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“छोटे से छोटा एक हजार” हो गया

“छोटे से छोटा एक हजार” हो गया

“छोटे से छोटा एक हजार” हो गया

“छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा।”—यशायाह 60:22.

1, 2. (क) आज पृथ्वी पर अंधकार क्यों छाया हुआ है? (ख) यहोवा का तेज किस तरह उसके सेवकों पर धीरे-धीरे बढ़ता गया?

 “आज अन्धेरे ने सारा जग और उसके लोगों को ढक रखा है। किन्तु यहोवा का तेज प्रकट होगा और तेरे ऊपर चमकेगा। उसका तेज तेरे ऊपर दिखाई देगा।” (यशायाह 60:2, इज़ी-टू-रीड़ वर्शन।) यह भविष्यवाणी इस धरती पर सन्‌ 1919 से पूरी हो रही है। यीशु मसीह जब स्वर्ग में राजा बना तो ईसाईजगत ने उसकी मौजूदगी के चिन्ह को अनदेखा कर दिया। इस तरह “जगत की ज्योति” को ठुकराकर उन्होंने अंधकार में रहना पसंद किया। (यूहन्‍ना 8:12; मत्ती 24:3) और “इस संसार के अन्धकार के हाकिमों” का हाकिम शैतान भी “बड़े क्रोध” में है। इसलिए वह इस 20वीं सदी में ऐसी खलबली और तबाही मचा रहा है, जैसी इतिहास में पहले कभी नहीं हुई थी। (प्रकाशितवाक्य 12:12; इफिसियों 6:12) और इसी वज़ह से आज ज़्यादातर इंसान आध्यात्मिक रूप से घोर अंधकार में पड़े हैं।

2 लेकिन आज रोशनी भी चमक रही है। यहोवा का “तेज” अपने बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों पर प्रकट हो रहा है। ये अभिषिक्‍त मसीही यहोवा की स्वर्गीय “स्त्री” के प्रतिनिधि हैं। (यशायाह 60:1, NW) वे 1919 में झूठे धर्म की बेड़ियाँ तोड़कर बाहर निकले और खासकर तब से वे परमेश्‍वर का तेज दिखाते हैं और अपना ‘उजियाला मनुष्यों के सामने चमकाने’ लगे हैं। (मत्ती 5:16) और 1919 से 1931 के दौरान जैसे-जैसे वे झूठे धार्मिक विचारों की बेड़ियाँ तोड़ते गए, राज्य का तेज और भी बढ़ता गया। इन अभिषिक्‍तों की संख्या दिन-ब-दिन हज़ारों में बढ़ती चली गई और इस तरह यहोवा का यह वादा पूरा हुआ: “मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्‍चय इकट्ठा करूंगा; और बोस्रा की भेड़-बकरियों की नाईं एक संग रखूंगा। उस झुण्ड की नाईं जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएंगे।” (मीका 2:12) सन्‌ 1931 में यहोवा का तेज और भी दमक उठा जब उसके सेवकों ने ‘यहोवा के साक्षी’ यह नाम अपनाया।—यशायाह 43:10, 12.

3. यह कैसे पता लगा कि यहोवा का तेज अभिषिक्‍तों के अलावा दूसरों पर भी चमकता है?

3 क्या यहोवा का तेज सिर्फ “छोटे झुण्ड” के बचे हुओं पर ही प्रकट होता? (लूका 12:32) ऐसा नहीं है। सितंबर 1, 1931 की द वॉचटावर में यहेजकेल 9:1-11 की अच्छी समझ दी गई थी और उसमें एक दूसरे झुंड की पहचान कराई गयी थी। इस अध्याय में दावात लिए हुए एक पुरुष का ज़िक्र है, जो बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों को सूचित करता है। मगर उस “पुरुष” ने जिन लोगों के माथे पर चिन्ह लगाया वे कौन हैं? वे “अन्य भेड़ें” हैं जिनकी एक सुंदर पृथ्वी पर हमेशा तक जीने की आशा है। (यूहन्‍ना 10:16, NW; भजन 37:29) और 1935 में यह पता चला कि प्रेरित यूहन्‍ना को दर्शन में दिखाई गई “बड़ी भीड़” भी “अन्य भेड़े” हैं जो ‘हर जाति से निकलकर’ आ रही हैं। (प्रकाशितवाक्य 7:9-14) उस साल से लेकर आज तक बड़ी भीड़ को इकट्ठा करने पर ज़्यादा ध्यान दिया जाने लगा।

