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दानिय्येल के भविष्यसूचक दिन और हमारा विश्‍वास

दानिय्येल के भविष्यसूचक दिन और हमारा विश्‍वास

दानिय्येल के भविष्यसूचक दिन और हमारा विश्‍वास

“क्या ही ख़ुश है वह, जो प्रतीक्षा करके एक हज़ार तीन सौ पैंतीस दिन के अन्त तक पहुंचे।”—दानिय्येल १२:१२, NW.

१. ज़्यादातर लोग असली ख़ुशी पाने में क्यों चूक जाते हैं, और सच्ची ख़ुशी किससे जुड़ी हुई है?

 सब लोग ख़ुश रहना चाहते हैं। लेकिन, आज बहुत कम लोग ख़ुश हैं। क्यों? क्योंकि ज़्यादातर जन ख़ुशी के लिए ग़लत जगहों में देखते हैं। शिक्षा, धन-दौलत, पेशा, या शक्‍ति का पीछा जैसी चीज़ों में ख़ुशी को ढूँढ़ा जाता है। तथापि, यीशु ने ख़ुशी को अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति चेतना, दया, हृदय की शुद्धता, और समान गुणों के होने के साथ जोड़ा। (मत्ती ५:३-१०, NW) जिस क़िस्म की ख़ुशी के बारे में यीशु बोला वह असली और चिरस्थायी है।

२. भविष्यवाणी के अनुसार, अन्त के समय में क्या चीज़ ख़ुशी की ओर ले जाएगी, और इस विषय में क्या सवाल उठते हैं?

अन्त के समय में अभिषिक्‍त शेष जनों के लिए, ख़ुशी किसी अतिरिक्‍त चीज़ से जुड़ी है। दानिय्येल की किताब में, हम पढ़ते हैं: “हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अन्तसमय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है। क्या ही ख़ुश है वह, जो प्रतीक्षा करके एक हज़ार तीन सौ पैंतीस दिन के अन्त तक पहुंचे।” (दानिय्येल १२:९, १२NW) ये १,३३५ दिन किस कालावधि को पूरा करते हैं? इन समयों में जीनेवाले क्यों ख़ुश थे? आज हमारे विश्‍वास से क्या इसका कोई सम्बन्ध है? हमें इन सवालों का जवाब देने के लिए मदद मिलती है अगर हम उस समय को देखें जब बाबुल की बंधुवाई से इस्राएल के छुटकारे के तुरन्त बाद और फ़ारस के राजा कुस्रू के तीसरे साल में दानिय्येल ने ये शब्द लिखे।—दानिय्येल १०:१.

पुनःस्थापना ख़ुशी लाती है

३. राजा कुस्रू का कौनसा कार्य सा.यु.पू. ५३७ में विश्‍वासी यहूदियों के लिए बहुत ख़ुशी लाया, लेकिन यहूदियों को कुस्रू ने क्या विशेषाधिकार नहीं दिया?

यहूदियों के लिए, बाबुल से छुटकारा सच्चा उल्लास करने का अवसर था। यहूदी लोगों द्वारा तक़रीबन ७० साल का निर्वासन झेलने के बाद, महान कुस्रू ने उन्हें यहोवा के मंदिर का पुनर्निर्माण करने के लिए यरूशलेम लौटने का निमंत्रण दिया। (एज्रा १:१, २) प्रतिक्रिया दिखानेवाले बड़ी आशाओं के साथ रवाना हुए और सा.यु.पू. ५३७ में अपने स्वदेश आए। लेकिन, कुस्रू ने उन्हें राजा दाऊद के वंश के अधीन एक राज्य पुनःस्थापित करने का निमंत्रण नहीं दिया।

४, ५. (क) दाऊद का राजत्व कब गिरा दिया गया? क्यों? (ख) यहोवा ने क्या आश्‍वासन दिया कि दाऊद का राजत्व पुनःस्थापित होगा?

