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अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर में अति प्रसन्‍न

अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर में अति प्रसन्‍न

अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर में अति प्रसन्‍न

“मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर के द्वारा अति प्रसन्‍न रहूंगा।”—हबक्कूक 3:18.

1. दानिय्येल ने सा.यु.पू. 539 में बाबुल के विनाश के पहले कौन-सा दर्शन देखा?

 सामान्य युग पूर्व 539 में बाबुल का विनाश हुआ था। लेकिन इससे करीब दस साल पहले, बूढ़े भविष्यवक्‍ता दानिय्येल ने एक दर्शन देखा था। उसमें उसने दुनिया में होनेवाली घटनाओं को देखा। और उसने देखा कि उन घटनाओं के आखिर में यहोवा के दुश्‍मनों और उसके ठहराए हुए राजा, यीशु मसीह के बीच एक बहुत बड़ा युद्ध होता है। इस दर्शन का दानिय्येल पर क्या असर हुआ? उसके दिल में कैसी भावनाएँ उठीं? उसने कहा: ‘मेरा बल जाता रहा, और जो कुछ मैं ने देखा था उस से मैं चकित रहा।’—दानिय्येल 8:27.

2. दानिय्येल ने दर्शन में कौन-सी लड़ाई देखी थी, और यह लड़ाई हमारे ही दिनों में होनेवाली है, यह जानकर आपको कैसा लगता है?

2 इसे पढ़कर आपके दिल में कौन-सी भावनाएँ उठती हैं? दानिय्येल ने दर्शन में जो युद्ध देखा था, यानी अरमगिदोन की लड़ाई, वह हमारे बहुत ही करीब है। यह जानकर आप कैसा महसूस करते हैं? और हबक्कूक की भविष्यवाणी में जिस बुराई के बारे में कहा गया है वो दुनिया-भर में इतनी फैल गयी है कि बहुत ही जल्द परमेश्‍वर इसे मिटा देगा। ये सारी बातें हमारे ही दिनों में होनेवाली हैं, यह जानकर आपको कैसा लगता है? शायद हमारे दिल में भी वैसी ही भावना उठे जो हबक्कूक के दिल में उठी थी। इसके बारे में हबक्कूक के तीसरे अध्याय में बताया गया है।

हबक्कूक परमेश्‍वर से दया की भीख माँगता है

3. हबक्कूक ने किस की तरफ से प्रार्थना की थी, और उसकी बातों का आज हम पर क्या असर हो सकता है?

3 हबक्कूक का तीसरा अध्याय एक प्रार्थना है। आयत 1 में इसे शिग्योनीत की रीति पर प्रार्थना, एक विलापगीत या शोकगीत भी कहा गया है। हबक्कूक ने इस तरह से प्रार्थना की, मानो वह अपनी खातिर ही प्रार्थना कर रहा हो। मगर, असल में हबक्कूक अपने लिए नहीं, बल्कि परमेश्‍वर की चुनी हुई जाति की तरफ से फरियाद कर रहा है। आज के दिनों में ये प्रार्थना परमेश्‍वर के उन लोगों के लिए बहुत महत्त्व रखती है, जो राज्य का प्रचार कर रहे हैं। जब हम इस बात को ध्यान में रखते हुए हबक्कूक के तीसरे अध्याय को पढ़ते हैं, तो हमें आनेवाली घटनाओं की चेतावनी मिलती है। मगर साथ ही उसके शब्दों से हमें खुशी भी मिलती है। हबक्कूक की प्रार्थना, या उसके शोकगीत से हमें उद्धार करनेवाले परमेश्‍वर में हमेशा आनंदित रहने के लिए ठोस वजह मिलती है।

4. हबक्कूक डर क्यों गया, और परमेश्‍वर की शक्‍ति के बारे में हमें किस बात का यकीन है?

