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सोशल नेटवर्क—इसके इस्तेमाल के बारे में चार सवाल

सोशल नेटवर्क—इसके इस्तेमाल के बारे में चार सवाल

सोशल नेटवर्क—इसके इस्तेमाल के बारे में चार सवाल

इंटरनेट का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इन सभी के कुछ-न-कुछ खतरे ज़रूर हैं। सोशल नेटवर्क के बारे में भी यही बात सच है। * इस बात को ध्यान में रखते हुए आगे दिए सवालों पर गौर कीजिए।

1 क्या मेरी निजी जानकारी किसी के हाथ लगने का खतरा है?

“जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है।”—नीतिवचन 10:19.

आपको क्या मालूम होना चाहिए? अगर आप सावधान नहीं रहें, तो आप अपने पेज पर जो जानकारी और टिप्पणियाँ (दूसरों के स्टेटस अपडेट्‌स पर आपके विचार) लिखते हैं, जो तसवीरें लगाते हैं और जो स्टेटस अपडेट्‌स (आपके दोस्तों की सूची में शामिल सभी लोगों को भेजे गए छोटे-छोटे संदेश) पोस्ट करते हैं, उनसे लोगों को आपके बारे में ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी मिल सकती है। हो सकता है कि इन सबसे दूसरों को यह पता चल जाए कि आप कहाँ रहते हैं, कब घर पर होते हैं और कब नहीं, आप कहाँ काम करते हैं या कौन-से स्कूल में पढ़ते हैं। मान लीजिए, आपने अपने पेज पर एक छोटा-सा संदेश लिखा, “हम कल से छुट्टी पर जा रहे हैं।” एक चोर आपके प्रोफाइल पर आपका पता और यह संदेश पढ़कर बड़ी आसानी से तय कर सकता है कि उसे कब और कहाँ चोरी करनी है।

आपका ई-मेल पता, जन्म-तिथि या आपका फोन नंबर जैसी दूसरी जानकारी का इस्तेमाल करके कोई आपको परेशान कर सकता है, डरा-धमका सकता है या आपकी निजी जानकारी चुरा सकता है। पर हकीकत तो यह है कि बहुत-से लोग अपने सोशल नेटवर्क पेज पर ऐसी जानकारी डाल देते हैं।

लोग अकसर भूल जाते हैं कि एक बार वे इंटरनेट पर जो जानकारी दे देते हैं वह फिर निजी नहीं रहती, वह किसी के भी हाथ लग सकती है। हो सकता है कि उन्होंने ऐसी सैटिंग रखी हो कि उनके स्टेटस अपडेट्‌स “सिर्फ मित्रों” को मिलने चाहिए, लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनके “मित्र” वह जानकारी और किस-किस के साथ बाँटेंगे। इसलिए यह मान लेना सही होगा कि सोशल नेटवर्क पर आप जो भी जानकारी डालते हैं, वह किसी के भी हाथ लग सकती है या उसे कोई भी बड़ी आसानी से दूसरों के साथ बाँट सकता है।

आप क्या कर सकते हैं? आप जिस सोशल नेटवर्क साइट का इस्तेमाल करते हैं, उसकी गोपनीयता की सैटिंग से अच्छी तरह वाकिफ होइए और उनका इस्तेमाल कीजिए। ऐसी सैटिंग रखिए जिससे आपकी तसवीरें और स्टेटस अपडेट्‌स सिर्फ वे लोग देख सकें जिन्हें आप अच्छी तरह जानते हैं और जिन पर आपको भरोसा है।

