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मसीही लोग और आज का मानव समाज

मसीही लोग और आज का मानव समाज

मसीही लोग और आज का मानव समाज

“मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।”—मत्ती २४:९.

१. मसीहियत की एक विशिष्ट निशानी क्या होनी थी?

 संसार से अलगाव प्रारंभिक मसीहियों की एक विशिष्ट निशानी थी। अपने स्वर्गीय पिता, यहोवा को प्रार्थना करते समय मसीह ने अपने शिष्यों के विषय में कहा: “मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।” (यूहन्‍ना १७:१४) पुन्तियुस पीलातुस के सामने बुलाए जाने पर, यीशु ने कहा: “मेरा राज्य इस जगत का नहीं।” (यूहन्‍ना १८:३६) संसार से प्राचीन मसीहियत के अलगाव को मसीही यूनानी शास्त्र और इतिहासकार अनुप्रमाणित करते हैं।

२. (क) क्या समय के बीतने के साथ-साथ यीशु के अनुयायियों और संसार के बीच के सम्बन्ध में कोई परिवर्तन होना था? (ख) क्या यीशु का राज्य, राष्ट्रों को मसीहियत में धर्म-परिवर्तित करने के द्वारा आनेवाला था?

क्या यीशु ने बाद में ऐसा कहा कि उसके अनुयायियों और संसार के बीच सम्बन्ध में परिवर्तन आएगा और कि संसार को मसीहियत में धर्म-परिवर्तित करने के द्वारा उसका राज्य आएगा? नहीं। यीशु की मृत्यु के पश्‍चात्‌, उसके अनुयायी जो कुछ भी लिखने को उत्प्रेरित हुए, उससे ऐसी बात का बिलकुल ही संकेत न मिला। (याकूब ४:४ [सा.यु. ६२ से थोड़े समय पहले लिखा गया]; १ यूहन्‍ना २:१५-१७; ५:१९ [लगभग सा.यु. ९८ में लिखा गया]) इसके विपरीत, बाइबल राज्य अधिकार में यीशु की “उपस्थिति” और परवर्ती “आगमन” को “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” के साथ जोड़ती है, जो इसके “अन्त,” या विनाश में अपनी चरम-सीमा तक पहुँचेगी। (मत्ती २४:३, १४, २९, ३०, NW; दानिय्येल २:४४; ७:१३, १४, NW) अपनी पेरूसिया, या उपस्थिति का जो चिह्न यीशु ने दिया, उसमें उसने अपने सच्चे अनुयायियों के बारे में कहा: “तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।”—मत्ती २४:९.

आज के सच्चे मसीही

३, ४. (क) एक कैथोलिक विश्‍वकोश प्रारंभिक मसीहियों का वर्णन कैसे करता है? (ख) यहोवा के गवाहों और प्रारंभिक मसीहियों का वर्णन कौनसे समान शब्दों में किया गया है?

आज कौन-से धार्मिक समूह ने अपने लिए मसीही सिद्धांतों के प्रति वफ़ादारी और संसार से अलग रहने का नाम कमाया है, जिसके सदस्यों से घृणा की जाती है और उन्हें सताया जाता है? ख़ैर, कौन-सा विश्‍वव्यापी मसीही संगठन हर बात में प्रारंभिक मसीहियों के ऐतिहासिक वर्णन से मेल खाता है? इनके सम्बन्ध में, न्यू कैथोलिक एन्‌साइक्लोपीडिया (New Catholic Encyclopedia) कहती है: “प्राचीन ईसाई समुदाय, जबकि शुरू-शुरू में यहूदी वातावरण में केवल एक और मत समझा जाता था, अपने धार्मिक शिक्षाओं में अनन्य प्रमाणित हुआ, और विशेषकर अपने सदस्यों के उत्साह में, जिन्होंने ‘सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक’ मसीह के गवाह होने का कार्य किया (प्रेरितों १.८)।”—खंड ३, पृष्ठ ६९४.

