “आंख निर्मल” बनाए रखने के हमें कई फायदे मिले हैं।—मत्ती 6:22.

जब हमने न्यू ऑर्लियिन्स में पहली बार मुसीबत में फँसे लोगों को ढूँढ़कर उनकी जान बचाने का काम किया, तो हमें आराम करने का वक्‍त ही नहीं मिलता था। ऊपर से पूरे शहर में गड़बड़ी फैली हुई थी और सड़कों पर मार-काट मची थी। इसलिए सरकार ने शहर में शांति और व्यवस्था कायम करने के लिए फौज भेजी। ऐसे हालात में साक्षियों को ढूँढ़ना और उनकी जान बचाना, पहाड़ जैसा काम था। और इस काम को करते-करते हमारे हौसले पस्त हो सकते थे।

हमारी मुलाकात उन हज़ारों साक्षी भाइयों से हुई, जिनका भारी नुकसान हुआ था। हमने उनके साथ मिलकर प्रार्थना की और उन्हें तसल्ली देने की कोशिश की। इसके बाद, यहोवा की मदद से हम अपने काम में लग गए। कभी-कभी मुझे लगता है, मानो उन दो सालों के दौरान मैंने दो बार अपनी पूरी ज़िंदगी जी ली हो।

कई बार मैं थककर चूर हो जाता और मेरी हिम्मत जवाब देने लगती। ऐसे में मुझे लगता कि ये काम अब मुझसे और नहीं होगा। मगर तभी स्वयंसेवकों का एक नया दल कुछ महीनों के लिए या उससे ज़्यादा समय के लिए आ जाता। इसमें कई जवान मसीही भी शामिल होते। इन सभी स्वयंसेवकों को खुशी-खुशी काम करते देख हममें नया जोश भर आता और हमें अपने काम में लगे रहने की ताकत मिलती।

यहोवा ने अकसर हमें मुश्‍किल हालात से बाहर निकाला है। मिसाल के लिए, जब हम पहले-पहल यहाँ आए, तब हमें पता चला कि 1,000 से भी ज़्यादा भाइयों के घर बड़े-बड़े पेड़ों के गिरने से दब गए हैं। इन पेड़ों को हटाना किसी जोखिम-भरे काम से कम न था। और इसके लिए हमारे पास न तो औज़ार थे और ना ही कर्मचारी। ऐसे में हमारी समिति ने यहोवा से प्रार्थना की। इसके अगले ही दिन, एक भाई एक ट्रक और ज़रूरी औज़ार लेकर हमारी मदद के लिए आ पहुँचा। एक दूसरे मौके पर 15 मिनट के अंदर हमें अपनी प्रार्थना का जवाब मिला। एक और मौके पर, हम जिस ज़रूरी औज़ार के लिए बिनती कर रहे थे, उसे हमारे आमीन कहने से पहले ही भेज दिया गया था। जी हाँ, यहोवा ने साबित कर दिखाया कि वह ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है।—भजन 65:2.

“मुझे नाज़ है कि मैं एक यहोवा का साक्षी हूँ”

मैथ्यू: जब तूफान कटरीना का कहर टूटा, तो उसके अगले ही दिन मैंने 15 टन खाना, पानी और दूसरे ज़रूरी सामान तूफान की चपेट में आए इलाकों तक पहुँचाने के इंतज़ाम में मदद दी। यह सारा सामान यहोवा के लोगों ने दान में दिए थे। इस तरह उन्होंने दिखाया कि वे कितने दिलदार हैं!

