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नई दुनिया—क्या आप वहाँ होंगे?

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“मैं ने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं; और यह भी परमेश्‍वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्रम में सुखी रहे।”सभोपदेशक 3:12, 13.

1. हम यह क्यों कह सकते हैं कि हमारा भविष्य उज्जवल होगा?

 परमेश्‍वर के बारे में कई लोगों के मन में एक गलत तसवीर है। वे सोचते हैं कि वह बहुत ही कठोर है, दूसरों की खुशियों की परवाह नहीं करता। मगर, ऊपर दिया गया उसका अपना वचन उसकी सच्ची तसवीर पेश करता है। वह यही चाहता है कि लोग खुश रहें और धन्य हों, क्योंकि वह खुद “परमधन्य परमेश्‍वर” है। (1 तीमुथियुस 1:11) इसीलिए उसने हमारे पहले माता-पिता को अदन के खूबसूरत बगीचे में रखा था ताकि वे खुशहाल ज़िंदगी जीएँ। (उत्पत्ति 2:7-9) सो, अगर वह हमें भी भविष्य में ऐसी ही खुशहाल ज़िंदगी दे, तो क्या इसमें कोई ताज्जुब की बात होगी? असल में परमेश्‍वर ने हमारे लिए एक ऐसे ही उज्जवल भविष्य का वादा किया है।

2. आपका भविष्य कैसा होगा?

2 पिछले लेख में हमने “नया आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में तीन भविष्यवाणियों पर गौर किया। (यशायाह 65:17) इसमें से एक भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य के 21वें अध्याय में लिखी हुई है जिसमें हमने यह भी देखा कि परमेश्‍वर पृथ्वी की कायापलट करके सब कुछ नया कर देगा, और तब चारों तरफ खुशहाली-ही-खुशहाली होगी। दुःख-दर्द के आँसू नहीं होंगे। बुढ़ापा नहीं होगा, बीमारी नहीं होगी, हादसे नहीं होंगे, और सबसे बढ़कर मौत नहीं होगी। न मातम, न विलाप, न पीड़ा होगी। ज़रा सोचिए हमारा भविष्य कितना उज्ज्वल, कितना शानदार होगा! लेकिन अब सवाल उठता है कि हम कैसे यकीन रख सकते हैं कि यह भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी? और इस भविष्यवाणी का अभी हमारी ज़िंदगी पर क्या असर हो सकता है?

भरोसा रखने की वज़ह

3. हम भविष्य के बारे में बाइबल में दिए गए वादों पर पक्का भरोसा क्यों रख सकते हैं?

3 प्रकाशितवाक्य 21:5 में लिखा है कि परमेश्‍वर स्वर्ग में अपने सिहांसन पर बैठा है, और कहता है: “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं।” यह इंसानों या उनकी सरकारों द्वारा किए गए वादों की तरह कोई खोखला वादा नहीं है। आज सरकारें ढेरों वादे करती हैं कि वे सबका भविष्य उज्जवल कर देंगी, समानाधिकार देंगी, मानव अधिकार बहाल करेंगी, वगैरह-वगैरह। लेकिन ऐसे वादे, परमेश्‍वर के वादों के सामने बिलकुल फीके पड़ जाते हैं। परमेश्‍वर का यह वादा पक्का है और बाइबल कहती है कि वह “झूठ बोल नहीं सकता।” (तीतुस 1:2) अब यह सुनकर आप शायद कहें, परमेश्‍वर ने नई दुनिया देने का जो वादा किया है, उस पर मुझे पूरा भरोसा हो गया है। अब मैं उस खूबसूरत जहान के सपनों में पूरी तरह खो जाना चाहता हूँ। लेकिन रुकिए, भविष्य में और भी बहुत कुछ होनेवाला है, जिसके बारे में हमें सीखना होगा।

4, 5. पिछले लेख में कौन-सी भविष्यवाणियों पर हम चर्चा कर चुके हैं, जिसने भविष्य में होनेवाली बातों पर हमारे विश्‍वास को मज़बूत किया है?

