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वो दिन खास होगा—क्या आप आएँगे?

वो दिन खास होगा—क्या आप आएँगे?

वो दिन खास होगा—क्या आप आएँगे?

करीब 3,500 साल पहले की बात है। इस्राएली वह दिन कभी नहीं भूल सकते थे। वे मिस्र में गुलाम थे। उस समय परमेश्‍वर ने उनसे कहा था कि उनका हर परिवार एक बकरी या भेड़ के एक बच्चे को वध करके उसका खून घर के दरवाज़े के दोनों अलंगों और चौखट के ऊपरी भाग पर लगा दे। जिस दिन इस्राएलियों ने ऐसा किया उसी रात, परमेश्‍वर का एक स्वर्गदूत आया और उसने सारे मिस्रियों के पहिलौठों को मार डाला। मगर उसने इस्राएलियों के घरों को छोड़ दिया जिनके दरवाज़ों पर खून की निशानी थी। फिर उसी रात इस्राएली मिस्र की गुलामी से आज़ाद हो गए। उस घटना की याद में वे हर साल फसह नाम का पर्व मनाते थे।

यीशु मसीह भी यह पर्व मनाता था। जिस दिन उसने अपने प्रेरितों के साथ आखिरी फसह मनाया, उसी दिन उसने एक नए पर्व की भी शुरूआत की जो उसके बलिदान की याद दिलाता। उसने अपने प्रेरितों को एक अखमीरी रोटी दी और कहा: “लो, खाओ; यह मेरी देह है।” फिर उसने उन्हें दाखमधु का एक कटोरा देकर कहा: “तुम सब इस में से पीओ। क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।” यीशु ने यह भी कहा: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” (मत्ती 26:26-28; लूका 22:19, 20) तो यहाँ यीशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि वे हर साल उसकी मौत की यादगार मनाते रहें।

इस साल यीशु की मौत की यादगार अप्रैल 19, बुधवार के दिन सूर्यास्त के बाद मनाई जाएगी। साल की यह शाम पूरी दुनिया में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों के लिए बहुत खास होगी। वे इस शाम एक-साथ इकट्ठा होंगे और यीशु के बताए तरीके से उसकी मौत की यादगार मनाएँगे। इसे कैसे मनाया जाता है, यह देखने के लिए हम आपका भी हार्दिक स्वागत करते हैं। आपके इलाके में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों से पता कीजिए कि यह मीटिंग ठीक कब और कहाँ रखी जाएगी।