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कैसे अपनी उदासी पर काबू पाऊँ?

कैसे अपनी उदासी पर काबू पाऊँ?

नौजवान पूछते हैं

कैसे अपनी उदासी पर काबू पाऊँ?

“जब भी मेरे दोस्त अपनी परेशानी हल नहीं कर पाते, तो मैं उनकी मदद करती हूँ और उनका गम दूर करती हूँ। लेकिन फिर मैं अपने कमरे में जाकर बहुत रोती हूँ, जिसके बारे में शायद ही किसी को पता हो।”—कविता। *

“जब मैं दुखी होता हूँ तो मैं अकेले रहना पसंद करता हूँ। अगर कोई मुझे अपने यहाँ आने का न्यौता देता है, तो मैं कोई-न-कोई बहाना बनाकर टाल देता हूँ। मैं अपने परिवार से भी अपने दुख को बखूबी छिपा लेता हूँ। उन्हें लगता है कि मैं बिलकुल ठीक हूँ।”—रौशन।

क्या कभी-कभी आप भी कविता और रौशन की तरह महसूस करते हैं? अगर ऐसा है, तो जल्दबाज़ी में इस नतीजे पर मत पहुँचिए कि आपमें कोई कमी है। सच्चाई यह है कि हर कोई कभी-न-कभी उदास होता है। बाइबल के ज़माने में परमेश्‍वर के सच्चे सेवक भी ऐसी भावनाओं से गुज़रे।

कई बार आपको अपनी उदासी की वजह मालूम होती है, लेकिन कई बार नहीं। उन्‍नीस साल की आरुषी कहती है: “ज़रूरी नहीं कि आप तभी उदास हों, जब आपके साथ कोई हादसा हुआ हो। उदासी कभी-भी आपको घेर सकती है, तब भी जब ज़िंदगी मज़े से कट रही हो। यह बात सुनने में बड़ी अजीब लगती है, मगर यह सच है!”

आपके उदास होने की कोई वजह हो, या न हो, आप उसकी गिरफ्त से छूटने के लिए क्या कर सकते हैं?

कदम #1: इस बारे में किसी से बात कीजिए। बाइबल कहती है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”—नीतिवचन 17:17.

कविता: “बात करने से वाकई मेरा जी बहुत हलका हो जाता है! मुझे लगता है, कोई तो है जो मेरा दर्द समझता है। और मैं उदासी की जिस गहरी खाई में गिरी हूँ, वह मेरी मदद के लिए मानो रस्सी डालकर मुझे ऊपर खींच सकता है और मुझे बचा सकता है।”

सुझाव: नीचे अपने सबसे करीबी “मित्र” का नाम लिखिए, जिसे आप उदासी के पलों में अपने दिल का हाल सुना सकें।

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कदम #2: कागज़ पर लिख लीजिए। जब उदासी के काले बादल ज़िंदगी के बारे में आपके नज़रिए को बिगाड़ देते हैं, तो अपने विचारों को एक कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिए। दाविद ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे अपने भजनों में कभी-कभी अपनी उदासी की भावनाएँ ज़ाहिर कीं। (भजन 6:6) ऐसी भावनाओं को लिखने से आपको “खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा” करने में मदद मिल सकती है।—नीतिवचन 3:21.

हर्षिता: “जब मैं उदास होती हूँ तो मेरे अंदर तरह-तरह की भावनाएँ और विचार उठते रहते हैं, उन्हें कागज़ पर लिखने से मैं जान पाती हूँ कि असल में मैं कैसा महसूस कर रही हूँ। जब आप अपनी उदासी की वजहों को पन्‍नों पर उतारकर उन्हें समझ लेते हैं, तब उदासी के काले बादल भी धीरे-धीरे छँटने लगते हैं।”

सुझाव: कुछ लोग डायरी लिखना पसंद करते हैं। अगर आप भी ऐसा करना चाहते हैं, तो आप उसमें क्या लिख सकते हैं? जब आप उदास होते हैं तो उसमें लिखिए कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं और आपके हिसाब से उदासी की वजह क्या है। फिर करीब एक महीने बाद उसे दोबारा पढ़िए। जिस वजह से आप उदास थे, क्या उस बारे में अब आपका नज़रिया बदल गया है? अगर ऐसी बात है तो लिखिए कि यह कैसे हुआ।

कदम #3: इस बारे में प्रार्थना कीजिए। बाइबल कहती है कि अगर आप अपनी चिंताओं के बारे में प्रार्थना करें तो ‘परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।’—फिलिप्पियों 4:7.

अक्षरा: “मैं यह समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर मैं क्यों इतनी उदास हूँ, लेकिन मैं इसका पता नहीं लगा पायी। मैंने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना की कि मैं खुश रहना चाहती हूँ। मैं अपनी उदासी से परेशान हो चुकी थी क्योंकि मेरे पास उदास होने की कोई वजह नहीं थी। आखिरकार मैं इस पर काबू पा सकी। प्रार्थना की ताकत को कभी कम मत आँकिए।”

सुझाव: यहोवा से प्रार्थना करते वक्‍त भजन 139:23, 24 में दिए नमूने के मुताबिक प्रार्थना कीजिए। यहोवा से दिल का सारा हाल कह सुनाइए और उससे बिनती कीजिए कि वह आपको उदासी की वजह जानने में मदद दे।