4 याद कीजिए कि हमने पिछले लेख में नए आकाश और नई पृथ्वी के बारे में क्या सीखा था। हमने देखा था कि यशायाह 65:17-19 की भविष्यवाणी पहले तब पूरी हुई जब यहूदी लोग बाबुल से अपने वतन लौटे और फिर से यरूशलेम का मंदिर बनाकर परमेश्‍वर की सच्ची उपासना शुरू की। (एज्रा 1:1-3; 2:1, 2; 3:12, 13) लेकिन क्या यशायाह की भविष्यवाणी की सिर्फ एक ही पूर्ति थी? जी नहीं! यह भविष्यवाणी भविष्य में बहुत ही बड़े पैमाने पर और बड़े ही शानदार तरीके से एक बार फिर पूरा होना बाकी है। हम पूरे यकीन के साथ ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि 2 पतरस 3:13 और प्रकाशितवाक्य 21:1-5 में “नए आकाश और नई पृथ्वी” का वादा मसीहियों से किया गया था, जो बड़े पैमाने पर नई दुनिया में पूरा होगा।

5 जैसे हमने पहले देखा, बाइबल में “नए आकाश और नई पृथ्वी” की भविष्यवाणी का चार बार ज़िक्र किया गया है। इनमें से तीन पर हम पिछले लेख में चर्चा कर चुके हैं, जिसने भविष्य में होनेवाली बातों पर हमारे विश्‍वास को मज़बूत किया है। हमने सीखा कि परमेश्‍वर बुराई को और बाकी दुःख-तकलीफों को मिटा डालेगा और फिर नई दुनिया में इंसानों पर आशीषें बरसाएगा।

6. “नए आकाश और नई पृथ्वी” की अगली और आखिरी भविष्यवाणी क्या कहती है?

6 आइए अब हम “नए आकाश और नई पृथ्वी” की अगली और आखिरी भविष्यवाणी पर गौर करें, जो यशायाह 66:22-24 में है। वहाँ बताया गया है: “जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी, जो मैं बनाने पर हूं, मेरे सम्मुख बनी रहेगी, उसी प्रकार तुम्हारा वंश और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा; यहोवा की यही वाणी है। फिर ऐसा होगा कि एक नये चांद से दूसरे नये चांद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक समस्त प्राणी मेरे साम्हने दण्डवत्‌ करने को आया करेंगे; यहोवा का यही वचन है। तब वे निकलकर उन लोगों की लोथों पर जिन्हों ने मुझ से बलवा किया दृष्टि डालेंगे; क्योंकि उन में पड़े हुए कीड़े कभी न मरेंगे, उनकी आग कभी न बुझेगी, और सारे मनुष्यों को उन से अत्यन्त घृणा होगी।”

7. यशायाह 66:22-24 की भविष्यवाणी कब पूरी होगी और हम किस आधार पर यह कह सकते हैं?

7 यह भविष्यवाणी पहली बार तब पूरी हुई थी, जब यहूदी अपने वतन लौटे थे। लेकिन यह भविष्यवाणी एक बड़े पैमाने पर फिर एक बार पूरी होगी। कब? पतरस की दूसरी चट्ठी और प्रकाशितवाक्य के आधार पर हम कह सकते हैं कि यह भविष्य में पूरी होगी। जी हाँ, यह भविष्यवाणी नई दुनिया में बड़े पैमाने पर और शानदार तरीके से पूरी होगी। आइए एक झलक देखें कि उस वक्‍त हमारी ज़िंदगी कितनी खुशहाल होगी।

8, 9. (क) यहोवा के लोग कैसे ‘बने रहे’ हैं? (ख) नई दुनिया में “एक नये चांद से दूसरे नये चांद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन” तक यहोवा की उपासना करने का मतलब क्या है?

8 प्रकाशितवाक्य 21:4 में वादा किया गया है कि मौत नहीं रहेगी। यशायाह 66:22-24 में भी यही बात बताई गई है, क्योंकि आयत 22 में हम देख सकते हैं कि नए आकाश और नई पृथ्वी “बनी रहेगी,” या “सदा-सदा टिके रहेंगे” (ईज़ी टू रीड वर्शन)। साथ ही उसी आयत से पता चलता है कि परमेश्‍वर के लोग भी ‘बने रहेंगे,’ यानी वे हमेशा-हमेशा जीएँगे। प्रेरितों के ज़माने से लेकर आज तक सच्चे मसीहियों पर बहुत भयानक ज़ुल्म किए गए हैं, उनका नामो-निशान तक मिटा डालने की कोशिशें की गई हैं, फिर भी वे ‘बने रहे’ हैं क्योंकि यहोवा ने उनकी रक्षा की है। (यूहन्‍ना 16:2; प्रेरितों 8:1) रोमी सम्राट, नीरो और एडॉल्फ हिटलर जैसे बड़े-से-बड़े, ताकतवर दुश्‍मन भी यहोवा के वफादार लोगों को नहीं मिटा सके हैं। आज तक परमेश्‍वर ने अपना नाम धारण करनेवाले अपने सेवकों के पूरे समाज की हिफाज़त की है, और इसलिए पूरे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि वह उस समाज को हमेशा-हमेशा के लिए ‘बनाए’ रखेगा।

