‘दिलासा देनेवाले परमेश्वर’ से मदद
‘दिलासा देनेवाले परमेश्वर’ से मदद
पुराने ज़माने के राजा दाविद की ज़िंदगी में कई तूफान आए थे। वह “चिन्ताओं” के बोझ तले दब गया था। लेकिन उसने कभी इस बात पर शक नहीं किया कि सृष्टिकर्ता उसे अच्छी तरह समझता है। उसने लिखा: “हे यहोवा, तू ने मुझे जांचकर जान लिया है। तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।”—भजन 139:1, 2, 4, 23.
दाविद की तरह हम भी यकीन रख सकते हैं कि हमारा सृष्टिकर्ता हमें अच्छी तरह समझता है। वह जानता है कि गहरी निराशा का हमारे दिलो-दिमाग पर क्या असर होता है। उसे यह भी मालूम है कि हताशा किन वजहों से होती है और आज हम इसका सामना कैसे कर सकते हैं। और-तो-और, उसने ज़ाहिर किया है कि वह किस तरह गहरी निराशा को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा देगा। सचमुच, हमारा करुणामय परमेश्वर यहोवा हमें जो मदद देता है, उससे बढ़कर मदद हमें और कोई नहीं दे सकता। वह “गहरी निराशा के शिकार लोगों को दिलासा देता है, उनका हौसला बढ़ाता है, उन्हें तरोताज़ा करता है और उनका दिल खुश करता है।”—2 कुरिंथियों 7:6, दि एमप्लिफाइड बाइबल।
लेकिन गहरी निराशा के शिकार लोग शायद सोचें कि जब उनका दिल कराहता है, तब परमेश्वर उनकी मदद कैसे कर सकता है।
◼ क्या परमेश्वर, गहरी निराशा के शिकार लोगों के करीब है?
परमेश्वर अपने हताश सेवकों के इतने करीब है, मानो वह उनके संग रह रहा हो ताकि ‘जो खेदित और नम्र हैं, उनके मन को हर्षित कर सके।’ (यशायाह 57:15) यह जानकर दिल को कितनी ठंडक पहुँचती है कि “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है”!—भजन 34:18.
◼ गहरी निराशा से जूझनेवालों को परमेश्वर से कैसे दिलासा मिल सकता है?
यहोवा परमेश्वर ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है, इसलिए उसके उपासक जब चाहे उससे प्रार्थना कर सकते हैं। (भजन 65:2) वह हमें निराशा की भावनाओं से लड़ने और हालात से उबरने में मदद देता है। बाइबल हमें उकसाती है कि हम अपने दिल की हर बात उसे खुलकर बताएँ। यह कहती है: “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात में प्रार्थना और मिन्नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्वर को बताते रहो। और परमेश्वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्ति से कहीं ऊपर है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।”—फिलिप्पियों 4:6, 7.
◼ अगर हमें लगे कि हम नकारे हैं, इसलिए परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुनता, तब क्या?
गहरी निराशा की वजह से हम शायद मान बैठें कि परमेश्वर को खुश करने के लिए हम चाहे जितनी भी मेहनत करें, काफी नहीं। लेकिन स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमारी कोमल भावनाएँ समझता है। “उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।” (भजन 103:14) यहाँ तक कि अगर ‘हमारा दिल हमें दोषी ठहराए,’ तो हम ‘अपने दिल को यकीन दिला’ सकते हैं कि “परमेश्वर हमारे दिलों से बड़ा है और सारी बातें जानता है।” (1 यूहन्ना 3:19, 20) इसलिए प्रार्थना करते वक्त आप बाइबल में दर्ज़ शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं। मिसाल के लिए, भजन 9:9, 10; 10:12, 14, 17; 25:17 में लिखे शब्द।
◼ लेकिन अगर हमारा मन इतना उदास है कि हम अपनी भावनाएँ शब्दों में बयान नहीं कर पाते, तब हम क्या कर सकते हैं?
कई बार जब एक व्यक्ति के मन में टीस-सी उठती है, तब 2 कुरिंथियों 1:3) और यकीन रखिए कि वह आपकी भावनाएँ और ज़रूरतें बखूबी समझता है। मारीया, जिसका ज़िक्र पहले लेख में किया गया है, कहती है: “कई बार मुझे कुछ समझ नहीं आता कि प्रार्थना में क्या कहूँ। लेकिन मैं इतना जानती हूँ कि परमेश्वर मेरा दर्द समझता है और मेरी मदद करता है।”
वह न तो ठीक से सोच पाता है, ना ही कुछ बोल पाता है। अगर आपके साथ भी यही होता है, तो हार मत मानिए! ‘कोमल दया के पिता और हर तरह से दिलासा देनेवाले परमेश्वर’ से प्रार्थना करते रहिए। (◼ परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब कैसे देता है?
