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परमेश्‍वर का स्वरूप क्या है?

परमेश्‍वर का स्वरूप क्या है?

बाइबल क्या कहती है?

परमेश्‍वर का स्वरूप क्या है?

बाइबल कहती है: “परमेश्‍वर आत्मा है, और अवश्‍य है कि उसके भजन करनेवाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।” इस बात से परमेश्‍वर के स्वरूप के बारे में एक बुनियादी सच्चाई सामने आती है और वह यह कि परमेश्‍वर आत्मा है। (यूहन्‍ना 4:19-24) फिर भी, बाइबल में उसे एक शख्स के तौर पर बताया गया है और उसका नाम यहोवा है।—भजन 83:18.

बाइबल पढ़नेवाले कुछ लोग परमेश्‍वर के स्वरूप को लेकर बड़ी उलझन में पड़े हुए हैं। वे कहते हैं, अगर परमेश्‍वर आत्मा है और हम उसे देख नहीं सकते, तो फिर बाइबल की कई आयतों में उसका वर्णन इस तरह क्यों किया गया है, मानो उसकी आँख, कान, नाक, हाथ, बाहें, उँगलियाँ, पैर और दिल हो? * इसके अलावा, कुछ लोग बाइबल में यह बात पढ़कर कि इंसान, परमेश्‍वर के स्वरूप में बनाया गया है, शायद इस नतीजे पर पहुँचें कि परमेश्‍वर का शरीर इंसानों जैसा है। इस विषय पर बाइबल क्या कहती है, इसकी गहरी जाँच करने से ये सारी उलझने दूर हो सकती हैं।—उत्पत्ति 1:26.

परमेश्‍वर का वर्णन करने के लिए बाइबल इंसानी रंग-रूप की मिसाल क्यों देती है?

इंसान, सच्चे परमेश्‍वर यहोवा के स्वरूप के बारे में पूरी तरह नहीं समझा सकता। इसलिए परमेश्‍वर ने अपने स्वरूप के बारे में समझाने के लिए, बाइबल के लेखकों को इंसानी रंग-रूप की मिसाल देने की प्रेरणा दी। मगर ऐसी तुलना का इस्तेमाल करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि परमेश्‍वर, लोगों पर अपनी शख्सियत ज़ाहिर करना चाहता था। एक और मुद्दे पर गौर कीजिए: बाइबल की कई आयतों में यहोवा को “चट्टान,” “सूर्य” और “ढाल” कहा गया है, मगर इसका यह मतलब नहीं कि वह वाकई एक चट्टान, सूरज या ढाल है। उसी तरह, जब बाइबल कहती है कि परमेश्‍वर की आँख, कान, नाक वगैरह हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसमें सचमुच ये सारे अंग हैं।—व्यवस्थाविवरण 32:4; भजन 84:11.

वैसे ही, जब बाइबल कहती है कि इंसान को परमेश्‍वर के स्वरूप में बनाया गया है, तो उसका मतलब यह नहीं कि इंसान आत्मा है या परमेश्‍वर के पास इंसानों जैसा शरीर है। इसके बजाय, इसका असली मतलब है कि जिन गुणों का वह स्रोत है, वही सब गुण कुछ हद तक इंसानों में भी पाए जाते हैं।

परमेश्‍वर—नर है या नारी?

बाइबल की कई जगहों पर, परमेश्‍वर के लिए पुल्लिंग इस्तेमाल किया गया है। तो सवाल उठता है: क्या वह नर है? जिस तरह परमेश्‍वर का वर्णन करने के लिए इंसानी रंग-रूप की मिसालें देने का मतलब यह नहीं कि उसमें सचमुच ये सारे अंग हैं, उसी तरह उसके लिए पुल्लिंग का इस्तेमाल करने का यह मतलब नहीं कि वह नर है। लिंग-भेद का नियम सिर्फ धरती के प्राणियों पर लागू होता है। यह दिखाता है कि इंसानी भाषा इतनी सीमित है कि परमप्रधान परमेश्‍वर यहोवा के स्वरूप के बारे में अच्छी तरह समझाने के लिए हमारे पास सही शब्द नहीं हैं।