4 जैसा हमने पिछले दो लेखों में देखा है, हबक्कूक के दिनों में यहूदा की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। लेकिन परमेश्‍वर ने इसे यूँ ही बरकरार रहने नहीं दिया। जैसे यहोवा ने पहले भी किया था, वो अब भी बुराई को मिटाने के लिए कार्यवाही करेगा। इसलिए भविष्यवक्‍ता चिल्ला उठता है: “हे यहोवा, मैं तेरी कीर्ति सुनकर डर गया”! यह ‘यहोवा की कीर्ति’ क्या है? ये हैं परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली काम, जो उसने लाल समंदर में, वीराने में, और यरीहो में किए थे। हबक्कूक परमेश्‍वर के इन सभी कामों से बहुत अच्छी तरह वाकिफ था, और इसीलिए वो डर गया क्योंकि वो जानता था कि परमेश्‍वर फिर एक बार अपने दुश्‍मनों के खिलाफ अपनी महाशक्‍ति का इस्तेमाल करेगा। आज जब हम इस दुनिया में बुराई को देखते हैं, तो हमें भी यकीन हो जाता है कि ठीक जैसे यहोवा ने पहले के समय में अपनी सामर्थ का इस्तेमाल किया था, आज भी वह अपने दुश्‍मनों का सफाया करने के लिए अपनी इस महाशक्‍ति का इस्तेमाल करेगा। लेकिन, क्या इससे हमें डर जाना चाहिए? डर तो लगेगा ही! फिर भी, हम हबक्कूक की तरह हिम्मत के साथ यह प्रार्थना करते हैं: “हे यहोवा, वर्तमान युग में अपने काम को पूरा कर; इसी युग में तू उसको प्रकट कर; क्रोध करते हुए भी दया करना स्मरण कर।” (हबक्कूक 3:2) ऐसा हो कि परमेश्‍वर के ठहराए हुए समय में, यानी “इसी युग में” वो अपनी चमत्कारिक शक्‍ति फिर से दिखाए। और उस समय वो उन लोगों को याद करे जो उससे प्यार करते हैं!

यहोवा आगे बढ़ता है

5. यह कैसे कहा जा सकता है कि परमेश्‍वर “परान पर्वत से आ रहा है,” और यह अरमगिदोन के बारे में क्या बताता है?

5 जब यहोवा दया की हमारी प्रार्थना का जवाब देगा, तब क्या होगा? हबक्कूक 3:3-5 में इस सवाल का जवाब लिखा है। सबसे पहले, भविष्यवक्‍ता कहता है: “ईश्‍वर तेमान से आया, पवित्र ईश्‍वर परान पर्वत से आ रहा है।” मूसा के दिनों में जब इस्राएल की जाति वीराने से होते हुए कनान देश जा रही थी, तब तेमान और परान उनके रास्ते में पड़ता था। जब वो बड़ी जाति गुज़र रही थी, तो ऐसा लगा जैसे खुद यहोवा ही वहाँ से गुज़र रहा हो, जिसे कोई रोक नहीं सकता। मूसा ने अपनी मौत से बस कुछ ही समय पहले कहा: ‘यहोवा सीनै से आया, और सेईर से उनके लिये उदय हुआ; उस ने पारान पर्वत पर से अपना तेज दिखाया, और लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के मध्य में से आया।’ (व्यवस्थाविवरण 33:2) वैसे ही जब यहोवा अरमगिदोन में अपने दुश्‍मनों के खिलाफ आगे बढ़ेगा, तब भी वो अपनी महाशक्‍ति दिखाएगा, जिसके सामने कोई खड़ा नहीं रह सकता।

6. परमेश्‍वर की महिमा के अलावा, समझदार मसीही और क्या देखते हैं?

