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आपका सिरजनहार—जानिए वह कैसा है

आपका सिरजनहार—जानिए वह कैसा है

आपका सिरजनहार—जानिए वह कैसा है

“मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊंगा, और तेरे सम्मुख यहोवा नाम का प्रचार करूंगा।”—निर्गमन ३३:१९.

१. सिरजनहार आदर के योग्य क्यों है?

 बाइबल की आखिरी किताब के लेखक यूहन्‍ना ने सिरजनहार के बारे में यह ज़ोरदार बात लिखी: “हे हमारे प्रभु, और परमेश्‍वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।” (प्रकाशितवाक्य ४:११) जैसा कि पिछले लेख में बताया गया है, आज के विज्ञान ने जो खोज निकाला है उससे हमें यह मानने के और बहुत से कारण मिले हैं कि एक सिरजनहार होना चाहिए।

२, ३.(क) लोगों को सिरजनहार के बारे में क्या जानने की ज़रूरत है? (ख) सिरजनहार को देखना और उसके पास जाना क्यों संभव नहीं है?

जितना ज़रूरी यह मानना है कि कोई सिरजनहार है उतना ही ज़रूरी यह जानना भी है कि वह कैसा है, कि वह सिर्फ एक शक्‍ति नहीं बल्कि एक व्यक्‍ति है और उसके व्यवहार और गुण ऐसे हैं जिन्हें देखकर इंसान उससे प्यार करने लगते हैं। तो क्या आपको नहीं लगता कि सिरजनहार के बारे में आपको और ज़्यादा जानकारी लेनी चाहिए? लेकिन ऐसा करने के लिए उसे देखने या उसके पास जाने की ज़रूरत नहीं, जैसा हम इंसानों को जानने के लिए करते हैं।

यहोवा ने तारों को सिरजा है, और हमारा सूरज भी एक तारा है। कई तारों के मुकाबले में सूरज एक छोटा तारा है, लेकिन क्या आप इसके पास जाना चाहेंगे? हरगिज़ नहीं! ज़्यादातर लोग पल-भर के लिए भी उसकी तरफ देख नहीं पाते और इसकी तेज़ धूप में ज़्यादा देर तक नहीं रहना चाहते। सूरज के केंद्र का तापमान १,५०,००,००० डिग्री सॆलसियस (२,७०,००,०००° फ.) है। यह न्यूक्लियर आग की एक भट्टी है जो हर सेकंड चालीस लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में बदलता है। इस ऊर्जा का सिर्फ एक छोटा-सा हिस्सा ही हमारी पृथ्वी पर पड़ता है, मगर इसी से सारा जीवन चलता है। इन्हीं बातों से हम जान लेते हैं कि हमारे सिरजनहार की शक्‍ति कितनी असीम है। इसीलिए यशायाह ने सिरजनहार के बारे में लिखा कि उसकी ‘शक्‍ति असीमित और उसका बल अपार’ है।—यशायाह ४०:२६, न्यू हिंदी बाइबल।

४. मूसा ने क्या बिनती की और यहोवा ने क्या जवाब दिया?

सामान्य युग पूर्व १५१३ में इस्राएलियों के मिस्र से बाहर आने के कुछ ही महीनों बाद, मूसा ने सिरजनहार से बिनती की: “मुझे अपना तेज दिखा दे।” (निर्गमन ३३:१८) यह याद रखते हुए कि परमेश्‍वर ने सूरज को बनाया है, आप समझ सकते हैं कि उसने मूसा से क्यों कहा: “तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।” फिर भी, उसने मूसा को सीनै पहाड़ की एक दरार में छिपने के लिए कहा और वह उसके ‘सामने से होकर निकल गया।’ इसके बाद मूसा ने सिर्फ परमेश्‍वर की “पीठ” देखी, जो असल में वह तेज था जो परमेश्‍वर के चले जाने के बाद रह गया था।—निर्गमन ३३:२०-२३; यूहन्‍ना १:१८.

५. सिरजनहार ने मूसा की इच्छा को किस तरह पूरा किया और इससे क्या साबित होता है?

