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क्या शवदाह पर आपको एतराज़ करना चाहिए?

क्या शवदाह पर आपको एतराज़ करना चाहिए?

बाइबल क्या कहती है?

क्या शवदाह पर आपको एतराज़ करना चाहिए?

शवदाह का मतलब है, मरे हुए इंसान को आग में जलाकर राख करना। कुछ लोगों का मानना है कि शवदाह करना, मरे हुए व्यक्‍ति के शरीर और उसकी यादों का अपमान करना है। वे तर्क करते हैं कि ‘शवदाह की शुरूआत झूठे धर्मों से हुई है, इसलिए जो परमेश्‍वर की उपासना करने का दावा करते हैं, उन्हें शवदाह नहीं करना चाहिए।’ दूसरे मानते हैं कि शवदाह मरे हुए इंसान के शरीर को नष्ट करने का सबसे बढ़िया तरीका है, जिससे शव का कोई अपमान नहीं होता। इस मामले में आपकी क्या राय है?

पुराने ज़माने में, परमेश्‍वर के लोगों में शव को गाड़ने का रिवाज़ था। मसलन, इब्राहीम ने अपनी पत्नी सारा को गुफा में गाड़ा था। यीशु के शव को एक चट्टान में बनायी गयी गुफा में रखा गया था। (उत्पत्ति 23:9; मत्ती 27:60) क्या बाइबल में कहीं यह लिखा है कि शव को गाड़ना ही, उसे नष्ट करने का सही तरीका है? क्या बाइबल से कहीं यह पता चलता है कि परमेश्‍वर के पुराने ज़माने के सेवकों ने शवदाह पर एतराज़ जताया था?

क्या परमेश्‍वर की नाराज़गी का सुराग मिलता है?

बाइबल के कई वाकयों से हम शायद इस नतीजे पर पहुँचें कि आग में अकसर उन्हीं लोगों को जलाया गया, जिनसे परमेश्‍वर नाराज़ था। मिसाल के लिए, मूसा के नियम में बताया गया था कि अगर यहोवा के याजक की बेटी वेश्‍या बनती है, तो उसे ‘आग में जलाकर’ मार डालना चाहिए। (लैव्यव्यवस्था 20:10; 21:9) एक और उदाहरण है आकान नाम के व्यक्‍ति का। उसने और उसके परिवार के लोगों ने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी थी, जिस वजह से इसराएलियों को ऐ देश के खिलाफ लड़ते वक्‍त मुँह की खानी पड़ी। उस समय आकान के जाति-भाइयों ने उन पर पत्थरवाह करके उन्हें ‘आग में डालकर जला’ दिया। (यहोशू 7:25) कुछ विद्वानों का कहना है कि बुरा काम करनेवालों को यही सिला मिलता था। उन्हें इज्ज़त के साथ नहीं दफनाया जाता था, बल्कि उनके शवों को आग में भस्म कर दिया जाता था।

आगे चलकर जब राजा योशिय्याह ने यहूदा से मूर्तिपूजा पूरी तरह बंद करने का बीड़ा उठाया, तब उसने बाल के पुजारियों की कब्रों को तोड़ा और उनकी हड्डियों को निकालकर उन्हीं की वेदियों पर जला दिया। (2 इतिहास 34:4,5) क्या इन उदाहरणों से यह ज़ाहिर होता है कि जिनकी हड्डियाँ या शव जलाए गए, उनसे परमेश्‍वर नाराज़ था? नहीं, ऐसी बात नहीं। आइए इसे समझने के लिए बाइबल के एक और वाकये पर गौर करें।

जब पलिश्‍तियों ने इसराएल के खिलाफ लड़ाई में राजा शाऊल को हराया, तब उन्होंने शाऊल और साथ ही उसके तीन बेटों के शवों को ज़रा भी इज़्जत नहीं दी, बल्कि उनकी लोथें बेतशान की शहरपनाह में जड़ दीं। जब गिलादवाले याबेश के इसराएलियों को इस बात का पता चला, तो वे जाकर उनके शवों को निकाल लाए। फिर उन्होंने शवों को जलाया और उनकी हड्डियाँ गाड़ दीं। (1 शमूएल 31:2,8-13) हम जानते हैं कि शाऊल बहुत दुष्ट राजा था जो यहोवा के अभिषिक्‍त, दाऊद के खिलाफ लड़ा था। इसलिए एक बार को लग सकता है कि उसके शव को जलाकर उसका अपमान किया गया और उस पर परमेश्‍वर की मंज़ूरी नहीं थी।