यह बात अहम थी। कुछ पाँच शताब्दियों पहले, यहोवा ने दाऊद को वादा किया था: “तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।” (२ शमूएल ७:१६) यह दुःख की बात थी कि दाऊद के अधिकांश वंशज विद्रोही ठहरे, और राष्ट्र का रक्‍तदोष इतना बढ़ गया कि सा.यु.पू. ६०७ में यहोवा ने दाऊद के राजत्व को गिरा देने की अनुमति दी। मकाबियों के शासन के अधीन एक अल्पकाल के अलावा, तब से लेकर सा.यु. ७० में अपने दूसरे विनाश तक यरूशलेम विदेशी शासन के अधीन था। इस प्रकार, सा.यु.पू. ५३७ में, “अन्यजातियों का समय” चल रहा था, जिसके दौरान दाऊद का कोई भी पुत्र राजा की हैसियत से शासन नहीं करता।—लूका २१:२४.

फिर भी, दाऊद को किए गए अपने वादे को यहोवा नहीं भूला। दर्शनों और स्वप्नों के सिलसिले से, उसने अपने भविष्यवक्‍ता दानिय्येल के ज़रिये संसार की भावी घटनाओं की तफ़सील प्रकट की जो संसार पर बाबुल के शासन के समय से लेकर शताब्दियों बाद उस समय तक होतीं जब दाऊद के वंश का एक राजा फिर से यहोवा के लोगों के एक राज्य पर शासन करता। दानिय्येल अध्याय २, ७, ८, और १०-१२ में अभिलिखित इन भविष्यवाणियों ने वफ़ादार यहूदियों को आश्‍वस्त किया कि, आख़िरकार, दाऊद की गद्दी “सदा बनी रहेगी।” यक़ीनन, प्रकट की गयी ऐसी सच्चाई उन यहूदियों के लिए ख़ुशी लायी जो सा.यु.पू. ५३७ में अपने स्वदेश लौटे!

६. हम कैसे जानते हैं कि दानिय्येल की कुछ भविष्यवाणियाँ हमारे समय में पूरी होनी थीं?

बाइबल के ज़्यादातर टीकाकार दावा करते हैं कि दानिय्येल की भविष्यवाणियाँ यीशु मसीह के जन्म से पहले लगभग पूरी तरह पूरी हुईं। लेकिन स्पष्टतः ऐसा नहीं हुआ। दानिय्येल १२:४ में, एक स्वर्गदूत दानिय्येल से कहता है: “तू इस पुस्तक पर मुहर करके इन वचनों को अन्त समय तक के लिए बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ़-ढांढ़ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।” अगर दानिय्येल की किताब की मुहर सिर्फ़ अन्त के समय में खोली जानी थी, यानी तब उसका अर्थ पूरी तरह प्रकट होना था, तो यक़ीनन इसकी कम-से-कम कुछ भविष्यवाणियाँ उस अवधि को लागू होनी चाहिए।—दानिय्येल २:२८; ८:१७; १०:१४ देखिए.

७. (क) अन्यजातियों का समय कब समाप्त हुआ, और उस समय कौनसे अत्यावश्‍यक सवाल का जवाब दिया जाना था? (ख) कौन “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” नहीं थे?

अन्यजातियों का समय १९१४ में समाप्त हुआ, और इस संसार के लिए अन्त का समय शुरू हुआ। दाऊद का राज्य, पार्थिव यरुशलेम में नहीं, बल्कि अदृश्‍य रूप से “आकाश के बादलों” में पुनःस्थापित हुआ। (दानिय्येल ७:१३, १४) उस समय, क्योंकि नक़ली मसीहियत के “जंगली दानें” फल-फूल रहे थे, सच्ची मसीहियत की स्थिति स्पष्ट नहीं थी—कम-से-कम मानवी आँखों को। फिर भी, एक महत्त्वपूर्ण सवाल का जवाब दिया जाना था: “वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है?” (मत्ती १३:२४-३०; २४:४५) दाऊद के पुनःस्थापित राज्य को पृथ्वी पर कौन प्रतिनिधित्व करता? दानिय्येल के शारीरिक भाई, यहूदी तो नहीं। उन्हें ठुकराया गया था क्योंकि उनमें विश्‍वास की कमी थी और मसीह के विषय में उन्होंने ठोकर खायी। (रोमियों ९:३१:३३) किसी भी हालत में विश्‍वासयोग्य दास मसीहीजगत के संगठनों में नहीं पाया गया! उनके दुष्ट कार्यों ने सिद्ध किया कि यीशु उन्हें नहीं जानता था। (मत्ती ७:२१-२३) तो फिर, वह दास कौन था?