“केवल . . . एक और मत समझा जाता था,” “शिक्षाओं में अनन्य,” ‘गवाहों के रूप में उत्साह,’ अभिव्यक्‍तियों पर ग़ौर कीजिए। और अब ध्यान दीजिए कि वही विश्‍वकोश यहोवा के गवाहों का कैसे वर्णन करता है: “एक मत . . . गवाह लोग गहरी रीति से विश्‍वस्त हैं कि संसार का अंत बहुत थोड़े सालों में आ जाएगा। यह सुस्पष्ट विश्‍वास ही उनके अथक उत्साह का सबसे शक्‍तिशाली प्रेरणा प्रतीत होता है। . . . इस मत के हरेक सदस्य का मूल दायित्व है यहोवा के आगामी राज्य की घोषणा करने के द्वारा उसकी गवाही देना। . . . वे बाइबल को धर्मविश्‍वास और आचरण के सिद्धांत का एकमात्र स्रोत मानते हैं . . . एक सच्चा गवाह होने के लिए एक व्यक्‍ति को किसी न किसी तरीक़े से प्रभावकारी रीति से प्रचार करना चाहिए।”—खंड ७, पृष्ठ ८६४-५.

५. (क) यहोवा के गवाहों की शिक्षाएँ किन तरीक़ों से अनन्य हैं? (ख) कुछ उदाहरण दीजिए यह दिखाने के लिए कि यहोवा के गवाहों के धर्मविश्‍वास शास्त्रवचनों के सामन्जस्य में हैं।

यहोवा के गवाहों की शिक्षाएँ किन तरीक़ों से अनन्य हैं? न्यू कैथोलिक एन्‌साइक्लोपीडिया कुछेक शिक्षाओं का वर्णन करती है: “वे [यहोवा के गवाह] त्रियेक की शिक्षा को विधर्मी मूर्तिपूजा समझकर रद्द करते हैं . . . वे यीशु को यहोवा के गवाहों में से श्रेष्ठ गवाह, ‘एक परमेश्‍वर’ (जैसे वे यूहन्‍ना १.१ का अनुवाद करते हैं), समझते हैं जो यहोवा को छोड़ और किसी से निम्न नहीं है। . . . वह मनुष्य के रूप में मरा और एक अनश्‍वर आत्मिक पुत्र के रूप में जीवित किया गया। मानवजाति के लिए पृथ्वी पर अनन्तकाल जीने के अधिकार को पुनःप्राप्त करने के लिए उसने अपने दुःखभोग और मृत्यु की क़ीमत चुकाई। सचमुच, सच्चे गवाहों की ‘बड़ी भीड़’ (Ap ७.९) एक पार्थिव परादीस में आशा रखती है; केवल १,४४,००० विश्‍वासी जन (Ap ७.४; १४.१, ४) ही मसीह के साथ स्वर्गीय महिमा का आनन्द ले सकते हैं। दुष्टों का पूर्ण विनाश होगा। . . . बपतिस्मा—जो गवाह लोग डुबकी के द्वारा करते हैं . . . यहोवा परमेश्‍वर की सेवा के प्रति उनके समर्पण का बाहरी प्रतीक [है]। . . . यहोवा के गवाहों ने रक्‍ताधान को अस्वीकार करने के द्वारा ख्याति प्राप्त की है . . . उनकी वैवाहिक और लैंगिक नैतिकता काफ़ी दृढ़ है।” शायद यहोवा के गवाह इन मामलों में अनन्य हों, लेकिन इन सब विषयों पर उनकी स्थिति दृढ़ रीति से बाइबल पर आधारित है।—भजन ३७:२९; मत्ती ३:१६; ६:१०; प्रेरितों १५:२८, २९; रोमियों ६:२३; १ कुरिन्थियों ६:९, १०; ८:६; प्रकाशितवाक्य १:५.

६. यहोवा के गवाहों ने कौनसी स्थिति को क़ायम रखा है? क्यों?