9 दरअसल, नई दुनिया में उसके समाज का हर एक सदस्य “बना रहेगा,” क्योंकि वह यहोवा की पवित्र उपासना पूरी वफादारी से करेगा। और वह ऐसा सिर्फ कभी-कभी, या जब मन किया तब नहीं करेगा, बल्कि यशायाह 66:23 के मुताबिक वह हफ्ते-दर-हफ्ते और महीने-दर-महीने सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करता रहेगा। इसकी मिसाल हम मूसा की व्यवस्था में भी देखते हैं, जिसमें हर महीने नए चाँद के दिन और हर हफ्ते सब्त या विश्राम के दिन कुछ खास तरीके से उपासना करने का इंतज़ाम था। (लैव्यव्यवस्था 24:5-9; गिनती 10:10; 28:9, 10; 2 इतिहास 2:4) इसी तरह नई दुनिया में भी यहोवा की पवित्र उपासना हमेशा और बिना नागा होती रहेगी। उस वक्‍त आज की तरह कोई नास्तिक नहीं रहेगा, ना ही झूठे धर्म होंगे, क्योंकि “समस्त प्राणी [यहोवा के] साम्हने दण्डवत्‌ करने को आया करेंगे।”

10. हम क्यों पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि नई दुनिया में दुष्ट लोग नहीं होंगे?

10 यशायाह 66:24 हमें यकीन दिलाता है कि नई पृथ्वी में शांति और धार्मिकता सदा तक बरकरार रहेगी, इन्हें कोई खतरा नहीं होगा, क्योंकि दुष्ट लोगों का नाश हो जाएगा। याद कीजिए कि 2 पतरस 3:7 में बताया गया है कि बहुत जल्द ‘भक्‍तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने का दिन’ आएगा। परमेश्‍वर के इस युद्ध में सिर्फ “भक्‍तिहीन मनुष्यों” का नाश होगा, निर्दोष और बेगुनाह लोगों पर आँच तक नहीं आएगी। आजकल की लड़ाइयों में ऐसा नहीं होता, क्योंकि सैनिकों से ज़्यादा बेगुनाह नागरिक मारे जाते हैं। लेकिन यहोवा इंसाफ-पसंद न्यायी है, और वह हमें वचन देता है कि उसके ‘न्याय के दिन’ में सिर्फ भक्‍तिहीन मनुष्यों का ही नाश होगा।

11. यशायाह के मुताबिक यहोवा का विरोध करनेवालों का अंजाम क्या होगा?

11 यहोवा के ‘न्याय के दिन’ से बच निकलनेवाले धर्मी लोग “भक्‍तिहीन मनुष्यों” का नाश होते हुए देखेंगे, जिसके बारे में परमेश्‍वर वादा करता है। यशायाह 66:24 में भविष्यवाणी की गयी है कि धर्मी लोग ‘यहोवा से बलवा करनेवालों की लोथों पर दृष्टि डालेंगे।’ आयत 24 में यशायाह जिस तरह का वर्णन देता है, उसे पढ़कर शायद हमें धक्का लगे। लेकिन वह कोई नयी बात नहीं कह रहा था, क्योंकि उस ज़माने में हकीकत में ऐसा हुआ करता था। पुराने ज़माने में यरूशलेम की शहरपनाह के बाहर एक घाटी थी, जिसमें कूड़ा-करकट डाला जाता था। कभी-कभी, कुछ अपराधियों को मौत की सज़ा देने के बाद उनकी लाशें उस घाटी में फेंकी जाती थीं, क्योंकि उनकी लाशों को इज़्ज़त से दफनाने के लायक नहीं समझा जाता था। * वहाँ कूड़े-कचरे में लगी आग उन लाशों को पूरी तरह भस्म कर देती थी या कीड़े उनका अंग-अंग कुतर जाते थे। इसीलिए आयत 24 में यशायाह ऐसा वर्णन करके यह बता रहा है कि यहोवा का विरोध करनेवाले भी हमेशा के लिए और पूरी तरह से नाश हो जाएँगे।

उसने क्या वादा किया है?