८. अन्त के समय के दौरान कौन “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” सिद्ध हुए हैं? हम कैसे जानते हैं?

बिना किसी संदेह के, ये यीशु के अभिषिक्‍त भाइयों का छोटा निकाय था जो १९१४ में बाइबल विद्यार्थी नाम से जाने जाते थे लेकिन १९३१ से यहोवा के गवाहों के तौर पर पहचाने गए हैं। (यशायाह ४३:१०) दाऊद के वंश में पुनःस्थापित राज्य को सिर्फ़ उन्होंने ही प्रचार किया है। (मत्ती २४:१४) सिर्फ़ वे ही संसार से अलग रहे हैं और यहोवा के नाम की बड़ाई की है। (यूहन्‍ना १७:६, १४) अन्तिम दिनों में परमेश्‍वर के लोगों से संबंधित बाइबल भविष्यवाणियाँ सिर्फ़ उन पर ही पूरी हुईं हैं। इन भविष्यवाणियों में दानिय्येल अध्याय १२ में सूचीबद्ध भविष्यसूचक अवधियों का अनुक्रम है जिस में ख़ुशी लानेवाले १,३३५ दिन सम्मिलित हैं।

एक हज़ार दो सौ साठ दिन

९, १०. कौनसी घटनाओं ने दानिय्येल ७:२५ के “साढ़े तीन काल” को चित्रित किया, और कौनसे अन्य शास्त्रवचनों में एक समान कालावधि उल्लिखित है?

दानिय्येल १२:७ में, हम पहली भविष्यसूचक अवधि के बारे में पढ़ते हैं: “यह दशा साढ़े तीन काल तक ही रहेगी; और जब पवित्र प्रजा की शक्‍ति टूटते टूटते समाप्त हो जाएगी, तब ये सब बातें पूरी होंगी।” * यह अवधि का उल्लेख प्रकाशितवाक्य ११:३-६ में किया है, जहाँ लिखा है कि परमेश्‍वर के गवाह टाट ओढ़े हुए साढे तीन साल प्रचार करेंगे और फिर मार डाले जाएँगे। फिर से, दानिय्येल ७:२५ में, हम पढ़ते हैं: “वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे।”

१० इस अवरोक्‍त भविष्यवाणी में, “वह” बाबुल से गिनती करते हुए पाँचवी विश्‍व शक्‍ति है। यह “छोटा सा सींग” है, जिसके शक्‍ति काल के दौरान मनुष्य का पुत्र “प्रभुता, महिमा और राज्य” प्राप्त करता है। (दानिय्येल ७:८, १४) यह प्रतीकात्मक सींग, जो आदि में साम्राज्यिक ब्रिटन था, प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान आंग्ल-अमरीकी द्वि विश्‍व शक्‍ति में विकसित हुआ, जिस में अब संयुक्‍त राज्य अमरीका प्रमुख है। साढ़े तीन काल, या साल, के लिए यह शक्‍ति पवित्र जनों को सताती और समयों और व्यवस्था को बदल देने की कोशिश करती। आख़िरकार, पवित्र जन इसके हाथ में दिए जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य १३:५, ७ भी देखिए.

११, १२. कौनसी घटनाएँ १,२६० भविष्यसूचक दिनों की शुरूआत तक ले गईं?

११ किस तरह ये समान भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं? प्रथम विश्‍व युद्ध से सालों पहले, यीशु के अभिषिक्‍त भाइयों ने खुले आम चेतावनी दी कि १९१४ में अन्यजातियों के समय का अन्त होगा। जब युद्ध छिड़ गया, यह स्पष्ट था कि चेतावनी की उपेक्षा की गयी। “समयों और व्यवस्था बदल देने” की कोशिश में, यानी कि उस समय को टाल देने के लिए जब परमेश्‍वर का राज्य शासन करता, शैतान ने अपने “पशु,” अर्थात्‌ विश्‍व राजनीतिक संगठन को इस्तेमाल किया, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य तब प्रमुख था। (प्रकाशितवाक्य १३:१, २) शैतान नाक़ामयाब हुआ। मानवी पहुँच से कहीं दूर, स्वर्ग में परमेश्‍वर का राज्य स्थापित किया गया।—प्रकाशितवाक्य १२:१-३.