यह रोमन कैथोलिक रचना आगे कहती है कि १९६५ में (स्पष्टतः वह वर्ष जब यह लेख लिखा गया) “तब गवाह लोग अपने आपको उस समाज का भाग नहीं समझते थे जिसमें वे जी रहे थे।” ऐसा प्रतीत होता है कि लेखक ने सोचा होगा कि जैसे समय बीतता जाएगा और यहोवा के गवाहों की संख्या बढ़ेगी और “एक मत के बजाय एक गिरजा की विशेषताओं को और अधिक अपनाएँगे,” तो वे इस संसार के भाग हो जाएँगे। लेकिन यह सच साबित नहीं हुआ है। आज, १९६५ में गवाहों की संख्या में से चार गुना से भी ज़्यादा, यहोवा के गवाहों ने इस संसार के सम्बन्ध में अपनी स्थिति को दृढ़तापूर्वक क़ायम रखा है। जैसे यीशु “संसार का नहीं” था, “वैसे ही वे भी संसार के नहीं।”—यूहन्‍ना १७:१६.

अलग परन्तु वैरपूर्ण नहीं

७, ८. जैसे प्रारंभिक मसीहियों के विषय में सच था, आज यहोवा के गवाहों के विषय में क्या सच है?

प्रारंभिक मसीहियों के पक्ष में दूसरी सदी के समर्थक जस्टिन मार्टर द्वारा पेश की गई सफ़ाई का उद्धरण देते हुए, रॉबर्ट ऐम. ग्रांट ने अपनी पुस्तक प्रारंभिक मसीहियत और समाज (Early Christianity and Society) में लिखा: “यदि ईसाई लोग क्रांतिकारी होते तो वे छुपकर अपना लक्ष्य प्राप्त करते। . . . शांति और सुव्यवस्था के पक्ष में वे सम्राट के महत्तम सहायक हैं।” समान रीति से, आज यहोवा के गवाह पूरे संसार में शांति-प्रेमी और व्यवस्थित नागरिक होने के लिए प्रसिद्ध हैं। सरकार, चाहे किसी भी प्रकार की हो, जानती हैं कि उन्हें यहोवा के गवाहों से किसी बात का भय नहीं।

एक उत्तर अमरीकी संपादकीय लेखक ने लिखा: “इस बात पर विश्‍वास करने के लिए कि यहोवा के गवाह किसी राजनीतिक शासन को किसी प्रकार का ख़तरा पेश करते हैं, एक कट्टर और संविभ्रमी कल्पना शक्‍ति की आवश्‍यकता होगी; वे इतने अविद्रोही और शांति-प्रेमी हैं जितना कि एक धार्मिक संस्था हो सकती है।” अपनी पुस्तक लोबज़ेकस्याँ ड काँस्याँस्‌ (कर्तव्यनिष्ठ आपत्ति, Conscientious Objection) में, ज़ाँप्येर कातलाँ लिखता है: “गवाह लोग पूर्ण रूप से अधिकारियों के आज्ञाकारी रहते हैं और आम तौर पर नियमों को मानते हैं; वे अपना कर चुकाते हैं और सरकारों पर संदेह करने, उन्हें बदलने, या नष्ट करने की कोशिश नहीं करते, क्योंकि वे अपने आपको इस संसार के मामलों में नहीं उलझाते हैं।” कातलाँ आगे जाकर कहता है कि जब राष्ट्र उनकी ज़िन्दगी की माँग करता है, जो कि वे परमेश्‍वर को पूर्ण रूप से समर्पित कर चुके हैं, केवल तब ही यहोवा के गवाह आज्ञा मानने से इन्कार करते हैं। इस विषय में वे नज़दीकी रूप से प्रारंभिक मसीहियों के समान हैं।—मरकुस १२:१७; प्रेरितों ५:२९.

शासक-वर्ग द्वारा ग़लत समझे गए

९. संसार से अलग होने के सम्बन्ध में, प्रारंभिक मसीहियों और आधुनिक-दिन के कैथोलिक लोगों के बीच एक प्रमुख भिन्‍नता क्या है?