बाइबल यह नहीं कहती कि परमेश्वर हमारी सारी तकलीफें अभी दूर कर देगा। मगर हाँ, वह हमें ‘सब बातें,’ यहाँ तक कि गहरी निराशा सहने की ताकत देता है। (फिलिप्पियों 4:13) मार्टीना बताती है: “जब मैं पहली बार गहरी निराशा में डूबी, तो मुझे लगा कि अब मुझसे और नहीं सहा जाएगा। इसलिए मैंने यहोवा से बिनती की कि वह फौरन मुझे ठीक कर दे। लेकिन अब मैं ऐसी प्रार्थना नहीं करती, बल्कि यहोवा से हर दिन सहने की ताकत माँगती हूँ।”
बाइबल ही वह किताब है, जिसके ज़रिए परमेश्वर लोगों को निराशा से उबरने में मदद देता है। सेरा जो 35 साल से गहरी निराशा से संघर्ष कर रही है, उसने अनुभव किया कि रोज़ बाइबल पढ़ना कितना मददगार है। वह बताती है: “चिकित्सा-क्षेत्र ने मेरे लिए जो कुछ किया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ। लेकिन उससे भी बढ़कर मदद मुझे परमेश्वर के वचन से मिली है। मुझे एहसास हुआ है कि रोज़ बाइबल पढ़ने से मुझे परमेश्वर से सहने की ताकत मिलती है और मैं कारगर तरीकों से भी निराशा से लड़ पाती हूँ। इसलिए मैंने रोज़ बाइबल पढ़ने की आदत बना ली है।”
निराशा के बादल छँटेंगे—हमेशा के लिए!
जब यीशु मसीह इस धरती पर था, तब उसने साबित कर दिखाया कि पीड़ादायी बीमारियों को ठीक करने की ताकत उसे परमेश्वर से मिली है। वह ऐसे लोगों को चंगा करने के लिए बेताब था, जो भयानक बीमारी से तड़प रहे थे। यही नहीं, उसने खुद अनुभव किया था कि दुख और चिंता के मारे एक इंसान कैसे बौखला जाता है। अपनी दर्दनाक मौत से पहले की रात, मसीह ने “ऊँची आवाज़ में पुकार-पुकारकर और आँसू बहा-बहाकर उससे गिड़गिड़ाकर मिन्नतें और बिनतियाँ कीं जो उसे मौत से बचा सकता था।” (इब्रानियों 5:7) यीशु उस समय जिस पीड़ा और वेदना से गुज़रा, उससे आज हमें फायदा पहुँचता है। क्योंकि “अब वह उनकी मदद करने के काबिल है जिनकी परीक्षा ली जा रही है।”—इब्रानियों 2:18; 1 यूहन्ना 2:1, 2.
बाइबल बताती है कि परमेश्वर का मकसद है, उन सभी दुख-भरे हालात को मिटा डालना, जो लोगों को गहरी निराशा की अँधेरी खाई में ढकेलते हैं। उसने वादा किया है: “मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करता हूं; और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी। इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो।” (यशायाह 65:17, 18) ‘नए आकाश’ का मतलब है, परमेश्वर का राज और “नयी पृथ्वी” का मतलब है, नेकदिल लोगों का समाज। परमेश्वर का राज जब इस धरती पर हुकूमत करेगा, तब ये नेकदिल लोग पूरी तरह तंदुरुस्त होंगे, उन्हें कोई मानसिक बीमारी नहीं होगी और परमेश्वर के साथ उनका रिश्ता भी मज़बूत होगा। जी हाँ, सभी बीमारियों को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा! (g 7/09)
[पेज 9 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“हे यहोवा, गहिरे गड़हे में से मैं ने तुझ से प्रार्थना की; तू ने मेरी सुनी कि जो दोहाई देकर मैं चिल्लाता हूं उस से कान न फेर ले! जब मैं ने तुझे पुकारा, तब तू ने मुझ से कहा, मत डर!”—विलापगीत 3:55-57
[पेज ७ पर बक्स/तसवीरें]
“जो मायूस हैं, उन्हें अपनी बातों से तसल्ली दो”
बारब्रा नाम की एक मसीही स्त्री, गहरी निराशा की शिकार है। जब मायूसी और खुद को नकारा समझने की उसकी भावनाएँ हद पार कर जाती हैं, तब वह और उसका पति अपने एक अच्छे दोस्त, जरार्ड को फोन करते हैं। जरार्ड एक मसीही मंडली में निगरान की ज़िम्मेदारी सँभालता है। जब बारब्रा फोन पर सुबकती जाती है और वही बातें बार-बार दोहराती है, तब जरार्ड धीरज से उसकी सुनता है।
बारब्रा की सुनते वक्त जरार्ड उसके बारे में पहले से राय कायम नहीं करता, ना ही उससे बहस करता और उसमें नुक्स निकालता है। (याकूब 1:19) इसके बजाय, जैसा बाइबल सलाह देती है, उसने “जो मायूस हैं, उन्हें अपनी बातों से तसल्ली” देना सीखा है। (1 थिस्सलुनीकियों 5:14) वह सब्र से काम लेते हुए बारब्रा को भरोसा दिलाता है कि वह यहोवा परमेश्वर, अपने परिवार और अपने दोस्तों के लिए बेहद अनमोल है। वह बाइबल से एक या दो दिलासा देनेवाली आयतें पढ़ता है, भले ही उसने वे आयतें बारब्रा के लिए पहले भी क्यों ना पढ़ी हों। आखिर में, वह हमेशा बारब्रा और उसके पति के लिए फोन पर प्रार्थना करता है। इससे उनके दिल को बड़ा सुकून पहुँचता है।—याकूब 5:14, 15.
