इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

सजग होइए! ने दी उम्मीद-से-बढ़कर मदद

सजग होइए! ने दी उम्मीद-से-बढ़कर मदद

सजग होइए! ने दी उम्मीद-से-बढ़कर मदद

बेनिन में सजग होइए! लेखक द्वारा

◼ 23 साल का नोएल एक यहोवा का साक्षी है। उसने अपनी पढ़ाई छोड़कर पूरे समय का सेवक बनने का फैसला किया। यह सुनकर उसके रिश्‍तेदार चिंता में पड़ गए, ‘अगर वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं करेगा, तो उसे अच्छी नौकरी कैसे मिलेगी? उसका गुज़ारा कैसे होगा?’ और वाकई, शुरू-शुरू में नोएल को पार्ट-टाइम नौकरी ढूँढ़ने में काफी दिक्कत हुई। उसी दौरान सजग होइए! पत्रिका में एक लेख छपा, जिसका शीर्षक था “नौकरी पाने के पाँच तरीके।” * नोएल ने इस लेख को कई बार बड़े ध्यान से पढ़ा। क्या इस पत्रिका से उसे मदद मिली? बेशक मिली, और वह भी उस तरीके से जिसकी उसने कभी उम्मीद ही नहीं की थी।

एक बार एक प्राइवेट स्कूल के डायरेक्टर ने नोएल को घर-घर प्रचार करते देखा। डायरेक्टर ने नोएल से पूछा कि क्या वह एक यहोवा का साक्षी है। इस पर नोएल ने हामी भरी। फिर डायरेक्टर ने उसे बताया कि उसे एक टीचर की ज़रूरत है और उसने गौर किया है कि यहोवा के साक्षी पढ़ाने में काफी माहिर होते हैं। उसने नोएल से पूछा कि क्या वह किसी साक्षी को जानता है, जो यह काम करना चाहेगा। जब नोएल ने जवाब दिया कि वह ऐसे किसी को नहीं जानता, तब डायरेक्टर ने सीधे उससे ही पूछ लिया: “क्या आप यह नौकरी करना पसंद करेंगे?”

नोएल ने इससे पहले कभी स्कूल में टीचर की नौकरी नहीं की थी। यही नहीं, वह बोलते समय कभी-कभी हकलाता भी था। और यह टीचर बनने के लिए एक बड़ी समस्या है। क्योंकि बेनिन देश में शिक्षा मंडल खास यह पता लगाने के लिए कि टीचर हकलाते तो नहीं हैं, उनकी परीक्षा लेता है। स्कूल के डायरेक्टर ने नोएल से वादा किया: ‘तुम शिक्षा मंडल से सर्टिफिकेट ले आओ और यह नौकरी तुम्हारी।’

नोएल ने ‘परमेश्‍वर की सेवा स्कूल’ में अच्छी तरक्की की थी। यह स्कूल यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में हर हफ्ते रखा जाता है। इस स्कूल का मकसद है, लोगों के बोलने की कला निखारना। नोएल ने स्कूल में इतनी अच्छी तरक्की की कि वह अपनी कलीसिया में जन भाषण भी देता था। मगर फिर भी जब वह शिक्षा मंडल के सामने परीक्षा देने आया, तो थोड़ा घबराया हुआ था।

परीक्षा लेनेवाले ने नोएल के हाथ में एक पत्रिका थमा दी और उसे वह पैराग्राफ ज़ोर से पढ़ने को कहा, जिसके नीचे लाल पेन से लकीर खिंची थी। जब नोएल ने वह लेख देखा तो उसकी आँखें फटी-की-फटी रह गयीं। उस लेख का शीर्षक था, “नौकरी पाने के पाँच तरीके”! उसने पूरा पैराग्राफ बिना हकलाए, अच्छी तरह पढ़ा और उसे सर्टिफिकेट मिल गया।

परीक्षा लेनेवाले ने बाद में नोएल को बताया कि वह यहोवा के साक्षियों की पत्रिकाएँ हमेशा पढ़ता रहता है। उसने कहा: “ये पत्रिकाएँ जानकारी का खज़ाना हैं। इनमें लेख बहुत ही खूबसूरत तरीके से लिखे होते हैं। इसलिए मैं अकसर परीक्षा लेने के लिए इन्हीं का इस्तेमाल करता हूँ।”

नोएल उस प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगा। स्कूल के डायरेक्टर ने उसे अगले साल के लिए भी नौकरी पर रखना चाहा, मगर नोएल ने इनकार कर दिया। क्योंकि उसने यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर में सेवा करने की अर्ज़ी भरी थी। जल्द ही उसकी अर्ज़ी मंज़ूर हो गयी और उसका बुलावा आ गया। आज वह वहीं सेवा कर रहा है। (g 9/08)

[फुटनोट]

^ 8 जुलाई, 2005 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के पेज 4-9 देखिए।