अधिकतर रोमी सम्राटों ने प्रारंभिक मसीहियों को ग़लत समझा और उन्हें सताया। ऐसा क्यों था, यह दिखाने के लिए, दी ऐपिसल टू डीओग्नेटस (The Epistle to Diognetus), जो कुछ लोगों के विचारानुसार सा.यु. दूसरी सदी से है, घोषित करती है: “ईसाई लोग संसार में जीते हैं, परन्तु वे संसार के भाग नहीं हैं।” दूसरी तरफ़, दूसरे वेटिकन काउंसल ने गिरजा के विषय में अपने मताग्रही नियम-संग्रह में कहा कि कैथोलिक लोगों को “सांसारिक मामलों में भाग लेकर परमेश्‍वर के राज्य की खोज” करनी चाहिए और “अंदर से ही संसार का पवित्रीकरण करने के लिए परिश्रम करना” चाहिए।

१०. (क) शासक-वर्ग प्रारंभिक मसीहियों को किस दृष्टि से देखते थे? (ख) यहोवा के गवाहों को अक़सर किस दृष्टि से देखा जाता है, और उनकी प्रतिक्रिया क्या है?

१० इतिहासकार ई. जी. हार्डी कहता है कि रोमी सम्राट प्रारंभिक मसीहियों को “कुछ हद तक घृणित श्रद्धोन्मत्त” समझते थे। फ्रांसीसी इतिहासकार एटयेन ट्रॉकमे उस घृणा के विषय में चर्चा करता है “जिस घृणा से सुसंस्कृत यूनानी और रोमी अधिकारी लोग उन्हें [अर्थात्‌ मसीही लोगों को] देखते थे जिन्हें वे एक अति अनूठा पूर्वी मत समझते थे।” प्लाइनी द यंगर, बिथीनिया के रोमी राज्यपाल, और सम्राट ट्रेजन के बीच पत्रव्यवहार दिखाता है कि शासक-वर्ग आम तौर पर मसीहियत के सच्चे स्वभाव से अपरिचित थे। इसी प्रकार आज भी, संसार के शासक-वर्ग यहोवा के गवाहों को अक़सर ग़लत समझते हैं और यहाँ तक कि उनसे घृणा भी करते हैं। लेकिन, इस बात से गवाह न तो चकित होते हैं और न ही निराश।—प्रेरितों ४:१३; १ पतरस ४:१२, १३.

“हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं”

११. (क) प्रारंभिक मसीहियों के विषय में क्या बातें कही गई थीं, और यहोवा के गवाहों के विषय में क्या कहा गया है? (ख) यहोवा के गवाह राजनीति में भाग क्यों नहीं लेते हैं?

११ प्रारंभिक मसीहियों के बारे में कहा गया था: “हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।” (प्रेरितों २८:२२) सामान्य युग दूसरी सदी में, ग़ैर-मसीही सेलसस्‌ ने दावा किया कि मसीहियत केवल मानव समाज के तुच्छ भागों को ही आकर्षक लगती थी। इसी प्रकार, यहोवा के गवाहों के विषय में कहा गया है कि “ज़्यादातर वे हमारे समाज के वंचित वर्ग से निकले हैं।” गिरजा के इतिहासकार ऑगस्टस्‌ नेअंडर ने रिपोर्ट किया कि “ईसाइयों को संसार के सामने मृत और जीवन के हर मामले में बेकार मनुष्यों के रूप में चित्रित किया जाता था; . . . और यह पूछा गया था, यदि सभी लोग इनके जैसे होते, तो जीवन के मामले का क्या होता?” क्योंकि यहोवा के गवाह राजनीति में भाग नहीं लेते हैं, उन पर भी अक़सर मानव समाज में बेकार लोग होने का आरोप लगाया जाता है। लेकिन मानवजाति की एकमात्र आशा, परमेश्‍वर के राज्य के समर्थक होने के साथ-साथ वे राजनीतिक सक्रियवादी कैसे हो सकते हैं? यहोवा के गवाह प्रेरित पौलुस के शब्दों को मन में बिठाए रखते हैं: “मसीह यीशु के अच्छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा। जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करनेवाले को प्रसन्‍न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता।”—२ तीमुथियुस २:३, ४, रिवाइस्ड स्टैंडर्ड वर्शन, एक अखिल-चर्ची संस्करण.

