क्या बाइबल के सभी हिस्से आज भी मायने रखते हैं?
बाइबल क्या कहती है?
क्या बाइबल के सभी हिस्से आज भी मायने रखते हैं?
“आज के ज़माने के लिए बाइबल में कोई कारगर बातें नहीं हैं। सिवाय कुछ बातों के जिससे क्रॉस वर्ड जैसी पहेलियाँ बुझायी जा सकती हैं या सवाल-जवाब वाली प्रतियोगिता जीती जा सकती है।”
“बाइबल में परिवार, कुँवारेपन और परमेश्वर के भय के बारे में जो हवाले दिए गए हैं, वे उस ज़माने के लोगों के लिए मायने रखते थे, लेकिन इक्कीसवीं सदी में इनकी अहमियत न के बराबर ही रह गयी है।”
“बाइबल की सबसे पहली छपाई होने से पहले ही यह पुरानी हो चुकी थी।”
ऊपर कही गयी बातें हाल ही में इंटरनेट की एक वेब साइट से ली गयी हैं, जहाँ इस विषय पर चर्चा की गयी थी कि “क्या बाइबल पुरानी हो चुकी है और यह कोई मायने नहीं रखती?” आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या आप ऊपर बतायी बातों से सहमत हैं?
हो सकता है कि आप बाइबल को ठुकरानेवालों से सहमत न हों, लेकिन फिर भी आपके मन में शायद यह विचार आए कि बाइबल में लिखी हरेक बात आज हमारे लिए मायने नहीं रखती। वैसे भी ज़्यादातर चर्चों में इस्तेमाल होनेवाली बाइबल दो भागों में बँटी हुई है, जिसे आम तौर पर पुराना नियम और नया नियम कहते हैं। * बाइबल का 75 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा पुराना नियम है। “पुराना” इस शब्द से ऐसा मालूम होता है कि आज इस हिस्से के कोई मायने नहीं रह गए हैं।
मूसा के कानून में जानवरों की बलि चढ़ाने के लिए कहा गया था, लेकिन आज जानवरों की बलि नहीं चढ़ायी जाती। तो फिर लैव्यव्यवस्था की किताब में बलिदान से जुड़ी जो ब्यौरेदार जानकारी दी गयी है उसका क्या फायदा? (लैव्यव्यवस्था 1:1–7:38) और-तो-और पहला इतिहास की किताब के शुरुआती अध्यायों में वंशावली की जो लंबी-चौड़ी सूची दी गयी है उसका क्या? (1 इतिहास 1:1-9:44) वह आज हमारे किस काम की? क्योंकि कोई भी इंसान यह पता नहीं लगा सकता है कि वह इन अध्यायों में दी किस वंशावली से है?
मान लीजिए आप आम के पेड़ से एक आम तोड़ते हैं। लेकिन क्या फल तोड़ने के बाद वह पेड़ आपके लिए कोई मायने नहीं रखेगा? बेशक रखेगा! क्योंकि आपको उस पेड़ से और भी फल चाहिए। देखा जाए तो कुछ मायनों में बाइबल भी उस आम के पेड़ की तरह है। बाइबल के कुछ भाग, जैसे भजन या पहाड़ी उपदेश शायद हमें समझने में बड़े आसान और “स्वादिष्ट” लगें, ठीक हमारे मनपसंद फल की तरह। लेकिन क्या हम बाकी के भागों की कोई कदर नहीं करेंगे, उन्हें मामूली समझेंगे? इस बारे में बाइबल क्या कहती है?
ईसवी सन् 65 के आस-पास, प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस को अपनी दूसरी चिट्ठी लिखी और उसे यह याद दिलाया: “जब तू एक शिशु था तभी से पवित्र शास्त्र के लेख तेरे जाने हुए हैं। ये वचन तुझे मसीह यीशु में विश्वास के ज़रिए उद्धार पाने के लिए बुद्धिमान बना सकते हैं।” पौलुस ने आगे कहा: “पूरा शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है और सिखाने, ताड़ना देने, टेढ़ी बातों को सीध में लाने और परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक अनुशासन देने के लिए फायदेमंद है।” (2 तीमुथियुस 3:15, 16) जब पौलुस ने लिखा कि “पूरा शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है और फायदेमंद है,” तो क्या वह सिर्फ नए नियम की बात कर रहा था?
