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परमेश्‍वर का वादा—“देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं”

परमेश्‍वर का वादा—“देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं”

परमेश्‍वर का वादा—“देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं”

“जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, . . . ये वचन विश्‍वास के योग्य और सत्य हैं।”प्रकाशितवाक्य 21:5.

1, 2. लोग भविष्य के बारे में अटकलें लगाने से और भविष्य बतानेवालों की बातों पर विश्‍वास करने से क्यों हिचकिचाते हैं?

 ‘कौन जाने कल की बात? आखिर, कल किसने देखा है।’ अकसर लोग ऐसा कहते हैं और शायद आपने भी कभी ऐसा कहा या सोचा होगा। कल के बारे में बताना इंसान के बस में बिलकुल भी नहीं है। वे सही-सही नहीं बता सकते कि आनेवाले महीनों में या सालों में क्या होनेवाला है। इसीलिए वे भविष्य के बारे में अटकलें नहीं लगाना चाहते, और वे ऐसे लोगों पर विश्‍वास करने से हिचकिचाते हैं जो बड़े दावे के साथ भविष्य बताते हैं।

2 एक मशहूर मैगज़ीन फोर्ब्स ने “समय” के विषय पर एक खास अंक निकाला। इसमें जाने-माने टीवी समाचार-संपादक, रॉबर्ट क्रिंगली ने लिखा: “‘समय’ के आगे हर इंसान को झुकना पड़ता है। और भविष्य बतानेवालों को तो समय के आगे मुँह की खानी पड़ती है। भविष्य के बारे में अटकलें लगाना एक ऐसा खेल है जिसमें लगभग हमेशा इंसान ही हारता है। . . . इसके बावजूद भविष्य बतानेवाले कभी बाज़ नहीं आते।”

3, 4. (क) कुछ लोगों ने साल 2000 के बारे में क्या उम्मीदें बांध रखी हैं? (ख) मगर ज़्यादातर लोग भविष्य के बारे में किस असलियत को कबूल करते हैं?

3 लेकिन सन्‌ 2000 की वज़ह से लोग भविष्य में काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं। 1999 जनवरी में कनाडा की मैक्लेन्स नाम की एक पत्रिका में कहा गया था: “कनाडा के ज़्यादातर लोग यह उम्मीद करते हैं कि साल 2000 सचमुच किसी नए और बड़े बदलाव की शुरुआत होगी, जब सब कुछ सुधर जाएगा।” यॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस डूड्‌नी कहते हैं: “सन्‌ 2000 में प्रवेश करके हम एक बहुत ही भयानक और क्रूर सदी से अपना पीछा छुड़ा लेंगे।”

4 लेकिन, कनाडा में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि सिर्फ 22 प्रतिशत लोग ही “मानते हैं कि सन्‌ 2000 के बाद दुनिया में नए और बड़े-बड़े बदलाव होंगे, और सब कुछ ठीक हो जाएगा।” असल में, इस सर्वे के लगभग आधे लोगों का कहना है कि अगले 50 साल के अंदर “एक और विश्‍व युद्ध” भी हो सकता है। तो यह साफ ज़ाहिर है कि ज़्यादातर लोग नहीं मानते कि सन्‌ 2000 से हम सबकी समस्याएँ दूर हो जाएँगी और सब कुछ नया बन जाएगा। ब्रिटेन के रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष रह चुके विद्वान माइकल आटियाह ने लिखा: “जिस तेज़ी से टेकनॉलजी सब कुछ बदल रही है . . . लगता है कि उसकी वज़ह से इक्कीसवीं सदी में सारी दुनिया के सामने बहुत बड़ी-बड़ी और गंभीर समस्याएँ खड़ी हो जाएँगी। लेकिन आज दुनिया के सामने पहले से ही समस्याओं का पहाड़ है जिनसे अभी तक निपटा नहीं गया। आबादी बढ़ रही है, प्राकृतिक संपदा नष्ट हो रही है, पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, गरीबी तेज़ रफ्तार से बढ़ती जा रही है। इन्हें हल करने के लिए हमें जल्द-से-जल्द कुछ करना पड़ेगा।”

5. कौन हमें भविष्य सही-सही बता सकता है?

