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बड़े प्रधान, मीकाएल की आख़री जीत

बड़े प्रधान, मीकाएल की आख़री जीत

बड़े प्रधान, मीकाएल की आख़री जीत

“उसी समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान, जो तेरे जाति-भाइयों का पक्ष करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा।”—दानिय्येल १२:१.

१. अनेक विश्‍व शासकों ने यहोवा की सर्वसत्ता के प्रति कैसा रवैया ज़ाहिर किया है, और किस तरह उत्तर देश का राजा भिन्‍न नहीं रहा है?

 “यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं?” (निर्गमन ५:२) मूसा को कहे फ़िरौन के ये ताना मारनेवाले शब्द थे। यहोवा के सर्वोच्च परमेश्‍वरत्व को मानने से इनकार करते हुए, फ़िरौन इस्राएल को ग़ुलामी में रखने के लिए दृढ़संकल्प था। अन्य शासकों ने यहोवा के लिए समान घृणा दिखायी है, और दानिय्येल की भविष्यवाणी के राजा कोई अपवाद नहीं हैं। (यशायाह ३६:१३-२०) वाक़ई, उत्तर देश का राजा और आगे गया है। स्वर्गदूत कहता है: “वह . . . अपने आप को सारे देवताओं से ऊंचा और बड़ा ठहराएगा; वरन सब देवताओं के परमेश्‍वर के विरूद्ध भी अनोखी बातें कहेगा। . . . वह अपने पुरखाओं के देवताओं की चिन्ता न करेगा, न स्त्रियों की प्रीति की कुछ चिन्ता करेगा और न किसी देवता की; क्योंकि वह अपने आप ही को सभों के ऊपर बड़ा ठहराएगा।”—दानिय्येल ११:३६, ३७.

२, ३. एक और “देवता” की उपासना करने के पक्ष में उत्तर देश के राजा ने किस तरह “अपने पुरखाओं के देवता” को अस्वीकार किया है?

इन भविष्यसूचक शब्दों को पूरा करते हुए, उत्तर देश के राजा ने “अपने पुरखाओं के देवताओं” (या, “अपने पिताओं के देवताओं,” NW) को अस्वीकार किया है, चाहे वे रोम के झूठे देवता हों या मसीहीजगत का त्रियेकवादी ईश्‍वर हो। अपने उद्देश्‍यों के लिए हिटलर ने मसीहीजगत को इस्तेमाल किया लेकिन प्रत्यक्षतः उसने एक नए, जर्मन चर्च से इसे प्रतिस्थापित करने की योजना की। उत्तर देश का उत्तराधिकारी राजा ने सरासर निरीश्‍वरवाद को बढ़ावा दिया। इस प्रकार उत्तर देश के राजा ने ख़ुद को ईश्‍वर बनाया है, और ‘अपने आप को सब से ऊंचा और बड़ा ठहराया’ है।

भविष्यवाणी जारी रहती है: “वह अपने राजपद पर स्थिर रहकर दृढ़ गढ़ों ही के देवता का सम्मान करेगा, एक ऐसे देवता का जिसे उसके पुरखा भी न जानते थे, वह सोना, चान्दी, मणि और मनभावनी वस्तुएं चढ़ाकर उसका सम्मान करेगा।” (दानिय्येल ११:३८) दरअसल, उत्तर देश के राजा ने अपना भरोसा आधुनिक वैज्ञानिक सैन्यवाद, “दृढ़ गढ़ों के देवता,” पर रखा। अन्त के समय के दौरान, उसकी वेदी पर बहुत धन चढ़ाते हुए, उसने इस “देवता” के ज़रिये उद्धार की खोज की है।

४. उत्तर देश के राजा को क्या कामयाबी मिली है?

