इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

गम से गुज़र रहे बच्चों के लिए मदद

गम से गुज़र रहे बच्चों के लिए मदद

गम से गुज़र रहे बच्चों के लिए मदद

किसी भी व्यक्‍ति को उसके अज़ीज़ की मौत की खबर देना मुश्‍किल है। और एक बच्चे को इस बारे में बताना तो उससे भी ज़्यादा मुश्‍किल है।

कई बच्चों को जब पता चलता है कि उनके परिवार का कोई सदस्य या कोई दोस्त मर गया है, तो वे समझ नहीं पाते कि आखिर क्या हुआ है। और कुछ बच्चे बहुत डर जाते हैं। ऐसे समय में एक बच्चे की मदद करना आसान नहीं होता। खासकर उन माता-पिताओं के लिए जो खुद शोक मना रहे होते हैं और जिन्हें दिलासे की ज़रूरत होती है।

कुछ माता-पिता नहीं चाहते कि उनके बच्चों को सदमा पहुँचे, इसलिए वे उनसे कहते हैं कि हमारा अज़ीज़ हमें छोड़कर दूर चला गया है। मगर ऐसी बातें कहकर हम बच्चों से सच्चाई छिपा रहे होते हैं। तो फिर, हम कैसे बच्चे को मौत के बारे में समझा सकते हैं?

रेनाटू और ईज़ाबेली के सामने ऐसी ही एक मुश्‍किल खड़ी हो गयी थी। जब उनकी साढ़े तीन साल की बेटी निकोल की मौत हो गयी, तब उन्हें अपने बेटे फीलिपी को इस गम से उबरने में मदद देनी पड़ी। उस वक्‍त फीलिपी सिर्फ पाँच साल का था।

सजग होइए!: आपने फीलिपी को निकोल की मौत के बारे में कैसे समझाया?

ईज़ाबेली: हमने फीलिपी को सबकुछ सच-सच बताया, उससे कोई बात नहीं छिपायी। हमने उससे कहा कि वह हमसे जो चाहे पूछ सकता है और यही कोशिश की कि उसके सवालों के जवाब इस तरह से दें जो उस उम्र का बच्चा आसानी से समझ जाए। निकोल की मौत जीवाणुओं से होनेवाले संक्रमण से हुई थी, इसलिए हमने फीलिपी से कहा कि एक छोटा-सा कीड़ा निकोल के शरीर में घुस गया था जिसे डॉक्टर मार नहीं पाए।

सजग होइए!: आपका धर्म मौत के बारे में जो सिखाता है, क्या उस बारे में आपने फीलिपी को बताया?

रेनाटू: हम यहोवा के साक्षी हैं और बाइबल पर विश्‍वास करते हैं। बाइबल साफ-साफ बताती है कि मरे हुए कुछ भी नहीं जानते। (सभोपदेशक 9:5) इसलिए हमें लगा कि बाइबल पर आधारित अपने विश्‍वास के बारे में फीलिपी को बताने से उसे दिलासा मिलेगा। इससे उसके सारे डर दूर हो जाएँगे और वह रात को अकेले सोने से भी नहीं घबराएगा।

ईज़ाबेली: बाइबल यह भी सिखाती है कि जो लोग मर गए हैं उन्हें दोबारा फिरदौस में ज़िंदा किया जाएगा। इस आशा पर हमें पूरा यकीन है और हमने सोचा कि इस बारे में फीलिपी को बताने से उसे भी मदद मिलेगी। इसलिए हम उसके साथ बाइबल से चर्चा करने लगे। हमने फीलिपी को उस घटना के बारे में बताया जब यीशु ने याइर नाम के आदमी की 12 साल की बेटी को दोबारा ज़िंदा किया था। फिर हमने उसे समझाया कि निकोल को भी दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। बाइबल यही सिखाती है।—मरकुस 5:22-24, 35-42; यूहन्‍ना 5:28, 29.

सजग होइए!: क्या आपको लगता है कि फीलिपी ये सारी बातें समझ पाया होगा?

रेनाटू: हाँ, ज़रूर। देखा गया है कि जब बच्चों को मौत के बारे में साफ-साफ, सरल और सही जानकारी दी जाती है तो वे बड़ों से भी ज़्यादा अच्छी तरह ऐसे हालात का सामना कर पाते हैं। इसलिए उनसे कुछ छिपाने की ज़रूरत नहीं। मौत एक सच्चाई है और अफसोस! आज भी हम इंसानों को इससे रू-ब-रू होना पड़ता है। इसलिए माता-पिताओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को इस तरह के हालात का सामना करना सिखाएँ, जैसे हमने फीलिपी को और बाद में अपने छोटे बेटे वीनीसियस को सिखाया। *

सजग होइए!: क्या आप फीलिपी को अंत्येष्टि में ले गए थे?

रेनाटू: हमने इस बारे में बहुत सोचा और फिर तय किया कि हम उसे नहीं ले जाएँगे। उसकी उम्र के बच्चे जो देखते-सुनते हैं उसका उन पर गहरा असर होता है। लेकिन कुछ माता-पिता शायद अपने बच्चे को साथ ले जाने का फैसला करें। हर बच्चा अलग होता है, कुछ आसानी से हालात समझ जाते हैं तो कुछ को वक्‍त लगता है। अगर माँ-बाप अपने बच्चे को अंत्येष्टि में ले जाने का फैसला करते हैं तो अच्छा होगा कि वे उसे पहले से बता दें कि वहाँ क्या-क्या होगा।

सजग होइए!: निकोल की मौत से ज़रूर आप भी टूट गए होंगे। क्या आपको इस बात की चिंता होती थी कि अगर आपके बेटे ने आपको रोते हुए देख लिया तो उस पर क्या बीतेगी?