4. यशायाह 60:3 में बताए गए “राजा” और “अन्यजातियां” कौन हैं?

4 इकट्ठे किए जानेवाले इस काम के बारे में यशायाह ने भी भविष्यवाणी की थी: “अन्यजातियां तेरे पास प्रकाश के लिये और राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएंगे।” (यशायाह 60:3) ये “राजा” कौन हैं? ये 1,44,000 के बचे हुए सदस्य हैं। वे यीशु मसीह के संगी वारिस होकर स्वर्ग से राज करेंगे। और आज इस राज्य की घोषणा करने में वे सबसे आगे रहे हैं। (रोमियों 8:17; प्रकाशितवाक्य 12:17; 14:1) मगर आज इनकी गिनती सिर्फ हज़ारो में है जबकि “अन्यजातियां” यानी पृथ्वी पर जीने की आशा रखनेवालों की गिनती उनसे कहीं ज़्यादा है। ये अन्यजाति के लोग यहोवा से शिक्षा पा रहे हैं और दूसरों को भी ऐसी शिक्षा पाने के लिए बुला रहे हैं।—यशायाह 2:3.

यहोवा के जोशीले सेवक

5. (क) क्या सबूत है कि यहोवा के लोगों का जोश पहले की तरह ही बरकरार रहा? (ख) सन्‌ 1999 में किन देशों में खास बढ़ौतरी हुई है? (पेज 17-20 पर दिया गया चार्ट देखिए।)

5 20वीं सदी की शुरुआत से ही यहोवा के साक्षियों ने गजब का जोश दिखाया! उन पर एक-के-बाद-एक तकलीफें आईं, इसके बावजूद 20वीं सदी के आखिर में भी उनका जोश वैसा ही बरकरार रहा। वे यीशु की इस आज्ञा को पूरे दिल से मानते रहे: “सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।” (मत्ती 28:19, 20) 20वीं सदी के आखिरी सेवा साल में सुसमाचार सुनानेवाले प्रचारकों की संख्या बढ़कर 59,12,492 हो गई थी। इन्होंने परमेश्‍वर और उसके उद्देश्‍यों का प्रचार करने में 1,14,45,66,849 घंटे बिताए। और जिन्होंने राज्य संदेश में दिलचस्पी दिखाई उन लोगों के पास जाकर 42,00,47,796 पुनःभेंट किए और 44,33,884 बाइबल अध्ययन किए। तो है न ये वाकई कमाल का जोश?

6. पायनियरों के लिए कौन-सा नया प्रबंध किया गया और कई लोगों ने इसे कैसे स्वीकार किया?

6 शासी निकाय ने पिछली जनवरी से जब पायनियरों के घंटों की माँग कम कर दी, तब कई भाई-बहनों को रेग्युलर या ऑक्ज़ीलरी पायनियरिंग शुरू करने का बढ़िया मौका मिला। उदाहरण के लिए, नॆदरलैंडस्‌ के ब्राँच ऑफिस को, 1998 के शुरू के चार महीनों में, रेग्युलर पायनियरिंग के लिए जितने लोगों ने फॉर्म भेजे थे उससे चार गुना ज़्यादा लोगों ने 1999 के शुरू के चार महीनों में फॉर्म भेजे। घाना देश रिपोर्ट करता है: “जब से पायनियरों के घंटों की माँग कम कर दी गई है, हमारे यहाँ रेग्युलर पायनियरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।” 1999 सेवा साल में दुनिया भर में पायनियरों की संख्या 7,38,343 हो गई जो साफ दिखाती है कि हम “भले कामों में सरगर्म” और जोशीले हैं।—तीतुस 2:14.

