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क्या समलैंगिकता को कभी जायज़ ठहराया जा सकता है?

क्या समलैंगिकता को कभी जायज़ ठहराया जा सकता है?

बाइबल क्या कहती है?

क्या समलैंगिकता को कभी जायज़ ठहराया जा सकता है?

आजकल कई देशों में समलैंगिकता को सही ठहराया जाने लगा है। अमरीका के एक चर्च के समूह का मानना है कि बाइबल समलैंगिकता के बारे में जो कहती है, उसे “आज के समय” के मुताबिक बदलने की ज़रूरत है। ब्राज़ील के एक पादरी ने हाल ही में अपने लिंग के एक व्यक्‍ति से शादी की। उसका भी कहना है कि “बाइबल में लिखी बातों को नए सिरे से समझने” की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा उसने इसलिए कहा ताकि समलैंगिकता के बारे में उसके चर्च की सोच पर कोई उंगली न उठा सके।

वहीं दूसरी तरफ, जो लोग समलैंगिक रिश्‍तों को गलत मानते हैं, उन पर इलज़ाम लगाया जाता है कि वे समलैंगिकों से नफरत करते हैं और उनके साथ भेदभाव करते हैं। समलैंगिकता के बारे में बाइबल असल में क्या कहती है?

बाइबल क्या कहती है?

बाइबल, लोगों के साथ भेदभाव करने का बढ़ावा नहीं देती। लेकिन यह साफ-साफ बताती है कि समलैंगिकता सही है या गलत।

“तू किसी पुरुष के साथ सम्भोग न करना जैसे कि स्त्री के साथ। यह तो घृणित कार्य है।”लैव्यव्यवस्था 18:22, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

परमेश्‍वर ने अपने लोगों यानी इसराएल राष्ट्र को जो नैतिक नियम दिए थे, यह नियम उनमें से एक था। यह सच है कि यह नियम उसके लोगों को दिया गया था मगर जब इसराएल के आस-पास के राष्ट्रों ने समलैंगिकता, परिवार के सदस्यों के बीच नाजायज़ लैंगिक संबंध, व्यभिचार या दूसरे अनैतिक काम किए, तो परमेश्‍वर ने उन राष्ट्रों को अशुद्ध समझा। (लैव्यव्यवस्था 18:24, 25) इससे साफ पता चलता है कि परमेश्‍वर की नज़र में समलैंगिकता एक “घृणित कार्य” है, फिर चाहे यह उसके अपने लोग करें या दूसरे देश के। क्या पहली सदी के मसीहियों के समय में बाइबल का यह नज़रिया बदल गया? आगे दी आयत पर गौर कीजिए, जो इसका जवाब देती है:

“परमेश्‍वर ने इन लोगों को शरीर की नीच काम-वासनाओं के हवाले छोड़ दिया, इसलिए कि उनकी स्त्रियाँ स्वाभाविक यौन-संबंध छोड़कर अस्वाभाविक यौन-संबंध रखने लगीं। उसी तरह पुरुषों ने भी स्त्रियों के साथ स्वाभाविक यौन-संबंध छोड़ दिए और पुरुष आपस में एक-दूसरे के लिए काम-वासना से जलने लगे। पुरुषों ने पुरुषों के साथ अश्‍लील काम किए।”रोमियों 1:26, 27.

बाइबल समलैंगिकता को क्यों अस्वाभाविक और अश्‍लील कहती है? क्योंकि सृष्टिकर्ता ने इंसानों को इस तरह नहीं बनाया कि पुरुष-पुरुष के साथ और स्त्री-स्त्री के साथ यौन-संबंध रखे। समलैंगिक संबंधों से बच्चे कभी नहीं पैदा हो सकते। बाइबल में समलैंगिक संबंधों की तुलना उन लैंगिक संबंधों से की गयी है जो बागी स्वर्गदूतों ने नूह के दिनों में धरती पर आकर स्त्रियों के साथ रखे थे। (उत्पत्ति 6:4; 19:4, 5; यहूदा 6, 7) परमेश्‍वर इन दोनों संबंधों को अस्वाभाविक मानता है।

समलैंगिकता को जायज़ ठहराने की क्या कोई वजह है?