जरार्ड को अच्छी तरह पता है कि उसे चिकित्सा का कोई ज्ञान नहीं। इसलिए वह कभी-भी बारब्रा का डॉक्टर बनने की कोशिश नहीं करता। फिर भी वह बारब्रा के लिए जो करता है, वह शायद ही कोई डॉक्टर कर सके। वह है, बाइबल से आयतें पढ़ने और प्रार्थना के ज़रिए दिलासा देना।
“जो मायूस हैं, उन्हें अपनी बातों से तसल्ली” देने के लिए
आप कह सकते हैं: “मैं आप ही को याद कर रहा था, इसलिए सोचा कि क्यों न आपसे मिल लूँ। अकसर आपकी तबियत ठीक नहीं रहती। अभी आप कैसे हैं?”
याद रखिए: सच्चे दिल से बात कीजिए। और अगर गहरी निराशा का शिकार व्यक्ति अपनी एक ही बात बार-बार दोहराए, तब भी उसकी सुनिए और हमदर्दी जताइए।
आप कह सकते हैं: “खराब सेहत के बावजूद आपको काम करता देख मुझे बड़ी हैरानी होती है। (या “आप जो मसीही गुण ज़ाहिर करते हैं, वे वाकई काबिले-तारीफ हैं”) अगर आपको लगता है कि आप और भी ज़्यादा कर सकते हैं, तो मायूस मत होइए। यहोवा परमेश्वर और हम आपसे बेहद प्यार करते और आपकी कदर करते हैं।”
याद रखिए: करुणा और प्यार दिखाइए।
आप कह सकते हैं: “इस आयत से मुझे बड़ा हौसला मिला है।” या “जब मैंने अपनी मनपसंद आयत दोबारा पढ़ी, तब मुझे आपका ख्याल आया।” और फिर वह आयत पढ़िए या उसका हवाला दीजिए।
याद रखिए: सलाह देने के लहज़े में बात मत कीजिए।
[पेज 9 पर बक्स]
बाइबल से तसल्ली
लोरेन को यशायाह 41:10 में दर्ज़ यहोवा के इस वादे से काफी हिम्मत मिली: “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा।”
आलवरू कहता है कि उसे भजन 34:4, 6 से अकसर दिलासा मिलता है। उसमें लिखा है: “मैं यहोवा के पास गया, तब उस ने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।”
नाओया बताता है कि उसे हमेशा भजन 40:1, 2 पढ़कर बहुत शांति मिलती है: “मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उस ने मेरी ओर झुककर मेरी दोहाई सुनी। उस ने . . . मेरे पैरों को दृढ़ किया है।”
नाओको को भजन 147:3 से भरोसा मिलता है कि यहोवा “खेदित मनवालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम-पट्टी बान्धता है।”
एलीज़ को लूका 12:6, 7 में दर्ज़ यीशु के शब्दों से इस बात का यकीन हुआ है कि यहोवा उसकी परवाह करता है: “क्या दो पैसे में पाँच चिड़ियाँ नहीं बिकतीं? फिर भी, उनमें से एक भी ऐसी नहीं जिसे परमेश्वर भुला दे। मगर तुम्हारे सिर के सारे बाल तक गिने हुए हैं। इसलिए मत डरो, तुम बहुत-सी चिड़ियों से कहीं अनमोल हो।”
बाइबल की दूसरी आयतें:
भजन 39:12: “हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दोहाई पर कान लगा; मेरा रोना सुनकर शांत न रह!”
2 कुरिंथियों 7:6: परमेश्वर “गहरी निराशा के शिकार लोगों को दिलासा देता है।”—“न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल।”
1 पतरस 5:7: “अपनी सारी चिंताओं का बोझ [परमेश्वर] पर डाल दो, क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।”