बाइबल में परमेश्‍वर के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द “पिता” से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हमारा सिरजनहार उस पिता की तरह है, जो अपने बच्चों से प्यार करता है, उनकी हिफाज़त और देखभाल करता है। (मत्ती 6:9) लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें परमेश्‍वर या स्वर्ग में रहनेवाले दूसरे आत्मिक प्राणियों को नर या नारी समझना चाहिए। क्योंकि उनमें यह भेद नहीं होता। और दिलचस्पी की बात है कि बाइबल के मुताबिक, जो लोग स्वर्गीय राज्य में मसीह के संगी वारिस होंगे, उनमें भी यह भेद नहीं होगा। यही बात याद दिलाते हुए प्रेरित पौलुस ने उनसे कहा कि जब उनकी परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्रों के तौर पर महिमा की जाएगी, तब उनमें “न कोई नर [होगा], न नारी।” इसके अलावा उन्हें लाक्षणिक तौर पर, “मेम्ने” यानी यीशु मसीह की “दुल्हिन” भी कहा गया है। ये सारी बातें साफ दिखाती हैं कि परमेश्‍वर, उसके इकलौते बेटे यीशु और दूसरे आत्मिक प्राणियों का वर्णन करने के लिए जो इंसानी रंग-रूप की मिसालें दी गयी हैं, उन्हें शब्द-ब-शब्द नहीं लिया जाना चाहिए।—गलतियों 3:26,28; प्रकाशितवाक्य 21:9; 1 यूहन्‍ना 3:1,2.

पुरुष की भूमिका को अच्छी तरह समझते हुए, बाइबल के लेखकों ने परमेश्‍वर का वर्णन नर के रूप में किया है। उन्हें मालूम था कि परमेश्‍वर के सिद्धांतों पर चलनेवाला पुरुष ही उस महान परमेश्‍वर यहोवा की सही झलक दे सकता है, जो एक पिता की तरह धरती पर जीनेवाले अपने बच्चों से प्यार करता है और उनके लिए सच्ची परवाह दिखाता है।—मलाकी 3:17; मत्ती 5:45; लूका 11:11-13.

परमेश्‍वर का सबसे खास गुण

हालाँकि विश्‍व का महाराजाधिराज यहोवा आत्मा है, मगर ऐसा नहीं कि वह दूर-दूर रहनेवाला या रहस्यमयी परमेश्‍वर है, या फिर वह किसी से कोई बात नहीं करना चाहता। उसके आत्मिक होने का यह मतलब नहीं कि नेकदिल लोग उसके प्यार, शक्‍ति, बुद्धि और न्याय के बारे में नहीं जान सकते। यही वे बेमिसाल गुण हैं, जिनसे मिलकर उसकी शख्सियत बनती है और जो सृष्टि में साफ देखे जा सकते हैं।—रोमियों 1:19-21.

लेकिन परमेश्‍वर की शख्सियत का सबसे खास गुण है, प्रेम। यह गुण इतना बेजोड़ है कि परमेश्‍वर को प्रेम का साक्षात्‌ रूप कहा गया है। (1 यूहन्‍ना 4:8) परमेश्‍वर के प्रेम में कई पहलू शामिल हैं, जैसे दया, धीरज और माफ करना। (निर्गमन 34:6; भजन 103:8-14; यशायाह 55:7; रोमियों 5:8) वाकई, यहोवा प्यार का परमेश्‍वर है और वह हम सभी इंसानों को अपने करीब आने का बुलावा देता है।—यूहन्‍ना 4:23. (g 10/08)

[फुटनोट]

क्या आपने कभी सोचा है?

◼ परमेश्‍वर का नाम क्या है?—भजन 83:18.

◼ परमेश्‍वर के गुण कहाँ देखे जा सकते हैं?—रोमियों 1:19-21.

◼ परमेश्‍वर का सबसे खास गुण क्या है?—1 यूहन्‍ना 4:8.