मैं और मेरी पत्नी डार्लीन बढ़िया तरीके से मदद देने के लिए एक ऐसी जगह जाकर रहने लगे, जहाँ से तूफान में तबाह हुए इलाके तक पहुँचने में सिर्फ दो घंटे लगते हैं। इसी जगह के एक साक्षी भाई ने हमें पार्ट-टाइम नौकरी दी, ताकि हम अपना ज़्यादातर वक्‍त राहत काम में लगा सकें। एक दूसरे भाई ने हमें रहने के लिए फ्लैट दिया। मुझे खुशी है कि मैं भाइयों की प्यार-भरी बिरादरी का एक हिस्सा हूँ। साथ ही, मुझे नाज़ है कि मैं एक यहोवा का साक्षी हूँ।

टैड: तूफान कटरीना के कहर ढाने के कुछ ही समय बाद, मैं और मेरी पत्नी डेबी राहत काम के लिए आगे आए। हमने यहोवा से एक ट्रेलर के लिए प्रार्थना की। चंद दिनों में हमें अपनी प्रार्थना का जवाब मिल गया। हमें 28 फुट लंबा एक ट्रेलर मिला, जो इतना हल्का था कि हमारा ट्रक उसे आसानी से खींच सकता था। यह ट्रेलर जितने दाम में बिकना चाहिए था, उसके मालिक ने हमें उसके आधे दाम में ही दे दिया। और इसके लिए हमने जितना पैसा अलग रखा था, उससे भी कम पैसों में काम बन गया। आज हमें इस ट्रेलर में रहते दो से भी ज़्यादा साल हो गए।

राहत काम से जब हमें थोड़े दिनों की छुट्टी मिली, तो उस दौरान हमने अपना घर और ज़्यादातर सामान बेच दिया। अब हम न्यू ऑर्लियिन्स में और भी ज़्यादा ज़िम्मेदारी हाथ में लेने के काबिल थे। वहाँ मुझे प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर का काम सौंपा गया। (प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर की ज़िम्मेदारी होती है, टूटे-फूटे घरों और राज्य घरों की मरम्मत करने के काम की निगरानी करना।) यह काम करते वक्‍त हमने देखा कि यहोवा खुद को कैसे अपने उपासकों के लिए “सब प्रकार की शान्ति का परमेश्‍वर” साबित करता है। और यही बात हमारे दिल में घर कर गयी। बहुत-से लोगों ने न सिर्फ अपना घर और राज्य घर खोया था, बल्कि उस पूरे इलाके के खाली किए जाने से उनसे उनकी कलीसिया और वह इलाका भी छिन गया, जहाँ वे राज्य की खुशखबरी सुनाते थे।—2 कुरिन्थियों 1:3.

“उनका मज़बूत विश्‍वास हमारे दिल को छू गया”

जस्टिन: अक्टूबर 2005 में, अमरीका के शाखा दफ्तर ने सभी क्षेत्रीय निर्माण समितियों को एक चिट्ठी भेजी, जिसमें उनसे राहत काम में मदद देने के लिए स्वयंसेवक भेजने की गुज़ारिश की गयी। मैं और मेरी पत्नी टिफनी ने इस काम में हाथ बँटाने के लिए फौरन अर्ज़ी भरी। फरवरी 2006 में हमारी अर्ज़ी मंज़ूर हो गयी और हमें न्यू ऑर्लियिन्स के पास, केनर शहर के राहत केंद्र में भेजा गया। वहाँ हमें बताया गया कि हमें घरों की छत की मरम्मत करनेवालों के साथ काम करना है।

हर दिन हम एक घर की मरम्मत करते और इलाके के भाइयों से मिलते। यहोवा पर उनका मज़बूत विश्‍वास हमारे दिल को छू गया। इसके अलावा, हर रोज़ हमें इस बात के ढेरों सबूत मिलते कि धन-दौलत पर भरोसा करना मूर्खता है। यहोवा ने क्या ही शानदार तरीके से अपने लोगों को इतने बड़े राहत काम को अंजाम देने की ताकत दी। यह देखकर और भाई-बहनों की मदद करने में हिस्सा लेकर हमें बेइंतिहा खुशी मिली है। इस खुशी को लफ्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता! (g 8/08)