12. यशायाह ने नई दुनिया में ज़िंदगी के बारे में और क्या कहा?

12 प्रकाशितवाक्य 21:4 में हमने देखा कि नयी दुनिया में क्या-क्या नहीं होगा। लेकिन, वहाँ क्या-क्या होगा? उस वक्‍त ज़िंदगी कैसी होगी? इसके बारे में यशायाह 65 अध्याय में कहा गया है कि जब नई दुनिया में नया आकाश और नई पृथ्वी पूरी तरह स्थापित हो जाएगी तो हमें कितनी खुशहाल ज़िंदगी मिल सकती है। जिन लोगों को नई पृथ्वी पर हमेशा के लिए जीने की आशीष मिलेगी वे हमेशा के लिए जवान रहेंगे, कभी बूढ़े नहीं होंगे, ना ही वे कभी मरेंगे। यशायाह 65:20 हमें यकीन दिलाता है: “उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरनेवाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा।”

13. यशायाह 65:20 हमें कैसे यकीन दिलाता है कि परमेश्‍वर के लोग सही-सलामत रहेंगे?

13 यह भविष्यवाणी पहली बार यहूदियों के समय पूरी हुई। इस भविष्यवाणी का मतलब था कि उनके बच्चे अपने वतन में सही-सलामत रहते और दुश्‍मनों से उन्हें कोई खतरा नहीं होता। कोई भी आकर बच्चों को उठा नहीं ले जाता और किसी को भी भरी जवानी में नहीं मार डाला जाता, जैसे बाबुल की फौज ने पहले किया था। (2 इतिहास 36:17, 20) उसी तरह नई दुनिया में लोग हर तरह के खतरे से दूर, सही-सलामत और खुशी से रहेंगे। अगर वहाँ कोई जानबूझकर परमेश्‍वर के खिलाफ विद्रोह या पाप करता है तो परमेश्‍वर उसे नई दुनिया में जीने का कोई मौका नहीं देगा। अगर विद्रोह करनेवाला सौ बरस का हो तो भी उसे मार डाला जाएगा। अनंत जीवन की तुलना में वह मानो “लड़कपन” में ही मर जाएगा।—1 तीमुथियुस 1:19, 20; 2 तीमुथियुस 2:16-19.

14, 15. यशायाह 65:21, 22 के मुताबिक नई दुनिया में हम कौन-कौन-से काम करेंगे?

14 परमेश्‍वर ऐसे विद्रोहियों का नाश कैसे करेगा, यह सब बताने के बजाय यशायाह आगे नई दुनिया की हसीन और खुशनुमा ज़िंदगी का वर्णन करता है। यशायाह की बातों को ज़रा अपने मन की आँखों से देखने की कोशिश कीजिए। आपके मन में शायद सबसे पहले आपका घर आता है, आपका अपना घर। यशायाह आयत 21 और 22 में कहता है: “वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे। ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे।”

15 यह सुनकर आप शायद कहें कि ‘मुझे तो घर बनाना नहीं आता, बागबानी नहीं आती।’ घबराइए मत, क्योंकि इस भविष्यवाणी का मतलब है कि शायद आपको वहाँ कुछ हुनर सीखने की ज़रूरत होगी। क्या आप अपने पड़ोसियों या काबिल और तजुर्बेकार लोगों से ये हुनर सीखना नहीं चाहेंगे? उस समय आपका घर कैसा होगा? क्या आपके घर में बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ होंगी ताकि आप मस्त हवा का मज़ा ले सकें? क्या आपको खिड़कियों में शीशे लगाने पड़ेंगे, ताकि आप ज़मीन पर बिछी बर्फ की सफेद चादर का खूबसूरत नज़ारा देख सकें, या हरे-भरे पेड़ों पर और हरी घास की बिछी कालीन पर पड़ती मोतियों जैसी बारिश की बूंदें देख सकें और बदलते समाँ का लुत्फ उठा सकें? क्या आप सपाट छत बनाएँगे, ताकि गर्मियों में शाम के वक्‍त आप अपने दोस्तों, पड़ोसियों, बीवी-बच्चों के साथ बैठकर खा-पी सकें, ठंडी हवा का लुत्फ उठा सकें, या बातचीत कर सकें?—व्यवस्थाविवरण 22:8; नहेमायाह 8:16.

16. हम क्यों कह सकते हैं कि नई दुनिया में हमें सदा अपने कामों से खुशी मिलेगी?