“उस बिराने देवता के सहारे से वह अति दृढ़ गढ़ों से लड़ेगा, और जो कोई उसको माने उसे वह बड़ी प्रतिष्ठा देगा। ऐसे लोगों को वह बहुतों के ऊपर प्रभुता देगा, और अपने लाभ के लिए अपने देश की भूमि को बांट देगा।” (दानिय्येल ११:३९) अपने सैन्यवादी “बिराने देवता” में भरोसा करते हुए, उत्तर देश का राजा ‘लड़ा,’ और “अन्तिम दिनों” में एक भयानक सैन्य शक्‍ति साबित हुआ है। (२ तीमुथियुस ३:१) उसकी विचारधारा का समर्थन करनेवालों को राजनीतिक, आर्थिक, और कभी-कभी सैन्य सहारे द्वारा प्रतिफल दिए गए।

“अन्त के समय”

५, ६. किस तरह दक्षिण देश का राजा ‘टकराया’ है, और किस तरह उत्तर देश के राजा ने प्रतिक्रिया दिखायी है?

दानिय्येल ११:४०क में कहा गया है: “अन्त के समय दक्खिन देश का राजा उसको सींग मारने लगेगा [उससे टक्कर लेगा, NW]।” यह आयत और अगली आयतें हमारे भविष्य में पूर्ति होने के तौर पर देखी गईं हैं। बहरहाल, अगर यहाँ “अन्त के समय” का वही अर्थ है जो दानिय्येल १२:४, ९ का अर्थ है, तो हमें इन शब्दों की पूर्ति के लिए पूरे अन्तिम दिनों के दौरान देखना चाहिए। इस समय के दौरान क्या दक्षिण देश के राजा ने उत्तर देश के राजा से ‘टक्कर ली’ है? जी हाँ, वाक़ई। प्रथम विश्‍व युद्ध के बाद, दण्डात्मक सुलहनामा यक़ीनन ‘टकराना’ था, प्रतिकार लेने के लिए भड़काना। द्वितीय विश्‍व युद्ध में अपनी जीत के बाद, दक्षिण देश के राजा ने अपने प्रतिद्वंदी पर भयानक परमाणु अस्त्रों का निशाना लगाया और उसके विरुद्ध एक शक्‍तिशाली सैन्य संश्रय नेटो (NATO) संगठित किया। जैसे-जैसे साल बीतते गए, उसके ‘टकराने’ में उच्च-तकनीकी जासूसी साथ ही राजनयिक और सेना आक्रमण शामिल थे।

उत्तर देश के राजा ने किस तरह प्रतिक्रिया दिखायी? “उत्तर देश का राजा उस पर बवण्डर की नाईं बहुत से रथ-सवार और जहाज़ लेकर चढ़ाई करेगा; इस रीति से वह बहुत से देशों में फैल जाएगा, और उन में से निकल जाएगा।” (दानिय्येल ११:४०ख) अन्तिम दिनों के इतिहास में उत्तर देश के राजा का विस्तारवाद विशिष्ट रहा है। द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान, नात्‌ज़ी “राजा” ने आस-पास के देशों को अपना बनाया। उस युद्ध के अन्त में, उत्तराधिकारी “राजा” ने अपनी सीमाओं के बाहर एक शक्‍तिशाली साम्राज्य बनाया। शीत युद्ध के दौरान, अफ्रीका, एशिया, और लाटिन अमरीका में उत्तर देश का राजा परोक्षी युद्धों और विद्रोहों में अपने प्रतिद्वंदी से लड़ा। उसने असली मसीहियों को उत्पीड़ित करते हुए उनकी गतिविधि को सीमित किया (लेकिन किसी भी हालत में नहीं रुकाया)। और उसके राजनीतिक और सैन्य आक्रमणों ने अनेक देशों को उसके नियंत्रण में किया। यह ठीक स्वर्गदूत की भविष्यवाणी के अनुसार है: “वह शिरोमणि देश [परमेश्‍वर के लोगों की आध्यात्मिक संपदा] में भी आएगा। और बहुत से देश उजड़ जाएंगे।”—दानिय्येल ११:४१क.

७. उत्तर देश के राजा के विस्तारवाद की क्या सीमाएँ थीं?

