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ईमानदारी से सच्ची कामयाबी मिलती है

ईमानदारी से सच्ची कामयाबी मिलती है

ईमानदारी से सच्ची कामयाबी मिलती है

“चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी ज़िंदगी उसकी संपत्ति की बदौलत नहीं होती।”—लूका 12:15.

अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए हम परमेश्‍वर के सामने जवाबदेह हैं। (1 तीमुथियुस 5:8) इसके लिए ज़रूरी है कि हम पैसा कमाएँ।

लेकिन अगर हम पेट पालने के लिए नहीं बल्कि बैंक बैलेंस बढ़ाने और ऐशो-आराम की चीज़ें बटोरने के लिए पैसा कमाने लगें, तब क्या? अगर पैसा कमाना ही हमारी ज़िंदगी का मकसद बन जाए, तो? जो लोग दिन-रात अमीर बनने के सपने देखते हैं, वे बेईमानी से पैसे कमाने के फंदे में आसानी से फँस सकते हैं। मगर बेईमानी से कभी सच्ची कामयाबी नहीं मिलती। और जब तक यह बात उनकी समझ में आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बाइबल भी कहती है, पैसे का प्यार कई तरह की दुख-तकलीफें लाता है।—1 तीमुथियुस 6:9, 10.

ऐसे चार लोगों के उदाहरणों पर गौर कीजिए जिनसे पता चलता है कि सच्ची कामयाबी सिर्फ धन-दौलत बटोरने से नहीं मिलती।

आत्म-सम्मान

“बहुत साल पहले मेरे पास एक आदमी आया, जो मुझसे दस लाख डॉलर की जीवन बीमा पॉलिसी करवाना चाहता था। मुझे हज़ारों डॉलर का कमीशन मिलता। उसने कहा कि वह यह पॉलिसी मुझसे तभी करवाएगा अगर मैं उसे आधा कमीशन दूँ। वह जो कह रहा था, वह न सिर्फ बिज़नेस के उसूलों के खिलाफ था बल्कि गैर-कानूनी भी था और मैंने यह बात उसे साफ-साफ बता दी।

मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि अगर मैं बेईमानी करूँ, तो क्या वह मुझ पर भरोसा कर पाएगा? क्या वह किसी बेईमान को अपनी निजी जानकारी देना पसंद करेगा? मैंने एक बार फिर दोहराया कि मैं बेईमानी हरगिज़ नहीं करूँगा और कहा, ‘सोच लीजिए, अगर आपको मेरी बात मंज़ूर है, तो आप मुझे फोन कर सकते हैं।’ उसका फोन कभी नहीं आया।

अगर मैंने उसकी बात मान ली होती, तो यह मेरी ईमानदारी की हार होती और एक मसीही के नाते मैं अपनी ही नज़रों में गिर जाता। मैं उस आदमी का गुलाम बन जाता जो अपने फायदे के लिए मुझे इस्तेमाल करना चाहता था।”—डॉन, अमरीका।

मन की शांति

शुरूआती लेख में हमने डैनी के बारे में पढ़ा था, जिसे माल सप्लाई करनेवाली फैक्टरी के बारे में झूठ बोलने के लिए बहुत बड़ी रिश्‍वत दी जा रही थी। डैनी ने क्या किया?

“खाना खिलाने के लिए मैंने मैनेजर को धन्यवाद दिया और फिर पैसों से भरा उसका लिफाफा लौटा दिया। उसने मुझ पर बहुत ज़ोर डाला कि अगर उसकी फैक्टरी हमारी कंपनी का क्वालिटी टेस्ट पास कर लेती है, तो वह लिफाफे का वज़न और बढ़ा देगा। मैंने उसे साफ मना कर दिया।

अगर मैंने पैसे रख लिए होते तो पकड़े जाने का डर मुझे हमेशा सताता रहता। कुछ समय बाद, मेरे बॉस को किसी तरह इस घटना का पता चल गया। उस वक्‍त मुझे बहुत खुशी हुई कि मैंने बेईमानी नहीं की। मुझे नीतिवचन 15:27 (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) में लिखे शब्द याद आए: ‘जो अवैध रीति से लाभ कमाता है, वह अपने घर पर कष्ट लाता है, परन्तु जो घूस से घृणा करता है, वह जीवित रहेगा।’”—डैनी, हाँग-काँग।

परिवार की खुशी

“मेरा खुद का कंस्ट्रक्शन का बिज़नेस है। हमारे सामने ग्राहकों को लूटने और टैक्स की चोरी करने के कई मौके आते हैं। लेकिन मैंने ठान लिया था कि मैं हमेशा ईमानदारी से काम करूँगा। इससे मुझे और मेरे परिवार को बहुत फायदा हुआ।

