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मैं पैसे का सोच-समझकर कैसे इस्तेमाल करूँ?

मैं पैसे का सोच-समझकर कैसे इस्तेमाल करूँ?

बाइबल क्या कहती है?

मैं पैसे का सोच-समझकर कैसे इस्तेमाल करूँ?

“एक तरफ मेरी तनख्वाह कम होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ खर्चे बढ़ते ही जा रहे हैं। रात में बिस्तर पर लेटे-लेटे मैं अकसर यही सोचता रहता हूँ कि अपने परिवार का पेट कैसे पालूँ।”—जेम्स।

“ऐसा लग रहा है कि सारे रास्ते बंद होते जा रहे हैं। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ।”—शेरी।

आर्थिक हालत के डाँवाँडोल होने पर अकसर इस तरह की बातें सुनने में आती हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय (इंटरनेशनल लेबर ऑफिस) के महा-निर्देशक, हवॉन सोमॉविओ ने हाल में दुनिया-भर में आयी आर्थिक गिरावट के बारे में कहा, “इसने हर इंसान को अपना शिकार बनाया है।”

अचानक नौकरी छूट जाने या घर चलाने के लिए पैसे न होने की वजह से एक इंसान गहरी चिंता में डूब सकता है और उम्मीद खो सकता है। बाइबल के एक लेखक, दाविद ने भी अपनी ज़िंदगी के एक मोड़ पर कुछ ऐसा ही महसूस किया। उसने प्रार्थना में कहा: “मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है, तू मुझ को मेरे दुःखों से छुड़ा ले।” (भजन 25:17) हमारे बारे में क्या? क्या बाइबल हमारे समय के बारे में कुछ बताती है? क्या इसमें दर्ज़ परमेश्‍वर की बुद्धि-भरी बातों पर चलकर हम इत्मीनान और शांति से जी सकते हैं?

संकटों के दौर के लिए बुद्धि-भरी बातें

बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि इस दुनिया के “आखिरी दिनों” में ‘प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतें’ आएँगी और “संकटों से भरा ऐसा वक्‍त आएगा जिसका सामना करना मुश्‍किल होगा।” (2 तीमुथियुस 3:1; मत्ती 24:8) आज इस भविष्यवाणी के एक-एक शब्द पूरे होते दिखायी दे रहे हैं! माना कि हम संकटों से भरे वक्‍त में जी रहे हैं लेकिन हमारे पास आशा रखने की वजह है। परमेश्‍वर ने हमें अपना वचन, बाइबल दिया है। इसमें ऐसी बुद्धि-भरी बातें दर्ज़ हैं, जो हमें आर्थिक उतार-चढ़ाव के इस दौर में मदद दे सकती हैं।

मिसाल के लिए, बाइबल हमें पैसों के मामले में सही नज़रिया रखने में मदद देती है। सभोपदेशक 7:12 में लिखा है, “बुद्धि की आड़ रुपये की आड़ का काम देता है; परन्तु ज्ञान की श्रेष्ठता यह है कि बुद्धि से उसके रखनेवालों के प्राण की रक्षा होती है।” बेशक, रुपए-पैसे से कुछ हद तक हमारी रक्षा हो सकती है, पर सिर्फ बाइबल में पायी जानेवाली परमेश्‍वर की बुद्धि ही हमें हर वक्‍त सच्ची सुरक्षा दे सकती है। इसके कुछ उदाहरणों पर गौर कीजिए।

आर्थिक संकट का सामना करना

जी-जान से मेहनत कीजिए। “आलसी का प्राण लालसा तो करता है, और उसको कुछ नहीं मिलता, परन्तु कामकाजी हृष्ट-पुष्ट हो जाते हैं।” (नीतिवचन 13:4) इस वचन से हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें ईमानदार और मेहनती होने का नाम कमाना है। मेहनत और लगन से काम करनेवालों की मालिक कदर करते हैं। आम तौर पर उन्हें जल्दी नौकरी मिल जाती है और मालिक उन्हें खोना नहीं चाहते।—इफिसियों 4:28.

खरीदारी करने से पहले खर्च जोड़िए। यीशु ने कहा, “तुममें से ऐसा कौन है जो एक बुर्ज बनाना चाहता हो और पहले बैठकर इसमें लगनेवाले खर्च का हिसाब न लगाए, ताकि देख सके कि उसे पूरा करने के लिए उसके पास काफी पैसा है कि नहीं?” (लूका 14:28) यीशु यहाँ मिसाल देकर समझा रहा था कि एक व्यक्‍ति को चेला बनने से पहले इस ज़िम्मेदारी की कीमत आँकनी थी। लेकिन इस मिसाल में दिए सबक को हम अपनी ज़िंदगी में भी लागू कर सकते हैं। वह कैसे? हम एक बजट तैयार कर सकते हैं कि हमारी असली ज़रूरतें क्या हैं और उन्हें पूरा करने में कितना खर्चा आएगा।

बुरी आदतों पर पैसा बरबाद मत कीजिए। जुआ खेलने, सिगरेट पीने, ड्रग्स लेने और हद-से-ज़्यादा शराब पीने जैसी बुरी आदतें परमेश्‍वर को कतई पसंद नहीं।—नीतिवचन 23:20, 21; यशायाह 65:11; 2 कुरिंथियों 7:1.