5 इसलिए आप शायद सोचें, ‘जब इंसान यह नहीं बता सकता कि कल क्या होगा, तो छोड़ो कल की बात!’ लेकिन, क्या हम कल की बात ‘छोड़’ सकते हैं? नहीं, बिलकुल नहीं! माना कि इंसान ठीक-ठीक नहीं बता सकता कि कल क्या होगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि भविष्य के बारे में कोई भी नहीं बता सकता। तो फिर कौन हमें भविष्य सही-सही बता सकता है? और हमें क्यों यह विश्‍वास करना चाहिए कि हमारा भविष्य उज्ज्वल होगा? इन सवालों के जवाब हमें चार खास भविष्यवाणियों में मिलते हैं। ये भविष्यवाणियाँ एक ऐसी किताब में लिखी हुई हैं जो दुनिया-भर के लोगों के पास है। इसे करोड़ों लोग पढ़ते हैं, मगर इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता, और इसके बारे में लोगों के मन में काफी गलतफहमियाँ हैं। वो कौन-सी किताब है? वो किताब है बाइबल। बाइबल के बारे में आपकी राय चाहे जो भी हो और चाहे आप बाइबल से कितने ही वाकिफ क्यों न हों, उन चार अहम भविष्यवाणियों पर ध्यान देना आपके लिए बहुत ही ज़रूरी है। इन भविष्यवाणियों से यह भी सही-सही बताया गया है कि आपका और आपके अपनों का भविष्य कितना उज्ज्वल होगा।

6, 7. यशायाह की भविष्यवाणी कब लिखी गयी, इसके पूरा होने से पहले क्या हुआ और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

6 पहली भविष्यवाणी यशायाह के 65 अध्याय, आयात 17-19 में लिखी है। इसे पढ़ने से पहले ध्यान दीजिए कि इसे कब लिखा गया, इसके पूरा होने से पहले क्या हुआ और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई। इसे परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता यशायाह ने यहूदा के राज्य के विनाश के सौ साल से भी पहले लिखा था। यह विनाश तब हुआ जब बाबुल की फौज ने यहूदा की राजधानी, यरूशलेम को पूरी तरह तबाह कर दिया और यहूदियों को गुलाम बनाकर ले गयी। यहोवा ने ऐसा इसलिए होने दिया क्योंकि वे लोग यहोवा की राह से भटक गए थे, धर्मभ्रष्ट हो गए थे। इन सब के बाद यशायाह 65:17-19 की भविष्यवाणी पूरी हुई।—2 इतिहास 36:15-21.

7 अब आइए देखें कि यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई। यशायाह ने पहले ही बता रखा था कि एक फारसी राजा, कुस्रू बाबुल पर कब्ज़ा करेगा। हैरत की बात है कि यशायाह ने उस राजा के जन्म से पहले ही उसका नाम भी बता दिया था। (यशायाह 45:1) ठीक भविष्यवाणी के मुताबिक, कुस्रू ने बाबुल पर कब्ज़ा किया और यहूदी लोगों को बंधुवाई से छुटकारा दिया जिससे सा.यु.पू. 537 में वे अपने वतन वापस लौट सके। यहूदियों की इसी वापसी के साथ यशायाह 65:17-19 की भविष्यवाणी पूरी हुई। मगर इस भविष्यवाणी में वतन में बसने के बाद उन्हें मिलनेवाली खुशहाली पर खास ध्यान दिया गया।

8. यशायाह ने यहूदियों के लिए किस तरह के भविष्य की बात की, और अब हम किन शब्दों पर खास ध्यान देंगे?

8 आइए अब यशायाह 65:17-19 पढ़ें: “देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्‍न करता हूं; और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी। इसलिये जो मैं उत्पन्‍न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा। मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हर्षित हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा।” देखिए कि इस भविष्यवाणी में यशायाह कितने हर्ष, आनन्द, और खुशहाली की बात करता है। इसमें कोई शक नहीं कि यहूदियों ने बाबुल की गुलामी में ऐसी खुशी, ऐसा हर्ष कभी-भी महसूस नहीं किया होगा। आइए अब देखें कि “नया आकाश और नई पृथ्वी” इन शब्दों का मतलब क्या है। ये शब्द पूरी बाइबल में सिर्फ चार दफे ही आते हैं, जिसमें से यह पहला है। इन चारों भविष्यवाणियों का हमारी ज़िंदगी से बहुत ही गहरा ताल्लुक है क्योंकि इन पर हमारा आनेवाला कल टिका हुआ है।

9. यशायाह 65:17-19 की भविष्यवाणी पहले कब पूरी हुई?

