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ईस्टर या स्मारक आपको कौन-सा मनाना चाहिए?

ईस्टर या स्मारक आपको कौन-सा मनाना चाहिए?

ईस्टर या स्मारक आपको कौन-सा मनाना चाहिए?

अप्रैल ७ को जैसे क्षितिज में भोर अपनी लालिमा फैलाता है, करोड़ों लोग साल के अपने सबसे बड़े धर्मोत्सव का स्वागत करेंगे—ईस्टर। किसी समय यह नाम, दावतों और उपवासों की १२०-दिन की अवधि पर लागू होता था, जो सॆप्टुआजेसिमा नामक उत्सव से शुरू होता था और त्रियेक दिवस नामक उत्सव पर ख़त्म होता था। आज यह नाम यीशु के पुनरुत्थान का स्मरण मनानेवाले एकल दिन के लिए इस्तेमाल किया जाता है—ईस्टर सण्डे।

लेकिन, उसी सप्ताह के प्रारंभ में एक शाम को, अन्य लाखों लोग मसीह की मृत्यु के स्मारक को, जो प्रभु के संध्या भोज के नाम से भी जाना जाता है, मनाने के लिए मिलेंगे। यह स्वयं यीशु द्वारा पृथ्वी पर अपनी आख़री रात को स्थापित किया गया एक अनुपालन है। उसने तब अपने शिष्यों से कहा: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।”—लूका २२:१९.

आपको कौन-सा मनाना चाहिए?

ईस्टर का उद्‌गम

अनेक देशों में इस्तेमाल किया जानेवाला नाम ईस्टर, बाइबल में नहीं पाया जाता है। पुस्तक मध्यकालीन उत्सव और त्योहार (अंग्रेज़ी) हमें बताती है कि “यह उत्सव भोर और वसन्त की विधर्मी देवी, इओस्त्रे के नाम पर रखा गया है।” और यह देवी कौन थी? “यह इओस्त्रे ही थी जिसने, कल्पकथा के मुताबिक़, बॉल्डर, जो अपनी शुद्धता के कारण श्‍वेत देवता और अपने माथे से मनुष्यजाति को प्रकाश प्रदान करने के कारण सूर्य देवता भी कहलाता है, का स्वागत करने के लिए वॉलहॉला के फाटकों को खोला,” अमरीकी उत्सव पुस्तक (अंग्रेज़ी) जवाब देती है। वह आगे कहती है: “इसमें कोई शक नहीं है कि अपनी शुरूआत में चर्च ने पुराने विधर्मी रिवाज़ों को अपनाया और उन्हें एक मसीही अर्थ दे दिया। चूँकि इओस्त्रे का त्यौहार वसन्त में जीवन के नवीकरण का उत्सव था, इसे यीशु का मृतकों में से पुनरुत्थान का उत्सव बनाना आसान था, जिसका सुसमाचार वे प्रचार करते थे।”

विधर्मी रिवाज़ों का यह स्वीकरण समझाता है कि कुछ देशों में कैसे ईस्टर के रिवाज़, जैसे ईस्टर अण्डे, ईस्टर खरहा, और हॉट क्रॉस बन प्रारंभ हुए। “क्रूस . . . द्वारा चिन्हित चमकदार भूरे ऊपरी हिस्से के साथ” हॉट क्रॉस बन बनाने के रिवाज़ के बारे में, ईस्टर और इसके रिवाज़ (अंग्रेज़ी) पुस्तक कहती है: “पहले गुड फ्राइडे की घटनाओं से अनन्त महत्त्व प्राप्त करने से काफ़ी पहले क्रूस एक विधर्मी प्रतीक था, और मसीही-पूर्व समयों में कभी-कभी पावरोटी तथा केक पर क्रूस का चिन्ह लगाया जाता था।”

शास्त्र में कहीं भी हम इन रिवाज़ों का ज़िक्र नहीं पाते हैं, ना ही कोई सबूत है कि यीशु के प्रारंभिक शिष्य इन पर विश्‍वास करते थे। दरअसल, प्रेरित पतरस हमें ‘वचन के शुद्ध दूध की लालसा विकसित करने’ के लिए कहता है ‘ताकि उसके द्वारा हम उद्धार तक बढ़ सकें।’ (१ पतरस २:२, NW) सो मसीहीजगत के गिरजों ने अपने विश्‍वासों और प्रथाओं में ऐसे प्रत्यक्ष विधर्मी प्रतीकों को क्यों अपनाया?

पुस्तक प्रचलित रिवाज़ों की जिज्ञासाएँ (अंग्रेज़ी) जवाब देती है: “ऐसी विद्यमान विधर्मी धर्मक्रियाओं को, जिन्हें हटाया नहीं जा सकता था, मसीही महत्त्व देना प्रारंभिक चर्च की अपरिवर्तनीय नीति थी। ईस्टर के मामले में धर्मपरिवर्तन ख़ासकर आसान था। प्राकृतिक सूर्य के उदय होने पर, और जाड़े की मौत से प्रकृति के जागरण पर होनेवाला आनन्द, धार्मिकता के सूर्य के उदय होने पर, अर्थात्‌ क़ब्र से मसीह के पुनरुत्थान पर होनेवाला आनन्द बन गया। मई की लगभग पहली तारीख़ को होनेवाले कुछ विधर्मी अनुपालन भी ईस्टर के उत्सव के साथ मेल खाने के लिए बदल दिए गए।” प्रचलित विधर्मी रिवाज़ों और जादूई प्रक्रियाओं से दूर रहने के बजाय, धार्मिक अगुवों ने इन्हें अनदेखा किया और इन्हें “मसीही महत्त्व” दिया।

