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विज्ञापन इसके धोखे से रहिए सावधान!

विज्ञापन इसके धोखे से रहिए सावधान!

विज्ञापन इसके धोखे से रहिए सावधान!

पोलैंड में सजग होइए! लेखक द्वारा

टोमेक टी.वी. देखने में इतना खोया हुआ है कि उसके पलक भी नहीं झपकते। वह टी.वी. पर आए विज्ञापन को बड़े ध्यान से सुनता है: “इसे पहनने पर आपका बेटा एकदम चुस्त-दुरुस्त दिखेगा। वह अपने दोस्तों की नज़रों में छा जाएगा। आपको इसे हर हाल में खरीदना चाहिए!” टोमेक पर इस विज्ञापन का जादू-सा चल जाता है। वह उसकी धुन गुनगुनाते हुए अपने पिता के पास दौड़कर जाता है और उससे कहता है: “पापा, पापा, यह मेरे लिए खरीद दो ना!”

◼ आखिर बच्चे विज्ञापन पर जो देखते हैं, उसकी फरमाइश क्यों करते हैं? पोलैंड की रेवयॉ नाम की पत्रिका में एक शिक्षक इसकी वजह बताते हुए कहते हैं: “क्योंकि दूसरों के पास वे चीज़ें होती हैं इसलिए। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि उनके दोस्त सोचें कि वे भी किसी से कम नहीं।” जब बच्चे कोई चीज़ पाने के लिए रोते-धोते हैं, ज़िद करते हैं या मुँह फुला लेते हैं, तो कुछ माता-पिता हार मानकर उनकी फरमाइश पूरी कर देते हैं।

बच्चे क्यों खासकर उनके लिए तैयार किए विज्ञापनों के धोखे में आ जाते हैं? एक मनोवैज्ञानिक, योलाँटा वॉन्स कहती हैं कि ऐसे विज्ञापनों में “यह नहीं दिखाया जाता कि फलाँ चीज़ कितनी मज़बूत और फायदेमंद है, या उसकी कीमत क्या है।” इसके बजाय, इन्हें इस तरह तैयार किया जाता है, जिससे कि वे लोगों के “दिलो-दिमाग पर सीधा असर करें।” वॉन्स आगे कहती हैं: “छोटे-छोटे बच्चे विज्ञापन में पेश की गयी कहानी की जाँच नहीं करते। . . . वे कल्पना और हकीकत की दुनिया के बीच फर्क करना नहीं जानते।” और अगर वे ऐसा करने की कोशिश भी करें, फिर भी वे किसी चीज़ के फायदे-नुकसान के बारे में ठीक-ठीक नहीं जान सकते, क्योंकि उनमें इतनी समझ नहीं होती।

आप अपने बच्चे को विज्ञापन के धोखे से कैसे बचा सकते हैं? पहली बात, “अपने बच्चे के साथ वक्‍त बिताइए और उसे यह समझाते रहिए कि किसी बड़ी कंपनी के जूते [या कपड़े] पहनने से एक इंसान की अहमियत नहीं बढ़ जाती।” यह बात रेवया पत्रिका में कही गयी है। उसी तरह, अपने बच्चे को सिखाइए कि नए-से-नए खिलौनों के बगैर भी वह मज़ा कर सकता है। दूसरी बात, खुद माता-पिताओं को इस बात से खबरदार रहना चाहिए कि विज्ञापन का उनके बच्चों पर कैसा ज़बरदस्त असर हो सकता है। वॉन्स कहती हैं, अहम बात यह है कि ‘हमारे बच्चों को किस चीज़ की ज़रूरत है, यह हमें विज्ञापन के मुताबिक नहीं तय करना चाहिए।’

तीसरी और आखिरी बात, सभी माता-पिताओं को बाइबल में दी सलाह से मदद मिल सकती है। प्रेरित यूहन्‍ना ने कहा: “जो कुछ संसार में है—शारीरिक वासना, आंखों की लालसा और धन-सम्पत्ति का गर्व—वह पिता की ओर से नहीं, सांसारिक है।”—1 यूहन्‍ना 2:15,16, नयी हिन्दी बाइबिल।

क्या आप इस बात से सहमत नहीं होंगे कि ज़्यादातर विज्ञापनों का मकसद होता है, बच्चे-बूढ़े सभी की “आंखों की लालसा” भड़काना, ताकि वे उन चीज़ों को खरीदें और अपनी ‘धन-सम्पत्ति पर गर्व’ करें? गौर कीजिए कि प्रेरित यूहन्‍ना ने आगे क्या सलाह दी। उसने लिखा: “दुनिया और उसकी ख्वाहिश दोनों मिटती जाती हैं लेकिन जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह हमेशा तक बना रहेगा।”—1 यूहन्‍ना 2:17, हिन्दुस्तानी बाइबल।

जो माता-पिता बाकायदा वक्‍त निकालकर अपने बच्चों के साथ हौसला बढ़ानेवाली बातचीत करते हैं, वे उन्हें परमेश्‍वर के सिद्धांत और अच्छे उसूल सिखा सकते हैं। (व्यवस्थाविवरण 6:5-7) नतीजा, बच्चे इस फरेबी दुनिया के विज्ञापनों के झाँसे में नहीं आएँगे, जो इस मकसद से तैयार किए जाते हैं कि उन्हें देखकर बच्चे अपने मम्मी-पापा से चीज़ें खरीदने की ज़िद करें। (g 12/08)