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क्या हम सिर्फ दोस्त हैं या कुछ और? भाग 2

क्या हम सिर्फ दोस्त हैं या कुछ और? भाग 2

नौजवान पूछते हैं

क्या हम सिर्फ दोस्त हैं या कुछ और? भाग 2

पिछले लेख में हमने ज़िंदगी की दो सच्चाइयों पर गौर किया था।

● अगर आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं मगर किसी से दिल लगा बैठते हैं, तो आप दोनों में से किसी एक को चोट ज़रूर पहुँचेगी।—नीतिवचन 6:27.

● अगर आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं मगर किसी से दिल लगा बैठते हैं, तो आप एक अच्छी दोस्ती खो सकते हैं।—नीतिवचन 18:24.

इस लेख में हम देखेंगे

● किसी से दिल लगा बैठने का तीसरा अंजाम क्या हो सकता है

● आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ आपकी दोस्ती चाहत में बदल गयी है

ज़िंदगी की सच्चाई: अगर आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं मगर किसी से दिल लगा बैठते हैं, तो इससे आपका नाम खराब हो सकता है। मिताली * कहती है: “मैंने ऐसे कई लड़कों को देखा है जो बहुत-सी लड़कियों के साथ दोस्ती रखते हैं। असल में वे बस दिलफेंक होते हैं। लड़की को लगता है कि लड़का उसमें दिलचस्पी ले रहा है, लेकिन लड़के को तो इस बात में मज़ा आता है कि लड़कियाँ उस पर मरती रहें।”

सोचिए:

● चाहे आप लड़का हों या लड़की, अगर आप विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति से नज़दीकियाँ बढ़ा लेते हैं तो इसका आपके नाम पर क्या असर होगा?

“विपरीत लिंग के व्यक्‍ति को मैसेज भेजने में एक बड़ा खतरा होता है। शुरूआत में आप बस एक व्यक्‍ति को एक छोटा-सा मैसेज भेजते हैं, लेकिन जल्द ही आप कई लोगों को लंबे-लंबे मैसेज भेजने लगते हैं। आपको पता भी नहीं चलता और आप तीन-तीन लड़कों के साथ डेटिंग करने लगते हैं। हर लड़का सोचता है कि आपके दिल में उसकी ‘खास जगह’ है और आप उसे अच्छी तरह जानने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जब उन्हें सच्चाई पता चलती है, तो उनका दिल टूट जाता है और आप बदनाम हो जाते हैं कि आप एक फ्लर्ट हैं।”—लारा।

बाइबल कहती है: “लड़का [या लड़की] भी अपने कामों से पहिचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, वा नहीं।”—नीतिवचन 20:11.

सौ बात की एक बात: लड़के-लड़कियों का एक-दूसरे से मिलना-जुलना गलत नहीं है। लेकिन अगर आप हदें तय नहीं करते, तो आप खुद को दुख पहुँचाएँगे, अच्छी-खासी दोस्ती खो बैठेंगे और अपना नाम भी खराब कर लेंगे।

आप यह कैसे पता कर सकते हैं कि आपकी दोस्ती चाहत में बदल गयी है? एक तरीका है खुद से पूछना, ‘क्या मैं अपने दिल की सारी बातें विपरीत लिंग के किसी एक दोस्त को ही बताता हूँ?’ एरिन नाम की एक लड़की कहती है, “अगर किसी लड़के के साथ आपका रिश्‍ता सिर्फ दोस्ती का है, तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप रोज़ सबसे पहले उससे बात करें या कोई भी बड़ी खबर हो तो सबसे पहले उसे बताएँ। अगर कभी आप दुखी या परेशान हैं, तो उस वक्‍त आपको उसका सहारा नहीं लेना चाहिए।”

सोचिए:

● क्यों आपको लग सकता है कि विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति को अपने दिल की सारी बातें बताना ज़्यादा अच्छा है? लेकिन इसके क्या खतरे हो सकते हैं?