16 हालाँकि यशायाह ये नहीं कहता कि हमारा घर कैसा होगा, कैसा नहीं होगा, लेकिन वह एक बात ज़रूर कहता है कि आपके पास अपना एक सुंदर-सा घर होगा। लेकिन आज हालात ऐसे नहीं हैं, क्योंकि आप तिनका-तिनका इकट्ठा करके घर बनाते हैं, मगर उसका लुत्फ कोई और उठाता है। उस वक्‍त ऐसा नहीं होगा। यशायाह 65:21 में यह भी कहा गया है कि आप पेड़ लगाएँगे और आप खुद उनका फल खाएँगे। मतलब, आपको अपनी मेहनत का, अपने पसीने का फल मिलेगा। कब तक ऐसा चलता रहेगा? हमेशा के लिए, क्योंकि आपकी उम्र “वृक्षों की सी होगी।” इसमें कोई शक नहीं कि तब “सब कुछ नया” होगा!—भजन 92:12-14.

17. यहोवा माता-पिताओं के दिल को छू लेनेवाला कौन-सा वादा करता है?

17 अगर आपके बच्चे हैं तो ये शब्द आपके दिल को छू लेंगे: “उनका [माता-पिता का] परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट [“संकट,” NHT] के लिये उत्पन्‍न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे। उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा।” (यशायाह 65:23, 24) आज बच्चों को इतनी सारी समस्याएँ हैं जो माँ-बाप में घबराहट और मानसिक संकट पैदा करती हैं। तो, आप ज़रूर समझ सकते हैं कि ‘संकट के लिए बच्चों को उत्पन्‍न’ करने का दुःख कितना गहरा होता है। लेकिन आज ऐसे माता-पिता भी हैं जो अपने काम-धंधे में, मौज-मस्ती में इतने डूबे हुए हैं कि उन्हें अपने बच्चों की बातें सुनने के लिए, उनकी ज़रूरतों की तरफ ध्यान देने के लिए ज़रा भी फुरसत नहीं है। लेकिन यहोवा ऐसा नहीं है। वह हमें पूरा-पूरा यकीन दिलाता है कि वह हमारी दुआएँ ज़रूर सुनेगा और हमारे माँगने से पहले ही हमारी ज़रूरतों को पूरा करेगा।

18. नई दुनिया में हम जानवरों के साथ कैसी संगति रख सकेंगे?

18 आपको नई दुनिया में यह नज़ारा भी देखने को मिलेगा, जो यशायाह 65:25 में लिखा है: “भेड़िया और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाईं भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।” कई चित्रकारों ने आज अपनी कल्पना से इस नज़ारे को तसवीर में उतारने की कोशिश की है। लेकिन ये नज़ारा सिर्फ एक कल्पना नहीं है। यह हकीकत है। उस समय सारी दुनिया में इंसानों के बीच अमन-चैन होगा, और जंगली जानवरों और इंसानों के बीच भी शांति होगी। ज़रा सोचिए, जब जानवर इंसान के साथ मिल-जुलकर रहेंगे तब आप उनके बारे में कितना कुछ सीख पाएँगे। आज कई जीव-विज्ञानी और जानवरों के शौकीनों को सिर्फ एक जानवर के बारे में सीखने में ही ज़िंदगी गुज़ार देनी पड़ती है। लेकिन नई दुनिया में आप हर जानवर के पास बेझिझक जा सकेंगे क्योंकि परिंदे और छोटे-छोटे जंतु भी आपसे नहीं डरेंगे। तब आप उनके बारे में और भी ज़्यादा सीख सकेंगे, और उनकी चुलबुली हरकतों का मज़ा ले सकेंगे। (अय्यूब 12:7-9) जी हाँ, उस समय आपको किसी भी जानवर या इंसान से डरने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि यहोवा के “सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।”

19, 20. हमारी ज़िंदगी में और दुनिया के लोगों की ज़िंदगी में क्या फर्क है?