6 हबक्कूक भी कहता है: “[यहोवा का] तेज आकाश पर छाया हुआ है, और पृथ्वी उसकी स्तुति से परिपूर्ण हो गई है। उसकी ज्योति सूर्य के तुल्य थी।” ये क्या ही शानदार नज़ारा है! हाँ, ये सच है कि इंसान परमेश्‍वर यहोवा को देखकर ज़िंदा नहीं रह सकता। (निर्गमन 33:20) लेकिन, जब वफादार लोग अपने मन की आँखों से उसकी महिमा और उसके प्रताप को देखते हैं, तो उनकी आँखें चुंधिया जाती हैं। (इफिसियों 1:18) और समझदार मसीही यहोवा की महिमा के अलावा और भी कुछ देखते हैं। हबक्कूक 3:4 कहता है: “उसके हाथ से [दो] किरणें निकल रही थीं; और इन में उसका सामर्थ छिपा हुआ था।” जी हाँ, यहाँ हम देखते हैं कि यहोवा अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल करते हुए अपनी सामर्थ और महाशक्‍ति दिखाने के लिए तैयार है।

7. जब परमेश्‍वर अपनी विजय यात्रा पर निकलता है तो बागियों के लिए उसका मतलब क्या होता है?

7 जब परमेश्‍वर आगे बढ़ते हुए अपनी विजय यात्रा पर निकलता है तो उसका मतलब होता है बागियों का सर्वनाश। हबक्कूक 3:5 कहता है: “उसके आगे आगे मरी फैलती गई, और उसके पांवों से महाज्वर निकलता गया।” सा.यु.पू. 1473 में, जब इस्राएल की जाति वादा किए गए देश की बिलकुल सीमा तक पहुँच गई थी, तब कई लोगों ने पराए देश की स्त्रियों के साथ कुकर्म किया और उनके साथ मूर्तिपूजा में शामिल होकर परमेश्‍वर के खिलाफ बगावत की। इसकी वज़ह से परमेश्‍वर ने उन पर मरी भेजी, जिसमें 20,000 से भी ज़्यादा लोग मारे गए। (गिनती 25:1-9) बहुत जल्द एक बार फिर, जब यहोवा “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर . . . उस बड़े दिन की लड़ाई” के लिए निकल पड़ेगा, तो उसके खिलाफ बगावत करनेवाले भी उसी तरह अपने पापों का अंजाम भुगतेंगे। कुछ लोग तो सचमुच की मरी से मारे जाएँगे।—प्रकाशितवाक्य 16:14, 16.

8. हबक्कूक 3:6 के मुताबिक, परमेश्‍वर के दुश्‍मनों का क्या होगा?

8 अब सुनिए कि हबक्कूक सेनाओं के यहोवा के महाशक्‍तिशाली कामों का क्या ही बढ़िया तरीके से बयान करता है। हबक्कूक 3:6 में लिखा है: “यहोवा खड़ा हुआ और उसने धरती को कँपा दिया। उसने अन्य जातियों के लोगों पर तीखी दृष्टि डाली और वे भय से काँप उठे। जो पर्वत अनन्त काल से अचल खड़े थे, वे पर्वत टूट-टूट कर गिरे और चकनाचूर हो गये। पुराने, अति प्राचीन पहाड़ ढह गये थे। परमेश्‍वर सदा से ही ऐसा रहा है।” सबसे पहले तो यहोवा ‘खड़ा होता’ है, ठीक वैसे ही जैसे एक सेनापति जंग के मैदान का जायज़ा लेने के लिए खड़ा होता है। उसे देखकर डर के मारे दुश्‍मनों का खून सूख जाता है। जब वो देखते हैं कि उनसे लड़ने के लिए कौन खड़ा है तो उनकी कपकपी छूटने लगती है, वो बौखलाकर भागने लगते हैं। यीशु ने भी इसके बारे में कहा था कि उस वक्‍त “पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे।” (मत्ती 24:30) जब उनकी समझ में ये बात आएगी कि यहोवा की मर्ज़ी के खिलाफ कोई भी नहीं टिक सकता, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। तब इंसानों के सभी संगठन चकनाचूर हो जाएँगे। ऐसे संगठन भी जिन्हें देखकर लगता था कि ये “पहाड़” की तरह “अनन्त काल से अचल खड़े” हैं और ‘अति प्राचीन’ हैं। जैसे परमेश्‍वर ने प्राचीन समय में किया था वैसे ही वो अब करेगा क्योंकि वो “सदा से ही ऐसा रहा है।”

9, 10. हबक्कूक 3:7-11 में हमें किस बात की याद दिलायी गयी है?