‘पैसे के प्यार’ से दूर रहिए। (इब्रानियों 13:5) रुपए-पैसे की दीवानगी एक इंसान को दुख और निराशा के सिवा और कुछ नहीं देती। दरअसल, पैसों के पीछे भागनेवाले “कई तरह की दुःख-तकलीफों से खुद को छलनी” कर लेते हैं। (1 तीमुथियुस 6:9, 10) यही नहीं, वे पैसे के गुलाम बन जाते हैं और पैसों के लिए उनकी भूख कभी नहीं मिटती, फिर चाहे वे कितने ही दौलतमंद क्यों न हो जाएँ।—सभोपदेशक 5:10.

संतोष करना सीखिए। “हम न तो दुनिया में कुछ लाए हैं, न ही यहाँ से कुछ ले जा सकते हैं। इसलिए अगर हमारे पास खाना, कपड़ा और सिर छिपाने की जगह है, तो उसी में संतोष करना चाहिए।” (1 तीमुथियुस 6:7, 8) जो लोग थोड़े में गुज़ारा करके भी खुश रहते हैं, वे आर्थिक व्यवस्था के गिरने पर हद-से-ज़्यादा चिंता नहीं करते। इसलिए चादर देखकर पाँव फैलाना सीखिए।—दायीं तरफ दिया बक्स देखिए।

हममें से कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा। सभोपदेशक 9:11 कहता है कि हम “सब समय और संयोग के वश में है।” इसलिए एक बुद्धिमान व्यक्‍ति, ‘अपनी आशा उस धन पर नहीं रखता जो आज है और कल नहीं रहेगा, बल्कि उस परमेश्‍वर पर रखता है’ जिसने अपने वफादार सेवकों से वादा किया है, “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।”—1 तीमुथियुस 6:17; इब्रानियों 13:5. (g10-E 05)

क्या आपने कभी सोचा है?

● बाइबल हमारे समय के बारे में क्या बताती है?—2 तीमुथियुस 3:1-5.

● आज भरोसेमंद सलाह कहाँ मिल सकती है?—भजन 19:7.

● मैं अपने परिवार का भविष्य कैसे सुरक्षित बना सकता हूँ?—सभोपदेशक 7:12.

[पेज २१ पर बक्स/ तसवीर]

बचत करने के तरीके

खरीदारी: कागज़ पर लिख लीजिए कि आपको क्या-क्या खरीदना है। बिना सोचे-समझे खरीदारी मत कीजिए। किफायती दामों पर चीज़ें लीजिए। कूपन का फायदा उठाइए और छूट पर सामान खरीदिए। सेल में या जब चीज़ों के दाम कम होते हैं तब खरीदारी कीजिए। अगर मुमकिन हो, तो चीज़ें थोक में लीजिए।

घर के खर्चे: वक्‍त पर बिल भरिए ताकि जुर्माना न भरना पड़े। घर पर ही खाने-पीने की चीज़ें बनाइए। शराब पीने और खाने के मामले में संयम बरतिए। ज़रूरत न होने पर बत्ती और दूसरे बिजली के उपकरण बंद कर दीजिए। हो सके तो ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कीजिए, जिसमें कम बिजली खर्च होती है। बड़े घर में रहने के बजाए एक छोटा घर लेने की सोचिए।

यातायात: अगर आप गाड़ी खरीदना चाहते हैं, तो एक ऐसी गाड़ी खरीदिए जो कम ईंधन में ज़्यादा चलती हो और अच्छी हालत में हो। ज़रूरी नहीं कि गाड़ी नयी हो। किसी काम से बाहर जाते वक्‍त दूसरे काम निपटाने की भी कोशिश कीजिए। हो सके तो कई जन मिलकर एक ही गाड़ी में सफर कीजिए। आप सार्वजनिक यातायात, साइकिल या पैदल भी सफर तय कर सकते हैं। उस वक्‍त छुट्टियों पर जाइए, जब यातायात के दाम कम हों। हो सके तो किसी नज़दीकी जगह पर जाइए।

फोन और मनोरंजन: क्या आपको टेलीफोन और मोबाइल दोनों की ज़रूरत है? अगर आपके बच्चों के पास मोबाइल है, तो क्या वे उसका कम इस्तेमाल कर सकते हैं या उसके बिना ही काम चला सकते हैं? अगर आपके घर में केबल टी.वी. है, तो खर्चे घटाने के लिए क्या आप कम चैनलवाला कनैक्शन ले सकते हैं? * आप किताबें और विडियो खरीदने के बजाय उन्हें किराए पर ले सकते हैं।

[फुटनोट]

^ पैरा. 26 कुछ और सुझावों के लिए, अप्रैल-जून, 2009 की सजग होइए! का लेख “पैसे का समझदारी से इस्तेमाल कीजिए” और जनवरी-मार्च, 2010 की प्रहरीदुर्ग का लेख “बजट बनाना और सोच-समझकर पैसे खर्च करना” देखिए।