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क्या हमें नाता तोड़ देना चाहिए?

क्या हमें नाता तोड़ देना चाहिए?

नौजवान पूछते हैं

क्या हमें नाता तोड़ देना चाहिए?

हम तीन महीने से एक-दूसरे को चाहने लगे हैं। हम दोनों को लगता, जैसे हम एक-दूजे के लिए बने हैं। हम ज़िंदगी-भर साथ निभाने की बातें ऐसे करते, जैसे कि हम सचमुच एक बंधन में बँध चुके हैं।”—जसप्रीत। *

मैं उसकी दिवानी थी। फिर दो साल बाद, अचानक वह भी मुझ पर ध्यान देने लगा। मेरी हमेशा से यह तमन्‍ना थी कि मेरा प्रेमी मुझसे बड़ा हो, ताकि वह मेरा अच्छा खयाल रख सके!”—काजल।

कुछ समय बाद जसप्रीत और काजल ने अपने प्रेमी से नाता तोड़ दिया। क्यों? क्या वे पागल थीं, उन्होंने इतने अच्छे लड़कों को हाथ से जाने दिया?

आप शायद एक साल से किसी के साथ डेटिंग कर रही हों। शुरू में आपको लगा होगा कि यही आपके “सपनों का राजकुमार” है। * कई बार आपके दिल में उसके लिए रोमानी भावनाएँ भी उठी होंगी, जैसा अकसर इस तरह के रिश्‍तों की शुरूआत में होता है। लेकिन अब आपके मन में कुछ और तरह के विचार आने लगे हैं। क्या आपको उन्हें नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए? क्या अब आपको उससे नाता तोड़ देना चाहिए?

सबसे पहले तो आपको इस सच्चाई से दो-चार होना होगा: ऐसे रिश्‍तों में खतरे की घंटी को नज़रअंदाज़ करना ऐसा है, मानो आप अपनी कार के डैशबोर्ड के संकेतों से आँख फेर रहे हैं। इससे समस्या उड़न छू नहीं होगी, उलटे और बढ़ जाएगी। ऐसे कौन-से खतरे हैं, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए?

इश्‍क परवान चढ़ रहा है। समस्या तब खड़ी हो सकती है जब इश्‍क परवान चढ़ रहा हो। काजल कहती है, “हम एक दूसरे को खूब मेल भेजते, ऑन लाइन पर और फोन पर घंटों बतियाते। बात करने के ये तरीके बड़े ज़बरदस्त होते हैं। दिल की बात खुलकर बताना इतना आसान होता है कि कब बीच के फासले मिट जाते हैं इसका पता ही नहीं चलता। जबकि आमने-सामने होने पर रिश्‍ता शायद इस रफ्तार से आगे न बढ़े।” लेकिन अपने आपको इन तरीकों से गुमराह मत कीजिए, बल्कि एक-दूसरे को समझने के लिए आमने-सामने बात कीजिए। रिश्‍ता ऐसा नहीं होना चाहिए कि जंगली घास की तरह तेजी से बढ़े और झट से मुरझा जाए। इसके बजाय रिश्‍ता एक ऐसे पेड़ की तरह होना चाहिए, जिसे बढ़ने में वक्‍त तो लगता है मगर वह मज़बूत होता है।

वह हमेशा खोट निकालता और नीचा दिखाता है। ईना कहती है, “वह सबके सामने मुझे नीचा दिखाता था। लेकिन फिर भी मैं हर पल उसी का साथ चाहती थी। मैं उसका इतना घटिया रवैया बरदाश्‍त कर लूँगी, ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।” बाइबल “निन्दा” करने की बुराई करती है। (इफिसियों 4:31) प्यार के रिश्‍ते में अपमान भरे शब्दों की कोई जगह नहीं है, फिर चाहे वे कितनी ही धीमी आवाज़ में और शांति से क्यों न बोले गए हों।—नीतिवचन 12:18.

वह एक नंबर का गुस्सैल है। नीतिवचन 17:27 (नयी हिन्दी बाइबिल) कहता है: “जिसका मन शान्त रहता है, वह समझदार है।” शिरीन ने देखा कि उसके प्रेमी में यह गुण नहीं है। वह कहती है, “जब हमारे विचारों में टकराव होता, तो वह मुझे गुस्से में धकेल देता और कभी-कभी तो मुझे चोट भी लग जाती।” बाइबल कहती है: ‘सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध तुम से दूर किए जाएँ।’ (इफिसियों 4:31) जिस इंसान के पास अपना गुस्सा काबू करने का गुर नहीं, वह डेटिंग के लायक नहीं।—2 तीमुथियुस 3:1,3,5.

