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मैं कैसे खुशी-खुशी परमेश्‍वर की सेवा कर सकता हूँ?

मैं कैसे खुशी-खुशी परमेश्‍वर की सेवा कर सकता हूँ?

युवा लोग पूछते हैं

मैं कैसे खुशी-खुशी परमेश्‍वर की सेवा कर सकता हूँ?

सोलह साल का जोश बिस्तर पर मज़े से लेटा हुआ है कि उसकी माँ दरवाज़े पर आकर खड़ी हो जाती है और कड़ी आवाज़ में कहती है: “जोशुआ उठो भी! तुम्हें पता है कि मीटिंग जाने का समय हो गया है।” जोश की परवरिश एक यहोवा के साक्षी के तौर पर हुई है। उसका परिवार नियमित तौर पर सभाओं में जाता है, जो उनकी उपासना का एक हिस्सा है। मगर आजकल जोश को सभाओं में जाने का मन नहीं करता।

जोश झल्लाते हुए कहता है: “उफ मम्मी, क्या मेरा मीटिंग जाना ज़रूरी है?”

माँ जवाब देती है: “चुपचाप उठो और तैयार हो जाओ! वरना मीटिंग के लिए फिर देर हो जाएगी, जो मुझे पसंद नहीं।” इतना कहकर वह जाने लगती है।

अभी उसने दो-चार कदम ही बढ़ाए होंगे कि जोश एकदम खीझकर कहता है: “देखो मम्मी, यह आपका धर्म है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी इसे मानूँ।” उसकी माँ चलते-चलते रुक जाती है, इसलिए जोश को पता चल जाता है कि माँ ने उसकी बात सुन ली है। लेकिन उसकी माँ बिना कुछ बोले वहाँ से चली जाती है।

जोश को बहुत बुरा लगता है क्योंकि वह अपनी माँ को दुःख नहीं पहुँचाना चाहता। लेकिन वह माफी भी नहीं माँगना चाहता। उसके पास और कोई चारा नहीं है . . .

आँहे भरता हुआ वह बेमन से बिस्तर से उठता है और तैयार होने लगता है। वह मन-ही-मन बड़बड़ाने लगता है, “आज नहीं तो कल मुझे फैसला करना ही होगा। मैं राज्य घर में आनेवाले दूसरे लोगों की तरह नहीं हूँ। सच पूछो तो मैं मसीही बनना ही नहीं चाहता!”

क हीं आप भी जोश की तरह ही तो महसूस नहीं करते? क्या आपको कभी-कभी ऐसा लगता है कि दूसरे बड़ी खुशी-खुशी मसीही काम कर रहे हैं, मगर आप बस खानापूर्ति के लिए यह सब किए जा रहे हैं? मसलन:

◼ क्या आपको ऐसा लगता है कि बाइबल अध्ययन करना स्कूल का होमवर्क करने जैसा है?

◼ क्या घर-घर के प्रचार में जाने से आपकी जान सूखने लगती है?

◼ क्या मसीही सभाओं में अकसर आपको बोरियत होती है?

अगर इस तरह के सवालों के लिए आपका जवाब “हाँ” है, तो दिल छोटा मत कीजिए। कुछ फेरबदल करने के ज़रिए आप परमेश्‍वर की सेवा खुशी-खुशी करना सीख सकते हैं। आइए देखें कैसे।

पहली चुनौती: बाइबल अध्ययन करना

क्यों आसान नहीं। शायद आपको लगता हो कि आप औरों की तरह “पढ़ाकू” नहीं हैं। हो सकता है, देर तक एक जगह बैठे रहना और एक चित्त होकर ध्यान लगाना आपके लिए बहुत मुश्‍किल हो। ऊपर से स्कूल की पढ़ाई क्या कुछ कम है?

फिर भी आपको क्यों करना चाहिए। बाइबल ना सिर्फ परमेश्‍वर की प्रेरणा से रची गयी है, बल्कि यह “उपदेश [देने], और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” (2 तीमुथियुस 3:16) बाइबल का अध्ययन करने और उस पर मनन करने से आपको कई नयी बातों की समझ मिलेगी, जिन पर पहले आपने कभी गौर नहीं किया होगा। यह बात सौ-फीसदी सच है कि बिना मेहनत के कोई अच्छी चीज़ हासिल नहीं होती। मान लीजिए कि आप किसी खेल में महारत हासिल करना चाहते हैं, तो पहले आपको खेल के नियम जानने होंगे और खेल का अभ्यास करना होगा। अगर आप अच्छी सेहत चाहते हैं, तो आपको वर्जिश करनी होगी। उसी तरह, अगर आप अपने सिरजनहार के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपको परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करना होगा।