9 इन दुश्‍मनों पर यहोवा का “क्रोध . . . भड़का” है। लेकिन यहोवा इस युद्ध में किन हथियारों का इस्तेमाल करेगा? सुनिए, भविष्यवक्‍ता हमें समझाता है: “तेरा धनुष खोल में से निकल गया, तेरे दण्ड का वचन शपथ के साथ हुआ था। तू ने धरती को नदियों से चीर डाला। पहाड़ तुझे देखकर कांप उठे; आंधी और जलप्रलय निकल गए; गहिरा सागर बोल उठा और अपने हाथों अर्थात्‌ लहरों को ऊपर उठाया। तेरे उड़नेवाले तीरों के चलने की ज्योति से, और तेरे चमकीले भाले की झलक के प्रकाश से सूर्य और चन्द्रमा अपने अपने स्थान पर ठहर गए।”—हबक्कूक 3:7-11.

10 यहोशू के दिनों में, यहोवा ने अपनी महाशक्‍ति की हैरतअंगेज़ झलक दिखाते हुए सूरज और चांद को अपनी-अपनी जगह पर थाम दिया था। (यहोशू 10:12-14) हबक्कूक के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि अरमगिदोन की लड़ाई में यहोवा अपनी इसी महाशक्‍ति का फिर से इस्तेमाल करेगा। सा.यु.पू. 1513 में यहोवा ने पृथ्वी के गहरे समंदर पर अपनी महाशक्‍ति का इस्तेमाल किया, और लाल समंदर में फिरौन की सेनाओं का नाश कर दिया। इस घटना के चालीस साल बाद, जब इस्राएली लोग वादा किए हुए देश में विजयी होते हुए जा रहे थे, तब परमेश्‍वर यहोवा ने यरदन नदी के पानी को रोक दिया और वो भी ऐसे वक्‍त पर जब उसमें खतरनाक बाढ़ आयी हुई थी। (यहोशू 3:15-17) नबिया दबोरा के दिनों में, मूसलाधार बारिश इस्राएल के दुश्‍मन सीसरा के रथों को बहा ले गई। (न्यायियों 5:21) अरमगिदोन की लड़ाई के लिए भी यहोवा के पास बाढ़, मूसलाधार बारिश, और गहरे सागर जैसी महा ताकतें होंगी। एक भाले या तरकश के तीरों की तरह गरजते हुए बादल और अंगारे उगलनेवाली बिजलियाँ भी उसी के हाथों में हैं।

11. जब यहोवा अपनी महाशक्‍ति का पूरी तरह इस्तेमाल करेगा तो क्या होगा?

11 जब यहोवा अपनी महाशक्‍ति का पूरी तरह इस्तेमाल करेगा तो वो सचमुच दिल को दहला देनेवाला, बहुत ही भयानक मंज़र होगा। हबक्कूक के शब्दों से पता चलता है कि रात दिन में बदल जाएगी और दिन में इतनी तेज़ रोशनी होगी जितनी सूरज से भी नहीं होती। चाहे अरमगिदोन के बारे में यह भविष्यवाणी हकीकत में पूरी हों या सिर्फ लाक्षणिक हो, एक बात तो तय है—यहोवा की जीत हर हाल में होगी और उसके हाथों से एक भी दुश्‍मन बचकर नहीं जा सकेगा।

परमेश्‍वर के लोगों को उद्धार ज़रूर मिलेगा!

12. परमेश्‍वर अपने दुश्‍मनों का क्या करेगा, लेकिन कौन बचाए जाएँगे?

