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सुन्दरता जो मिटती नहीं

सुन्दरता जो मिटती नहीं

सुन्दरता जो मिटती नहीं

कवि वॉलटर ड ला मेर ने कहा, “सुन्दरता लुप्त हो जाती है; सुन्दरता जाती रहती है।” यहाँ दिखाए गए शानदार कैक्टस फूलों के साथ निश्‍चित ऐसा ही है। उनकी शान जल्द ही मिट जाती है।

मसीही शिष्य याकूब ने लिखा: “वह [धनवान] घास के फूल की नाईं जाता रहेगा। क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।”—याकूब १:१०, ११.

इस अनिश्‍चित संसार में, धन सच में रातोरात लुप्त हो सकता है। इसके अतिरिक्‍त, धनी आदमी—हर किसी व्यक्‍ति के समान—‘फूल की नाईं, थोड़े दिनों का होता है।’ (अय्यूब १४:१, २) यीशु ने एक आदमी का दृष्टांत दिया जो धन इकट्ठा करने में व्यस्त रहा था ताकि वह बाद में आराम कर सके। लेकिन जब उसने सोचा कि आराम की ज़िन्दगी के लिए उसके पास सब कुछ था, तब वह मर गया। यीशु ने चेतावनी दी: “ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्‍वर की दृष्टि में धनी नहीं।”—लूका १२:१६-२१.

“परमेश्‍वर की दृष्टि में धनी।” इससे यीशु का क्या अर्थ था? एक आदमी जो इस रीति से धनी होता है, उसका “स्वर्ग में धन” होता है—परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा नाम। ऐसे धन को कभी भी मिटने की ज़रूरत नहीं है। (मत्ती ६:२०; इब्रानियों ६:१०) मुरझानेवाले फूल के समान होने के बजाय, ऐसे आदमी की तुलना बाइबल में एक ऐसे वृक्ष से की गई है, जिसकी पत्तियाँ मुरझाती नहीं। और, हमें आश्‍वासन दिया जाता है, “जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।”—भजन १:१-३, ६.