याद रखिए कि इसके बावजूद भी आपने जो लिखा है, वह ऐसे लोगों तक पहुँच सकता है जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा। इसलिए समय-समय पर अपने पेज को जाँचिए और देखिए कि कहीं कोई उससे आपकी निजी जानकारी तो नहीं चुरा सकता या यह तो नहीं पता लगा सकता कि आप कहाँ रहते हैं। अपने दोस्तों के पेज पर भी कोई ऐसी बात मत लिखिए जिससे आपके बारे में या किसी और के बारे में कोई निजी जानकारी दूसरों को पता लगे। (नीतिवचन 11:13) अगर आप किसी को कोई गोपनीय जानकारी देना चाहते हैं, तो किसी और माध्यम का इस्तेमाल कीजिए। कैमरन नाम की एक लड़की कहती है, “फोन पर आप बेझिझक निजी बातें कर सकते हैं और यह खतरा भी नहीं रहता कि किसी और को इसके बारे में पता चल जाएगा।”

निचोड़ क्या है? किम नाम की एक लड़की कहती है: “अगर आप सोशल नेटवर्क पर जानकारी देते वक्‍त सावधानी बरतें, तो काफी हद तक अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रख पाएँगे। इसके इस्तेमाल से आपको परेशानी होगी या नहीं, यह आपके हाथ में है।”

2 क्या मेरा समय बरबाद होने का खतरा है?

‘पहचानो कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’—फिलिप्पियों 1:10.

आपको क्या मालूम होना चाहिए? सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करने में आपका काफी वक्‍त ज़ाया हो सकता है और यह ज़्यादा ज़रूरी कामों से आपका ध्यान भटका सकता है। केय नाम की एक लड़की कहती है, “आपके मित्रों की सूची में जितने ज़्यादा लोग होंगे उतना ही ज़्यादा वक्‍त आप सोशल नेटवर्क पर बिताएँगे और उतना ही ज़्यादा आपको इसकी लत पड़ जाएगी।” आइए कुछ ऐसे लोगों से सुनें जो एक वक्‍त पर इसके चंगुल में फँसे थे।

“अगर आपको सोशल नेटवर्क साइट पसंद न भी हो, तब भी इसका इस्तेमाल बंद करना बड़ा मुश्‍किल होता है। यह एक जुनून बन जाता है।”—एलीज़।

“सोशल नेटवर्क पर अपने सारे दोस्तों के प्रोफाइल पेज पढ़ने के अलावा और भी बहुत कुछ करने को है जैसे गैम्स खेलना, अपने मनपसंद गायकों के बारे में दिए पेज पढ़ना, अलग-अलग तरह के टेस्ट देना वगैरह।”—ब्लेन।

“एक बार आप इस भँवर में फँस जाते हैं तो आपको तब तक समय का होश नहीं रहता जब तक मम्मी घर आकर यह नहीं पूछती कि बर्तन अभी तक साफ क्यों नहीं किए।”—एनिलीस।

“मुझे स्कूल से घर पहुँचने की जल्दी रहती थी ताकि मैं यह देख सकूँ कि किसने मेरे पोस्ट पर क्या लिखा है। इसके बाद मुझे उन सभी लोगों को संदेश भेजना होता था और अगर उन्होंने कुछ नयी फोटो डाली हैं तो उन्हें देखना होता था। जब मैं इंटरनेट पर होती तो मैं चिड़चिड़ी-सी रहती थी और अगर उस वक्‍त कोई मुझसे कुछ कह देता तो मुझे बहुत गुस्सा आता था। मैं कुछ ऐसे लोगों को जानती हूँ जो हमेशा-ही सोशल नेटवर्क साइट से चिपके रहते हैं, फिर चाहे वे किसी के यहाँ पार्टी में हों या कितनी ही रात क्यों न हो गयी हो।”—मेगन।

आप क्या कर सकते हैं? समय बहुत कीमती है, एक बार यह हाथ से निकल जाए तो कुछ नहीं किया जा सकता। इसलिए क्यों न आप यह तय करें कि आप कितना समय कहाँ खर्च करेंगे और उसी के मुताबिक काम करें, जैसा कि आप पैसों के मामले में करते हैं? सबसे पहले यह लिखकर रखिए कि आपके हिसाब से सोशल नेटवर्क पर कितना समय बिताना सही होगा। फिर एक महीने तक देखिए कि आपने जो ठाना था, उसके मुताबिक काम किया या नहीं। अगर आपने सोशल नेटवर्क पर तय वक्‍त से ज़्यादा समय बिताया है, तो ज़रूरी फेरबदल कीजिए।