फिर भी, हालाँकि—अपने प्रतिद्वंदी के दृष्टिकोण से—उत्तर देश का राजा धमकी प्रतीत हुआ है, उसे विश्‍व पर जीत प्राप्त नहीं हुई है। “एदोमी, मोआबी और मुख्य मुख्य अम्मोनी आदि जातियों के देश उसके हाथ से बच जाएंगे।” (दानिय्येल ११:४१ख) प्राचीन समयों में, एदोम, मोआब, और अम्मोन लगभग मिस्र और अराम के बीच स्थित थे। उन्हें आज उन राष्ट्रों और संगठनों को चित्रित करने के लिए लिया जा सकता है जिन्हें उत्तर देश के राजा ने निशाना बनाया था लेकिन अपने प्रभाव के अधीन लाने में असमर्थ था।

‘मिस्र नहीं बचेगा’

८, ९. किस तरह उत्तर देश के राजा का प्रभाव उसके प्रमुख प्रतिद्वंदी द्वारा भी, महसूस किया गया है?

स्वर्गदूत आगे कहता है: “वह कई देशों पर हाथ बढ़ाएगा और मिस्र देश भी न बचेगा। वह मिस्र के सोने चान्दी के खज़ानों और सब मनभावनी वस्तुओं का स्वामी हो जाएगा; और लूबी और कूशी लोग भी उसके पीछे हो लेंगे।” (दानिय्येल ११:४२, ४३) दक्षिण देश का राजा, “मिस्र” भी उत्तर देश के राजा के विस्तारवादी नीतियों के प्रभाव से नहीं बचा। दक्षिण देश के राजा को कष्ट सहना पड़ा, उदाहरण के लिए, वियतनाम में एक उल्लेखनीय हार। और ‘लूबी और कूशी लोगों’ का क्या? प्राचीन मिस्र के ये पड़ोसी शायद ऐसे राष्ट्रों को पूर्वसूचित करें जो भौगोलिक रूप से आधुनिक “मिस्र” के पड़ोसी हैं और जो उत्तर देश के राजा ‘के पीछे हो लिए,’ कभी-कभी उसके अनुयायी रहे हैं।

क्या उत्तर देश का राजा ‘मिस्र के खज़ानों’ का स्वामी हो गया है? ख़ैर, उसने दक्षिण देश के राजा पर जीत यक़ीनन हासिल नहीं की है, और १९९३ तक की विश्‍व स्थिति से ऐसा होना असम्भव प्रतीत होता है। लेकिन जिस तरह दक्षिण देश का राजा अपने आर्थिक साधनों का इस्तेमाल करता है, उस पर इसका एक शक्‍तिशाली प्रभाव रहा है। अपने प्रतिद्वंदी के डर के कारण, एक भयानक थल-सेना, नौसेना और वायु सेना को बनाए रखने के लिए दक्षिण देश के राजा ने हर साल बड़ी रक़म अलग रखी है। इस हद तक यह कहा जा सकता है कि उत्तर देश का राजा दक्षिण देश के राजा के धन-दौलत के अधिकार का ‘स्वामी हो गया’ है, नियंत्रण किया है।

उत्तरी राजा का आख़री अभियान

१०. दो राजाओं के दरमियान प्रतिद्वंदिता के अन्त का वर्णन स्वर्गदूत किस तरह करता है?

१० क्या दोनों राजाओं के दरमियान प्रतिद्वंदिता सर्वदा तक चलती है? नहीं। स्वर्गदूत ने दानिय्येल को कहा: “उसी समय वह [उत्तर देश का राजा] पूरब और उत्तर दिशाओं से समाचार सुनकर घबराएगा, और बड़े क्रोध में आकर बहुतों को सत्यानाश करने के लिए निकलेगा। और वह विशाल समुद्र और पवित्र शिरोमणि पर्वत के बीच अपना राजकीय तम्बू खड़ा करेगा; इतना करने पर भी उसका अन्त आ जाएगा, और कोई उसका सहायक न रहेगा।”—दानिय्येल ११:४४, ४५, NW.

११, १२. उत्तर देश के राजा और दक्षिण देश के राजा के बीच प्रतिद्वंदिता से हाल की राजनीतिक घटनाओं का क्या सम्बन्ध है, और हमें अभी भी क्या सीखना बाकी है?