सिरजनहार के बारे में ज़्यादा जानने की मूसा की इच्छा अधूरी नहीं रही। परमेश्‍वर ने मूसा के सामने एक स्वर्गदूत के ज़रिये यह ऐलान करवाया: “यहोवा, ईश्‍वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।” (निर्गमन ३४:६, ७) यह दिखाता है कि हमारे सिरजनहार को जानने के लिए उसे आँखों से देखने की ज़रूरत नहीं बल्कि पूरी तरह यह समझने की ज़रूरत है कि वह कैसा है, उसकी शख्सियत कैसी है और उसके कौन-कौन-से गुण हैं।

६. बीमारियों से लड़ने की हमारे शरीर की ताकत कैसे अद्‌भुत है?

परमेश्‍वर के गुणों को जानने का एक तरीका है उसने जो बनाया है उस पर ध्यान देना। बीमारियों से लड़ने की अपने शरीर की ताकत पर ज़रा ध्यान दीजिए। साइन्टिफिक अमेरिकन पत्रिका में इस ताकत के बारे में एक लेख में कहा गया: “बीमारियों से लड़ने की हमारी ताकत हमारी पैदाइश से पहले ही काम करने लगती है और मौत तक लगातार काम करती रहती है। अलग-अलग किस्म के अणु और कोशिकाएँ . . . बीमारी फैलानेवाली बैक्टीरिया से हमारी रक्षा करते हैं। अगर ये हमारी रक्षा न करें, तो हम ज़िंदा नहीं रह सकते।” लेकिन हमारे शरीर को बीमारियों से लड़ने की ऐसी ताकत कहाँ से मिलती है? उस पत्रिका में एक लेख ने कहा: “गर्भ-धारण के नौ हफ्ते बाद ही कुछ ऐसी कोशिकाएँ पैदा होती हैं जिनसे आगे चलकर बीमारियों से लड़नेवाली कोशिकाएँ पैदा होती हैं जो बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर की रक्षा करती हैं। एक गर्भवती स्त्री अपने शरीर में ही बढ़ते भ्रूण को बीमारियों से लड़ने की ताकत देती है। बाद में अपना दूध पिलाने से वह कुछ कोशिकाएँ और रसायन अपने बच्चे के शरीर में पहुँचाती है।”

७. बीमारियों से लड़ने की हमारे शरीर की ताकत के बारे में हम क्या यकीन रख सकते हैं और इससे हम किस नतीजे पर पहुँचते हैं?

तो आप यकीन रख सकते हैं कि आपके शरीर में बीमारियों से लड़ने की जो ताकत है, वह ताकत आज के बढ़िया से बढ़िया डॉक्टर आपको बिलकुल भी नहीं दे सकते। अब, खुद से पूछिए, ‘बीमारियों से लड़ने की ऐसी काबिलीयत को बनानेवाला और हमें देनेवाला कैसा होगा?’ ‘गर्भ-धारण के नौ हफ्ते बाद पैदा होनेवाली’ ये कोशिकाएँ, बच्चे के पैदा होने के समय से ही उसकी रक्षा करने के लिए तैयार रहती हैं। इससे इनके बनानेवाले की बुद्धि और समझ नज़र आती है। लेकिन क्या हमें अपने शरीर की इस ताकत से अपने सिरजनहार के बारे में कुछ और समझ में आता है? हममें से ज़्यादातर लोग अल्बर्ट श्‍वाईट्‌ज़र और ऐसे ही बहुत-से लोगों के बारे में क्या कहेंगे जिन्होंने अपनी ज़िंदगी गरीबों और मोहताजों की मदद करने और उनका इलाज करने में लगा दी? यही कि लोगों की परवाह करनेवाले ऐसे इंसान कितने भले और अच्छे हैं। लेकिन इसकी तुलना में हम अपने सिरजनहार के बारे में क्या कह सकते हैं जिसने अमीर और गरीब दोनों को बीमारियों से लड़ने की ताकत दी है? तो इसमें कोई शक नहीं कि वह प्यार करनेवाला, भेदभाव न करनेवाला, तरस खानेवाला और इंसाफ-पसंद परमेश्‍वर है। क्या ये सिरजनहार के वही गुण नहीं हैं जिनके बारे में मूसा के सामने ऐलान किया गया था?