माता-पिताओ, अगर आपका बच्चा सोशल नेटवर्क पर हद-से-ज़्यादा समय बिता रहा है, तो पता करने की कोशिश कीजिए कि इसके पीछे कोई खास वजह तो नहीं। नेन्सी ई. विल्लर्ड अपनी किताब साइबर-सेफ किड्‌स, साइबर-सैवी टीन्स में कहती हैं कि कुछ बच्चे शायद तनाव, चिंता और आत्म विश्‍वास की कमी की वजह से सोशल नेटवर्क का हद-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं। वे लिखती हैं: “कई नौजवानों को इस बात की बड़ी फिक्र रहती है कि उनके साथी उन्हें किस नज़र से देखते हैं। अगर उन्हें लगता है कि सोशल नेटवर्क पर उनके जितने ज़्यादा दोस्त होंगे, उतना ही ज़्यादा उनके साथियों के बीच उनका नाम होगा, तो उन्हें इसकी लत पड़ सकती है।”

किसी और के मुकाबले घरवालों के साथ आपकी दोस्ती ज़्यादा मायने रखती है। इसलिए सोशल नेटवर्क या इंटरनेट के किसी और इस्तेमाल की वजह से अपने घरवालों से दूर मत होइए। ग्रोन अप डिजिटल नाम की किताब के लेखक डोन टैपस्कॉट कहते हैं: “अजीब बात है कि जब परिवार के सदस्य दूर होते हैं, तो इंटरनेट उनसे बात करना आसान बना देता है। लेकिन जब वे आपके पास होते हैं तो यही इंटरनेट आपको उनसे दूर कर देता है।”

निचोड़ क्या है? एमेली नाम की एक लड़की कहती है: “मेरे हिसाब से सोशल नेटवर्क, लोगों के साथ जुड़े रहने का एक बढ़िया तरीका है। लेकिन कई और चीज़ों की तरह इसका इस्तेमाल भी हद में किया जाना चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि इसे कब बंद करना है।”

3 क्या मेरा नाम खराब होने का खतरा है?

“अपार सम्पत्ति की अपेक्षा सुयश श्रेष्ठ है। चाँदी-सोने की अपेक्षा सम्मान अच्छा है।”—नीतिवचन 22:1, वाल्द-बुल्के अनुवाद।

आपको क्या मालूम होना चाहिए? आप सोशल नेटवर्क साइट पर जो भी लिखते हैं उससे आप अपने लिए एक ऐसा नाम बना रहे होते हैं जिसे बदलना बहुत मुश्‍किल हो सकता है। (नीतिवचन 20:11; मत्ती 7:17) लेकिन अफसोस, कई लोग इस खतरे से अनजान हैं। राकेल नाम की एक लड़की कहती है, “ऐसा लगता है, जब लोग सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं तो वे सोचना-समझना ही छोड़ देते हैं। वे ऐसी-ऐसी बातें लिख देते हैं जिन्हें शायद वे आम तौर पर ज़ुबान पर भी न लाएँ। कुछ लोग समझ ही नहीं पाते कि उनका एक गलत पोस्ट उनके अच्छे-खासे नाम को मिट्टी में मिला सकता है।”

सोशल नेटवर्क पर एक बार आपका नाम खराब हो गया, तो इसके अंजाम आपको काफी लंबे समय तक भुगतने पड़ सकते हैं। ग्रोन अप डिजिटल किताब कहती है: “ढेरों किस्से हैं जिनमें लोगों ने अपने सोशल नेटवर्क पेज पर कुछ ऐसा लिख दिया, जिस वजह से या तो उनकी नौकरी चली गयी या फिर उन्हें नयी नौकरी मिलने में काफी दिक्कत आयी।”