आपकी उम्र के लड़के-लड़कियाँ क्या कहते हैं। “जब मैं हाई स्कूल में आयी, तो मानो मैं एक दोराहे पर खड़ी थी। मेरे साथ पढ़नेवाले बच्चे तरह-तरह के बुरे काम कर रहे थे और मुझे फैसला करना था: ‘क्या मैं इन्हीं की तरह बनना चाहती हूँ? क्या मेरे मम्मी-पापा जो सिखा रहे हैं, वह वाकई सच्चाई है?’ इन सवालों के जवाब मुझे ही ढूँढ़ने थे।”—शिड्‌ज़ा।

“मुझे इस बात का ज़रा भी शक नहीं था कि मैंने जो सीखा है, वही सच्चाई है। लेकिन अब ज़रूरी था कि मैं सच्चाई को अपना बनाऊँ। यह मेरे परिवार का धर्म था, लेकिन मुझे इसे अपना धर्म बनाना था।”—नलीसा।

आप क्या कर सकते हैं। अपनी दिलचस्पी और ज़रूरत के हिसाब से अपने निजी बाइबल अध्ययन का एक शेड्‌यूल बनाइए। आप चुनिए कि आप किन विषयों पर अध्ययन करना चाहेंगे। आप कहाँ से शुरू कर सकते हैं? क्यों ना आप बाइबल का गहरा अध्ययन करें और अपने विश्‍वास की बारीकी से जाँच करें? इसके लिए आप बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का इस्तेमाल कर सकते हैं। *

आपकी योजनाएँ। शुरू करने के लिए सबसे पहले आप नीचे दिए गए बाइबल विषयों में से, ऐसे दो-तीन विषय चुनिए, जिनके बारे में आप ज़्यादा जानना चाहते हैं। या फिर अपने मन मुताबिक कोई और विषय नीचे लिखिए।

❑ क्या परमेश्‍वर अस्तित्त्व में है?

❑ मैं कैसे खुद को यह यकीन दिला सकता हूँ कि बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से रची गयी है?

❑ विकासवाद को मानने के बजाय, मैं क्यों यह मानूँ कि परमेश्‍वर ने ही सारी सृष्टि की रचना की है?

❑ परमेश्‍वर का राज्य क्या है और मैं कैसे यह साबित कर सकता हूँ कि यह वजूद में है?

❑ मरने के बाद क्या होता है, मैं इस बारे में अपना विश्‍वास दूसरों को कैसे समझा सकता हूँ?

❑ मैं क्यों यकीन कर सकता हूँ कि मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे?

❑ मैं कैसे पता लगा सकता हूँ कि सच्चा धर्म कौन-सा है?

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दूसरी चुनौती: प्रचार करना

क्यों आसान नहीं। शायद आपको दूसरों से बाइबल के बारे में बात करने या ऐसा करते हुए अपने किसी दोस्त के दिख जाने का डर लगता हो।

फिर भी आपको क्यों करना चाहिए। यीशु ने अपने शिष्यों से कहा: “लोगों को चेला बनाओ . . . और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” (मत्ती 28:19, 20) जी हाँ, यीशु की आज्ञा मानते हुए हम लोगों को प्रचार करते हैं, लेकिन ऐसा करने के और भी कुछ कारण हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि बहुत-से किशोर परमेश्‍वर में और बाइबल में विश्‍वास तो करते हैं, मगर उनके पास भविष्य के लिए कोई पक्की आशा नहीं है। लेकिन बाइबल का अध्ययन करने की वजह से, आपके पास वह सारी जानकारी है, जिसकी न सिर्फ आपके उम्र के कई लड़के-लड़कियों को तलाश है, बल्कि ज़रूरत भी!

आपकी उम्र के कुछ लड़के-लड़कियाँ क्या कहते हैं। “मैंने अपने दोस्त के साथ मिलकर सेवा में असरदार तरीके से बातचीत शुरू करने की तैयारी की। हमने आनेवाली अड़चनों से निपटने और वापसी भेंट करने की भी तैयारी की। जब से मैंने प्रचार में ज़्यादा मेहनत करनी शुरू की है, तब से मुझे इसमें मज़ा आने लगा है।”—नलीसा।

“एक मसीही बहन ने सचमुच मेरी बड़ी मदद की! वे मुझसे छः साल बड़ी हैं। वे मुझे अपने साथ प्रचार में ले जाती हैं और कभी-कभी सुबह नाश्‍ते के लिए भी। उन्होंने मुझे बाइबल से कुछ ऐसी आयतें दिखायीं, जिनसे मुझे अपनी सोच को सुधारने में मदद मिली। उनके बढ़िया उदाहरण की वजह से ही, अब मैं ज़्यादा खुलकर लोगों से बात कर पाती हूँ। मैं उनका यह एहसान कभी नहीं चुका पाऊँगी!”—शॉन्टे।