सिरजनहार खुद को ज़ाहिर करता है

८. कौन-से एक खास तरीके से यहोवा खुद को हम पर ज़ाहिर करता है?

लेकिन सिरजनहार को जानने का एक और भी तरीका है, वह है बाइबल। वह इसलिए कि बाइबल में कुछ ऐसी बातें दी गयी हैं जिनके बारे में विज्ञान और विश्‍वमंडल हमें नहीं बता सकते। इसके अलावा, बहुत-सी बातें हम बाइबल से पढ़कर ज़्यादा अच्छी तरह समझ पाते हैं। इसकी एक मिसाल है सिरजनहार का नाम। सिर्फ बाइबल ही बताती है कि सिरजनहार का नाम क्या है और उसका मतलब क्या है। बाइबल के इब्रानी भाषा के हस्तलेखों में उसका नाम चार अक्षरों में लगभग ७,००० बार आता है, जिसे हिंदी में य,ह,व,ह, इन अक्षरों से लिखा जा सकता है और इसका आम उच्चार है यहोवा।—निर्गमन ३:१५; ६:३.

९. सिरजनहार के नाम का क्या मतलब है, और इससे हम अच्छी तरह क्या समझ सकते हैं?

सिरजनहार को और अच्छी तरह जानने के लिए हमें यह जानने की ज़रूरत है कि वह सिर्फ एक निराकार “शक्‍ति” नहीं है। उसका नाम उसके बारे में बहुत कुछ बताता है। और उसके नाम का मतलब सिर्फ “मैं हूं” नहीं है, जैसा कुछ लोग मानते हैं। इब्रानी भाषा में नाम “यहोवा,” हावा (क्रिया) का प्रेरणार्थक रूप है। और हावा का मतलब है “होना” या “बनना।” * इसके प्रेरणार्थक रूप का मतलब है “वह बनने का कारण होता है।” यानी अपने मकसद को पूरा करने के लिए यहोवा को जो भी बनने की ज़रूरत होती है वह खुद को वही बनाता है। इसलिए, वह हमेशा अपने वादे और अपना मकसद पूरा करता है, तो फिर उसका नाम जानना और दूसरों को भी बताना कितना ज़रूरी है।

१०. उत्पत्ति की किताब से हमें कौन-सी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है?

१० बाइबल में परमेश्‍वर के उद्देश्‍य और उसके गुणों के बारे में बताया गया है। उत्पत्ति की किताब बताती है कि एक ऐसा समय था जब इंसान का परमेश्‍वर के साथ करीब का रिश्‍ता था और परमेश्‍वर का उद्देश्‍य था कि वे सदा तक जीएँ और उनकी ज़िंदगी का एक मकसद हो। (उत्पत्ति १:२८; २:७-९) हम यह पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने नाम के मुताबिक ही अपना उद्देश्‍य ज़रूर पूरा करेगा और इस धरती से जल्द ही वह दुःख-तकलीफ मिटा देगा। हम उसके इस उद्देश्‍य के पूरा होने के बारे में पढ़ते हैं: “यह दुनिया अपनी मरज़ी से नहीं, बल्कि सिरजनहार की मरज़ी से व्यर्थता के अधीन की गयी, जिसने इस आशा से उसे व्यर्थता के अधीन किया कि . . . वह परमेश्‍वर की संतान की शानदार आज़ादी का आनंद उठाएगी।”—रोमियों ८:२०, २१, द न्यू टेस्टामेंट लेटर्स्‌, जे. डब्ल्यू. सी. वांड द्वारा।

११. हमें बाइबल में बताए गए वाकयों पर क्यों ध्यान देना चाहिए और इनमें से एक वाकया कौन-सा है?