12 यहोवा अपने दुश्‍मनों को कैसे मिटाता है इसके बारे में भविष्यवक्‍ता आगे हबक्कूक 3:12 में कहता है: “तू क्रोध में आकर पृथ्वी पर चल निकला, तू ने जाति जाति को क्रोध से नाश किया।” लेकिन, यहोवा बस यूँ ही, अंधाधुंध नाश नहीं करेगा। कुछ लोगों को बचाया जाएगा, जैसे हबक्कूक 3:13 कहता है: “तू अपनी प्रजा के उद्धार के लिये निकला, हां, अपने अभिषिक्‍त के संग होकर उद्धार के लिये निकला।” जी हाँ, यहोवा अपने वफादार सेवकों को ज़रूर बचाएगा। तब महा बाबुल का नाश पूरा होगा। लेकिन, आज सभी जातियाँ सच्ची उपासना को ही मिटाने की कोशिश कर रही हैं, और जल्द ही परमेश्‍वर के सेवकों पर मागोग का गोग हमला करेगा। (यहेजकेल 38:1–39:13; प्रकाशितवाक्य 17:1-5, 16-18) लेकिन क्या यह हमला सफल होगा? कतई नहीं! यहोवा तब गुस्से में आकर अपने दुश्‍मनों का नाश करेगा, और उन्हें अपने पैरों तले ऐसे रौंदेगा जैसे अनाज को रौंदा जाता है। मगर वो उन लोगों को बचाएगा जो आत्मा और सच्चाई से उसकी उपासना करते हैं।—यूहन्‍ना 4:24.

13. हबक्कूक 3:13 की बातें कैसे पूरी होंगी?

13 बुरे लोगों के पूरी तरह से सर्वनाश के बारे में यूँ कहा गया है: “तू [यहोवा] ने दुष्ट के घर के सिर को घायल करके उसे गले से नेव तक नंगा कर दिया।” (हबक्कूक 3:13) ये “घर” क्या है? ये ऐसी बुरी व्यवस्था है जो शैतान ने बनायी है और जो चकनाचूर हो जाएगी। “सिर” या परमेश्‍वर का विरोध करनेवाले प्रधान या नेता कुचल दिए जाएँगे। शैतान की व्यवस्था का पूरा ढाँचा ही खाक में मिला दिया जाएगा और उसकी नींव तक भस्म कर दी जाएगी। उस व्यवस्था का निशान तक नहीं बचेगा। सोचिए इससे कितनी बड़ी राहत मिलेगी!

14-16. हबक्कूक 3:14, 15 के मुताबिक यहोवा के लोगों का और उनके दुश्‍मनों का क्या होगा?

14 अरमगिदोन की लड़ाई में, यहोवा के “अभिषिक्‍त” जन का नाश करने की कोशिश करनेवालों को उलझन में डाल दिया जाएगा। हबक्कूक 3:14, 15 के मुताबिक, भविष्यवक्‍ता यहोवा से कहता है: “तू ने उसके योद्धाओं के सिरों को उसी की बर्छी से छेदा है, वे मुझ को तितर-बितर करने के लिये बवंडर की आंधी की नाईं आए, और दीन लोगों को घात लगाकर मार डालने की आशा से आनन्दित थे। तू अपने घोड़ों पर सवार होकर समुद्र से हां, जलप्रलय से पार हो गया।”

15 जब हबक्कूक कहता है कि ‘योद्धा मुझ को तितर-बितर करने के लिये बवंडर की आंधी की नाईं आए,’ तो दरअसल हबक्कूक अपने बारे में नहीं, यहोवा के अभिषिक्‍त सेवकों के बारे में बात करता है। जैसे लुटेरे राहगीरों को लूटने के लिए उन पर टूट पड़ते हैं, उसी तरह सब जातियाँ परमेश्‍वर के उपासकों पर टूट पड़ेंगी ताकि उनका नाश कर दें। वे “आशा से आनन्दित” होंगी, क्योंकि उन्हें कामयाबी का पूरा यकीन होगा। उस वक्‍त वफादार मसीही “दीन लोगों” के माफिक कमज़ोर और बेबस नज़र आएँगे। मगर जब परमेश्‍वर के विरोधी परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करते हैं, तब यहोवा उनके हथियारों से उन्हीं का नाश करेगा। वे अपने शस्त्रों को, या ‘बर्छियों’ को अपने ही योद्धाओं को मारने के लिए इस्तेमाल करेंगे।