7. यहोवा ने अपने जोशीले सेवकों के काम पर कैसे आशीष दी है?

7 लेकिन क्या यहोवा ने अपने जोशीले सेवकों को आशीष दी है? ज़रूर दी है। उसने यशायाह के ज़रिए कहा था: “अपनी आंखें चारों ओर उठाकर देख; वे सब के सब इकट्ठे होकर तेरे पास आ रहे हैं; तेरे पुत्र दूर से आ रहे हैं, और तेरी पुत्रियां हाथों-हाथ पहुंचाईं जा रही हैं।” (यशायाह 60:4) यह आशीष ही है कि इकट्ठा किए गए अभिषिक्‍त “पुत्र” और “पुत्रियां” आज भी जोश के साथ परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हैं। अब तो 234 देशों और द्वीपों से यीशु की अन्य भेड़ों को भी इकट्ठा किया जा रहा है जो यहोवा के अभिषिक्‍त “पुत्र” और ‘पुत्रियों’ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

‘हर एक भला काम’

8. यहोवा के साक्षी किन ‘भले कामों’ में लगे हैं?

8 राज्य का सुसमाचार सुनाने और चेला बनाने का काम आज मसीही पूरी ज़िम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं। इसके अलावा वे “हर एक भले काम के लिये [भी] तत्पर” हैं। (2 तीमुथियुस 3:17) वे अपने परिवार की अच्छी देखभाल करते हैं, मेहमान-नवाज़ी करते हैं और बीमार भाई-बहनों से मिलने जाते हैं। (1 तीमुथियुस 5:8; इब्रानियों 13:16) कुछ मसीही किंगडम हॉल बनाने जैसे बड़े काम में भी हाथ बँटाते हैं। और इसके ज़रिए भी लोगों को अच्छी गवाही दी गई है। टोगो देश की ही बात लीजिए। वहाँ पर जब एक हॉल बनकर तैयार हुआ तो कैरिसमैटीक चर्च के अधिकारी जानना चाहते थे कि आखिर इसका राज़ क्या है कि हमें तो अपने चर्च बनाने के लिए मज़दूर रखने पड़ते हैं, मगर यहोवा के साक्षियों को देखो, वे अपने हॉल खुद बना लेते हैं! टोगो से यह रिपोर्ट भी मिली है कि जगह-जगह बढ़िया और मज़बूत किंगडम हॉल बनाने में भाई-बहनों ने जिस तरह मिल-जुलकर काम किया है, उसका देखनेवालों पर इतना अच्छा असर हुआ कि वे अब ऐसी जगहों में अपना घर भाड़े पर लेना या बनाना चाहते हैं, जहाँ किंगडम हॉल बनाए जाएँगे।

9. विपत्तियों के समय यहोवा के साक्षियों ने किस तरह मदद की है?

9 कभी-कभार एक और तरह का भला काम करने की ज़रूरत आ पड़ती है। पिछले सेवा साल में जब कई देशों में विपत्तियाँ आई थीं तो ज़्यादातर जगहों में लोगों की मदद करने के लिए सबसे पहले यहोवा के साक्षी ही पहुँचे। उदाहरण के लिए, हरीकेन मिच तूफान की वज़ह से हॉण्डुरास की कई जगहें तबाह हो गई थीं। वहाँ के ब्राँच ने फौरन एक कमीटी बनाई ताकि विपत्ति के शिकार हुए भाई-बहनों की मदद की जा सके। हॉण्डुरास और अन्य देशों के साक्षियों ने भी कपड़े-लत्ते, खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयाँ और दूसरी ज़रूरी चीज़ें दान कीं। रीजनल बिल्डिंग कमीटी ने भी अपने हुनर इस्तेमाल करके भाई-बहनों के लिए फिर से नया घर बनाया। इस तरह वे अपने रोज़ का कामकाज और सामान्य जीवन फिर से शुरू कर पाए। इक्वेडोर में भी जब भयानक बाढ़ कई घरों को बहा ले गई तब यहोवा के साक्षी अपने भाई-बहनों की मदद के लिए दौड़े चले आए। जिस सूझ-बूझ के साथ उन्होंने वहाँ का काम निपटाया, उसे देखकर एक सरकारी अधिकारी ने कहा: “अगर ऐसे लोग मुझे मिल जाए तो क्या कहने! सच पूछो तो, दुनिया के हर कोने में आप जैसे लोग होने चाहिए।” ऐसे अच्छे और भले काम से यहोवा परमेश्‍वर की महिमा होती है और यह हमारी “भक्‍ति [का सबूत है जो] सब बातों के लिये लाभदायक है।”—1 तीमुथियुस 4:8.