‘लेकिन इसमें कोई हानि है क्या?’ आप सोच सकते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि नहीं है। “जब मसीहीजगत जैसा धर्म लोगों के पास बाहर से आता है, तब वह पुराने धर्मों से उत्पन्‍न कुछ लोक-प्रथाओं को अपनाता और ‘मंजूरी’ देता है,” ऐलॆन डब्ल्यू. वॉट्‌स्‌, एक धर्माध्यक्षीय परोहित ने अपनी पुस्तक ईस्टर—इसकी कहानी और अर्थ (अंग्रेज़ी) में कहा। “ऐसी उपासना-पद्धति को, जो चर्च द्वारा सिखाए गए समान अनन्त सिद्धान्तों को महत्त्व देते हुए प्रतीत होते हैं, उन्हें यह लोक अनुपालनों में चुनता और बुनता है।” अनेकों के लिए, यह तथ्य कि उनके गिरजे ने इन अनुपालनों को मंजूरी दे दी और इन्हें पवित्र समझा है, इन्हें स्वीकारने के लिए पर्याप्त कारण है। लेकिन महत्त्वपूर्ण सवाल नज़रअंदाज़ किए जा रहे हैं। परमेश्‍वर इन रिवाज़ों के बारे में कैसा महसूस करता है? इस विषय में पालन करने के लिए क्या उसने हमें कोई मार्गदर्शन दिया है?

परमेश्‍वर का दृष्टिकोण पाना

“ईस्टर दिवस, हमारे प्रभु के पुनरुत्थान की दावत, मसीही चर्च के सभी त्योहारों में से सबसे बड़ा है,” क्रिसटीना होल ने अपनी पुस्तक ईस्टर और इसके रिवाज़ (अंग्रेज़ी) में कहा। दूसरे लेखक सहमत होते हैं। “ईस्टर सण्डे के महत्त्व के साथ, मसीही वर्ष के किसी पवित्र दिन या किसी त्योहार की तुलना नहीं की जा सकती है,” रॉबर्ट जे. मायर्ज़ ने अपनी पुस्तक उत्सव (अंग्रेज़ी) में लिखा। लेकिन, यह कुछ सवाल खड़े करता है। यदि ईस्टर मनाना इतना महत्त्वपूर्ण है, तो बाइबल में ऐसा करने के लिए कोई विशिष्ट आदेश क्यों नहीं है? क्या यीशु के प्रारंभिक शिष्यों द्वारा ईस्टर सण्डे मनाने का कोई अभिलेख है?

ऐसी बात नहीं है कि बाइबल इस बारे में मार्गदर्शन देने से चूकती है कि क्या मनाया जाना चाहिए और क्या नहीं। इस्राएल के प्राचीन राष्ट्र को यह बताने में परमेश्‍वर बहुत सुस्पष्ट था, और जैसे पहले बताया गया है, मसीह की मृत्यु के स्मारक को मनाना जारी रखने के लिए मसीहियों को साफ़-साफ़ निर्देशन दिए गए थे। (१ कुरिन्थियों ११:२३-२६; कुलुस्सियों २:१६, १७) जैसे दी एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका (अंग्रेज़ी) का एक प्रारंभिक संस्करण हमें बताता है: “नए नियम में या प्रेरितिक फ़ादर्स्‌ के लेखनों में ईस्टर त्योहार के अनुपालन का कोई संकेत नहीं है। ख़ास अवसरों की पवित्रता एक ऐसा विचार था जो पहले मसीहियों के मन में नहीं था। . . . न तो प्रभु ना ही उसके प्रेरितों ने इसे या किसी और त्योहार को मनाने का आदेश दिया।”

कुछ लोग महसूस करते हैं कि ऐसे त्योहारों का आनन्द और जो ख़ुशी वे लाते हैं यह उनके अनुपालन के लिए पर्याप्त कारण हैं। लेकिन, हम उस अवसर से सीख सकते हैं जब इस्राएलियों ने एक मिस्री धार्मिक प्रथा अपनायी थी और उसका नाम “यहोवा के लिये पर्ब्ब” रखा। उन्होंने भी “बैठकर खाया पीया” और “उठकर खेलने लगे।” लेकिन उनके कार्यों ने यहोवा परमेश्‍वर को अत्यधिक क्रोधित किया, और उसने उन्हें कड़ी सज़ा दी।—निर्गमन ३२:१-१०, २५-२८, ३५.

परमेश्‍वर का वचन बहुत स्पष्ट है। सच्चे विश्‍वास की “ज्योति” और शैतान के संसार के “अन्धकार” के बीच कोई मेल जोल नहीं हो सकता; मसीह और विधर्मी उपासना के बीच कोई “सामंजस्य” (NW) नहीं हो सकता। हमें कहा गया है: “इसलिये प्रभु [यहोवा] कहता है, कि उन के बीच में से निकलो और अलग रहो; और अशुद्ध वस्तु को मत छुओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूंगा।”—२ कुरिन्थियों ६:१४-१८.

चूँकि मसीहियों के लिए बाइबल में केवल स्मारकोत्सव—न कि ईस्टर—का आदेश दिया गया है, इसे मनाया जाना चाहिए। सो हम इसे योग्य रीति से कैसे मना सकते हैं?

[पेज 5 पर तसवीरें]

इस्राएलियों के “यहोवा के लिये पर्ब्ब” ने परमेश्‍वर को अत्यधिक क्रोधित किया

[पेज 2 पर चित्र का श्रेय]

Cover: M. Thonig/H. Armstrong Roberts