16 लेकिन यह सब इतने में ही खत्म नहीं होगा। तब यहोवा अपनी महाशक्‍तिशाली आत्मिक सेनाओं का इस्तेमाल करके अपने दुश्‍मनों का पूरी तरह से विनाश कर देगा। यीशु मसीह और उसकी स्वर्गीय सेना, जो “घोड़ों” पर बैठी है, हिलोरे खानेवाले “समुद्र” और “जलप्रलय” को पार करता हुए, यानी दुश्‍मन मनुष्यजाति का संहार करते हुए विजय की तरफ बढ़ती जाएगी। (प्रकाशितवाक्य 19:11-21) तब इस ज़मीन पर बुरे लोगों का नामो-निशान नहीं रहेगा। ये परमेश्‍वर के इंसाफ और उसकी ताकत की क्या ही बेहतरीन मिसाल होगी!

यहोवा का दिन नज़दीक आ रहा है!

17. (क) हम क्यों पूरा यकीन रख सकते हैं कि हबक्कूक की बातें पूरी होंगी? (ख) यहोवा के महान दिन का इंतज़ार करने में हम भी हबक्कूक की तरह कैसे हो सकते हैं?

17 हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि हबक्कूक के वचन जल्द ही पूरे होंगे। उसमें देर न होगी। लेकिन, भविष्य में होनेवाली इन घटनाओं का आप पर क्या असर होना चाहिए? याद रखिए, परमेश्‍वर ने हबक्कूक को ये भविष्यवाणी लिखने के लिए प्रेरित किया था। यहोवा ज़रूर कदम उठाएगा, और जब ऐसा होगा तब मानो धरती पर आसमान टूट पड़ेगा। इसीलिए भविष्यवक्‍ता ने लिखा: “यह सब सुनते ही मेरा कलेजा कांप उठा, मेरे ओंठ थरथराने लगे; मेरी हड्डियां सड़ने लगीं, और मैं खड़े खड़े कांपने लगा। मैं शान्ति से उस दिन की बाट जोहता रहूंगा जब दल बांधकर प्रजा चढ़ाई करे।” (हबक्कूक 3:16) हबक्कूक बहुत ही बेचैन हो उठा, और ज़ाहिर है क्योंकि यह बात ही ऐसी थी। मगर क्या उसका विश्‍वास डगमगा गया? बिलकुल नहीं! वो शांति से यहोवा के दिन की बाट जोहने के लिए तैयार था। (2 पतरस 3:11, 12) क्या हमें भी ऐसा ही नहीं करना चाहिए? बेशक, हम भी हबक्कूक की तरह पूरे विश्‍वास के साथ यहोवा के दिन की बाट जोहना चाहते हैं! हमें पूरा यकीन है कि हबक्कूक की भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी। मगर जब तक ये बातें पूरी न हों, तब तक हम धीरज से इंतज़ार करेंगे।

18. हालाँकि हबक्कूक जानता था कि आगे मुश्‍किलें पैदा होंगी, फिर भी उसका नज़रिया कैसा था?