ऊपर दिए सुझावों के अलावा आप परमेश्‍वर के वचन से भी कई अनमोल सुझाव पा सकते हैं। (भजन 119:105) बाइबल में दर्ज़ घटनाओं से आप बहुत-सी अच्छी बातें सीख सकते हैं। अगर आप उन बातों को अपने मन में उतारें तो उसका असर आपके विचारों, भावनाओं और कामों पर हो सकता है। (भजन 1:1-3) बाइबल में प्रेषितों की किताब में बड़े दिलचस्प और जोशीले वाकये दिए गए हैं। बाइबल पढ़ाई से फायदा पाने के कुछ और सुझाव यहोवा के साक्षियों द्वारा प्रकाशित किताब क्वेश्‍चन्स यंग पीपल आस्क—आंसर्स दैट वर्क, वॉल्यूम 2 के “रोल मॉडल” भाग में दिए गए हैं। इनमें यूसुफ, हिज़किय्याह, लुदिया और दाविद के जीवन में घटी घटनाओं के बारे में बताया गया है। इस किताब के पेज 227 पर बताया गया है कि प्रेषित पौलुस जब कभी-कभी अपनी असिद्धता की वजह से निराश हो जाता था, तो वह कैसे अपनी भावनाओं पर काबू पाता था।

लेकिन अगर कोशिश करने के बाद भी उदासी आपका पीछा नहीं छोड़ती, तो आप क्या कर सकते हैं?

जब उदासी पीछा नहीं छोड़ती

रितेष कहता है: “कभी-कभी सुबह आँख खुलने पर लगता है कि काश मैं नींद से जागूँ ही ना ताकि मुझे एक और बे-मकसद दिन का सामना न करना पड़े।” रितेष गहरी निराशा का शिकार है और वह अकेला नहीं है। अध्ययन दिखाते हैं कि 4 में से 1 जवान बड़े होने तक किसी-न-किसी तरह की निराशा से गुज़र चुका होता है।

आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि कहीं आप गहरी निराशा के शिकार तो नहीं? कुछ लक्षण हैं, मिज़ाज और व्यवहार में बहुत उतार-चढ़ाव, खुद को दूसरों से अलग कर लेना, लगभग हर काम में दिलचस्पी खत्म हो जाना, खाने-पीने और सोने की आदतों में काफी बदलाव आना और बिना किसी वजह के खुद को दोषी महसूस करना या खुद को नाकारा समझना।

यह सच है कि हर व्यक्‍ति ज़िंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर ऊपर दिए लक्षणों में से एकाध का सामना करता है। लेकिन अगर ये लक्षण एक-दो हफ्तों से ज़्यादा समय तक बने रहते हैं तो क्यों न आप अपने माता-पिता से अपनी डॉक्टरी जाँच के लिए बात करें? डॉक्टर बता सकते हैं कि आपकी उदासी को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है या नहीं। *

अगर आप गहरी निराशा के शिकार हैं, तो इसमें शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं। इलाज से कई लोगों को फायदा हुआ है और उन्हें इतनी राहत मिली जितनी पहले कभी नहीं मिली थी! आखिर में हम यही कहना चाहेंगे कि आपकी उदासी चाहे निराशा की वजह से हो या किसी और वजह से, भजन 34:18 में दिए शब्दों को हमेशा याद रखिए। वहाँ लिखा है: “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।” (g10-E 09)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

[फुटनोट]

^ इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ जब उदासी बहुत लंबे समय तक बनी रहती है, तो कुछ जवान खुदकुशी करने के बारे में सोचने लगते हैं। अगर आपके मन में कभी ऐसा खयाल आया है, तो बिना देर किए किसी भरोसेमंद बड़े व्यक्‍ति से बात कीजिए।—जुलाई 2008 की सजग होइए! के पेज 25-27 देखिए।

इस बारे में सोचिए

क्या रोने से कुछ फायदा होगा?

“मैं जल्दी किसी बात पर नहीं रोती, लेकिन जब उदासी मुझे आ घेरती है तो मैं ज़रूर रोती हूँ। रोने से मैं हलका महसूस करती हूँ। फिर मैं सही तरह से सोच पाती हूँ और मुझे अपना भविष्य अँधेरा नहीं बल्कि सुनहरा लगने लगता है।”—लिएन।

उदासी दूर करने में दूसरे आपकी मदद कैसे कर सकते हैं?

“जब मैं उदास होती हूँ तो मैं खुद को दूसरों से अलग नहीं करती। हाँ, अपनी भावनाओं को समझने के लिए और शायद जी-भर के रोने के लिए मुझे अकेले होने की ज़रूरत होती है। लेकिन उसके बाद लोगों से मिलना-जुलना ज़रूरी समझती हूँ ताकि जिस बात से भी मैं दुखी हूँ, उसे अपने दिमाग से हटा सकूँ।”—क्रिस्टीन।

[पेज 31 पर बक्स/तसवीरें]

आपके हमउम्र क्या कहते हैं

“जब मैं अपने बारे में कुछ ज़्यादा सोचने लगती हूँ तो अकसर उदास हो जाती हूँ। लेकिन दूसरों की मदद करने से मेरा ध्यान खुद पर से हट जाता है और मैं दोबारा खुश हो जाती हूँ।”

“नियम से व्यायाम करने की वजह से मैं अच्छा महसूस करती हूँ और मेरा मूड भी इतनी जल्दी खराब नहीं होता। व्यायाम करने के बाद मुझमें इतनी ताकत ही नहीं बचती कि मैं किसी और बात के बारे में सोचकर उदास होऊँ।”

[तसवीरें]

ड्रनेल

रिबेका

[पेज 32 पर तसवीर]

मदद और कोशिश के ज़रिए आप उदासी की गहरी खाई से निकल सकते हैं