आप क्या कर सकते हैं? अपने सोशल नेटवर्क पेज को दूसरों की नज़र से देखने की कोशिश कीजिए। फिर खुद से पूछिए: ‘क्या मैं लोगों के बीच यही पहचान बनाना चाहता हूँ? पेज पर मेरी तसवीरें देखकर लोग मुझे क्या कहेंगे? “दिल-फेंक आशिक”? “सेक्सी”? या “पार्टियों का दीवाना”? क्या मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे ऐसा ही समझें? मिसाल के लिए, अगर आगे चलकर मैं कहीं नौकरी के लिए अर्ज़ी देता हूँ, तो वे लोग मेरा पेज देखकर मेरे बारे में क्या सोचेंगे? क्या मेरी इन तसवीरों से मेरे उसूल झलकते हैं?’

अगर आप जवान हैं, तो खुद से पूछिए: ‘मेरे माँ-बाप, मेरे टीचर या कोई और जिनकी मैं इज़्ज़त करता हूँ, अगर मेरा पेज देख लें तो? क्या मैं शर्म से पानी-पानी हो जाऊँगा?’

निचोड़ क्या है? आप जो भी करेंगे उसका असर आपके नाम पर पड़ेगा। प्रेषित पौलुस के शब्दों को याद रखिए: “जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।”—गलातियों 6:7, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

4 क्या बुरी सोहबत में पड़ने का खतरा है?

“बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।”—नीतिवचन 13:20.

आपको क्या मालूम होना चाहिए? आप कैसी सोच रखते हैं और किस तरह के काम करते हैं, इस पर आपके दोस्तों का काफी हद तक असर होता है। (1 कुरिंथियों 15:33) इसलिए समझदारी इसी में है कि आप सोशल नेटवर्क पर सोच-समझकर दोस्त बनाएँ। कुछ लोग दोस्त बनने के सैकड़ों न्यौते कबूल कर लेते हैं, वह भी ऐसे लोगों के, जिन्हें वे न के बराबर जानते हैं या जानते ही नहीं। इनमें से कइयों को बाद में जाकर एहसास होता है कि उनके दोस्तों की सूची में शामिल सभी लोग, अच्छे नहीं हैं। देखिए कि कुछ लोगों का क्या कहना है:

“अगर एक इंसान सोशल नेटवर्क पर हर ऐरे-गैरे का न्यौता कबूल कर लेता है, तो वह ज़रूर मुसीबत में फँसेगा।”—एनिलीस।

“मैं कई लोगों को जानती हूँ जो ऐसे लोगों के दोस्त बनने का न्यौता भी कबूल कर लेते हैं, जिनके दोस्त वे असल में बनना नहीं चाहते। वे कहते हैं कि किसी का न्यौता ठुकराकर वे उसके दिल को ठेस नहीं पहुँचाना चाहते।”—लीएन।

“सोशल नेटवर्क पर दोस्ती करना, असल ज़िंदगी में दोस्ती करने जैसा ही है। आपको बहुत सोच-समझकर अपने दोस्त चुनने चाहिए।”—अलैक्सिस।

आप क्या कर सकते हैं? ‘दोस्त बनाने की नीति’ ठहराइए। मिसाल के लिए, कुछ लोगों ने दोस्ती करने के मामले में अपने लिए कुछ नियम बनाए हैं।

“मैं उन्हीं लोगों को अपना दोस्त बनाती हूँ जिन्हें मैं सिर्फ पहचानती नहीं, बल्कि अच्छी तरह जानती भी हूँ।”—जीन।

“मैं सिर्फ उन लोगों को अपने दोस्तों की सूची में शामिल करती हूँ जिन्हें मैं लंबे समय से जानती हूँ। मैं कभी-भी अजनबियों से दोस्ती नहीं करती।”—मोनीक।

“मैं उन्हीं को अपने दोस्तों की सूची में शामिल करना पसंद करती हूँ, जिनसे मेरी अच्छी जान-पहचान है और जो मेरे जैसे उसूलों पर चलते हैं।”—रेय।