9 जैसे हमने देखा, यशायाह 65:17-19 की भविष्यवाणी पहले तब पूरी हुई जब यहूदी लोग बाबुल की बंधुवाई से रिहा होकर अपने वतन लौटे, वहाँ एक नए समाज की बुनियाद डाली और फिर से यरूशलेम का मंदिर बनाकर परमेश्‍वर की सच्ची उपासना दोबारा शुरू की। (एज्रा 1:1-4; 3:1-4) लेकिन इस भविष्यवाणी में “नई पृथ्वी” का मतलब क्या है? क्या यहाँ किसी नए ग्रह की बात हो रही है? नहीं, क्योंकि यहूदी लोग अपने देश को ही लौटे जो इसी धरती पर है, किसी और ग्रह पर नहीं। तो फिर यह “नई पृथ्वी” क्या है? इसका मतलब समझने के लिए हमें अटकलें लगाने की ज़रूरत नहीं है, जैसे लोग नॉस्ट्रडॆमस या किसी भविष्य बतानेवालों की भविष्यवाणियों को समझने के लिए करते हैं। बाइबल के सहारे ही हम यह समझ सकते हैं कि यशायाह की इस भविष्यवाणी में बताई गई “नई पृथ्वी” का मतलब क्या है।

10. यशायाह द्वारा बताई गई “नई पृथ्वी” का मतलब क्या है?

10 बाइबल में शब्द “पृथ्वी” का मतलब हमेशा यह पृथ्वी ग्रह नहीं है जिस पर हम जी रहे हैं। मिसाल के लिए, अगर आप इब्रानी भाषा में भजन 96:1 पढ़ें, तो वहाँ लिखा है: “यहोवा के लिये एक नया गीत गा, हे सारी पृथ्वी यहोवा के लिये गा!” अब यह तो हम जानते हैं कि हमारा यह ग्रह यानी ज़मीन और समुंदर गा नहीं सकते। मगर हाँ, ज़मीन पर जी रहे लोग ज़रूर गा सकते हैं। तो यहाँ भजन 96:1 में पृथ्वी का मतलब लोगों से है, इस ग्रह से नहीं। इसीलिए हमारी हिंदी बाइबल में कहा गया है, “यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ, हे सारी पृथ्वी के लोगो यहोवा के लिये गाओ!” * तो फिर यशायाह द्वारा बताई गई “नई पृथ्वी” का मतलब था परमेश्‍वर के लोगों का वह नया समाज जो यहूदा देश में फिर से आ बसा। लेकिन यशायाह 65:17 में ‘नए आकाश’ का भी ज़िक्र है। इस ‘नए आकाश’ का मतलब क्या है?

11. भविष्यवाणियों में शब्द “आकाश” का मतलब क्या है?

11 विद्वान मैक्लिन्टक और स्ट्राँग का बाइबल-कोश साइक्लोपीडिया ऑफ बिब्लिकल, थियोलॉजिकल, एण्ड एक्लिज़ियास्टिकल लिट्रेचर कहता है: “जब भी किसी भविष्यवाणी में आकाश का ज़िक्र होता है . . . तो उसका मतलब होता है हुकूमत करनेवाली सभी सरकारें . . . जो प्रजा यानी आम लोगों के ऊपर होती हैं और उन पर हुकूमत करती हैं, ठीक जैसे आकाश पृथ्वी से ऊपर होता है, मानो ज़मीन पर हुकूमत कर रहा हो।” फिर यह बाइबल-कोश ‘आकाश और पृथ्वी,’ इस पद के बारे में कहता है कि ‘भविष्यवाणियों में इस पद का मतलब राज करनेवालों और प्रजा से है। आकाश है हुकूमत करनेवालों की शासन-व्यवस्था और पृथ्वी है आम नागरिक, ऐसे लोग जिन पर अपने से ऊँचों की हुकूमत चलती है।’

12. अपने वतन वापस लौटे यहूदियों के लिए “नया आकाश और नई पृथ्वी” क्या थी?