१२ बाइबल विद्यार्थियों के लिए, युद्ध का मतलब था परीक्षा की घड़ी। जनवरी १९१४ से वे ‘सृष्टि का फोटो-ड्रामा’ (Photo-drama of Creation) दिखा रहे थे, एक बाइबलीय प्रस्तुति जिसमें दानिय्येल की भविष्यवाणियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया। उसी साल के ग्रीष्मकाल में उत्तरी गोलार्ध में, युद्ध छिड़ा। अक्‍तूबर में, अन्यजातियों का समय समाप्त हुआ। उस साल के अन्त तक, अभिषिक्‍त शेष जन उत्पीड़न की प्रतीक्षा कर रहे थे। यह इस बात से प्रकट होता है कि १९१५ के लिए चुना गया वार्षिक पाठ मत्ती २०:२२ पर आधारित अपने चेलों को पूछा गया यीशु का यह सवाल था, “जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या तुम पी सकते हो?”

१३. बाइबल विद्यार्थियों ने १,२६० दिनों के दौरान किस तरह टाट ओढ़े हुए प्रचार किया, और उस अवधि के अन्त में क्या हुआ?

१३ इसलिए, दिसम्बर १९१४ से, गवाहों की इस छोटी टोली ने ‘टाट ओढ़े हुए प्रचार’ किया, और यहोवा के न्यायदंडों की घोषणा करते हुए उन्होंने नम्रतापूर्वक सहन किया। बहुतों के लिए, १९१६ में, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के पहले अध्यक्ष, सी. टी. रस्सल की मौत एक धक्का थी। जैसे-जैसे युद्ध की उत्तेजना फैली, गवाहों को बढ़ते हुए विरोध का सामना करना पड़ा। कुछ जनों को गिरफ़्तार किया गया। इंग्लैंड में फ्रैंक प्लैट और कनाडा में रॉबर्ट क्लैग जैसे व्यक्‍तियों को परपीड़क अधिकारियों द्वारा यंत्रणा दी गयी। आख़िरकार, जून २१, १९१८ के दिन, नए अध्यक्ष जे. एफ. रदरफर्ड को, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के निदेशकों के साथ, झूठे आरोपों पर एक लम्बी क़ैद का दण्डादेश दिया गया। इस प्रकार, भविष्यसूचक अवधि के अन्त में, ‘छोटे से सींग’ ने सुव्यस्थित सार्वजनिक प्रचार कार्य को मार डाला।—दानिय्येल ७:८.

१४. अभिषिक्‍त शेष जनों के लिए १९१९ में और उसके बाद स्थिति कैसे बदली?

१४ प्रकाशितवाक्य की पुस्तक भविष्यवाणी करती है कि इसके बाद क्या हुआ। निष्क्रियता के अल्पकाल के बाद—चौक में साढ़े तीन दिन तक मरे पड़े रहने के तौर पर पूर्वबतलाया गया—अभिषिक्‍त शेष जन फिर से जीवित और सक्रिय बन गए। (प्रकाशितवाक्य ११:११-१३) मार्च २६, १९१९ के दिन, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के अध्यक्ष और निदेशकों को रिहा कर दिया गया, और उनके विरुद्ध लगाए गए झूठे आरोपों से उन्हें बाद में पूरी तरह दोषमुक्‍त किया गया। अपनी रिहाई के फ़ौरन बाद, अभिषिक्‍त शेष जन अधिक कार्य के लिए पुनः संगठित होने लगे। इस प्रकार प्रकाशितवाक्य की पहली हाय की पूर्ति में, वे निष्क्रियता के अथाह कुण्ड से आध्यात्मिक टिड्डियों की तरह घने धुएँ के साथ-साथ निकले, जो झूठे धर्म के लिए अंधकारमय भविष्य की पूर्वसूचना देता है। (प्रकाशितवाक्य ९:१-११) अगले कुछ सालों के दौरान, आगे की बातों के लिए वे आध्यात्मिक रूप से पोषित और तैयार किए गए। उन्होंने १९२१ में एक नयी किताब, ‘परमेश्‍वर की वीणा’ (The Harp of God), प्रकाशित की जो नए जनों को और बच्चों को बाइबल की बुनियादी सच्चाई सीखने में मदद देने के लिए रची गयी। (प्रकाशितवाक्य १२:६, १४) ये सब घटनाएँ एक और महत्त्वपूर्ण कालावधि के दौरान हुईं।