११ बाइबल की मदद से हम सिरजनहार को और अच्छी तरह जान पाएँगे। वह कैसे? वह ऐसे कि बाइबल हमें बताती है कि परमेश्‍वर ने प्राचीन इस्राएल के साथ किस तरह व्यवहार किया था और उसकी भावनाएँ कैसी थीं। मिसाल के तौर पर, परमेश्‍वर के सेवक एलीशा और इस्राएल के शत्रु, आराम देश के सेनापति नामान पर गौर कीजिए। जब आप २ राजा में अध्याय ५ पढ़ते हैं आप देखते हैं कि एक छोटी इस्राएली लड़की जो दासी थी, नामान से बिनती करती है कि वह कोढ़ से छुटकारा पाने के लिए इस्राएल में एलीशा के पास जाए। नामान यह सोचकर वहाँ जाता है कि एलीशा तंत्र-मंत्र करके उस पर हाथ फेरेगा और चमत्कार से उसका कोढ़ ठीक कर देगा। लेकिन, एलीशा नामान को यरदन नदी में डुबकी लगाने के लिए कहता है। यह सुनकर नामान गुस्सा हो जाता है, मगर उसके सेवक उसे एलीशा की बात मानने के लिए राज़ी कर लेते हैं। जब वह यरदन में डुबकी लगाता है तो वह चंगा हो जाता है। नामान इसके बदले में कीमती उपहार भेंट करना चाहता है पर एलीशा ये उपहार नहीं लेता। लेकिन बाद में उसका सेवक चोरी-छिपे नामान के पास जाता है और झूठ बोलकर उससे कुछ कीमती चीज़ें ले लेता है। उसकी इस बेईमानी की वज़ह से उसे कोढ़ हो जाता है। यह वाकया इंसान की कमज़ोरी को बखूबी दिखाता है, जिससे हम एक सबक सीख सकते हैं।

१२. एलीशा और नामान के वाकये से हम सिरजनहार के बारे में क्या सीख सकते हैं?

१२ यह वाकया बहुत बढ़िया तरीके से बताता है कि इस सारे जहान के महाराजा और सिरजनहार ने एक छोटी-सी लड़की के अच्छे काम को देखा और उससे खुश हुआ, जबकि आज इंसान ऐसा नहीं करता। इससे यह भी साबित होता है कि सिरजनहार किसी खास जाति या देश को ही प्यार नहीं करता। (प्रेरितों १०:३४, ३५) और गौर करने लायक बात यह है कि हमारा सिरजनहार नहीं चाहता कि लोग ठीक होने के लिए जादू-मंतर करें, जैसे कि पुराने ज़माने में और आज भी कुछ हकीम और वैद्य करते हैं। इसके बजाय सिरजनहार जानता था कि कोढ़ को कैसे ठीक करना है और इससे उसकी बुद्धि नज़र आती है। एलीशा के सेवक की बेईमानी का परदाफाश करके भी उसने दिखाया कि कोई काम उससे छिप नहीं सकता और जो दोषी है वह उसको दंड ज़रूर देता है। मूसा के सामने ऐलान किए गए परमेश्‍वर के गुण याद कीजिए, क्या ये गुण वही नहीं हैं? बाइबल का यह वाकया हालाँकि बहुत छोटा है, फिर भी हम अपने सिरजनहार के बारे में इससे कितना कुछ सीख सकते हैं!—भजन ३३:५; ३७:२८.

१३. एक मिसाल बताइए कि हम कैसे बाइबल के वाकयों से अच्छे सबक सीख सकते हैं?

१३ बाइबल में कई ऐसे वाकये हैं जो दिखाते हैं कि इस्राएल जाति एहसानफरामोश थी, मगर यहोवा के व्यवहार से पता चलता है कि वह सचमुच उनकी परवाह करता था। बाइबल बताती है कि इस्राएलियों ने बार-बार परमेश्‍वर की परीक्षा ली और उसे दुःख पहुँचाया। (भजन ७८:४०, ४१) इसका मतलब है कि हमारी तरह सिरजनहार की भी भावनाएँ हैं और इंसान अपने कामों से उसे खुश कर सकता है या ठेस पहुँचा सकता है। बाइबल के कई जाने-माने लोगों के बारे में लिखी बातों से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। जब दाऊद को इस्राएल का राजा होने के लिए चुना गया तो परमेश्‍वर ने शमूएल को बताया: “मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (१ शमूएल १६:७) जी हाँ, सिरजनहार यह नहीं देखता कि हम बाहर से कैसे नज़र आते हैं बल्कि वह यह देखता है कि हम अंदर से कैसे हैं। यह जानकर कितनी तसल्ली मिलती है!