“मैं जिन लड़कों को जानती हूँ वे मेरे सबसे करीबी दोस्त नहीं हैं। मैं उनके साथ घंटों फोन पर बात नहीं करती, जैसे मैं अपनी सहेलियों के साथ करती हूँ। कुछ मामलों पर तो मैं लड़कों से बिलकुल बात नहीं करती।”—रीना।

बाइबल कहती है: “ध्यान रखो कि तुम क्या कहते हो . . . जो बिना सोचे-समझे बोलता है वह अपनी बरबादी का कारण बनता है।”—नीतिवचन 13:3, गुड न्यूज़ ट्रांस्लेशन।

गौर कीजिए: क्या विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति को अपने बारे में सारी बातें बताने के कुछ खतरे हो सकते हैं? अगर आगे चलकर आपकी दोस्ती टूट जाती है, तब क्या आपको अफसोस होगा कि आपने उसे अपने बारे में इतना सब क्यों बताया?

सोलह साल की अनुष्का कहती है, “किसी से सिर्फ इस वजह से कटे-कटे मत रहिए कि वह विपरीत लिंग का है। दूसरी तरफ अगर आप किसी को चाहने लगे हैं तो खुद से झूठ मत बोलिए कि आप दोनों बस दोस्त हैं। अपनी भावनाओं को काबू में रखिए, इस तरह आप दर्द से बचे रह पाएँगे।” (g12-E 07)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.pr418.com पर उपलब्ध हैं

[फुटनोट]

^ इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 25 पर बक्स]

सच्ची कहानी: “एक लड़के और मेरे बीच अच्छी दोस्ती थी। लेकिन फिर मैंने गौर किया कि हमारी बातचीत ज़्यादा लंबी और निजी विषयों पर होने लगी। वह मुझे अपनी हर बात, हर परेशानी बताता था। इससे मुझे एहसास हुआ कि हम एक-दूसरे के कुछ ज़्यादा ही करीब आ रहे हैं। फिर एक दिन उसने मुझे ई-मेल किया और कहा कि वह मुझे चाहने लगा है। मुझे समझ नहीं आया कि उसे क्या जवाब दूँ। एक बार को तो बहुत अच्छा लगा। जब कोई हमें खास समझने लगता है तो हम सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं। लेकिन फिर मुझे चिंता होने लगी। मैं समझ गयी कि अब हम ‘सिर्फ दोस्त’ नहीं रह सकते, क्योंकि वह मुझे चाहने लगा है। मैं जानती थी कि अगर मैंने उससे कहा कि अभी हमारी उम्र प्यार-मुहब्बत की नहीं है, तो उसे बहुत बुरा लगेगा। मैंने सबकुछ अपने मम्मी-पापा को बता दिया। उन्होंने मुझे समझाया कि यह कितना ज़रूरी है कि मैं उस लड़के के साथ अपनी बातचीत कम कर दूँ। इस अनुभव से मुझे पता चला कि दोस्ती कितनी जल्दी प्यार में बदल सकती है। इसलिए तब से मैं एक हद में रहकर लड़कों से दोस्ती करती हूँ और उन्हें मैसेज भेजते वक्‍त खास सावधानी बरतती हूँ। मैंने यह भी पाया है कि अगर लड़का-लड़की अकेले में समय बिताने के बजाय दोस्तों के संग रहें तो अच्छा होगा। इससे उनकी बातचीत निजी विषयों पर नहीं होगी और वे एक-दूसरे के करीब आने से बचेंगे।”—एलेना।

[पेज 26 पर बक्स]

क्यों न अपने माता-पिता से पूछें?

इस लेख में आपको जिन सवालों पर सोचने के लिए कहा गया है, उनके बारे में अपने माता-पिता से पूछिए। क्या उनके विचार आपके विचारों से अलग हैं? अगर हाँ, तो किस तरह? उनकी सोच अपनाने में आपको क्या फायदा नज़र आता है?—नीतिवचन 1:8.

