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पहला राज़ जो सबसे ज़रूरी है उसे सबसे ज़्यादा अहमियत दें

पहला राज़ जो सबसे ज़रूरी है उसे सबसे ज़्यादा अहमियत दें

पहला राज़ जो सबसे ज़रूरी है उसे सबसे ज़्यादा अहमियत दें

‘पहचानो कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’—फिलिप्पियों 1:10.

इसका क्या मतलब है। कामयाब शादियों में पति और पत्नी दोनों ही अपनी ज़रूरतों से पहले अपने साथी की ज़रूरत का ध्यान रखते हैं। उनके लिए उनकी पत्नी या पति खुद से, अपने सामान, नौकरी, दोस्तों यहाँ तक कि दूसरे रिश्‍तेदारों से पहले आता है। वे दोनों एक-दूसरे के साथ और बच्चों के साथ काफी वक्‍त बिताते हैं। अपने परिवार के भले की खातिर वे दोनों त्याग करने के लिए तैयार रहते हैं।—फिलिप्पियों 2:4.

यह क्यों ज़रूरी है। बाइबल में, परिवार को बहुत अहमियत दी गयी है। प्रेषित पौलुस ने लिखा कि जो इंसान अपने परिवार की देखभाल नहीं करता वह “अविश्‍वासी से भी बदतर हो गया है।” (1 तीमुथियुस 5:8) लेकिन, जैसे-जैसे वक्‍त गुज़रता है, एक इंसान की ज़िंदगी में शायद दूसरी बातें ज़्यादा अहमियत रखने लगती हैं। एक सलाहकार ने पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए सलाह-मशविरे की एक सभा रखी। उसने गौर किया कि वहाँ आनेवाले ज़्यादातर लोगों की सबसे बड़ी चिंता उनका परिवार नहीं बल्कि उनका काम या करियर था। ये लोग, इस उम्मीद से वहाँ आए थे कि उन्हें अपने परिवार की समस्याओं को “चुटकियों में” सुलझाने के तरीके सीखने को मिलेंगे ताकि इन्हें जल्द-से-जल्द निपटाकर अपना पूरा ध्यान अपने काम या करियर पर लगा सकें। यह मिसाल हमें क्या सबक देती है? यह कहना आसान है कि हमारे लिए परिवार पहले आता है, मगर कर दिखाना मुश्‍किल।

इन सवालों के जवाब दीजिए। इन सवालों की मदद से आप यह तय कर पाएँगे कि आपके लिए आपका परिवार कितनी अहमियत रखता है।

जब मेरी पत्नी/पति या मेरा बच्चा मुझसे बात करना चाहता है, तो क्या मैं जल्द-से-जल्द उसकी बात सुनने और उस पर ध्यान देने के लिए तैयार होता हूँ?

दूसरों से बात करते वक्‍त क्या मैं अकसर उन कामों का ज़िक्र करता हूँ जो मैं अपने परिवार के साथ करता हूँ?

अगर मेरे परिवार को मेरे वक्‍त की ज़रूरत है, तो क्या मैं (काम की जगह या कहीं और) ज़्यादा ज़िम्मेदारी लेने से इनकार करूँगा?

अगर ऊपर दिए सवालों का जवाब आपने ‘हाँ’ दिया है, तो आप शायद यह मान लें कि जो सबसे ज़रूरी है उसे ही आप सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं। लेकिन आपका साथी और आपके बच्चे इन सवालों के क्या जवाब देंगे? क्या वे भी यह मानते हैं कि आप उन्हें सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं? हम खुद को जिस तरह आँकते हैं सिर्फ वही यह तय नहीं करता कि हमारी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत किसे मिलती है। आगे के पन्‍नों पर कामयाब शादी-शुदा ज़िंदगी के और भी कई राज़ दिए हैं, उनके मामले में भी यही बात लागू होती है।

पक्का फैसला कीजिए। ऐसे एक या दो तरीकों के बारे में सोचिए, जिनसे आप दिखा सकते हैं कि आप अपने परिवार को सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं। (मिसाल के लिए: अगर कुछ काम ऐसे हैं जिनमें आपका इतना ज़्यादा वक्‍त खर्च होता है कि आप अपने साथी और बच्चों को वक्‍त नहीं दे पाते, तो सोचिए कि कैसे इनमें कटौती करें।)

आपने जो फैसला किया है, क्यों न आप अपने परिवार को भी बताएँ? जब परिवार का एक सदस्य अपने अंदर बदलाव करने की इच्छा ज़ाहिर करता है, तो दूसरे भी वैसा करने के लिए तैयार होते हैं। (g09 10)

[पेज 3 पर तसवीर]

जीत उसी की होती है, जो अपने साथी और बच्चों को सबसे ज़्यादा अहमियत देता है