[पेज 20 पर बक्स/तसवीर]

राहतकर्मियों की दिनचर्या

राहत केंद्र में खाना बनानेवालों का काम सुबह 4:30 बजे शुरू होता है। 7 बजे सभी राहतकर्मी नाश्‍ते के लिए इकट्ठा होते हैं। मगर उससे पहले वे 10 मिनट के लिए बाइबल के एक वचन पर चर्चा करते हैं। फिर चेयरमैन नए आए स्वयंसेवकों का स्वागत करता है और हाल ही का एक अनुभव सुनाता है, जिससे सबका हौसला बढ़ता है।

इसके बाद प्रार्थना में यहोवा को धन्यवाद दिया जाता है। फिर सब नाश्‍ते में पौष्टिक भोजन करते हैं और अपने-अपने काम के लिए निकल जाते हैं। लेकिन कुछ लोग वहीं केंद्र में रहकर दफ्तर का काम, कपड़े धोने का काम या फिर रसोईघर में काम करते हैं। रसोई में काम करनेवाले भाई-बहन दोपहर का खाना बनाकर पैक करते हैं। फिर दोपहर के 12 बजे बाहर काम करनेवाले हर समूह का एक भाई आकर खाना ले जाता है।

हर सोमवार की शाम को सभी राहतकर्मी प्रहरीदुर्ग पत्रिका के एक लेख का अध्ययन करने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस पत्रिका को यहोवा के साक्षी प्रकाशित करते हैं और यह बाइबल पर आधारित होती है। इस तरह के अध्ययन से सभी को परमेश्‍वर के साथ मज़बूत रिश्‍ता बनाए रखने में मदद मिलती है। इसी रिश्‍ते की बदौलत स्वयंसेवक खुशी-खुशी और धीरज के साथ अपनी सेवा में लगे रह पाते हैं। साथ ही उन्हें जो अलग-अलग काम सौंपा जाता है, उनके बारे में वे सही नज़रिया बनाए रख पाते हैं।—मत्ती 4:4; 5:3.

[पेज 21 पर बक्स]

“मैंने आप लोगों को गलत समझा था”

न्यू ऑर्लियिन्स में एक औरत ने अपने घर के बाहर एक बोर्ड लगा रखा था, जिस पर लिखा था: “यहोवा के साक्षी—मेहरबानी करके मेरे घर का दरवाज़ा न खटखटाएँ।” एक दिन स्वयंसेवकों का एक दल उसके इलाके में आया और एक घर की मरम्मत करने लगा। हर रोज़ वह इन स्वयंसेवकों का प्यार और दोस्ताना व्यवहार देखती। उनके इस व्यवहार से वह इतनी हैरान हुई कि वह सोचने लगी कि ये लोग हैं कौन। जब उससे रहा नहीं गया, तो वह यह पता लगाने के लिए उनके पास चली गयी। उसे जब पता चला कि ये स्वयंसेवक यहोवा के साक्षी हैं, तो उसने कहा कि तूफान के बाद उसके चर्च के किसी भी सदस्य ने उसकी खैरियत पूछने के लिए उसे फोन तक नहीं किया। उसने आगे कहा, “मैंने आप लोगों को गलत समझा था।” इसके बाद क्या हुआ? उसने घर के बाहर लगा बोर्ड हटा दिया और साक्षियों से कहा कि वे उसके घर उससे मिलने आएँ।

[पेज 18,19 पर तसवीर]

रॉबर्ट और वेरोनिका

[पेज 18,19 पर तसवीर]

फ्रैंक और वेरोनिका

[पेज 19 पर तसवीर]

ग्रेगरी और केथी

[पेज 19 पर तसवीर]

वैन्डेल और जनीन

[पेज 20 पर तसवीर]

मैथ्यू और डार्लीन

[पेज 20 पर तसवीर]

टैड और डेबी

[पेज 20 पर तसवीर]

जस्टिन और टिफनी