[पेज 26 पर बक्स/तसवीरें]

आपके हमउम्र क्या कहते हैं

आन्ड्रे—आप एक लड़की के साथ जितना ज़्यादा समय बिताएँगे, उतना ज़्यादा आप दोनों के दिल में एक-दूसरे के लिए चाहत बढ़ने लगेगी और लड़की को लगने लगेगा कि आप उससे प्यार करते हैं। अगर फिलहाल आपका शादी का कोई इरादा नहीं है और आपने अपनी ज़िंदगी में कुछ लक्ष्य रखे हैं, तो किसी लड़की को ऐसा बिलकुल मत महसूस होने दीजिए कि आपको उसमें दिलचस्पी है।

केसिडी—मैं लोगों से आसानी से दोस्ती कर लेती हूँ। मेरे नाते-रिश्‍तेदारों में ज़्यादातर लड़के हैं और बचपन से ही लड़कों से मेरी दोस्ती रही है। इसलिए उनके बीच मैं कोई हिचक नहीं महसूस करती, जो कि हमेशा अच्छी बात नहीं है। मैं किसी लड़के के साथ उस तरह पेश नहीं आती जिस तरह मैं अपनी सहेली के साथ पेश आती हूँ क्योंकि इससे लड़के को गलतफहमी हो सकती है। मैं लड़कों को अपना भाई समझकर उनके साथ व्यवहार करती हूँ।

[पेज 27 पर बक्स]

माता-पिता के लिए एक पैगाम

लड़के-लड़कियों का सही माहौल में एक-दूसरे से मिलना गलत नहीं है। लेकिन जो लड़के-लड़कियाँ शादी की ज़िम्मेदारी उठाने के लायक नहीं हैं, उन्हें विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ दोस्ती करते वक्‍त कुछ हदें तय करने की ज़रूरत है। * उन्हें अपना रिश्‍ता दोस्ती तक ही सीमित रखना चाहिए।

अगर दो लोग शादी के लिए तैयार नहीं हैं और वे एक-दूसरे से दिल लगा बैठते हैं, तो इसका क्या अंजाम हो सकता है? शुरू-शुरू में शायद वे ख्वाबों की दुनिया में खो जाएँ, लेकिन जल्द ही वे हकीकत में लौट आते हैं। उन्हें एक-दूसरे का साथ खलने लगता है। यह एक ऐसी कार में बैठने के बराबर है, जिसमें पहिए नहीं हैं। आज नहीं तो कल, दोनों को एहसास हो जाएगा कि उनका रिश्‍ता आगे नहीं बढ़नेवाला। कुछ लड़के-लड़कियाँ ऐसे भी हैं जो चोरी-छिपे मिलते हैं। इस तरह वे कई मुसीबतों को दावत देते हैं। इसके अलावा, कुछ लड़के-लड़कियाँ अपना रिश्‍ता तोड़ देते हैं। ऐसे हालात में दोनों को लग सकता है कि उन्हें धोखा दिया गया है, उनके दिल को चोट पहुँचती है और शायद वे निराश हो जाएँ। आप अपने किशोर बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वह प्यार के चक्कर में न पड़े?—सभोपदेशक 11:10.

सबसे ज़रूरी है कि आप दोनों के बीच खुलकर बातचीत हो। उसे यह बताने का बढ़ावा दीजिए कि विपरीत लिंग के किन लोगों के साथ उसकी दोस्ती है। इस तरह आपको पता रहेगा कि कहीं उसकी दोस्ती प्यार में बदलने तो नहीं लगी है। और अगर ऐसा हो रहा है, तो आप अपने बच्चे की मदद कर पाएँगे।

कुछ माता-पिता अनजाने में बातचीत का दरवाज़ा बंद कर देते हैं और यह जानने की कोशिश नहीं करते कि विपरीत लिंग के किन लोगों से उनके बच्चे की दोस्ती है। गौर कीजिए कि कुछ जवानों ने सजग होइए! को क्या बताया।

“मैं हमेशा मम्मी को बताना चाहती थी कि मैं किस लड़के को पसंद करने लगी हूँ। लेकिन मैं डरती थी कि कहीं यह सुनते ही वे मुझ पर बरस न पड़ें।”—चित्रा।