ईज़ाबेली: हमने कभी-भी फीलिपी से अपनी भावनाएँ छिपाने की कोशिश नहीं की। जब अपने दोस्त की मौत पर यीशु के “आंसू बहने लगे,” तो हम भी रो सकते हैं। (यूहन्‍ना 11:35, 36) और जब फीलिपी ने हमें रोते हुए देखा, तो यह एक तरह से सही भी था। इससे वह समझ पाया कि अपना दुख ज़ाहिर करने के लिए रोना गलत नहीं है। आंसू बहाना अपनी भावनाओं को ज़ाहिर करने का एक तरीका है। हम चाहते थे कि फीलिपी भी अपनी भावनाएँ खुलकर ज़ाहिर करना सीखे, न कि उन्हें अपने अंदर दबाकर रखे।

रेनाटू: जब परिवार पर कोई कहर टूटता है तो बच्चे सहम जाते हैं। उन्हें बुरे-बुरे खयाल आने लगते हैं। इसलिए अगर माता-पिता खुलकर अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करें, तो बच्चे भी अपने डर और चिंताओं के बारे में उन्हें बताना सीखेंगे। उस वक्‍त उनकी ध्यान से सुनिए, तभी आप उनकी हिम्मत बँधा पाएँगे और उनका डर दूर कर पाएँगे।

सजग होइए!: क्या दूसरों ने आपकी मदद की?

रेनाटू: जी हाँ, हमारी मंडली के भाई-बहनों ने हमें बहुत मदद दी। वे हमसे मिलने आते थे, फोन करते थे और कार्ड भेजते थे। यह सब देखकर फीलिपी जान पाया कि वे हमसे कितना प्यार करते हैं और हमारी कितनी परवाह करते हैं।

ईज़ाबेली: परिवार के लोगों ने भी हमारी बहुत मदद की। निकोल की मौत के बाद, मेरे पिताजी हर सुबह नाश्‍ते के लिए हमारे घर आने लगे। इसके पीछे उनका प्यार छिपा था और वे हमें सहारा देना चाहते थे। अपने नाना का साथ पाकर फीलिपी को भी अपने गम से उबरने में मदद मिली।

रेनाटू: मसीही सभाओं से हमें जो हौसला मिला उसकी तुलना किसी भी चीज़ से नहीं की जा सकती। सभाओं में कई बार निकोल की यादें ताज़ा हो जाती थीं और तब हमारे लिए अपने आंसुओं को रोकना बहुत मुश्‍किल होता था। फिर भी हम हर सभा में हाज़िर होने की कोशिश करते थे। हमें पता था कि फीलिपी की खातिर हमें खुद को सँभालना होगा। (g12-E 07)

[फुटनोट]

^ ज़्यादा जानकारी के लिए 1 जुलाई, 2008 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) के पेज 18-20 पर दिया लेख, “अपने बच्चे को मौत के गम से उबरने में मदद दीजिए” और जब आपका कोई अपना मर जाए ब्रोशर देखिए, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 31 पर बक्स/तसवीर]

नीचे दी किताबों से उन लोगों को दिलासा मिल सकता है जिनके अज़ीज़ की मौत हो गयी है। इन्हें यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

बड़ों के लिए:

बाइबल असल में क्या सिखाती है?

अध्याय 6: मरे हुए कहाँ हैं?

अध्याय 7: मौत की नींद सो रहे आपके अपनों के लिए सच्ची आशा

छोटे बच्चों के लिए:

बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब

कहानी 92: यीशु ने मरे हुओं को ज़िंदा किया

9-12 साल के बच्चों के लिए:

महान शिक्षक से सीखिए

अध्याय 34: मरने पर हमारा क्या होता है?

अध्याय 35: हम मौत की नींद से जाग सकते हैं!

अध्याय 36: किन्हें ज़िंदा किया जाएगा और वे कहाँ रहेंगे?

किशोरों के लिए:

Questions young people ask answers that work VOLUME 1

अध्याय 16: क्या मेरा शोक मनाने का तरीका गलत है?

[पेज 31 पर बक्स/तसवीर]

कैसे मदद करें

● अपने बच्चे को सवाल पूछने का बढ़ावा दीजिए। मौत से जुड़े उसके सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार रहिए। जब भी वह मौत के बारे में बात करना चाहे तो उससे बात कीजिए।

● ऐसे शब्दों का इस्तेमाल मत कीजिए जिससे बच्चे को समझ में न आए कि मौत क्या होती है। मसलन, जिसकी मौत हो गयी है उसके बारे में यह मत कहिए कि वह “हमें छोड़कर चला गया है” या “कहीं दूर चला गया है।”

● मौत के बारे में साफ, सरल शब्दों में समझाइए। कुछ लोग बस इतना कहते हैं कि हमारे अज़ीज़ के शरीर ने “काम करना बंद कर दिया था” और “उसे ठीक नहीं किया जा सकता था।”

● बच्चे को पहले से बताइए कि अंत्येष्टि में क्या-क्या होगा। समझाइए कि जिसकी मौत हो गयी है वह न तो ये सारी बातें सुन सकेगा, न ही देख सकेगा।

● अपनी भावनाएँ मत छिपाइए। इस तरह आपका बच्चा समझ पाएगा कि मातम मनाना स्वाभाविक है।

● याद रखिए, शोक मनाने का कोई “सही” तरीका नहीं है। हर बच्चा अलग होता है और सभी के हालात अलग-अलग होते हैं।

[चित्र का श्रेय]

यह जानकारी www.kidshealth.org से ली गयी है।

[पेज 32 पर तसवीर]

रेनाटू और ईज़ाबेली अपने बेटों, फीलिपी और वीनीसियस के साथ