वे ‘बादल की नाईं उड़ते हुए आते हैं’

10. हालाँकि अभिषिक्‍त मसीहियों की गिनती कम होती जा रही है फिर भी दुनिया के कोने-कोने में परमेश्‍वर के नाम की घोषणा इतने ज़ोर-शोर से क्यों हो पा रही है जितनी पहले कभी नहीं हुई थी?

10 यहोवा अब पूछता है: “ये कौन हैं जो बादल की नाईं और दर्बाओं की ओर उड़ते हुए कबूतरों की नाईं चले आते हैं? निश्‍चय द्वीप मेरी ही बाट देखेंगे, पहिले तो तर्शीश के जहाज़ आएंगे, कि, तेरे पुत्रों को . . . दूर से पहुंचाएं, . . . परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे।” (यशायाह 60:8-10) यहोवा के “तेज़” में चलने के लिए सबसे पहले उसके ‘पुत्र’ यानी अभिषिक्‍त मसीही तैयार हुए और इसके बाद “परदेशी” यानी बड़ी भीड़ के लोग। यह बड़ी भीड़ अपने अभिषिक्‍त भाइयों का वफादारी से साथ निभा रही है और उनके निर्देशन के तहत प्रचार का काम कर रही है। इसलिए जबकि अभिषिक्‍त मसीहियों की गिनती कम होती जा रही है, फिर भी दुनिया के कोने-कोने में परमेश्‍वर के नाम की घोषणा इतनी ज़ोर-शोर से हो रही है जितनी पहले कभी नहीं हुई थी।

11. (क) आज भी क्या हो रहा है और इसका हमें 1999 में कौन-सा अच्छा नतीजा मिला? (ख) सन्‌ 1999 में किन देशों में बपतिस्मे की गिनती ज़्यादा रही? (पेज 17-20 का चार्ट देखिए।)

11 प्रचार काम की वज़ह से हर साल लाखों की तादाद में नए लोग मसीही कलीसियाओं में शरण ले रहे हैं मानो वे ‘कबूतरों की नाईं दर्बाओं की ओर उड़ते चले आ रहे हों’। मगर और भी ज़्यादा लोगों के आने का रास्ता खुला है। यशायाह कहता है: “तेरे फाटक सदैव खुले रहेंगे; दिन और रात वे बन्द न किए जाएंगे जिस से . . . की धन-सम्पत्ति . . . तेरे पास पहुंचाए जाएं।” (यशायाह 60:11) पिछले साल 323,439 लोगों ने बपतिस्मा लेकर यहोवा को अपना समर्पण ज़ाहिर किया। और परमेश्‍वर ने अभी तक फाटक बंद नहीं किया है। “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” यानी बड़ी भीड़ के लोग अब भी चले आ रहे हैं। (हाग्गै 2:7) जो लोग अंधकार से बाहर निकलते हैं उन्हें ज्योति ज़रूर मिलती है। (यूहन्‍ना 12:46) हमारी यही प्रार्थना है कि ज्योति के लिए उनके दिल में शुरू से जो कदर थी वह कभी कम न हो!

विरोधों के बावजूद निडर

12. अंधकार के प्रेमियों ने किस तरह ज्योति को बुझा देने की कोशिश की है?