गौर कीजिए पौलुस ने कहा कि तीमुथियुस “पवित्र शास्त्र के लेख” तब से जानता था जब वह “एक शिशु था।” कुछ लोगों का मानना है कि जिस समय पौलुस ने यह खत लिखा, उस समय तीमुथियुस 30-35 साल का था, यानी यीशु की मौत के वक्त वह एक बच्चा रहा होगा। और उस वक्त तक नए नियम यानी यूनानी शास्त्र की कोई भी किताब नहीं लिखी गयी थी। तीमुथियुस प्रेषितों 16:1) पौलुस का यह ज़िक्र करना कि “पूरा शास्त्र” परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है, दिखाता है कि इसमें पुराने नियम की सारी किताबें शामिल हैं। वे किताबें भी जिनमें बलिदान से जुड़े नियम और वंशावली की सूचियाँ दी गयी हैं।
की माँ यहूदिन थी, तो ज़ाहिर है कि उसने छुटपन से तीमुथियुस को जिस पवित्र शास्त्र से सिखाया, वह ज़रूर पुराना नियम या इब्रानी शास्त्र रहा होगा। (आज करीब 1,900 साल बाद भी बाइबल की इन किताबों से हमें कई फायदे होते हैं। पहली बात तो यह है कि आज हमारे पास बाइबल इसीलिए है क्योंकि परमेश्वर ने इसे लिखवाया और अपने चुने हुए लोगों के ज़रिए इसे महफूज़ रखा। (रोमियों 3:1, 2) प्राचीन इसराएल में मूसा का कानून सिर्फ एक पवित्र परंपरा नहीं थी, जिसे आनेवाली पुश्तों के लिए बरकरार रखा जाना था। बल्कि यह एक संविधान या कानून था जिसके अधीन लोगों को जीना था। इस कानून में दी बारीकियाँ शायद आज हमें गैर-ज़रूरी लगे, लेकिन इसराएल के लोगों के जीने के लिए यह निहायत ज़रूरी थीं। साथ ही, इनकी मदद से इसराएल देश में सारे काम तरतीब और कायदे से होते थे। इतना ही नहीं, बाइबल में दिए वंशावली के रिकॉर्ड मसीहा को पहचानने के लिए ज़रूरी थे, जिसके बारे में बताया गया था कि वह राजा दाविद के खानदान से आएगा।—2 शमूएल 7:12, 13; लूका 1:32; 3:23-31.
हालाँकि आज मसीहियों पर मूसा की कानून-व्यवस्था लागू नहीं होती, लेकिन उन्हें मसीहा यानी यीशु मसीह पर विश्वास करना ज़रूरी है। बाइबल में सुरक्षित रखे गए प्राचीन वंशावलियों के रिकॉर्ड साबित करते हैं कि यीशु ही वादा किया गया “दाविद का बेटा” था। और बलिदानों के बारे में दी गयी जानकारी उस सबसे महान बलिदान के लिए हमारी कदरदानी और विश्वास बढ़ाती है जो यीशु ने दिया था।—इब्रानियों 9:11, 12.
पहली सदी में पौलुस ने रोम की मसीही मंडली को लिखा: “जो बातें पहले लिखी गयी थीं, वे सब हमारी हिदायत के लिए लिखी गयी थीं, ताकि इनसे हमें धीरज धरने में मदद मिले और हम शास्त्र से दिलासा पाएँ, और इनके ज़रिए हम आशा रख सकें।” (रोमियों 15:4) यह वचन हमें बताता है कि बाइबल हमारे फायदे के लिए लिखी गयी थी, लेकिन फिर हमारे फायदे के लिए नहीं। करीब 3,500 साल के दौरान इस वचन से परमेश्वर के लोगों को सीनै के विराने में, वादा किए गए देश में, बाबुल की बंधुआई में, रोमी साम्राज्य की हुकूमत के दौरान और आज पूरी दुनिया में मार्गदर्शन, हिदायतें और ताड़ना मिली है। वाकई दुनिया की कोई भी किताब अपने बारे में ऐसा दावा नहीं कर सकती! याद रखिए आम के पेड़ की जड़ें आसानी से दिखायी नहीं देतीं, उसी तरह शायद बाइबल के कुछ भागों की अहमियत आपको नज़र न आएँ। लेकिन अगर खोजबीन करने में थोड़ी मेहनत की जाए, तो आप इनकी अहमियत समझ पाएँगे। और यकीन रखिए, अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपकी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी! (g10-E 03)
[फुटनोट]
^ पैरा. 7 इस लेख में इब्रानी शास्त्र को पुराना नियम और यूनानी शास्त्र को नया नियम कहा गया है।
क्या आपने कभी सोचा है?
● तीमुथियुस “पवित्र शास्त्र के लेख” कब से जानता था?—2 तीमुथियुस 3:15.
● बाइबल के कौन-से भाग परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे गए और फायदेमंद हैं?—2 तीमुथियुस 3:16.
● “जो बातें पहले लिखी गयी थीं” हम उनसे कैसे फायदा पा सकते हैं?—रोमियों 15:4.
[पेज 25 पर तसवीरें]
बाइबल में बलिदानों के बारे में दी जानकारी यीशु के दिए बलिदान के लिए हमारी कदरदानी बढ़ाती है