१४. इब्रानी शास्त्र पढ़कर हम कैसे फायदा उठा सकते हैं?

१४ बाइबल की उन्‍नतालीस किताबें (इब्रानी शास्त्र) यीशु के पैदा होने से पहले लिखी गई थीं और इन्हें पढ़ना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। लेकिन हमें इसे सिर्फ कोई कहानी की या इतिहास की किताब की तरह नहीं पढ़ना चाहिए। अगर हम सचमुच जानना चाहते हैं कि हमारा सिरजनहार कैसा है, तो हमें इन वाकयों के बारे में गहराई से सोचना चाहिए और यह पूछना चाहिए, ‘इस घटना से मैं परमेश्‍वर के बारे में क्या सीखता हूँ? इसमें उसके कौन-से गुण साफ नज़र आते हैं?’ * ऐसा करने से, परमेश्‍वर पर संदेह करनेवालों को भी यह मानने में मदद मिलेगी कि बाइबल परमेश्‍वर की ओर से ही है। इस तरह उन्हें भी मौका मिलता है कि बाइबल के प्यारे रचनाकार को और अच्छी तरह जानें।

महान शिक्षक सिरजनहार को जानने में हमारी मदद करता है

१५. यीशु के काम और शिक्षाएँ हमें क्या सिखा सकती हैं?

१५ यह सच है, जो लोग सिरजनहार के होने पर शक करते हैं या परमेश्‍वर के बारे में ठीक से नहीं जानते, वे शायद बाइबल के बारे में भी न जानते हों। आप शायद ऐसे लोगों से मिले होंगे, जो यह नहीं बता सकते कि मूसा मत्ती से पहले जीया था या उसके बाद और जो यीशु के कामों और उसकी शिक्षाओं के बारे में भी कुछ नहीं जानते। यह बड़े दुःख की बात है क्योंकि एक इंसान सिरजनहार के बारे में महान शिक्षक, यीशु से बहुत कुछ सीख सकता है। परमेश्‍वर के साथ उसका बहुत ही नज़दीकी रिश्‍ता रहा है, इसलिए वह बता सकता था कि हमारा सिरजनहार कैसा है। (यूहन्‍ना १:१८; २ कुरिन्थियों ४:६; इब्रानियों १:३) और उसने बताया भी। दरअसल, उसने एक बार कहा: “जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है।”—यूहन्‍ना १४:९.

१६. यीशु का एक सामरी स्त्री से मिलना क्या दिखाता है?

१६ इसकी एक मिसाल पर ध्यान दीजिए। एक बार जब यीशु चलते-चलते थक गया था तो उसने सूखार के पास एक सामरी स्त्री से बात की। उसने उस स्त्री को बहुत ही गहरी सच्चाइयाँ बतायीं और खासकर “पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से” करने की ज़रूरत के बारे में बताया। उस ज़माने के यहूदी, सामरियों से बात भी नहीं करते थे। मगर, यीशु ने दिखाया कि कैसे यहोवा सब जाति के सच्चे लोगों को स्वीकार करने के लिए तैयार है, वैसे ही जैसे हमने एलीशा और नामान के मामले में भी देखा। इससे हमें पूरी तरह यकीन हो जाना चाहिए कि यहोवा उन लोगों जैसा नहीं है जो अपने तंग दिमाग की वज़ह से धर्म के नाम पर लोगों में दुश्‍मनी और जातिभेद फैलाते हैं। हम इस बात पर भी ध्यान दे सकते हैं कि यीशु एक स्त्री को भी सिखाने के लिए तैयार था और इस मामले में तो एक ऐसी स्त्री जिसके साथ रहनेवाला आदमी उसका पति नहीं था। उसकी निंदा करने के बजाय, यीशु उससे इज़्ज़त से पेश आया और इस तरह व्यवहार किया जिससे उसकी सही मायनों में मदद कर सके। उसके बाद, कुछ और सामरियों ने यीशु की बात सुनी और इस नतीजे पर पहुँचे: “[हम] जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्त्ता है।”—यूहन्‍ना ४:२-३०, ३९-४२; १ राजा ८:४१-४३; मत्ती ९:१०-१३.

१७. लाज़र के पुनरुत्थान के वृत्तांत से हम किस नतीजे पर पहुँचते हैं?