18 लड़ाई के बाद हमेशा मुश्‍किल हालात का सामना करना पड़ता है। जीतनेवालों को भी। खाने-पीने के लाले पड़ जाते हैं। घर-बार, ज़मीन-ज़ायदाद नष्ट हो जाती है। तंगहाली में वक्‍त गुज़ारना पड़ता है। अगर हमारे साथ ऐसा हो, तो हम क्या करेंगे? इसमें हबक्कूक का नज़रिया हमारे लिए एक मिसाल साबित हो सकता है। वो कहता है: “चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्‍न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर के द्वारा अति प्रसन्‍न रहूंगा।” (हबक्कूक 3:17, 18) हबक्कूक बखूबी जानता था कि आगे बहुत मुश्‍किलें पैदा होंगी। शायद अकाल भी पड़े। फिर भी, उसने यहोवा में अपना आनंद हमेशा बरकरार रखा, और यहोवा ने भी उसका उद्धार किया।

19. कई मसीहियों पर कौन-सी मुश्‍किलें आ रही हैं, लेकिन अगर हम यहोवा को अपनी ज़िंदगी में सबसे आगे रखेंगे तो हम क्या यकीन रख सकते हैं?

19 आज भी, यहोवा के महान दिन की लड़ाई शुरू होने से पहले ही कई लोगों को मुश्‍किल हालात का सामना करना पड़ रहा है। यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि युद्ध, अकाल, भूकंप, और बीमारियाँ इस बात का चिन्ह होंगी कि मसीहा महिमा के साथ राजा बनकर उपस्थित हो चुका है। (मत्ती 24:3-14; लूका 21:10, 11) आज हमारे कई भाई-बहन ऐसी जगहों में रहते हैं जहाँ यीशु की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी हो रही है, और इसकी वज़ह से उन्हें बड़ी-बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। और आनेवाले दिनों में शायद हम सभी को ऐसी ही मुश्‍किलों से गुज़रना पड़े। शायद हमें तंगहाली में दिन गुज़ारने पड़ें, मानो हमारे “अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें।” मगर, हमें मालूम है कि ये सब क्यों हो रहा है, और इससे हमें हौसला मिलता है, ताकत मिलती है। इसके अलावा, हमारा साथ देनेवाला भी कोई है। क्योंकि यीशु ने वादा किया: “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।” (मत्ती 6:33) यहाँ यीशु एक आरामदेह और ऐशोआराम की ज़िंदगी की गारंटी नहीं दे रहा है। मगर वो हमें इतना यकीन ज़रूर दिलाता है कि अगर हमने अपनी ज़िंदगी में यहोवा को सबसे आगे रखा, तो वो हमारी देखभाल ज़रूर करेगा।—भजन 37:25.

20. चाहे हम पर पल भर के लिए मुश्‍किलें क्यों न आए, हमें क्या करने का पक्का फैसला करना चाहिए?

20 सो, चाहे हम पर कुछ पलों के लिए कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, हम निराश नहीं होंगे और न ही हमारा विश्‍वास डगमगाएगा कि यहोवा हमें बचाएगा या नहीं। अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, और दूसरी जगहों के हमारे कई भाई-बहनों को बहुत ही बुरे मुश्‍किलात से गुज़रना पड़ रहा है, मगर वे “यहोवा के कारण आनन्दित” रहते हैं। आइए हम भी उनकी तरह हों, और हमेशा “यहोवा के कारण आनन्दित” रहें। याद रखिए, हमारा सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा हमें “बल” देता है। (हबक्कूक 3:19) वो हमें कभी धोखा नहीं देगा। वो अरमगिदोन यकीनन लाएगा, और उसके बाद अपना नया संसार भी ज़रूर लाएगा। (2 पतरस 3:13) तब “पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है।” (हबक्कूक 2:14) लेकिन तब तक, आइए हम हबक्कूक की अच्छी मिसाल पर चलें और हमेशा ‘अपने उद्धार के परमेश्‍वर [यहोवा] में आनन्दित’ रहें।

क्या आपको याद है?

• हबक्कूक की प्रार्थना का हम पर क्या असर हो सकता है?

• यहोवा क्यों आगे बढ़ता है?

• हबक्कूक की भविष्यवाणी उद्धार के बारे में क्या कहती है?

• हमें किस नज़रिए के साथ यहोवा के महान दिन का इंतज़ार करना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 23 पर तसवीर]

क्या आप जानते हैं कि अरमगिदोन में यहोवा बुरे लोगों का नाश करने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल करेगा?