12 बाबुल से लौटने के बाद यहूदियों के लिए सब कुछ नया हो गया। एक “नया आकाश,” यानी नयी शासन-व्यवस्था बनी, जिसमें राजा दाऊद का वंशज, जरुब्बाबेल अधिपति था और यहोशू महायाजक था। (हाग्गै 1:1, 12; 2:21; जकर्याह 6:11) इस ‘नए आकाश’ के नीचे एक “नई पृथ्वी” थी, यानी परमेश्‍वर के लोगों का एक नया समाज, जो बाबुल से लौटकर यहूदा देश में फिर से बसा था ताकि यरूशलेम और उसके मंदिर को यहोवा की उपासना के लिए फिर से बना सके। इस तरह “नया आकाश और नई पृथ्वी” की भविष्यवाणी उन यहूदियों के समय पूरी हुई।

13, 14. (क) “नया आकाश और नई पृथ्वी” की कौन-सी दूसरी भविष्यवाणी पर हमें ध्यान देना चाहिए? (ख) आज यह भविष्यवाणी हमारे लिए बहुत अहमियत क्यों रखती है?

13 याद रखिए, हम यहाँ सिर्फ इतिहास नहीं पढ़ रहे, या सिर्फ दिमाग में बाइबल का ज्ञान नहीं भर रहे। इन बातों पर हमारा भविष्य टिका हुआ है! इसलिए आइए हम “नया आकाश और नई पृथ्वी” की अगली भविष्यवाणी पर ध्यान दें जो 2 पतरस 3:13 में है।

14 यहूदियों के अपने वतन लौटने के करीब 500 साल बाद पतरस ने यह चिट्ठी लिखी। वह “प्रभु” यीशु का चुना हुआ प्रेरित था और उसके चेलों को यह चिट्ठी लिख रहा था। (2 पतरस 3:2) आयत 4 में पतरस यीशु के “आने [“उपस्थिति,” NW] की प्रतिज्ञा” का ज़िक्र करता है। यह बात आज हमारे लिए बहुत ही अहमियत रखती है, क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि पहले विश्‍व युद्ध के समय से यीशु उपस्थित है, यानी स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य का राजा बनकर सिंहासन पर बैठा है। (प्रकाशितवाक्य 6:1-8; 11:15, 18) इसी हकीकत को ध्यान में रखते हुए कि यीशु अब राजा है, आइए हम २ पतरस 3:13 की भविष्यवाणी पर गौर करें।

15. दूसरा पतरस 3:13 में बताया गया ‘नया आकाश’ क्या है?

15 दूसरा पतरस 3:13 में लिखा है: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।” यह ‘नया आकाश’ क्या है? यह तो आप जानते ही हैं कि यीशु स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य का मुख्य शासक है। (लूका 1:32, 33) लेकिन बाइबल के दूसरे वचनों से पता चलता है कि वह स्वर्ग से अकेला राज नहीं करता। यीशु ने अपने प्रेरितों से वादा किया था कि उनके लिए और उनकी तरह ही उसके दूसरे शिष्यों के लिए स्वर्ग में जगह तैयार की जाएगी। इन्हीं लोगों के बारे में प्रेरित पौलुस ने इब्रानियों की किताब में कहा कि वे “स्वर्गीय बुलाहट में भागी” हैं। (तिरछे टाइप हमारे।) और यीशु ने कहा कि ये सभी उसके साथ स्वर्ग में सिंहासनों पर बैठेंगे। (इब्रानियों 3:1; मत्ती 19:28; लूका 22:28-30; यूहन्‍ना 14:2, 3) कहने का मतलब यह है कि यीशु के साथ उसके शिष्य स्वर्ग से हुकूमत करेंगे। यही 2 पतरस 3:13 में बताया गया ‘नया आकाश’ है। तो फिर वहाँ बताई गई “नई पृथ्वी” क्या है?

16. आज “नई पृथ्वी” की बुनियाद कैसे डाली जा रही है?