कुछ लोग शायद सोचें, ‘क्या एक व्यक्‍ति अपने समलैंगिक होने का सारा दोष अपनी बनावट, अपने माहौल या अपने साथ हुई कोई बुरी घटना जैसे लैंगिक दुर्व्यवहार को दे सकता है?’ जी नहीं! ज़रा इस उदाहरण पर गौर कीजिए: एक आदमी बहुत ज़्यादा शराब पीता है। वजह शायद यह हो कि वह ऐसे परिवार में पला-बढ़ा जहाँ हद-से-ज़्यादा शराब पीना आए दिन की बात थी। या शायद कई वैज्ञानिक कहें कि उसके जीन (डी.एन.ए.) की बनावट ही ऐसी है कि वह शराबी बन गया। इसमें कोई शक नहीं कि ज़्यादातर लोग उस आदमी के साथ हमदर्दी जताएँगे। लेकिन वे कभी-भी उसे शराब पीते रहने का बढ़ावा नहीं देंगे। और अगर वह शराब छोड़ना चाहता है, तो यह सोचकर उसकी हिम्मत नहीं तोड़ेंगे कि यह बुरी आदत तो उसकी जीन्स में है या उसकी परवरिश ही ऐसी थी।

उसी तरह, बाइबल उन लोगों की निंदा नहीं करती जो समलैंगिक इच्छाओं से जूझ रहे हैं, लेकिन वह इन इच्छाओं को पूरा करने का हरगिज़ बढ़ावा नहीं देती, फिर चाहे इन इच्छाओं की वजह हमारे जीन की बनावट हो या कुछ और। (रोमियों 7:21-25; 1 कुरिंथियों 9:27) इसके बजाय, बाइबल ऐसे लोगों को कुछ कारगर कदम उठाने को उकसाती है, ताकि वे समलैंगिकता के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत सकें।

समलैंगिक लोगों के लिए परमेश्‍वर की मरज़ी क्या है?

बाइबल बताती है कि परमेश्‍वर की मरज़ी है, “सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान हासिल करें।” (1 तीमुथियुस 2:4) हालाँकि बाइबल समलैंगिकता को गलत बताती है, मगर वह समलैंगिकों से नफरत करने को नहीं कहती।

समलैंगिकता के बारे में परमेश्‍वर का जो नज़रिया है, उसकी गंभीरता को कम नहीं किया जा सकता। पहला कुरिंथियों 6:9, 10 में बाइबल साफ-साफ बताती है कि जो लोग “[परमेश्‍वर के] राज के वारिस नहीं होंगे,” उनमें “पुरुषों के साथ संभोग करनेवाले पुरुष” भी शामिल हैं। लेकिन आयत 11 में एक दिलासा देनेवाली बात कही गयी है: “तुम में से कुछ लोग ऐसे ही थे। मगर परमेश्‍वर ने हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से और अपनी पवित्र शक्‍ति से तुम्हें धोकर शुद्ध किया, पवित्र कामों के लिए अलग किया और तुम्हें नेक करार दिया।”

इससे साफ पता चलता है कि पहली सदी में जिन लोगों ने सच्चे दिल से परमेश्‍वर की माँगों के मुताबिक उसकी उपासना की, मसीही मंडली ने उन्हें अपनाया। आज भी मसीही मंडली में उन नेकदिल लोगों का स्वागत किया जाता है जो परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने के लिए अपनी ज़िंदगी को बाइबल के स्तरों के मुताबिक ढालते हैं, न कि अपने हिसाब से बाइबल में फेरबदल करने की कोशिश करते हैं। (g12-E 01)

क्या आपने कभी सोचा है?

● समलैंगिकता के बारे में बाइबल का क्या नज़रिया है?—रोमियों 1:26, 27.

● क्या बाइबल समलैंगिकों के साथ भेदभाव करने का बढ़ावा देती है?—1 तीमुथियुस 2:4.

● क्या समलैंगिकों के लिए अपना चालचलन बदल पाना मुमकिन है?—1 कुरिंथियों 6:9-11.

[पेज 29 पर तसवीर]

क्या समलैंगिकता के बारे में बाइबल जो कहती है, उसे बदलने की ज़रूरत है?