19 जैसे हमने पिछले लेख में देखा, साल 2000 को लेकर लोगों में तरह-तरह की चिंताएँ हैं। लेकिन सही-सही भविष्य बताना इंसान की बस की बात बिलकुल भी नहीं है, जिस वज़ह से कई लोग उलझन में पड़े हुए हैं और अपनी जिंदगी का मकसद ढूँढ़ने लगे हैं। कनाडा के एक यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष, पीटर एम्बरली ने लिखा कि “अधेड़ उम्र के कई लोग अब जाकर ज़िंदगी के ज़रूरी सवालों के जवाब ढूँढ़ रहे हैं जैसे: मैं कौन हूँ? आखिर मेरी ज़िंदगी का मकसद क्या है? मैं आनेवाली नस्ल के लिए क्या छोड़ रहा हूँ? आधी उम्र बीतने के बाद ही ये लोग ज़िंदगी का अर्थ ढूँढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।”

20 आप समझ सकते हैं कि क्यों कई लोगों को ऐसा लगता है। उन्हें नहीं मालूम कि भविष्य में क्या रखा है। सो वे अपनी ज़िंदगी के खालीपन को भरने के लिए अलग-अलग तरह के शौक पालकर, मनोरंजन और मौज-मस्ती करके ज़िंदगी का मज़ा लूटने की कोशिश करते हैं। मगर हममें और उनमें कितना फर्क है, क्योंकि हमने “नए आकाश और नई पथ्वी” की चारों भविष्यवाणियों पर चर्चा करके यह जान लिया है कि हमारे भविष्य में क्या रखा है, और वह कितना उज्ज्वल और खुशनुमा होगा। उस समय, हम नई दुनिया में अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाएँगे, और पूरे दिल से कहेंगे, ‘परमेश्‍वर ने वाकई सब कुछ नया कर दिया है!’

21. यशायाह 65:25 में क्या कहा गया है और यशायाह 11:9 में इसकी कौन-सी वज़ह बतायी गयी है?

21 नई दुनिया में मिलनेवाली आशीषों का ख्वाब देखना तो कोई गुनाह नहीं है। मगर यहोवा चाहता है कि आप अभी उसकी उपासना सच्चाई से करें और आशीषें पाएँ। इस तरह आप उस नई दुनिया में हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी पाने के काबिल होंगे, जब यहोवा के “सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दुःख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा।” (यशायाह 65:25) ‘कोई दुःख नहीं देगा और न कोई हानि करेगा’? वो कैसे? यशायाह ने अध्याय 11, आयत 9 में इसकी वज़ह बताई थी: “क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।”

22. बाइबल की चार भविष्यवाणियों पर गौर करके हमें क्या करने का संकल्प करना चाहिए?

22 जी हाँ, ‘यहोवा का ज्ञान।’ जब परमेश्‍वर सब कुछ नया कर देगा तब सभी लोगों को यहोवा और उसके उद्देश्‍य का सही-सही ज्ञान दिया जाएगा। और यह ज्ञान हम सिर्फ परमेश्‍वर की सृष्टि और जानवरों को देखकर ही नहीं पाएँगे। इसके लिए हमें परमेश्‍वर के अपने वचन, बाइबल पर गौर करना होगा। आप बाइबल से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मिसाल के तौर पर हमने अभी बाइबल के सिर्फ एक ही विषय पर चर्चा की, “नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में चार भविष्यवाणियों पर, और इससे हमने भविष्य के बारे में कितनी जानकारी हासिल की है। (यशायाह 65:17; 66:22; 2 पतरस 3:13; प्रकाशितवाक्य 21:1) तो फिर सोचिए, अगर आप यूँ ही रोज़ परमेश्‍वर का वचन पढ़ेंगे, तो आप कितना कुछ सीख सकेंगे। क्या आप हर रोज़ बाइबल पढ़ते हैं? अगर नहीं, तो निराश मत होइए। अपने दिन भर के काम-काज में थोड़े बदलाव करके आप हर रोज़ बाइबल पढ़ने का संकल्प कर सकते हैं, इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना सकते हैं। नई दुनिया में मिलनेवाली आशीषों की आस लगाने से आपको खुशी ज़रूर मिलेगी, लेकिन उससे भी बढ़कर खुशी आपको आज मिल सकती है। कैसे? भजनहार की तरह हर रोज़ परमेश्‍वर का वचन पढ़ने से।—भजन 1:1, 2.

[फुटनोट]

^ वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स, वॉल्यूम 1, पेज 906 देखिए।

आपका जवाब क्या होगा?

• हम क्यों कह सकते हैं कि यशायाह 66:22-24 की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होगी?

यशायाह 66:22-24 और 65:20-25 की भविष्यवाणियों में बतायी गयी बातों में से आपको खासकर क्या पसंद है?

• आप क्यों पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि आपका भविष्य उज्ज्वल होगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीरें]

यशायाह, पतरस और यूहन्‍ना ने “नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में भविष्यवाणी की