16 यशायाह की भविष्यवाणी की तरह ही 2 पतरस 3:13 में “नई पृथ्वी” का मतलब लोगों से है, किसी नए ग्रह से नहीं। “नई पृथ्वी” का मतलब है लोगों का एक ऐसा नया समाज जिस पर “नए आकाश” की हुकूमत होगी। आज इस नए समाज यानी “नई पृथ्वी” की बुनियाद डाली जा रही है और दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग इस नए समाज का हिस्सा बन रहे हैं और खुशी-खुशी “नए आकाश” की हुकूमत को कबूल कर रहे हैं। यह हुकूमत अपनी इस प्रजा की भलाई के लिए अभी से काम कर रही है। इसके कानूनों पर चलने के लिए उन्हें बाइबल की शिक्षा दी जा रही है। (यशायाह 54:13) यह नया समाज दुनिया भर में फैल रहा है, और इसमें हर जाति, हर देश, हर भाषा के लोग आ रहे हैं। ये सभी लोग पूरी एकता में अपने राजा, यीशु मसीह के अधीन काम कर रहे हैं। क्यों न आप भी इस नए समाज का हिस्सा बनें?—मीका 4:1-4.

17, 18. दूसरा पतरस 3:13 की भविष्यवाणी हमें किस तरह के भविष्य की आशा देती है?

17 लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती, क्योंकि आगे और भी बहुत कुछ होनेवाला है। अगर आप 2 पतरस 3:13 से पहले की आयतों पर गौर करें, तो वहाँ भविष्य में होनेवाले बहुत ही बड़े-बड़े बदलावों के बारे में बताया गया है। पतरस आयत 5 और 6 में नूह के दिनों के जल-प्रलय की मिसाल देता है, जिसमें तमाम दुष्ट लोगों का विनाश हुआ था। फिर आयत 7 में वह कहता है कि “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी” का, यानी आजकल की सारी सरकारों का और उनकी प्रजा का भी विनाश होगा। यह कब होगा? यह “भक्‍तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश के दिन” होगा। (तिरछे टाइप हमारे।) शब्द “मनुष्यों” से फिर एक बार साफ ज़ाहिर होता है कि “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी” का मतलब आम जनता और उन पर हुकूमत करनेवाले लोग हैं, कोई सचमुच का आकाश या हमारा पृथ्वी-ग्रह नहीं।

18 पतरस आगे यह कहता है कि यह विनाश प्रभु यहोवा के दिन में होगा, जब पुरानी व्यवस्था का सफाया कर दिया जाएगा, ताकि उनकी जगह ‘नया आकाश और नई पृथ्वी’ आ सके। ध्यान दीजिए कि 13वीं आयत में कहा गया है कि इनमें “धार्मिकता बास करेगी।” तो क्या इसका मतलब यह नहीं होगा कि जल्द ही बहुत बड़े-बड़े बदलाव होंगे यानी दुष्टता को मिटाया जाएगा, सब कुछ नया किया जाएगा, इंसान की ज़िंदगी जीने लायक बना दी जाएगी? अगर आप यह बात साफ-साफ देख सकते हैं तो इसका मतलब है कि आपने भविष्य की ऐसी समझ पायी है, जो आज ज़्यादातर लोगों के पास नहीं है।

19. प्रकाशितवाक्य के 19वें और 20वें अध्याय में क्या बताया गया है?

19 अब तक हमने यशायाह 65:17-19 और 2 पतरस 3:13 में “नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में देखा है। अब आइए हम प्रकाशितवाक्य 21:1 पर गौर करें, जहाँ फिर एक बार इसका ज़िक्र किया गया है। प्रकाशितवाक्य की इस भविष्यवाणी को समझने के लिए हमें इससे पहले के दो अध्यायों पर ध्यान देना होगा। 19वें अध्याय में लाक्षणिक भाषा में एक युद्ध का ब्योरा दिया गया है। यह युद्ध दो देशों के बीच नहीं है। इस युद्ध में एक तरफ “परमेश्‍वर का वचन,” यानी यीशु मसीह है। (यूहन्‍ना 1:1, 14) वह स्वर्ग में है और उसके साथ एक बड़ी फौज है। युद्ध में दूसरी तरफ कौन हैं? उस अध्याय में बताया गया है कि दूसरी तरफ ‘राजा,’ ‘सरदार’ और ‘छोटा-बड़ा’ ओहदा रखनेवाले शासक हैं। यह युद्ध आनेवाले ‘यहोवा के दिन’ में होगा, जब तमाम बुराइयों का नाश किया जाएगा। (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-10) इसके अगले अध्याय, यानी 20वें अध्याय की शुरुआत में बताया गया है कि ‘पुराने सांप यानी इब्‌लीस और शैतान’ को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा। इन सब बातों को मन में रखते हुए आइए अब हम अध्याय 21 में दी गई भविष्यवाणी पर गौर करें।

20. प्रकाशितवाक्य 21:1 के मुताबिक क्या-क्या होगा?