११ ये घटनाएँ तो अभी भी भावी हैं, इसलिए हम तफ़सीलवार नहीं कह सकते कि यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी। हाल में, दोनों राजाओं के सम्बन्ध में स्थिति बदली है। अमरीका और पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच तीक्ष्ण प्रतिद्वंदिता शांत हुई है। इसके अतिरिक्‍त, सोवियत संघ १९९१ में विघटित हुआ और अस्तित्व में नहीं है।—द वॉचटावर का मार्च १, १९९२ अंक, पृष्ठ ४, ५ देखिए.

१२ अतः उत्तर देश का राजा अब कौन है? क्या इसे पुराने सोवियत संघ के एक समय पर भाग रहे हुए किसी देश के साथ पहचाना जाना चाहिए? या क्या वह पूरी तरह अपनी पहचान बदल रहा है, जैसे उसने पहले अनेक दफ़ा किया है? हम नहीं कह सकते। जब दानिय्येल ११:४४, ४५ पूरा होता है, तब कौन उत्तर देश का राजा होगा? क्या दोनों राजाओं के बीच प्रतिद्वंदिता फिर से भड़केगी? अभी भी अनेक देशों में जो बड़ा परमाणु संचय है उसका क्या? सिर्फ़ समय ही इन सवालों का जवाब देगा।

१३, १४. दोनों राजाओं के भविष्य के बारे में हम क्या जानते हैं?

१३ हम एक बात जानते हैं। जल्द ही, उत्तर देश का राजा “पूरब और उत्तर दिशाओं से समाचार सुनकर घबराएगा,” इससे प्रेरित होकर वह एक आक्रमणशील अभियान संचालित करेगा। यह अभियान उसके “अन्त” से तुरन्त पहले होगा। अगर हम अन्य बाइबल भविष्यवाणियों पर ग़ौर करें, हम इन ‘समाचारों’ के बारे में ज़्यादा सीख सकते हैं।

१४ लेकिन पहले, ध्यान दीजिए कि ये कहा नहीं गया है कि उत्तर देश के राजा के ये कृत्य दक्षिण देश के राजा के विरुद्ध हैं। उसका अन्त अपने महान प्रतिद्वंदी के हाथ नहीं आता है। उसी समान, दक्षिण देश का राजा उत्तर देश के राजा द्वारा नाश नहीं किया जाता है। दक्षिणी राजा (जो पशु पर आनेवाले आख़िरी सींग के तौर पर अन्य भविष्यवाणियों में चित्रित है) परमेश्‍वर के राज्य के द्वारा “[मानवी] हाथ से बिना” नाश किया जाता है। (दानिय्येल ७:२६; ८:२५) दरअसल, सब पार्थिव राजा आख़िरकार आरमगिदोन के युद्ध में परमेश्‍वर के राज्य के द्वारा नाश किए जाते हैं, और प्रत्यक्षतः उत्तर देश के राजा के साथ यही होता है। (दानिय्येल २:४४; १२:१; प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) उस अन्तिम युद्ध की ओर ले जानेवाली घटनाएँ दानिय्येल ११:४४, ४५ में वर्णित हैं। यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि उत्तर देश के राजा का “कोई सहायक न रहेगा” जब वह अपने अन्त का सामना करता है!

१५. विचार-विमर्श करने के लिए कौनसे महत्त्वपूर्ण सवाल बाकी हैं?

१५ तो फिर, वे अन्य भविष्यवाणियाँ क्या हैं जो उस “समाचार” के बारे में अधिक जानकारी देती हैं जो उत्तर देश के राजा को “बहुतों को सत्यानाश करने के लिए” प्रेरित करता है। और वे ‘बहुत’ कौन हैं जिन्हें वह नाश करना चाहेगा?

पूरब से समाचार

१६. (क) आरमगिदोन से पहले क्या उल्लेखनीय घटना होनी है? (ख) ‘पूर्व दिशा के राजा’ कौन हैं?