ईमानदार होने का मतलब है ज़िंदगी के हर दायरे में ईमानदारी दिखाना, न कि सिर्फ काम की जगह पर या बिज़नेस में। अगर आपको पता है कि आपका जीवन-साथी ईमानदारी दिखाने में परमेश्‍वर के स्तरों से कभी समझौता नहीं करेगा, तो उस पर आपका भरोसा और बढ़ जाता है। आप इस डर के साथ नहीं जीते कि आपका साथी कभी-भी आपको धोखा दे सकता है।

भले ही आप दुनिया की बड़ी-से-बड़ी कंपनी के मालिक बन जाएँ, लेकिन पैसा आपके परिवार की समस्याएँ नहीं खत्म कर सकता। मैं एक यहोवा का साक्षी हूँ और मैंने देखा है कि बाइबल के सिद्धांतों पर चलने से मैं सही बातों को अहमियत दे पाया हूँ। मैं अपना कीमती वक्‍त अपने परिवार के साथ बिताता हूँ, न कि ज़्यादा-से-ज़्यादा पैसा कमाने और नयी-नयी चीज़ें बटोरने में।”—डरविन, अमरीका।

परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता

“मुझे अपनी कंपनी के लिए माल खरीदना होता है। माल बेचनेवाले कभी-कभी कहते हैं, ‘आप हमारा माल खरीद लीजिए और जो डिसकाउंट आपकी कंपनी को मिलेगा उसमें से कुछ प्रतिशत हम आपको दे देंगे।’ लेकिन मेरा ऐसा करना एक तरह की चोरी होगी।

मेरी तनख्वाह ज़्यादा नहीं है और मैं चाहूँ तो इस दो नंबर के पैसे से बहुत कुछ कर सकता हूँ। लेकिन अगर मैंने बेईमानी की, तो यहोवा परमेश्‍वर के साथ मेरा रिश्‍ता खराब हो जाएगा और मेरा ज़मीर मुझे कचोटता रहेगा। यह जोखिम मैं हरगिज़ नहीं उठाना चाहता। इसलिए जब भी मैं माल खरीदने जाता हूँ, मैं इब्रानियों 13:18 में दिए बाइबल के इस सिद्धांत पर चलता हूँ: ‘हम सब बातों में ईमानदारी से काम करना चाहते हैं।’”—राकेल, फिलिपाईन्स। (g12-E 01)

[पेज 9 पर बक्स/तसवीरें]

ईमानदारी से बिज़नेस करने के उसूल

बिज़नेस के उसूल, हर जगह अलग-अलग होते हैं। ऐसे में सही फैसले लेने में बाइबल के उसूल हमारी मदद कर सकते हैं। आइए छः उसूलों पर गौर करें:

सच बोलना

उसूल: “एक-दूसरे से झूठ मत बोलो।”—कुलुस्सियों 3:9.

विश्‍वासयोग्य होना

उसूल: “तुम्हारी ‘हाँ’ का मतलब हाँ हो, और ‘न’ का मतलब न।”—मत्ती 5:37.

भरोसेमंद होना

उसूल: “पराये का भेद न खोलना।”—नीतिवचन 25:9.

ईमानदारी दिखाना

उसूल: ‘घूस न लेना क्योंकि घूस, देखने वालों को भी अन्धा कर देती है।’—निर्गमन 23:8.

उचित व्यवहार करना

उसूल: “इसलिए जो कुछ तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।”—मत्ती 7:12.

कानून का पालन करना

उसूल: “जिसका जो हक बनता है वह उसे दो। जो कर की माँग करता है उसका कर अदा करो।”—रोमियों 13:7.

[पेज 9 पर बक्स/तसवीरें]

बिज़नेस में ईमानदारी कैसे दिखाएँ

तय कीजिए कि कौन-सी बातें आपके लिए मायने रखती हैं। उदाहरण के लिए, धन-दौलत कमाना आपके लिए ज़्यादा मायने रखता है या परमेश्‍वर की नज़रों में एक अच्छा नाम बनाना?

पहले से सोचिए कि आप क्या करेंगे। सोचकर रखिए कि किन हालात में आपके लिए ईमानदारी दिखाना मुश्‍किल हो सकता है और ऐसे में आप क्या करेंगे।

अपने उसूलों के बारे में बताइए। किसी के साथ बिज़नेस करने से पहले उसे बताइए कि आप किन उसूलों को मानते हैं।

दूसरों की मदद लीजिए। अगर आपके सामने कोई लालच आता है या आपको समझ नहीं आता कि सही क्या है और गलत क्या, तो किसी ऐसे व्यक्‍ति से सलाह लीजिए जो उन उसूलों पर चलता है जिन्हें आप मानते हैं।

[पेज 8 पर तसवीर]

ईमानदार होने से मन की शांति मिलती है