बारह सौ नब्बे दिन

१५. हम किस तरह बारह सौ नब्बे दिन की शुरूआत की गणना कर सकते हैं? यह अवधि कब समाप्त हुई?

१५ स्वर्गदूत ने दानिय्येल से कहा: “जब से नित्य होमबलि उठाई जाएगी, और वह घिनौनी वस्तु जो उजाड़ करा देती है, स्थापित की जाएगी, तब से बारह सौ नब्बे दिन बीतेंगे।” (दानिय्येल १२:११) मूसा के नियम के अंतर्गत, यरूशलेम में मंदिर की वेदी पर “नित्य होमबलि” जलायी जाती थी। मसीही लोग होमबलि नहीं चढ़ाते, लेकिन वे एक आध्यात्मिक नित्य बलिदान चढ़ाते हैं। पौलुस ने इसका ज़िक्र किया जब उसने कहा: “इसलिये हम . . . स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात्‌ उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्‍वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।” (इब्रानियों १३:१५; साथ ही होशे १४:२ से तुलना कीजिए.) यह नित्य बलिदान जून १९१८ में ले लिया गया। तो फिर, वह दूसरी विशेषता जिसकी प्रत्याशा करना है—“वह घिनौनी वस्तु” क्या है? यह राष्ट्र संघ था, जो प्रथम विश्‍व युद्ध के अन्त के समय विजयी शक्‍तियों द्वारा बढ़ाया गया। * यह घिनौना था क्योंकि मसीहीजगत के नेताओं ने राष्ट्र संघ को शांति के लिए मनुष्य की एकमात्र आशा के तौर पर चित्रित करते हुए इसे परमेश्‍वर के राज्य के स्थान में रखा। जनवरी १९१९ में संघ का प्रस्ताव रखा गया। अगर हम उस समय से बारह सौ नब्बे दिन (तीन साल, सात महीने) गिनें, हम सितम्बर १९२२ तक आ जाते हैं।

१६. बारह सौ नब्बे दिनों के अन्त में, यह किस तरह प्रकट था कि अभिषिक्‍त शेष जन कार्यवाही के लिए तैयार थे?

१६ तब क्या हुआ? ख़ैर, बाइबल विद्यार्थियों ने अब फिर से ताज़गी पा ली थी, महा बाबुल से मुक्‍त थे, और कार्यवाही करने के लिए तैयार थे। (प्रकाशितवाक्य १८:४) सितम्बर १९२२ में सीडर पॉइंट, ओहायो, अमरीका में आयोजित एक अधिवेशन में, वे मसीहीजगत पर परमेश्‍वर के न्यायदंड को निर्भीकता से घोषित करने लगे। (प्रकाशितवाक्य ८:७-१२) टिड्डियों के डंक सचमुच दर्द पहुँचाने लगे! और इससे भी ज़्यादा, प्रकाशितवाक्य की दूसरी हाय शुरू हुई। मसीही घुड़सवार फौज—जो शुरू में अभिषिक्‍त शेष जनों से बनी थी और बाद में बड़ी भीड़ द्वारा बढ़ायी गयी—सारी पृथ्वी में उमड़ पड़ी। (प्रकाशितवाक्य ७:९; ९:१३-१९) जी हाँ, १,२९० दिनों का अन्त परमेश्‍वर के लोगों के लिए हर्ष लाया। * लेकिन आगे और बाकी था।

एक हज़ार तीन सौ पैंतीस दिन

१७. एक हज़ार तीन सौ पैंतीस दिन कब आरम्भ और समाप्त हुए?