१६ आरमगिदोन, अन्तिम युद्ध से पहले, सच्ची उपासना का एक महा शत्रु को नाश किया जाना है—वेश्‍या-समान बड़ा बाबुल, झूठे धर्म का विश्‍वव्यापी साम्राज्य। (प्रकाशितवाक्य १८:३-८) परमेश्‍वर के प्रकोप का छठवाँ कटोरा प्रतीकात्मक नदी फुरात पर उँडेलने से उसके विनाश को पूर्वसूचित किया जाता है। नदी सूख जाती है “कि पूर्व दिशा के राजाओं के लिये मार्ग तैयार हो जाए।” (प्रकाशितवाक्य १६:१२) ये राजा कौन हैं? यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह के सिवाय कोई और नहीं! *

१७. (क) बड़े बाबुल के विनाश के बारे में बाइबल हमें क्या कहती है? (ख) “पूर्व दिशा से” समाचार शायद क्या हो सकता है?

१७ प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में बड़े बाबुल का विनाश सजीव ढंग से वर्णित है: “जो दस सींग तू ने देखे [अन्त के समय में शासन करनेवाले ‘राजा’], वे और पशु [किरमिजी रंग का पशु, जो संयुक्‍त राष्ट्र संघ जो चित्रित करता है] उस वेश्‍या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नङ्‌गी कर देंगे; और उसका मांस खा जाएंगे, और उसे आग में जला देंगे।” (प्रकाशितवाक्य १७:१६) सचमुच, राष्ट्र ‘बहुत मांस नाश करते हैं’! (दानिय्येल ७:५) लेकिन ये शासक, उत्तर देश का राजा भी, बड़े बाबुल को क्यों नाश करेंगे? क्योंकि “परमेश्‍वर उन के मन में यह डालेगा, कि वे उस की मनसा पूरी करें।” (प्रकाशितवाक्य १७:१७) “पूर्व दिशा से” समाचार शायद यहोवा के इस कृत्य का ज़िक्र करे, जब वह, अपने ही तरीके से, मानवी नेताओं के हृदय में महा धार्मिक वेश्‍या का सर्वनाश करने का विचार डालता है।—दानिय्येल ११:४४.

उत्तर दिशा से समाचार

१८. उत्तर देश के राजा का और क्या लक्ष्य है, और अपने अन्त के समय में उसके स्थान का पता कहाँ लगता है?

१८ उत्तर देश के राजा के प्रकोप का एक और लक्ष्य है। स्वर्गदूत कहता है कि वह “विशाल समुद्र और पवित्र शिरोमणि पर्वत के बीच अपना राजकीय तम्बू खड़ा करेगा।” (दानिय्येल ११:४५, NW) दानिय्येल के समय में, समुद्र भूमध्य सागर था, और पवित्र पर्वत सिय्योन था, जो एक समय पर परमेश्‍वर के मंदिर का स्थल था। इसलिए, भविष्यवाणी की पूर्ति में, उत्तर देश का क्रोधित राजा परमेश्‍वर के लोगों के विरुद्ध सैन्य अभियान संचालित करता है! आज आत्मिक अर्थ में, “पवित्र समुद्र और पवित्र शिरोमणि पर्वत के बीच” परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त सेवकों की आध्यात्मिक संपदा में उसका पता लगता है। अभिषिक्‍त सेवक जो परमेश्‍वर से विमुख मानवजाति के “समुद्र” से बाहर आए हैं और इन्हें यीशु मसीह के साथ स्वर्गीय सिय्योन पर्वत पर शासन करने की आशा है।—यशायाह ५७:२०; इब्रानियों १२:२२; प्रकाशितवाक्य १४:१.

१९. जैसे यहेजकेल की भविष्यवाणी से सूचित होता है, गोग के आक्रमण को भड़कानेवाले उस समाचार को हम कैसे पहचानें? (फुटनोट देखिए.)

