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पहले पेज का विषय | मुसीबत का दौर कैसे करें पार

जब धन-संपत्ति बरबाद हो जाए

जब धन-संपत्ति बरबाद हो जाए

शुक्रवार 11 मार्च, 2011 को एक ज़बरदस्त भूकंप ने जापान को तहस-नहस कर दिया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 9 थी। तबाही मचानेवाले इस भूकंप ने 15,000 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली और करीब 12,000 अरब रुपयों (200 अरब डॉलर से ज़्यादा) की संपत्ति बरबाद कर दी। वहाँ एक भयानक सुनामी का भी कहर टूटा था, जिसके बारे में पहले से चेतावनी दी गयी थी। यह चेतावनी सुनकर 32 साल का एक आदमी कै अपनी जान बचाने के लिए एक ऊँची जगह पर भाग गया। वह कहता है, “अगली सुबह मैं यह सोचकर घर वापस गया कि जो कुछ ला सकूँगा, ले आऊँगा। मगर वहाँ जाकर देखता हूँ, तो घर क्या सबकुछ समुंदर के हवाले हो गया था। यहाँ तक कि मेरा अपार्टमेंट भी नहीं रहा। अगर कुछ बचा था, तो बस उसकी नींव।”

“मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था, मेरी हर चीज़, बल्कि यूँ कहिए मेरे आस-पास की पूरी दुनिया उजड़ गयी थी। मेरी कार, कंप्यूटर जिस पर मैं ऑफिस का काम करता था, मेज़-कुर्सियाँ, सोफा जिस पर मैं मेहमानों को बिठाता था, उन्हें खिलाता-पिलाता था, मेरा पियानो, गिटार, . . . बाँसुरी सब बह गया। चित्रकारी का मेरा सारा सामान, रंग, तेलवाले रंग, रंगीन पेंसिलें, मेरी बनायी ड्रॉईंग, पेंटिंग सब-का-सब मिट गया। इस हकीकत को कबूल करने में मुझे काफी वक्‍त लग गया।”

मुसीबतों का दौर कैसे पार करें

आपने जो खो दिया उस बारे में दिन-रात सोचने के बजाय, उस बारे में सोचिए जो आपके पास है। बाइबल कहती है: “चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी ज़िंदगी उसकी संपत्ति की बदौलत नहीं होती।” (लूका 12:15) कै कहता है, “पहले मैंने उन चीज़ों की सूची बनायी जो मैं पाना चाहता था। मगर इससे मुझे उन सब चीज़ों की याद आने लगी, जो मैंने खो दी थीं। इसलिए मैंने तय किया कि मैं सूची में सिर्फ वही चीज़ें लिखूँगा जिनकी मुझे सच में ज़रूरत है। फिर जैसे-जैसे मेरी ज़रूरत की चीज़ें मिलती जातीं, मैं सूची से उन्हें निकालता जाता। इस तरह मुझे ज़िंदगी फिर से शुरू करने में मदद मिली।”

हमेशा खुद के बारे सोचने के बजाय, अपने अनुभव से दूसरों का हौसला बढ़ाइए। कै कहता है, “मुझे राहत दल और अपने दोस्तों से बहुत मदद मिली। लेकिन जब मदद लेना मेरी आदत-सी बनने लगी, तो मैं आत्म-सम्मान खोने लगा। तब मैंने बाइबल में प्रेषितों 20:35 में कही बात पर सोचा, जो कहती है, ‘लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।’ मेरे पास माली तौर पर लोगों को कुछ देने के लिए तो था नहीं, इसलिए मैं अपनी बातों से दूसरों का हौसला बढ़ाने लगा, जो मेरी तरह दुख झेल रहे थे। इस तरह दरियादिली दिखाने से मुझे बहुत फायदा हुआ, मेरा अपना हौसला बढ़ा!”

परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और उससे बुद्धि माँगिए, ताकि आप अपने हालात से उबर सकें। बाइबल कहती है कि परमेश्वर “लाचार की प्रार्थना की ओर मुंह करता है।” हौसला बढ़ानेवाले इन शब्दों पर कै को पूरा भरोसा था। (भजन 102:17) आप भी ऐसा ही भरोसा रख सकते हैं।

क्या आप जानते हैं? बाइबल वादा करती है कि एक वक्‍त ऐसा आएगा, जब किसी को कुदरती आफतों की वजह से अपनी संपत्ति खोने का डर नहीं होगा। *यशायाह 65:21-23. (g14-E 07)

^ पैरा. 9 पृथ्वी के लिए परमेश्वर का मकसद क्या है, यह जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 3 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है। यह ऑनलाइन www.pr418.com पर उपलब्ध है।