१७ दानिय्येल १२:१२ कहता है: “क्या ही ख़ुश है वह, जो प्रतीक्षा करके एक हज़ार तीन सौ पैंतीस दिन के अन्त तक पहुंचे!” (NW) ये १,३३५ दिन, या तीन साल, साढ़े आठ महीने, प्रतीयमानतः पिछली अवधि के अन्त में आरम्भ हुए। सितम्बर १९२२ से गिनते हुए, यह हमें १९२६ के वसन्त ऋतु के आख़री भाग (उत्तरी गोलार्ध) में ले आता है। उन १,३३५ दिनों के दौरान क्या हुआ?

१८. कौनसे तथ्य दिखाते हैं कि १९२२ में अब भी प्रगति करनी बाकी थी?

१८ उन्‍नीस सौ बाइस की घटनाओं के महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद, प्रतीयमानतः कुछ लोग फिर भी भूतकाल की तरफ आस लगाए थे। सी. टी. रस्सल द्वारा लिखी गयी ‘शास्त्रवचन में अध्ययन’ (Studies in the Scriptures) तब तक बुनियादी अध्ययन विषय था। इसके अतिरिक्‍त, व्यापक रूप से वितरित पुस्तिका ‘अभी जीवित करोड़ों लोग कभी नहीं मरेंगे’ (Millions Now Living Will Never Die) द्वारा यह दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया कि पृथ्वी को फिर से परादीस बनाने और प्राचीन काल के वफ़ादार जनों के पुनरुत्थान के सम्बन्ध में परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों की पूर्ति १९२५ में शुरू होगी। प्रतीत होता था कि अभिषिक्‍त जनों का धीरज लगभग समाप्त होनेवाला है। तथापि, बाइबल विद्यार्थियों के साथ संगति करनेवाले थोड़े जन दूसरों के साथ सुसमाचार बाँटने के लिए प्रेरित नहीं हुए।

१९, २०. (क) किस तरह १,३३५ दिनों के दौरान परमेश्‍वर के लोगों के लिए अनेक बातें बदली? (ख) कौनसी घटनाओं ने १,३३५-दिन की अवधि के अन्त को चिह्नित किया, और यहोवा के लोगों के विषय में इन घटनाओं ने क्या सूचित किया?

१९ जैसे-जैसे १,३३५ दिन बीतते गए, यह सब बदला। भाइयों को दृढ़ करने के लिए, द वॉच टावर के नियमित समूह अध्ययन आयोजित किए गए। क्षेत्र सेवा पर ज़ोर दिया गया। मई १९२३ में शुरू होते हुए, हर व्यक्‍ति को हर महीने के पहले मंगलवार के दिन क्षेत्र सेवा में भाग लेने का निमंत्रण दिया गया, और इस काम में इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सप्ताह के मध्य कलीसिया सभा के दौरान वक़्त अलग रखा गया। अगस्त १९२३ में, लॉस ऐन्जलिस, कैलिफॉर्निया, अमरीका में एक सम्मेलन में, यह दिखाया गया कि भेड़ और बकरियों का यीशु का दृष्टांत सहस्राब्दिक शासन से पहले पूरा होगा। (मत्ती २५:३१-४०) वर्ष १९२४ में डब्ल्यू.बी.बी.आर. (WBBR) रेडिओ स्टेशन का उद्‌घाटन हुआ, जिसे वायु-तरंगों पर सुसमाचार का प्रचार करने के लिए इस्तेमाल किया गया। द वॉच टावर के मार्च १, १९२५ अंक में “राष्ट्र का जन्म” लेख ने प्रकाशितवाक्य १२ की एक समायोचित समझ दी। आख़िरकार, १९१४-१९ की ऊधमी घटनाओं को वफ़ादार मसीही सही तरह से समझ सके।