12 अंधकार के प्रेमी यहोवा की ज्योति से नफरत करते हैं। (यूहन्‍ना 3:19) कुछ लोग तो उसे बुझा देने की भी कोशिश करते हैं। और यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि पहले भी ऐसी कोशिश की गई थी। यीशु जो “सच्ची ज्योति” है और जो ‘हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है’ उसका तो उसी के देश के लोगों ने मज़ाक उड़ाया, विरोध किया और आखिरकार उसकी जान भी ले ली। (यूहन्‍ना 1:9) इसी तरह 20वीं सदी के दौरान जब यहोवा के साक्षियों ने ज्योति फैलाने की कोशिश की तो उनकी भी हँसी उड़ायी गई, उन्हें कैद किया गया, उनके काम पर पाबंदी लगाई गई, यहाँ तक कि कितनों की हत्या भी कर दी गई। पिछले कुछ सालों में टीवी और अखबारों के ज़रिए साक्षियों के बारे में झूठी खबरें फैलाई गई हैं। यहोवा के साक्षियों के कुछ दुश्‍मनों ने लोगों को यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि ये बहुत ही खतरनाक लोग हैं इसलिए इन पर पाबंदियाँ लगा देनी चाहिए या फिर इनके काम को पूरी तरह से रोक देना चाहिए। लेकिन क्या दुश्‍मनों की कोई भी चाल कामयाब रही?

13. ज़रूरत पड़ने पर अपने काम के बारे में हकीकत बयान करना किस तरह अक्लमंदी साबित हुआ?

13 बिलकुल नहीं। ज़रूरत पड़ने पर, यहोवा के साक्षियों ने समाचार विभागों से संपर्क करके अपने बारे में हकीकत बयान की है। नतीजा यह हुआ कि यहोवा का नाम अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो और टेलिविज़नों पर ज़ाहिर हुआ। इसकी वज़ह से प्रचार काम पर अच्छा असर हुआ। मसलन, डेनमार्क में टी.वी. पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम दिखाया गया, जिसका विषय था: “डेनमार्क के लोगों का विश्‍वास क्यों घटता जा रहा है?” इसमें कई धर्म के लोगों का और यहोवा के साक्षियों का भी इंटरव्यू लिया गया। इस कार्यक्रम को देखने के बाद एक स्त्री ने कहा: “इसे देखकर साफ नज़र आया कि परमेश्‍वर की आत्मा किसके साथ है।” बाद में उस स्त्री के साथ बाइबल स्टडी शुरू की गई।

14. दुश्‍मनों को जल्द ही कौन-सी कड़वी सच्चाई कबूल करनी पड़ेगी?

14 यहोवा के साक्षी जानते हैं कि कई लोग उनका विरोध करेंगे। (यूहन्‍ना 17:14) फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि यशायाह की यह भविष्यवाणी उनका हौसला बुलंद करती है: “तेरे दु:ख देनेवालों की सन्तान तेरे पास सिर झुकाए हुए आएंगे; और जिन्हों ने तेरा तिरस्कार किया सब तेरे पांवों पर गिरकर दण्डवत्‌ करेंगे; वे तेरा नाम यहोवा का नगर, इस्राएल के पवित्र का सिय्योन रखेंगे।” (यशायाह 60:14) उनके दुश्‍मनों को जल्द ही यह कड़वी सच्चाई कबूल करनी पड़ेगी कि दरअसल वे किसी और से नहीं बल्कि यहोवा से लड़ रहे हैं। तब उन्हें मुँह की खानी पड़ेगी। भला ऐसी लड़ाई में कोई जीत सकेगा?

15. यहोवा के साक्षी “अन्यजातियों का दूध” कैसे ‘पी’ रहे हैं और इससे प्रचार और सिखाने के काम में उन्हें कैसे मदद मिली?