१२. अलगाव के किस महत्त्वपूर्ण पहलू में यहोवा के गवाह प्रारंभिक मसीहियों के अनुरूप हैं?

१२ प्रोफ़ेसर के. ऐस. लाटूरेट अपनी पुस्तक ईसाई धर्म का इतिहास (A History of Christianity), में लिखता है: “एक विषय जिस पर प्रारंभिक ईसाइयों और यूनानी-रोमी संसार के बीच मतभेद था, वह युद्ध में भाग लेने का विषय था। पहली तीन सदियों तक किसी भी ईसाई लेख, जो हमारे समय तक बचा रहा है, ने ईसाइयों का युद्ध में भाग लेने को क्षमा नहीं किया।” ऐडवर्ड गिब्बन की रचना रोमी साम्राज्य की अवनति और पतन का इतिहास (The History of the Decline and Fall of the Roman Empire) बताती है: “यह संभव नहीं था कि ईसाई लोग, अधिक पवित्र दायित्व को त्यागे बिना, सैनिकों, मजिस्ट्रेटों, या राजकुमारों की भूमिका को अपना सकते।” यहोवा के गवाह समान रीति से दृढ़ तटस्थता की स्थिति अपनाते हैं और, यशायाह २:२-४ और मत्ती २६:५२ में रूपरेखित बाइबल के सिद्धांतों का अनुसरण करते हैं।

१३. यहोवा के गवाहों पर क्या आरोप लगाया जाता है, लेकिन तथ्य क्या दिखाते हैं?

१३ यहोवा के गवाहों के शत्रु उन पर परिवारों को तोड़ने का आरोप लगाते हैं। सच है, ऐसे मामले हैं जहाँ एक या एक से ज़्यादा सदस्यों का यहोवा के गवाह बनने से परिवार विभाजित हुआ है। यीशु ने पूर्वबताया था कि ऐसा होगा। (लूका १२:५१-५३) लेकिन, आँकड़े दिखाते हैं कि इस कारण से टूटने वाले विवाह अपवाद हैं। उदाहरण के लिए, फ्रांस में यहोवा के गवाहों के मध्य, ३ में से १ विवाहित दंपति में ऐसा विवाह साथी होता है जो यहोवा का गवाह नहीं है। फिर भी, इन मिश्रित विवाहों में तलाक़ दर राष्ट्रीय औसत से ऊँचा नहीं है। क्यों? प्रेरित पौलुस तथा पतरस ने अविश्‍वासियों के साथ विवाहित मसीहियों को बुद्धिमानी की उत्प्रेरित सलाह दी, और यहोवा के गवाह उनके शब्दों का अनुसरण करने की कोशिश करते हैं। (१ कुरिन्थियों ७:१२-१६; १ पतरस ३:१-४) यदि एक मिश्रित विवाह टूट जाता है, पहल लगभग हमेशा ही ग़ैर-गवाह साथी करता है। दूसरी ओर, हज़ारों विवाह टूटने से बचाए गए हैं क्योंकि विवाह साथी यहोवा के गवाह बन गए और उन्होंने बाइबल सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करना शुरू किया।

मसीही हैं, त्रियेकवादी नहीं

१४. प्रारंभिक मसीहियों के विरुद्ध क्या आरोप लगाया गया था, और यह क्यों व्यंग्यात्मक है?

१४ यह व्यंग्यात्मक है कि रोमी साम्राज्य में, प्रारंभिक मसीहियों के विरुद्ध एक यह आरोप लगाया गया था कि वे नास्तिक थे। डॉ. ऑगस्टस्‌ नेअंडर लिखता है: “देवताओं का इन्कार करनेवाले, अर्थात्‌ नास्तिक, . . . यह एक आम नाम था जिससे लोग ईसाइयों को बुलाते थे।” यह कितनी आश्‍चर्य की बात है कि मसीहियों को, जो बहु देवताओं की नहीं पर जीवित परमेश्‍वर की उपासना करते थे, ऐसे विधर्मियों के द्वारा नास्तिक का उपनाम दिया जाए जो उन देवताओं की पूजा करते थे जो “ईश्‍वर न थे, वे केवल मनुष्यों की कारीगरी, काठ और पत्थर ही थे।”—यशायाह ३७:१९.