वह इस रिश्‍ते को गुप्त रखना चाहता है। अंजली कहती है, “वह नहीं चाहता कि किसी को हमारी डेटिंग की भनक पड़े। जब मेरे पापा को पता चला तो वह बहुत नाराज़ हो गया।” अगर एक जोड़ा किन्हीं वाजिब कारणों से कुछ हद तक अपना रिश्‍ता छिपाता है तो बात समझ में आती है। लेकिन अगर वह जान-बूझकर उनसे भी अपना रिश्‍ता छिपाए जिन्हें जानने का हक है, तो फिर गलत होगा।

उसका शादी का कोई इरादा नहीं। जब मसीही डेटिंग करते हैं तो उसका एक अच्छा मकसद होता है। डेटिंग के ज़रिए एक लड़के और लड़की को एक-दूसरे को अच्छी तरह समझने और यह फैसला करने का मौका मिलता है कि वे एक-दूसरे से शादी करेंगे या नहीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि डेटिंग शुरू होते ही आप शादी की योजना बनाने लगें। क्योंकि हकीकत यह है कि बहुत-से लोग पहली बार जिसके साथ डेटिंग पर जाते हैं, ज़रूरी नहीं कि उसी के साथ शादी भी करें। इसलिए अगर एक लड़का और लड़की शादी की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं, तो उन्हें डेटिंग पर भी नहीं जाना चाहिए।

हमारा रिश्‍ता बार-बार टूटता-जुड़ता। नीतिवचन 17:17 कहता है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है।” इसका मतलब यह नहीं कि आप हर वक्‍त एक-दूसरे से सहमत होंगे। लेकिन हाँ, जब कोई रिश्‍ता बार-बार टूटता-जुड़ता है तो इसका मतलब है कि समस्या गंभीर है, जिस पर ध्यान देना ज़रूरी है। और यह बात ईना ने समझ ली। वह कहती है, “जितनी बार उससे मेरा रिश्‍ता टूटा, उतनी ही बार मेरा दिल भी टूटा। फिर भी मैं उस टूटे रिश्‍ते को जोड़ने में लगी रही। लेकिन मैं उसे जोड़ने की कोशिश ना करती तो कितना अच्छा होता।”

वह मुझ पर लैंगिक संबंध रखने का दबाव डालता है। “अगर तुम मुझसे प्यार करती हो, तो ना नहीं कहोगी।” “हमें अपने रिश्‍ते को और बढ़ाने की ज़रूरत है।” “जब तक संभोग नहीं किया है, उसे लैंगिक संबंध नहीं कह सकते।” जब एक लड़का किसी लड़की को लैंगिक संबंध रखने के लिए मजबूर करता है, तब वह ऐसी ही फरेब की बातें करता है। लेकिन गौर कीजिए, याकूब 3:17 कहता है, जो “ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है।” इसलिए जो लड़का नैतिक रूप से पवित्र हो और आपके कुँवारेपन का आदर करे, आपको सिर्फ उसी से प्यार करना चाहिए वरना उसे साफ इनकार कर देना चाहिए।

मुझे पहले से आगाह किया गया। बाइबल कहती है: “बिना सलाह के, योजनाएं निष्फल हो जाती हैं, परन्तु अनेक सलाहकारों की सलाहों से वे सफल हो जाती हैं।” (नीतिवचन 15:22, NHT) जसप्रीत कहती है, “अगर आपके परिवारवालों और दोस्तों की राय उस लड़के के बारे में अच्छी नहीं है तो उसे अनसुना मत कीजिए। न ही उन सवालों को नज़रअंदाज़ कीजिए जो अकसर उस लड़के के बारे में आपके मन में उठते हैं। आप जितना दूसरों की दी गयी चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करेंगी, आगे चलकर आपको उतनी ही मुश्‍किल होगी।”

ऊपर बताए गए खतरे ऐसे हैं जो आपके रिश्‍ते में मुसीबतें खड़ी कर सकते हैं। * अगर आप डेटिंग कर रही हैं, तो क्या इनमें से कुछ बातें आपके प्रेमी पर भी लागू होती हैं? आप उसकी जिन बातों से परेशान हैं, वे नीचे लिखिए।

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नाता कैसे तोड़ूँ

अगर आप फैसला करती हैं कि उससे नाता तोड़ना ही बेहतर होगा, तो आप यह कैसे कर सकती हैं? यह कई तरीकों से किया जा सकता है, मगर नीचे दी बातों पर गौर करना अच्छा होगा।