२० वर्ष १९२५ अपनी समाप्ति पर आया, लेकिन अन्त अभी नहीं था! अठाराह सौ सत्तर के दशक से, बाइबल विद्यार्थी एक तारीख़ को मन में रखते हुए सेवा कर रहे थे—पहले १९१४, फिर १९२५। अब उन्हें एहसास हुआ कि जब तक यहोवा चाहता है, तब तक उन्हें सेवा करनी है। द वॉच टावर का जनवरी १, १९२६ अंक में महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक लेख “कौन यहोवा का आदर करेगा?” था, जिसने परमेश्‍वर के नाम के महत्त्व को पहले से कहीं ज़्यादा विशिष्ट किया। और आख़िरकार, मई १९२६ में लंडन, इंग्लैंड के अधिवेशन में, “संसार के शासकों को साक्ष्य” नामक प्रस्ताव स्वीकार किया गया। इस साक्ष्य ने परमेश्‍वर के राज्य और शैतान के संसार के आनेवाले विनाश की सच्चाई की सीधे रूप से घोषणा की। उसी अधिवेशन में, ज़ोरदार किताब ‘छुटकारा’ (Deliverance) निकली, जो स्टडीज़ इन द स्क्रिपचर्स्‌ की जगह लेनेवाली किताबों की श्रृंखला में पहली बनी। परमेश्‍वर के लोग अब आगे देख रहे हैं, पीछे नहीं। वह १,३३५ दिन समाप्त हुए।

२१. तब परमेश्‍वर के लोगों के लिए १,३३५-दिन की अवधि में धीरज धरने का क्या मतलब था, और इस कालावधि के विषय में भविष्यवाणी की पूर्ति का हमारे लिए क्या मतलब है?

२१ कुछ जन इन विकासों के अनुकूल बनने के लिए अनिच्छुक थे, लेकिन धीरज धरनेवाले सचमुच ख़ुश थे। इसके अलावा, जब हम इन भविष्यसूचक कालावधियों की पूर्ति की ओर देखते हैं, हम भी ख़ुश हैं क्योंकि इस बात पर हमारा भरोसा मज़बूत होता है कि उन समयों में जीवित रही हुई अभिषिक्‍त मसीहियों की छोटी टोली असल में विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास है। उसके बाद के सालों में, यहोवा का संगठन विशाल रूप से विस्तारित हुआ है, लेकिन विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास अभी भी उसके केंद्र पर है और उसे मार्गदर्शन दे रहा है। तो फिर, यह जानना कितना रोमांचकारी है कि अभिषिक्‍त जनों और अन्य भेड़ों के लिए, और ख़ुशी बाकी है! यह देखा जाएगा जैसे हम दानिय्येल की एक और भविष्यवाणी पर विचार करते हैं।

[फुटनोट]

^ इसकी चर्चा करने के लिए कि किस तरह इन भविष्यसूचक अवधियों की गणना की जाए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किताब ‘हमारा आगामिक विश्‍व शासन—परमेश्‍वर का राज्य’ (Our Incoming World GovernmentGod’s Kingdom), अध्याय ८ देखिए।

^ प्रहरीदुर्ग का अप्रैल १, १९८६ अंक, पृष्ठ १३-२३ देखिए.

^ प्रहरीदुर्ग का अप्रैल १, १९९१ अंक, पृष्ठ २१, २२ और १९७५ यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनेसस्‌, पृष्ठ १३२ देखिए.

क्या आप समझा सकते हैं?

▫ हम कैसे जानते हैं कि दानिय्येल में कुछेक भविष्यवाणियाँ हमारे समय में पूरी होनेवाली थीं?

▫ हम क्यों विश्‍वस्त हो सकते हैं कि अभिषिक्‍त शेष जन “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” है?

▫ कब १,२६० दिन आरंभ और समाप्त हुए?

▫ अभिषिक्‍त शेष जनों को १,२९० दिनों से क्या ताज़गी और पुनःस्थापना प्राप्त हुई?

▫ क्यों १,३३५ दिनों के अन्त तक धीरज धरनेवाले ख़ुश थे?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 7 पर तसवीरें]

उन्‍नीस सौ उन्‍नीस से यह स्पष्ट रहा है कि “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” अभिषिक्‍त शेष जन है

[पेज 9 पर तसवीरें]

जनेवा, स्वीट्‌ज़रलैंड में राष्ट्र संघ का मुख्यालय

[चित्र का श्रेय]

UN photo

[पेज 10 पर बक्स]

दानिय्येल की भविष्यसूचक कालावधियाँ

१,२६० दिन:

दिसम्बर १९१४ से जून १९१८

१,२९० दिन:

जनवरी १९१९ से सितम्बर १९२२

१,३३५ दिन:

सितम्बर १९२२ से मई १९२६