१५, १६. (क) कुछ धर्मोत्साहियों ने यहोवा के गवाहों के विषय में क्या कहा है, लेकिन इससे कौन-सा प्रश्‍न उठता है? (ख) क्या दिखाता है कि यहोवा के गवाह सचमुच मसीही हैं?

१५ उतना ही व्यंग्यात्मक यह तथ्य है कि आज मसीहीजगत में कुछ अधिकारी अस्वीकार करते हैं कि यहोवा के गवाह मसीही हैं। क्यों? क्योंकि गवाह लोग त्रियेक की शिक्षा को ठुकराते हैं। मसीहीजगत के पक्षपाती परिभाषानुसार, “मसीही वे हैं जो मसीह को परमेश्‍वर स्वीकार करते हैं।” इसके विपरीत, एक आधुनिक शब्दकोश संज्ञा “मसीही” की परिभाषा “एक व्यक्‍ति जो यीशु मसीह में विश्‍वास करे और जो उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करे” और “मसीहियत” की परिभाषा “एक धर्म जो यीशु मसीह की शिक्षाओं पर और इस विश्‍वास पर कि वह परमेश्‍वर का पुत्र था, आधारित है” देता है। कौनसा समूह इस परिभाषा के ज़्यादा अनुरूप है?

१६ यहोवा के गवाह स्वयं यीशु की गवाही स्वीकार करते हैं कि वह कौन है। उसने कहा: “मैं परमेश्‍वर का पुत्र हूं,” न कि, “मैं पुत्र परमेश्‍वर हूं।” (यूहन्‍ना १०:३६; साथ ही यूहन्‍ना २०:३१ से तुलना कीजिए.) वे मसीह के सम्बन्ध में प्रेरित पौलुस का उत्प्रेरित कथन स्वीकार करते हैं: “जिस ने परमेश्‍वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्‍वर के साथ बराबरी को अपने अधिकार में करने की वस्तु न समझा।” * (फिलिप्पियों २:६, द न्यू जरूसलेम बाइबल) हमारी मसीहियत में विधर्म (The Paganism in Our Christianity) पुस्तक कहती है: “यीशु मसीह ने कभी ऐसे प्रतिभास [समान दर्जे के व्यक्‍तियों का त्रियेक] का ज़िक्र नहीं किया, और नए नियम में शब्द ‘त्रियेक’ कहीं भी नज़र नहीं आता है। गिरजे ने यह विचार केवल हमारे प्रभु की मृत्यु के तीन सौ साल बाद अपनाया; और इस संकल्पना का उद्‌गम पूर्ण रीति से विधर्मी है।” यहोवा के गवाह मसीह के विषय में बाइबलीय शिक्षा स्वीकार करते हैं। वे मसीही हैं, त्रियेकवादी नहीं।

अखिल-चर्ची गतिविधि नहीं

१७. यहोवा के गवाह अखिल-चर्ची, या अन्तर-धर्मी गतिविधियों को सहयोग क्यों नहीं देते?

१७ यहोवा के गवाहों के विरुद्ध दो अन्य शिकायतें ये हैं कि वे अखिल-चर्ची गतिविधियों में भाग लेने से इनकार करते हैं और कि वे उस कार्य में भाग लेते हैं जिसे “आक्रमणशील धर्म-प्रचार” कहा जाता है। इन्हीं दो बातों पर प्रारंभिक मसीहियों का भी तिरस्कार किया गया था। मसीहीजगत, अपने कैथोलिक, ऑरथोडॉक्स्‌, और प्रोटेस्टेंट अवयवों समेत, अखंडनीय रूप से इस संसार का एक भाग है। यीशु के समान, यहोवा के गवाह इस “संसार के नहीं।” (यूहन्‍ना १७:१४) वे कैसे अन्तर-धर्मी गतिविधियों के द्वारा अपने आपको ऐसे धार्मिक संगठनों के साथ जोड़ सकते थे जो ग़ैर-मसीही आचरण और विश्‍वास को बढ़ावा देते हैं?

