“तुम्हें धीरज धरना अवश्य है”
“तुम्हें धीरज धरना अवश्य है”
हमें “धीरज धरना अवश्य” है यदि हमें “प्रतिज्ञा का फल” पाना है। (इब्रानियों १०:३६) एक बाइबल विद्वान समझाते हैं कि इस पाठ में “धीरज” के लिए जो यूनानी शब्द प्रेरित पौलुस ने इस्तेमाल किया उसे कभी-कभार “कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में एक पौधे की जीने की क्षमता” का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता था।
यूरोप के पहाड़ों में, ऐसा ही एक पौधा उगता है। बहुत विचित्र बात है, यह ‘सर्वदा जीवित रहना’ कहलाता है। निश्चय ही, यह आल्पीय पौधा सर्वदा जीवित नहीं रहता है, लेकिन यह कई साल तक धीरज धरता है और हर ग्रीष्म में सुन्दर फूल उत्पन्न करता है। द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका समझाती है कि पौधे को उसकी “मज़बूती और टिकाऊपन” की वजह से ‘सर्वदा जीवित रहना’ नाम दिया गया था। (सॆमपरवीवम जीनस के इन पौधों के वैज्ञानिक नाम का अर्थ भी “सर्वदा जीवित रहना” है।)
जो बात इस टिकाऊ पौधे को अनोखी बनाती है वह है कि यह अत्यन्त अशरण्य जगहों में उगता है। यह हवा का झोंका खानेवाली पहाड़ी ढलानों की ऊँचाई पर पाया जा सकता है, जहाँ तापमान मात्र २४ घंटों में ३५ डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। यह कम मिट्टी के साथ चट्टानी दरारों में जड़ पकड़ सकता है। ऐसी कठोर परिस्थितियों में इसके धीरज के कुछ राज़ क्या हैं?
‘सर्वदा जीवित रहना’ के रसीले पत्ते होते हैं, जो बड़े ध्यान से पानी जमा करते हैं। यह इसे वर्षा या पिघल रहे हिम से उपलब्ध सारी नमी का पूरा लाभ उठाने में समर्थ करता है। इसके अतिरिक्त, यह ऐसे गुच्छों में उगता है जो उनके चट्टानी सहारे पर दृढ़ पकड़ पाने में अपनी ताक़त को एकत्र करते हैं। दरारों में जड़ पकड़ने के द्वारा, इसे मौसम की परिस्थितियों से कुछ सुरक्षा मिलती है, यद्यपि वहाँ शायद कम मिट्टी हो। दूसरे शब्दों में, यह कठिन परिस्थितियों का अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करने के द्वारा पनपता है।
आध्यात्मिक रूप से बोलें तो, हम अपने आपको ऐसी परिस्थितियों में पा सकते हैं जो हमारे धीरज की गुणवत्ता को परखती हैं। परीक्षा के अधीन धीरज धरने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी? ‘सर्वदा जीवित रहना’ पौधे की तरह, हम परमेश्वर के वचन के जीवन-दायी पानी को जमा कर सकते हैं और सहारे और सुरक्षा के लिए सच्चे मसीहियों के साथ नज़दीकी से संगति कर सकते हैं। सबसे बढ़कर, आल्पीय फूल की तरह, हमें अपनी “चट्टान” यहोवा के, साथ ही साथ उसके वचन और उसके संगठन के साथ दृढ़ता से लगे रहना चाहिए।—२ शमूएल २२:३.
सचमुच, ‘सर्वदा जीवित रहना’ पौधा एक आकर्षक अनुस्मारक है कि यदि हम उपलब्ध प्रबन्धों का लाभ उठाते हैं, तो कठोर वातावरण में भी, हम धीरज धर सकते हैं। यहोवा हमें आश्वस्त करता है कि ऐसा धीरज हमें ‘प्रतिज्ञाओं का वारिस होने’ की ओर ले जाएगा, जिसका शाब्दिक तौर पर अर्थ होगा सर्वदा जीवित रहना।—इब्रानियों ६:१२; मत्ती २५:४६.