१७ आइए इसकी एक और मिसाल लें कि कैसे यीशु के काम और शिक्षाओं से हम सिरजनहार के बारे में जान सकते हैं। उस वक्‍त के बारे में सोचिए जब यीशु के दोस्त लाज़र की मौत हुई। इससे पहले भी यीशु ने मरे हुओं को फिर से ज़िंदा करने की अपनी काबिलीयत को ज़ाहिर किया था। (लूका ७:११-१७; ८:४०-५६) लेकिन, जब उसने लाज़र की बहन मरियम को शोक में डूबा हुआ देखा तो उस पर कैसा असर हुआ? यीशु “आत्मा में अत्यन्त व्याकुल और दुखी हुआ।” उसने यह नहीं दिखाया कि उस पर किसी भी चीज़ का कोई असर नहीं होता या वह सबसे अलग है; इसके बजाय वह “रो पड़ा।” (यूहन्‍ना ११:३३-३५) और यह महज़ कोई दिखावा नहीं था। यीशु ने इस दुःख को दूर करने के लिए कदम भी उठाया, उसने लाज़र का पुनरुत्थान किया। कल्पना कीजिए कि इस घटना से यीशु के प्रेरित, अपने सिरजनहार की भावनाएँ कितनी अच्छी तरह समझ सके होंगे। इससे हमें और दूसरों को भी यह समझने में मदद मिलनी चाहिए कि हमारा सिरजनहार किस किस्म का व्यक्‍ति है और वह किस तरीके से काम करता है।

१८. बाइबल का अध्ययन करने के बारे में लोगों को कैसा महसूस करना चाहिए?

१८ हमें बाइबल का अध्ययन करके अपने सिरजनहार के बारे में ज़्यादा सीखने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। बाइबल आज के ज़माने के लिए भी है। एक व्यक्‍ति जिसने बाइबल का अध्ययन किया और यीशु का बहुत ही नज़दीकी साथी बना, वह था यूहन्‍ना। उसने बाद में लिखा: “हमको पता है कि परमेश्‍वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें वह ज्ञान [बुद्धि] दिया है ताकि हम उस परमेश्‍वर को जान लें जो सत्य है। और यह कि हम उसी में स्थित हैं, जो सत्य है, क्योंकि हम उसके पुत्र यीशु मसीह में स्थिर हैं। परम पिता ही सच्चा परमेश्‍वर है और वही अनन्त जीवन है।” (१ यूहन्‍ना ५:२०, ईज़ी टू रीड वर्शन) ध्यान दीजिए कि हमारा सिरजनहार “जो सत्य है,” उसे जानने के लिए हम बुद्धि का इस्तेमाल करें तो हमें “अनन्त जीवन” मिलेगा।

सिरजनहार को जानने में आप दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं?

१९. सिरजनहार के होने पर शक करनेवालों की मदद के लिए कौन-सा कदम उठाया गया है?

१९ लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो यह नहीं मानते कि एक ऐसा दयालु सिरजनहार है जो हमारी परवाह करता है, न ही वे यह जानते हैं कि वह किस किस्म का व्यक्‍ति है। इसके लिए उन्हें और भी बहुत-से सबूत चाहिए। ऐसे करोड़ों-अरबों लोग हैं जो सिरजनहार के होने पर शक करते हैं या परमेश्‍वर के बारे में उनके विचार बाइबल से मेल नहीं खाते। आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? सन्‌ १९९८/९९ में यहोवा के साक्षियों के ज़िला और अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशनों में बहुत-सी भाषाओं में एक नयी और असरदार किताब रिलीज़ की गयी—यह किताब है क्या एक सिरजनहार है जो आपकी परवाह करता है? (अंग्रेज़ी)।

२०, २१. (क) सिरजनहार किताब का अच्छा इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है? (ख) सिरजनहार किताब को पढ़ने से लोगों पर कैसा असर हुआ है, इसके बारे में अनुभव बताइए।