“जब मैं अपनी मम्मी को बताती थी कि मैं एक लड़के को चाहने लगी हूँ, तो वे मुझसे कहतीं, ‘यह उम्मीद मत करना कि मैं तुम्हारी शादी में आऊँगी!’ उन्होंने एक बार भी यह नहीं कहा, ‘अच्छा, मुझे अपने इस दोस्त के बारे में बताओ। तुम्हें उसकी क्या बात अच्छी लगती है?’ अगर उन्होंने ऐसे सवाल किए होते, तो शायद मैं उनकी सलाह पर ज़्यादा अच्छी तरह ध्यान देती।”—निशा।

इसके उलट गौर कीजिए कि जब माता-पिता सब्र से अपने बच्चे की बात सुनते हैं और फिर उन्हें कारगर सलाह देते हैं, तो बच्चों पर क्या असर होता है।

“जब मैंने मम्मी-पापा को बताया कि मैं एक लड़के को चाहने लगी हूँ, तो वे मुझ पर बिलकुल भी गुस्सा नहीं हुए। मुझे जिस सलाह की ज़रूरत थी उन्होंने मुझे दी, साथ ही मेरी भावनाओं को भी समझा। इस वजह से मैं उनकी सलाह आसानी से कबूल कर पाती हूँ और अपने दिल की बात खुलकर उन्हें बता पाती हूँ।”—सेलीना।

“एक बार मम्मी-पापा ने मुझे बताया कि वे अपनी जवानी में किसे पसंद करते थे और यह भी कि क्यों किसी के साथ उनका रिश्‍ता आगे नहीं बढ़ पाया। इससे मैं समझ गयी कि अगर मैं किसी को पसंद करती हूँ तो उन्हें इस बारे में खुलकर बता सकती हूँ।”—लिनेट।

यह भी समझिए कि कभी-कभी कम उम्र में प्यार कर बैठने की कुछ और वजह होती हैं।

“एक बार मैं एक लड़के से चोरी-छिपे मिलने लगी थी, क्योंकि वह मेरी खुशी का ध्यान रखता था और मेरी बातें बड़े गौर से सुनता था।”—आभा।

“मुझे एक लड़के का साथ बहुत अच्छा लगता था क्योंकि वह मुझे बहुत खास महसूस कराता था। और यही मेरी कमज़ोरी है कि जब सबका ध्यान मुझ पर होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है, फिर चाहे उनका इरादा नेक हो या बुरा।”—एमी।

“जब मम्मी-पापा मुझे सच्ची-सच्ची बताते हैं कि मैं सुंदर लग रही हूँ या फलाँ ड्रेस में मैं बहुत अच्छी दिख रही हूँ, तो फिर मुझे किसी लड़के से तारीफ सुनने की ललक नहीं रहती।”—कैरन।

खुद से पूछिए:

मैं ऐसा क्या कर सकता हूँ ताकि मेरा किशोर बच्चा बेझिझक मुझसे बात कर सके?—फिलिप्पियों 4:5.

क्या मैं ‘सुनने में फुर्ती और बोलने में सब्र’ दिखाता हूँ?—याकूब 1:19.

मैं ऐसा क्या कर सकता हूँ ताकि मेरा बच्चा प्यार और मंज़ूरी पाने के लिए बाहर के लोगों के पास न जाए?—कुलुस्सियों 3:21.

सौ बात की एक बात: अपने किशोर बच्चे को यह सीखने में मदद दीजिए कि वह विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ अपनी दोस्ती को सही हद में कैसे रख सकता है। यह एक ऐसा हुनर है जो बड़े होने पर भी उसके काम आएगा।—कुलुस्सियों 3:5; 1 थिस्सलुनीकियों 4:3-6.

[फुटनोट]

^ पिछले दो लेख देखिए।

[पेज 25 पर चार्ट]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

हदें तय करना

क्या करना सही है क्या करना गलत है

✔ दूसरे लोगों की मौजूदगी में मिलना  X एक ही व्यक्‍ति के साथ समय बिताना

✔ जान-पहचान बढ़ाना  X दिल की सारी बातें बताना

✔ बातचीत का मज़ा लेना  X इश्‍कबाज़ी करना

[पेज 26 पर रेखाचित्र]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

मिलना-जुलना

इश्‍कबाज़ी करना

छूना

हाथ पकड़ना

चूमना