लेकिन गौर कीजिए कि शाऊल के साथ और किन लोगों की मौत हुई थी। उसके तीन बेटों की, जिनमें से एक था योनातन। उसके शव के साथ भी वही सलूक किया गया जो शाऊल के शव के साथ। लेकिन योनातन बुरा इंसान नहीं था, वह तो दाऊद का जिगरी दोस्त और उसका हिमायती था। योनातन के बारे में इसराएलियों ने यहाँ तक कहा कि “उस ने परमेश्‍वर के साथ होकर काम किया है।” (1 शमूएल 14:45) इसके अलावा, जब दाऊद को पता चला कि गिलादवाले याबेश के इसराएलियों ने उनके शवों को जलाया है, तब उसने कहा: “यहोवा की आशिष तुम पर हो, क्योंकि तुम ने अपने प्रभु शाऊल पर यह कृपा करके उसको मिट्टी दी।” जी हाँ, दाऊद ने उनको सराहा और उनका शुक्रिया अदा किया। इससे साफ पता चलता है कि दाऊद को शाऊल और उसके बेटे योनातन के शवों का जलाना बुरा नहीं लगा।—2 शमूएल 2:4-6.

पुनरुत्थान में कोई बाधा नहीं

बाइबल साफ बताती है कि यहोवा उन बहुत-से लोगों को दोबारा ज़िंदा करेगा जो आज मौत की नींद सो रहे हैं। (सभोपदेशक 9:5,10; यूहन्‍ना 5:28,29) जब मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे, उस समय के बारे में बाइबल की प्रकाशितवाक्य किताब में इस तरह भविष्यवाणी की गयी है: “समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया।” (प्रकाशितवाक्य 20:13) जी हाँ, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती कि एक व्यक्‍ति का शव गाड़ा गया या जलाया गया। वह समुद्र में डूबकर मरा या उसे जानवरों ने खा लिया या फिर किसी विस्फोट में उसके चिथड़े उड़ गए। एक इंसान का शरीर चाहे जैसे भी नष्ट हुआ हो, परमेश्‍वर उसे फिर से ज़िंदा कर सकता है।

एक व्यक्‍ति के शव के साथ क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में बाइबल कोई खास हिदायत नहीं देती। लेकिन यह साफ है कि यहोवा शवदाह की निंदा नहीं करता। जहाँ तक अंत्येष्टि की बात है, यह समारोह पूरी गरिमा और आदर के साथ मनाया जाना चाहिए।

एक व्यक्‍ति अंत्येष्टि समारोह कैसे मनाएगा, यह फैसला शायद वह अपने समाज को ध्यान में रखकर करे। लेकिन बाइबल के सिद्धांतों पर चलनेवाले मसीही, ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे जिससे आस-पड़ोस के लोगों को बेवजह ठेस पहुँचे। साथ ही, वे ऐसे किसी रिवाज़ में हिस्सा नहीं लेना चाहेंगे, जिससे लगे कि उन्हें झूठे धर्म की शिक्षाओं में विश्‍वास है, जैसे अमर आत्मा की शिक्षा। ऐसे मामलों में खास ध्यान देने की ज़रूरत है। रही बात शव के नष्ट करने की तो इस बारे में एक इंसान चाहे जो फैसला करे, यह उसका निजी या पारिवारिक मामला है। (g 3/09)

क्या आपने कभी सोचा?

◼ बाइबल में किस वफादार उपासक के शवदाह का ज़िक्र किया गया है?—1 शमूएल 31:2,12.

◼ दाऊद उस आदमी से कैसे पेश आया, जिसने शाऊल के शव को जलाया?—2 शमूएल 2:4-6.

◼ क्या बात दिखाती है कि शवदाह होने का यह मतलब नहीं कि उसके दोबारा जीने की आशा खत्म हो गयी है?—प्रकाशितवाक्य 20:13.

[पेज 11 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

एक व्यक्‍ति के शव के साथ क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में बाइबल कोई खास हिदायत नहीं देती