२० यह एक ऐसी किताब है जो सिरजनहार में आपके विश्‍वास को और भी मज़बूत करेगी और आपको ज़्यादा अच्छी तरह समझ आएगा कि वह कैसा व्यक्‍ति है और उसके मार्ग क्या हैं। ऐसा हम पूरे विश्‍वास से क्यों कहते हैं? क्योंकि क्या एक सिरजनहार है जो आपकी परवाह करता है किताब खास इन्हीं बातों को मन में रखते हुए तैयार की गयी है। पूरी किताब का एक खास विषय है, “आपके जीवन को कौन एक मकसद दे सकता है?” इस किताब में जानकारी इस तरह पेश की गयी है कि काफी पढ़े-लिखे लोगों को भी यह किताब बहुत दिलचस्प लगेगी। पर फिर भी, इसमें उन्हीं बातों के बारे में बताया गया है जिनके लिए हम सभी तरसते हैं। सिरजनहार के होने पर शक करनेवाले पाठकों के लिए इसमें बहुत ही दिलचस्प और यकीन दिलानेवाली जानकारी है। इस किताब को यह मानकर नहीं लिखा गया कि पढ़नेवाला सिरजनहार को मानता है। जो सिरजनहार को नहीं मानते, उनको इस किताब में हाल ही में विज्ञान द्वारा की गयी खोज और उसकी धारणाएँ पढ़ना अच्छा लगेगा। ये बातें उन लोगों के विश्‍वास को भी मज़बूत करेंगी जो परमेश्‍वर को मानते हैं।

२१ इस नयी किताब का अध्ययन करते वक्‍त, आप देखेंगे कि इसके कुछ हिस्सों में बाइबल के इतिहास को कुछ ही शब्दों में इस तरह से पेश किया गया है जिससे परमेश्‍वर के अलग-अलग गुण साफ नज़र आते हैं। इसे पढ़कर लोग परमेश्‍वर को ज़्यादा अच्छी तरह जान पाएँगे। कई लोग जो यह किताब पढ़ चुके हैं उन्होंने ऐसा ही महसूस किया है। (इस लेख के बाद का लेख देखिए, पेज २५-६.) ऐसा हो कि इस किताब को पढ़कर आप भी ऐसा ही महसूस करें और इसके ज़रिये दूसरों को सिरजनहार के बारे में जानने के लिए मदद करें।

[फुटनोट]

^ जेसुइट विद्वान एम. जे. ग्रंटहानर जब कैथोलिक बिब्लिकल क्वाटरली के एडिटर-इन-चीफ थे तब उन्होंने लिखा कि इब्रानी में इस क्रिया के बारे में वही कहा जा सकता है जो इससे जुड़ी एक और क्रिया के बारे में सच है। यह क्रिया ऐसी चीज़ के लिए इस्तेमाल होती जो असल में मौजूद होती है, जिसे हम देख या छू सकते हैं और कुछ ऐसे के लिए कभी इस्तेमाल नहीं की जाती जो निराकार है।”

^ जब माँ-बाप अपने बच्चों को बाइबल की कहानियाँ बताते हैं तब वे उनसे ऐसे सवाल पूछ सकते हैं। इस तरह बच्चे परमेश्‍वर को और अच्छी तरह जान पाएँगे और उसके वचन पर मनन करना सीखेंगे।

क्या आपने ध्यान दिया?

◻ सीनै पहाड़ पर मूसा ने यहोवा को और अच्छी तरह कैसे जाना?

◻ बाइबल का अध्ययन करना परमेश्‍वर के गुणों को जानने में कैसे मदद देता है?

◻ जब हम बाइबल पढ़ते हैं तो अपने सिरजनहार के और करीब आने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

सिरजनहार किताब का आप किस तरह इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 20 पर तसवीर]

बीमारियों से लड़ने की हमारी ताकत सिरजनहार के बारे में क्या दिखाती है?

[पेज 21 पर तसवीर]

डॆड सी स्क्रोल्स्‌ का एक हिस्सा जिसमें (इब्रानी में परमेश्‍वर के नाम के) चार अक्षर साफ-साफ दिखाए गए हैं

[चित्र का श्रेय]

Courtesy of the Shrine of the Book, Israel Museum, Jerusalem

[पेज 23 पर तसवीर]

मरियम का शोक देखकर यीशु पर जो असर हुआ उससे हम क्या सीख सकते हैं?