हिम्मत से काम लीजिए। तनु कहती है, “मैं हर बात के लिए उसी की तरफ देखती थी। इसलिए मैं उसे छोड़ने से डरती थी।” जब किसी रिश्‍ते को खत्म करने की बात आती है, तो वाकई इसके लिए हिम्मत की ज़रूरत होती है। और खुद फैसला करना हमेशा अच्छा होता है। (नीतिवचन 22:3) इसका फायदा यह होगा कि आप डेटिंग के दौरान और आगे चलकर शादीशुदा ज़िंदगी में भी कोई गलत बात बरदाश्‍त नहीं करेंगी।

समझ से काम लीजिए। सोचिए आपका प्रेमी आपसे रिश्‍ता तोड़ने की पहल करता है, तो ऐसे हालात में आप उससे कैसे व्यवहार की उम्मीद करेंगी? (मत्ती 7:12) क्या यही कि वह आपको ई-मेल से या संदेश भेजकर दो टूक जवाब दे दे कि “अब सब कुछ खत्म हो चुका है!” ज़ाहिर-सी बात है, आप वजह जानना चाहेंगी। तो अच्छा होगा कि आप भी वैसा ही करें।

सही माहौल चुनिए। क्या आपको आमने-सामने बात करनी चाहिए या फोन पर, या फिर खत के ज़रिए? बहुत कुछ हालात पर निर्भर है। आपको ऐसे किसी भी माहौल में नहीं मिलना चाहिए, जहाँ आपकी सुरक्षा खतरे में हो और न ही किसी ऐसी सुनसान जगह पर, जहाँ गलत इच्छाएँ उमड़ सकती हैं।—1 थिस्सलुनीकियों 4:3.

सच बोलिए। खुलकर बताइए कि आप यह रिश्‍ता क्यों आगे नहीं बढ़ाना चाहतीं। अगर आपको लगता है कि उसने आपके साथ गलत बरताव किया है, तो उसे अपनी भावनाओं के बारे में सच-सच बताइए। मसलन यह कहने के बजाय, “आप हमेशा मुझे नीचा दिखाते हैं,” आप यूँ कहिए, “मैं बहुत नीचा महसूस करती हूँ, जब आप मुझे . . .।”

सुनने के लिए तैयार रहिए। कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपको गलतफहमी हो गयी हो? सावधान रहिए कि आप उसकी धूर्त बातों में न आ जाएँ। सारे मामले पर गौर कीजिए और समझदारी दिखाइए। बाइबल हम मसीहियों को यह बुद्धि भरी सलाह देती है कि हम ‘सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरे और क्रोध में धीमे’ हों।—याकूब 1:19. (g 1/09)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं।

[फुटनोट]

^ इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

^ हालाँकि यह लेख एक लड़की के नज़रिए से लिखा गया है, लेकिन इसमें दिए सिद्धांत लड़कों पर भी लागू होते हैं।

^ ज़्यादा जानकारी के लिए जुलाई-सितंबर 2007 की सजग होइए! के पेज 16-18 देखिए।

इस बारे में सोचिए

◼ नीचे वे गुण लिखिए जो आप उस लड़के में देखना चाहेंगी, जिसके साथ आप डेटिंग पर जाना चाहती हैं। .....

◼ उसकी कौन-सी खामियाँ आप बरदाश्‍त नहीं कर पाएँगी? .....

[पेज 31 पर बक्स]

आप जिसके साथ डेटिंग करेंगी, वह ऐसा हो

❑ जो आपके विश्‍वास को माने।—1 कुरिन्थियों 7:39.

❑ जो आपके नैतिक स्तरों का आदर करे।—1 कुरिन्थियों 6:18.

❑ जो आपका और दूसरों का लिहाज़ करे।—फिलिप्पियों 2:4.

❑ जिसका अच्छा नाम हो।—फिलिप्पियों 2:20.

[पेज 31 पर बक्स]

सावधान हो जाइए अगर वह . . .

❑ हमेशा अपनी बात मनवाने पर ज़ोर डालता है।

❑ आपको महसूस करवाता है कि आप गलत हैं, बेवकूफ हैं या किसी काम की नहीं।

❑ आपको अपने दोस्तों और परिवारवालों से मिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाता।

❑ हर वक्‍त आपकी जासूसी करता है

❑ आप पर इश्‍कबाज़ होने का इलज़ाम लगाता है जो कि सरासर झूठ होता है।

❑ बात-बात पर धमकी देता है या रिश्‍ता तोड़ देने की बात कहता है।

[पेज 30 पर तसवीर]

ऐसे रिश्‍तों में खतरे की घंटी को नज़रअंदाज़ करना ऐसा है, मानो आप अपनी कार के डैशबोर्ड के संकेतों से आँख फेर रहे हैं

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