15 यहोवा ने यह वादा भी किया था: “मैं तुझे सदा के घमण्ड का . . . कारण ठहराऊंगा। तू अन्यजातियों का दूध पी लेगी, तू राजाओं की छातियां चूसेगी; और तू जान लेगी कि मैं यहोवा तेरा उद्धारकर्त्ता . . . हूं।” (यशायाह 60:15, 16) जी हाँ, यहोवा ही अपने लोगों का उद्धार करेगा। अगर वे उस पर भरोसा रखेंगे तो वे “सदा” तक बने रहेंगे। जैसे यहोवा ने कहा कि वे ‘अन्यजातियों का दूध पीएँगे’ यानी इस संसार की सहूलियतों का पूरा फायदा उठाएँगे और सच्चाई की रोशनी को दूर-दूर तक फैलाएँगे। आज इसे हम अपनी आँखों से देख रहे हैं। मसलन, कंप्यूटरों और संचार टॆक्नॉलाजी की मदद से प्रहरीदुर्ग को 121 भाषाओं में और सजग होइए! को 62 भाषाओं में हर महीने साथ-साथ छापा जा रहा है। एक खास कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम तैयार किया गया है, जिसकी मदद से न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का कई भाषाओं में अनुवाद किया जा सका। इस अनुवाद को अपनी भाषा में पाना वाकई कितनी खुशी की बात है! जब 1999 में यूनानी शास्त्र क्रोएशियन भाषा में निकला तब हज़ारों लोगों की आँखों से खुशी के आँसू झलक पड़े। एक बुज़ुर्ग भाई ने कहा: “मैं बरसों से इसी बाइबल की इंतज़ार में था। अब मैं चैन से मर सकूँगा!” आज न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन की आधी या पूरी बाइबल 34 भाषाओं में है जिसकी 10 करोड़ से भी ज़्यादा कॉपियाँ वितरित की जा चुकी हैं।

उच्च नैतिक दर्जे

16, 17. (क) मुश्‍किलों के बावजूद यहोवा के उच्च दर्जों पर चलना इतना ज़रूरी क्यों है? (ख) कौन-सा उदाहरण दिखाता है कि नौजवान दुनिया की गंदी हवा में दूषित होने से बच सकते हैं?

16 यीशु ने कहा: “जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है।” (यूहन्‍ना 3:20) लेकिन जो ज्योति में बने रहते हैं, वे यहोवा के उच्च दर्जों पर चलना बहुत पसंद करते हैं। यशायाह के ज़रिए यहोवा ने कहा: “तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे।” (यशायाह 60:21क) मगर इस दुनिया में, हर कहीं बदचलन, झूठे, लालची और घमंडी लोग नज़र आते हैं तो ऐसे में उच्च नैतिक दर्जे पर चलना वाकई एक चुनौती है। मसलन, कुछ देशों में रुपया-पैसा कमाने के बहुत-से सुनहरे मौके मिलते हैं और ऐसी जगहों में एक इंसान बड़ी आसानी से धन-दौलत के लालच में पड़ सकता है। पौलुस ने चेतावनी दी थी: “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।” (1 तीमुथियुस 6:9) कितने अफसोस की बात है कि कुछ भाई-बहन नौकरी-धंधे और बिज़नस में ऐसे मशगूल हो जाते हैं कि वे ज़रूरी बातों को दाँव पर लगा देते हैं। वे भूल जाते हैं कि अपने मसीही भाई-बहनों के साथ संगति करना, यहोवा की पवित्र सेवा करना, नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखना और अपने परिवार की देखभाल करना बहुत ज़रूरी है!