१९ यहेजकेल, दानिय्येल के समकालिक व्यक्‍ति, ने भी “अन्त के दिनों में” परमेश्‍वर के लोगों पर एक आक्रमण की भविष्यवाणी की। उसने कहा कि आक्रमण मागोग का गोग द्वारा प्रारम्भ किया जाएगा, जो शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस को चित्रित करता है। (यहेजकेल ३८:१६) प्रतीकात्मक रूप से, गोग कौनसी दिशा से आता है? यहेजकेल के ज़रिये, यहोवा कहता है: “तू उत्तर दिशा के दूर दूर स्थानों से आएगा।” (यहेजकेल ३८:१५) इसलिए, यहोवा के लोगों पर आक्रमण करने के लिए उत्तर देश के राजा और अन्य राजाओं को भड़कानेवाला “उत्तर दिशाओं से” समाचार शायद शैतान का प्रचार हो। *प्रकाशितवाक्य १६:१३, १४; १७:१४ से तुलना कीजिए.

२०, २१. (क) गोग राष्ट्रों को, जिसमें उत्तर देश का राजा भी है, परमेश्‍वर के लोगों पर आक्रमण करने के लिए क्यों भड़काएगा? (ख) क्या उसका आक्रमण सफल होगा?

२० “परमेश्‍वर के इस्राएल” की समृद्धि के कारण, जो अन्य भेड़ की बड़ी भीड़ के साथ गोग के जगत के भाग नहीं हैं, गोग पूरी कोशिश के साथ यह आक्रमण संगठित करता है। (गलतियों ६:१६; यूहन्‍ना १०:१६; १७:१५, १६; १ यूहन्‍ना ५:१९) गोग संदेह से ऐसे लोगों को देखता है “जो जातियों में से इकट्ठे हुए थे और पृथ्वी की नाभी पर बसे हुए ढोर और और [आध्यात्मिक] सम्पत्ति रखते हैं।” (यहेजकेल ३८:१२; प्रकाशितवाक्य ५:९; ७:९) इन शब्दों की पूर्ति में, यहोवा के लोग आज पहले से कहीं ज़्यादा समृद्ध हो रहे हैं। यूरोप, अफ्रीका, और एशिया के कई देशों में, जहाँ एक समय पर उन पर रोक थी, वे अब स्वतंत्र रूप से उपासना करते हैं। वर्ष १९८७ और १९९२ के बीच, सारी जातियों में से दस लाख से अधिक “मनभावनी वस्तुएं” यहोवा की सच्ची उपासना के घर में आईं। आध्यात्मिक रूप से, वे धनी और शांतिमय हैं।—हाग्गै २:७; यशायाह २:२-४; २ कुरिन्थियों ८:९.

२१ मसीही आध्यात्मिक संपदा को आसानी से जीते जा सकनेवाले “बिन शहरपनाह के गांवों के देश” की तरह देखकर, गोग मनुष्यजाति के अपने पूरे नियंत्रण की इस बाधा को मिटाने के लिए एक सर्वोच्च कोशिश करता है। (यहेजकेल ३८:११) लेकिन वह विफल हो जाता है। जब यहोवा के लोगों पर पृथ्वी के राजा आक्रमण करते हैं, तब ‘उनका अन्त आ जाएगा।’ कैसे?

एक तीसरा राजा

२२, २३. जब गोग आक्रमण करता है, कौन परमेश्‍वर के लोगों के लिए खड़ा होता है, और किन परिणामों के साथ?

२२ यहेजकेल कहता है कि गोग का आक्रमण यहोवा परमेश्‍वर के लिए संकेत है कि वह अपने लोगों के पक्ष में उठकर “इस्राएल के पहाड़ों पर” गोग की शक्‍तियों का नाश करे। (यहेजकेल ३८:१८; ३९:४) यह बात हमें दानिय्येल को स्वर्गदूत द्वारा कहे शब्दों की याद दिलाती है: “उसी समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान, जो तेरे जाति-भाइयों का पक्ष करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा। तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्‍न होने के समय से लेकर अब तक कभी न हुआ होगा; परन्तु उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम परमेश्‍वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे।”—दानिय्येल १२:१.