१८. (क) केवल वे ही सच्चे धर्म का अभ्यास कर रहे हैं, इस दावे के लिए यहोवा के गवाहों की आलोचना क्यों नहीं की जा सकती है? (ख) हालाँकि उन्हें विश्‍वास है कि उनका धर्म सच्चा है, रोमन कैथोलिक लोगों में क्या नहीं है?

१८ यह विश्‍वास करने के लिए कि केवल वे ही प्रारंभिक मसीहियों के समान, सच्चे धर्म का अभ्यास कर रहे हैं, कौन उचित रीति से यहोवा के गवाहों की आलोचना कर सकते हैं? कैथोलिक गिरजा भी, जबकि पाखण्डी रीति से अखिल-चर्ची गतिविधियों में सहयोग देने का दावा करता है, घोषणा करता है: “हम विश्‍वास करते हैं कि यह एक सच्चा धर्म अभी भी कैथोलिक और ऐपॉस्टालिक गिरजों में पाया जाता है, जिनको प्रभु यीशु ने सब मनुष्यों के बीच सच्चे धर्म को फैलाने का कार्य सौंपा था जब उसने प्रेरितों से कहा: ‘जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।’” (दूसरा वैटिकन काऊँसल, “धार्मिक स्वतंत्रता के विषय में घोषणा”) लेकिन, यह स्पष्ट है कि ऐसा विश्‍वास कैथोलिक लोगों को अथक उत्साह से भरने के लिए काफ़ी नहीं है कि वे चेले बनाने के लिए आगे बढ़ें।

१९. (क) यहोवा के गवाह क्या करने के लिए दृढ़ हैं, और किस उद्देश्‍य के साथ? (ख) अगले लेख में किस बात की जाँच की जाएगी?

१९ यहोवा के गवाहों में ऐसा उत्साह है। वे दृढ़ हैं कि जब तक परमेश्‍वर चाहता है, तब तक वे गवाही देते रहेंगे। (मत्ती २४:१४) उनका गवाही कार्य उत्साहपूर्ण है लेकिन आक्रमणशील नहीं। यह कार्य पड़ोसी के लिए प्रेम, न कि मानवजाति के लिए घृणा, द्वारा प्रेरित होता है। वे आशा करते हैं कि मानवजाति में से यथासंभव अधिक से अधिक लोग बचाए जाएँ। (१ तीमुथियुस ४:१६) प्रारंभिक मसीहियों के समान, वे “अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप” रखने की कोशिश करते हैं। (रोमियों १२:१८) वे यह कैसे करते हैं इसके बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

[फुटनोट]

^ त्रियेक धर्म-सिद्धांत के सम्बन्ध में इस परिच्छेद की चर्चा के लिए, द वॉचटावर, जून १५, १९७१, पृष्ठ ३५५-६ देखिए.

पुनर्विचार के लिए

कौन-सी बात प्रारंभिक मसीहियों की विशिष्ट निशानी थी, और कैसे यहोवा के गवाह उनके अनुरूप हैं?

▫ किन तरीक़ों से यहोवा के गवाह दिखाते हैं कि वे उत्तम नागरिक हैं?

▫ प्रारंभिक मसीहियों को शासक-वर्ग किस दृष्टि से देखते थे, और क्या यह आज कुछ भिन्‍न है?

▫ गवाहों का विश्‍वास कि उनके पास सच्चाई है उन्हें क्या करने के लिए प्रेरित करता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीरें]

जब तक परमेश्‍वर चाहता है, यहोवा के गवाह गवाही देते रहने के लिए दृढ़ हैं

[पेज 14 पर तसवीरें]

पीलातुस ने कहा: “देखो, यह पुरुष” —वह व्यक्‍ति जो संसार का भाग नहीं था

[चित्र का श्रेय]

“Ecce Homo” by A. Ciseri: Florence, Galleria d’Arte Moderna / Alinari/Art Resource, N.Y.