आप क्या कर सकते हैं। अपने मम्मी-पापा की इजाज़त से कलीसिया के ऐसे भाई-बहनों की मदद लीजिए, जो उम्र में आपसे बड़े हैं और जिनके साथ आप प्रचार में हिस्सा ले सकते हैं। (प्रेरितों 16:1-3) बाइबल कहती है: “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।” (नीतिवचन 27:17) बड़ों के पास अनुभवों का भंडार होता है, इसलिए उनके साथ मेल-जोल रखने के बहुत फायदे हैं। उन्‍नीस साल की अलक्सिस कहती है, “दरअसल बड़ों के साथ रहने से हमें ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती।”

आपकी योजनाएँ। अपने मम्मी-पापा के अलावा, नीचे कलीसिया के किसी ऐसे भाई-बहन का नाम लिखिए, जो आपको प्रचार में मदद दे सके।

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तीसरी चुनौती: कलीसिया की सभाओं में जाना

क्यों आसान नहीं। सारा दिन क्लास में बैठने के बाद, मीटिंग में एक या दो घंटे बैठकर बाइबल के भाषणों को सुनना बहुत भारी लग सकता है।

फिर भी आपको क्यों जाना चाहिए। बाइबल, मसीहियों को उकसाती है: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।”—इब्रानियों 10:24, 25.

आपकी उम्र के कुछ लड़के-लड़कियाँ क्या कहते हैं। “सभाओं के लिए तैयारी करना निहायत ज़रूरी है। कभी-कभी इसके लिए आपको बस अपना मन बनाना होता है। जब आप तैयारी करके सभाओं में जाते हैं, तो आप सभाओं का मज़ा उठा पाते हैं क्योंकि वहाँ जिन विषयों पर चर्चा हो रही होती है, उनके बारे में आपको पहले से मालूम होता है और आप जवाब भी दे पाते हैं।”—एल्डा।

“मैंने इस बात का एहसास किया कि जब भी मैं सभाओं में जवाब देती हूँ तो मुझे सभाएँ बहुत अच्छी लगती हैं।”—जेसिका।

आप क्या कर सकते हैं। समय निकालकर पहले से सभाओं की तैयारी कीजिए और हो सके तो उनमें जवाब भी दीजिए। इससे आप सभाओं में ज़्यादा ध्यान दे पाएँगे और आपको ज़्यादा मज़ा आएगा।

मिसाल के तौर पर: आपको किसमें ज़्यादा मज़ा आएगा, टी.वी. पर खेल देखने में या मैदान में जाकर खेलने में? ज़ाहिर-सी बात है कि देखने से ज़्यादा, खेलने में मज़ा आएगा। क्यों न यही बात आप सभाओं पर भी लागू करें?

आपकी योजनाएँ। नीचे दी खाली जगह में लिखिए कि आप हफ्ते में किस दिन और किस समय, सिर्फ 30 मिनट सभाओं की तैयारी करने में बिता सकते हैं।

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आज बहुत-से जवान भजन 34:8 (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) में कही बात को अपनी ज़िंदगी में सच होता देख रहे हैं: “चखो और समझो कि यहोवा कितना भला है।” क्या आपको लज़ीज़ खाने के बारे में सुनने से ही संतोष मिल जाएगा? क्या इससे अच्छा यह नहीं होगा कि आप खुद ही उसे चखें? यही बात परमेश्‍वर की उपासना के मामले में भी सही है। खुद चखकर देखिए कि मसीही कामों में हिस्सा लेने से कितनी खुशी मिलती है। बाइबल कहती है कि सिर्फ सुननेवाला नहीं, बल्कि जो सुनकर उसके मुताबिक काम करता है, वही ‘अपने काम में आशीष पाएगा।’—याकूब 1:25. (g 7/08)

“युवा लोग पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं।

[फुटनोट]

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

इस बारे में सोचिए

◼ एक किशोर को मसीही काम करने में क्यों बोरियत लग सकती है?

◼ इस लेख में उपासना के जिन तीन पहलुओं पर चर्चा की गयी है, उनमें से आप खुद को किसमें कमज़ोर महसूस करते हैं और आप अपनी यह कमज़ोरी कैसे दूर करना चाहेंगे?

[पेज 12,13 पर तसवीर]

अगर आप अच्छी सेहत चाहते हैं, तो आपको वर्जिश करनी होगी। अगर आप परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाना चाहते हैं, तो आपको परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करना होगा