“सीधी-सी बात है, सोशल नेटवर्क पर अगर कोई अजनबी मुझे दोस्त बनने का न्यौता भेजता है, तो मैं उसे कबूल नहीं करती। मेरे दोस्तों की सूची में वही लोग हैं जिन्हें मैं अच्छी तरह जानती हूँ और जिनके साथ असल ज़िंदगी में भी मेरी दोस्ती है।”—मेरी।

“अगर मेरा कोई दोस्त अपने पेज पर ऐसी तसवीरें लगाता है या ऐसा कुछ लिखता है, जो मेरे हिसाब से ठीक नहीं, तो मैं उसे अपने दोस्तों की सूची से हटाने में ज़रा भी नहीं झिझकती। ऐसे लोगों के पोस्ट पढ़ना भी बुरी संगति करने जैसा है।”—किम।

“जब सोशल नेटवर्क साइट पर मेरा खाता था, तो मैंने गोपनीयता की सैटिंग काफी कड़ी कर रखी थी। सिर्फ वे लोग मेरी तसवीरें देख सकते थे या मेरे पोस्ट पढ़ सकते थे जो मेरे दोस्तों की सूची में थे। मेरे दोस्तों के दोस्तों को मेरा पेज देखने की इजाज़त नहीं थी, क्योंकि मुझे पता नहीं था कि उनके साथ दोस्ती करना सही है या नहीं। मैं उन्हें नहीं जानती थी। मुझे नहीं पता था कि लोगों के बीच उनका कैसा नाम है।”—हेदर।

निचोड़ क्या है? डॉ. ग्वेन शुरगन ओकीफ अपनी किताब साइबरसेफ में कहती हैं: “सबसे अच्छा है कि आप सिर्फ उन लोगों को अपना दोस्त बनाएँ जिन्हें आप जानते हैं और जो असल ज़िंदगी में भी आपके दोस्त हैं।” * (g12-E 02)

[फुटनोट]

^ सजग होइए! किसी भी सोशल नेटवर्क साइट के इस्तेमाल को न तो बढ़ावा देती है ना ही उसे गलत ठहराती है। मसीहियों को ध्यान रखना चाहिए कि वे इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्‍त बाइबल के सिद्धांतों के खिलाफ न जाएँ।—1 तीमुथियुस 1:5, 19.

^ सोशल नेटवर्क के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए जनवरी-मार्च 2012 की सजग होइए! के पेज 14-21 देखिए।

[पेज 31 पर बक्स]

साइन आउट कीजिए!

अगर आप सोशल नेटवर्क पर अपने खाते में कुछ करते-करते बिना साइन आउट किए ही चले जाते हैं, तो यह एक बहुत बड़ा खतरा हो सकता है। क्योंकि कोई दूसरा आकर आपके पेज पर कुछ भी लिख सकता है। एक वकील, रोबर्ट विलसन का कहना है कि साइन आउट न करना, “किसी सार्वजनिक स्थान पर अपने मोबाइल या बटुए को छोड़ देने जैसा है।” वे क्या सलाह देते हैं? “साइन आउट करना मत भूलिए।”

[पेज 31 पर बक्स]

खतरे को बुलावा?

उपभोक्‍ता रिपोर्ट (अँग्रेज़ी) पत्रिका ने एक सर्वे लिया जिससे पता चला कि सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करनेवाले अपने पेज पर कुछ ऐसी जानकारी दे देते हैं जिससे हो सकता है “उनके घर चोरी हो जाए, उनकी निजी जानकारी चुरा ली जाए या उनका पीछा किया जाए।” जिन लोगों का सर्वे लिया गया, उनमें से “पंद्रह प्रतिशत लोगों ने अपने पेज पर यह जानकारी दी थी कि अभी वे कहाँ रहते हैं या वे कहाँ घूमने जाने की सोच रहे हैं; 34 प्रतिशत ने अपनी पूरी जन्म-तिथि दी थी और जिन लोगों के छोटे बच्चे हैं उनमें से 21 प्रतिशत लोगों ने अपने बच्चों के नाम और उनकी फोटो डाल रखी थीं।”