17 यहोवा के उच्च दर्जों पर चलना खासकर जवानों को बहुत मुश्‍किल लग सकता है क्योंकि उनके ज़्यादातर हमउम्र ड्रग्स लेते हैं और बदचलनी करते हैं। सुरीनाम में एक बार स्कूल का एक बहुत ही खूबसूरत लड़का, 14 साल की एक लड़की के पास आया और उसने उस लड़की को अपने साथ एक रात बिताने के लिए कहा। लड़की ने उसे साफ इंकार कर दिया और समझाया कि बाइबल के मुताबिक शादी से पहले ऐसी हरकतें करना बिलकुल गलत है। स्कूल की दूसरी लड़कियाँ उसका मज़ाक उड़ाने लगी और हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गईं कि वह अपनी राय बदल दे, क्योंकि वह एक ऐसा लड़का है जिसके साथ कोई भी लड़की रात बिताना चाहेगी। मगर वह लड़की अपने फैसले से टस-से-मस न हुई। कुछ हफ्तों बाद मालूम पड़ा कि उस लड़के को एड्‌स हो गया और उसकी हालत एकदम खराब हो गई है। मगर वह लड़की कितनी खुश थी कि उसने यहोवा की इस आज्ञा को माना, “व्यभिचार से, परे रहो।” (प्रेरितों 15:28, 29) जब यहोवा के साक्षी देखते हैं कि उनके जवान हर हाल में अपना उच्च नैतिक स्तर बनाए रखते हैं तो उनका सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। इन नौजवानों और इनके माता-पिताओं के विश्‍वास की वज़ह से परमेश्‍वर के नाम की “महिमा” होती है और उसका आदर होता है।—यशायाह 60:21ख.

यहोवा ने बढ़ाया है

18. (क) यहोवा ने अपने लोगों के लिए कौन-से बड़े काम किए हैं? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा के संगठन में आगे भी बढ़ौतरी होती रहेगी और रोशनी में चलनेवालों को कैसा भविष्य मिलेगा?

18 बेशक यहोवा अपने लोगों पर अपना तेज प्रकट कर रहा है और उनके काम पर आशीष दे रहा है। वह उन्हें सही राह दिखाकर उनका हौसला बढ़ाता है। 20वीं सदी के दौरान उसके लोगों ने यशायाह के ये शब्द पूरे होते देखे हैं: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।” (यशायाह 60:22) सन्‌ 1919 में यहोवा के लोग बस मुट्ठी भर थे मगर अब “छोटे से छोटा” “एक हजार” से भी कहीं ज़्यादा हो गया है। और इनकी गिनती बढ़ती ही चली जाएगी! पिछले साल यीशु की मृत्यु का यादगार दिन मनाने के लिए 1,40,88,751 लोग आए थे। इनमें से कई तब तक साक्षी नहीं बने थे। हम कितने खुश हैं कि वे उस खास अवसर पर हाज़िर हुए थे और हम चाहते हैं कि आगे भी वे इसी तरह रोशनी में बढ़ते रहें। यहोवा का तेज अब भी अपने लोगों पर दमक रहा है। और उसके संगठन का दरवाज़ा अब भी खुला है। आइए हम, जो आज यहोवा की ज्योति में चल रहे हैं, यह ठान लें कि उसके तेज से कभी जुदा न हों। यहोवा की रोशनी में चलकर हमें कितनी आशीषें मिली हैं! और भविष्य में तो हमारी खुशी का ठिकाना न होगा, जब हमारे साथ-साथ सारी सृष्टि भी यहोवा का गुण गाएगी और उसकी महिमा के तेज में दमक उठेगी!—प्रकाशितवाक्य 5:13, 14.

क्या आप समझा सकते हैं?

इन अंतिम दिनों में किन लोगों ने यहोवा की ज्योति चमकायी है?

क्या दिखाता है कि यहोवा के लोगों का जोश कम नहीं हुआ है?

यहोवा के साक्षी किन भले कामों में व्यस्त हैं?

कड़े विरोध के बावजूद हमें किस बात का पूरा यकीन है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17-20 पर चार्ट]

संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की 1999 सेवा वर्ष रिपोर्ट

(पत्रिका देखिए)

[पेज 15 पर तसवीरें]

यहोवा के संगठन में अब भी लोग बड़ी तादाद में आ रहे हैं

[पेज 16 पर तसवीर]

हमें खुशी है कि यहोवा ने ज्योति के प्रेमियों के लिए दरवाज़ा पूरी तरह खोल रखा है