२३ उन्‍नीस सौ चौदह में, यीशु—स्वर्गीय योद्धा मीकाएल—परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य का राजा बन गया। (प्रकाशितवाक्य ११:१५; १२:७-९) तब से, वह ‘दानिय्येल के जाति-भाइयों का पक्ष करने को’ खड़ा रहा है। लेकिन, जल्द ही, वह अपराजेय योद्धा-राजा की हैसियत से यहोवा के नाम में “खड़ा” होगा और “जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।” (२ थिस्सलुनीकियों १:८) दानिय्येल की भविष्यवाणी के राजाओं को शामिल करते हुए, पृथ्वी के सभी राष्ट्र “छाती पीटेंगे।” (मत्ती २४:३०) ‘दानिय्येल के जाति-भाइयों’ के प्रति अभी भी अपने हृदय में बुरे विचारों के साथ, वे ‘मीकाएल नाम बड़े प्रधान’ के हाथों सर्वदा के लिए मिट जाएंगे।—प्रकाशितवाक्य १९:११-२१.

२४. दानिय्येल की भविष्यवाणी के इस अध्ययन का हम पर क्या प्रभाव होना चाहिए?

२४ क्या हम मीकाएल और उसके परमेश्‍वर, यहोवा की उस शानदार जीत को देखने को नहीं तरसते? क्योंकि सच्चे मसीहियों के लिए उस जीत का मतलब होगा ‘बच निकलना,’ उत्तरजीविता। (मलाकी ४:१-३ से तुलना कीजिए.) इसलिए, उत्सुक प्रत्याशा के साथ भविष्य को देखते हुए, हम प्रेरित पौलुस के शब्दों को याद करते हैं: “वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह।” (२ तीमुथियुस ४:२) आइए हम जीवन के वचन को थामे रखें और जब तक समय अनुकूल है हम कर्मनिष्ठापूर्वक यहोवा के भेड़ों की खोज करें। हम जीवन के लिए दौड़ की अंतिम मंज़िल पर हैं। प्रतिफल दिखाई दे रहा है। आइए हम सब अन्त तक धीरज धरने के लिए दृढ़संकल्प रहें और इस प्रकार उद्धार पानेवालों में से हों।—मत्ती २४:१३; इब्रानियों १२:१.

[फुटनोट]

^ वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित रेवलेशन—इटस्‌ ग्रैन्ड क्लाइमैक्स ऐट हैन्ड! पृष्ठ २२९-३० देखिए।

^ वैकल्पिक रूप से, गोग को कहे यहोवा के शब्दों को मद्दे नज़र रखते हुए, “उत्तर दिशाओं से” समाचार का मूल शायद यहोवा हो: “मैं . . . तेरे जबड़ों में आंकड़े डालकर तुझे निकालूंगा।” “मैं तुझे . . . उत्तर दिशा के दूर दूर देशों से चढ़ा ले आऊंगा, और इस्राएल के पहाड़ों पर पहुंचाऊंगा।”—यहेजकेल ३८:४; ३९:२; साथ ही भजन ४८:२ से तुलना कीजिए.

क्या आप समझते हैं?

अन्त के समय के दौरान किस तरह दक्षिण देश का राजा उत्तर देश के राजा से टकराया है?

दोनों राजाओं के बीच प्रतिद्वंदिता के परिणाम के बारे में हमें और क्या सीखना बाकी है?

आरमगिदोन से पहले कौनसी दो घटनाएँ यक़ीनन उत्तर देश के राजा को शामिल करेंगी?

किस तरह “मीकाएल नाम बड़ा प्रधान” परमेश्‍वर के लोगों की रक्षा करेगा?

दानिय्येल की भविष्यवाणी के अपने अध्ययन के प्रति हमारी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीरें]

उत्तर देश का राजा ने एक ऐसे ईश्‍वर की उपासना की है जो उसके पुरखाओं के ईश्‍वरों से भिन्‍न है

[चित्र का श्रेय]

Top left and middle: UPI/Bettmann; bottom left: Reuters/Bettmann; bottom right: Jasmin/Gamma Liaison