20 प्रेरित यूहन्‍ना 21वें अध्याय की शुरुआत इन शब्दों से करता है: “मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।” जैसे हम पहले ही देख चुके हैं, यहाँ सचमुच के आकाश, पृथ्वी और समुंदर के चले जाने की बात नहीं हो रही है। बल्कि अध्याय 19 और 20 के मुताबिक यहाँ पर इस दुनिया के दुष्ट लोगों, उन पर हुकूमत करनेवाली सरकारों और उनके अदृश्‍य शासक शैतान के चले जाने की बात हो रही है। जी हाँ, इस भविष्यवाणी में वादा किया गया है कि इनकी जगह एक पूरी-की-पूरी नई व्यवस्था, यानी एक नई दुनिया ले लेगी।

21, 22. यूहन्‍ना हमें किन आशीषों का यकीन दिलाता है और किन आँसुओं को पोंछ दिया जाएगा?

21 इस वादे का हमें आगे और भी यकीन दिलाया गया है। आयत 3 में बताया गया है कि परमेश्‍वर इंसानों के संग रहेगा, उन पर आशीषें बरसाएगा, और वे उसकी मरज़ी के मुताबिक चलेंगे। (यहेजकेल 43:7) यूहन्‍ना आगे आयत 4 और 5 में कहता है: “वह [यहोवा] उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्‍वास के योग्य और सत्य हैं।” यह भविष्यवाणी हमारे अंदर कितनी उमंग पैदा करती है, है ना?

22 ज़रा सोचिए। ‘परमेश्‍वर मनुष्य की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।’ लाज़िमी है, परमेश्‍वर हमसे हमारे खुशी के आँसू नहीं छीनेगा, ना ही हमारी आँखों की नमी को निकाल देगा, क्योंकि यह हमारी आँखों के लिए बहुत ही ज़रूरी है। असल में, वह उन आँसुओं को पोंछ डालेगा जो निराशा, गम, तकलीफ, दुःख-दर्द और वेदना की वज़ह से इंसान की आँखों से छलकते हैं। यह हम कैसे कह सकते हैं? क्योंकि आगे की आयत बताती है कि “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।”—यूहन्‍ना 11:35.

23. यूहन्‍ना की भविष्यवाणी के मुताबिक क्या-क्या नहीं रहेगा?

23 तो क्या इसका यह मतलब नहीं कि हर तरह की बीमारी खत्म हो जाएगी, चाहे वह कैंसर हो, टीबी हो या फिर हार्ट अटैक हो? ज़रा सोचिए—मृत्यु भी न रहेगी! हम में से ऐसा कौन है जिसने बीमारी, ऐक्सिडॆंट या किसी और वज़ह से अपने किसी अज़ीज़ को न खोया हो? मौत न रहेगी, इसका मतलब यह भी है कि उस वक्‍त जो भी बच्चे पैदा होंगे, उन्हें बूढ़े होकर मरना नहीं पड़ेगा, क्योंकि बुढ़ापा होगा ही नहीं। और न ही बुढ़ापे में होनेवाली बीमारियों का नामो-निशान होगा, न घुटनों और जोड़ों का दर्द होगा, न आँखों की कमज़ोरी होगी, ना दमा होगा, और ना ही मोतियाबिंद होगा।

24. “नये आकाश और नयी पृथ्वी” में हमें कौन-सी आशीषें मिलेंगी और अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

24 जब मौत नहीं होगी, बुढ़ापा और बीमारी नहीं होगी, तो शोक, विलाप, पीड़ा ज़रूर कम हो जाएगा। लेकिन, अगर वहाँ भी लोग गरीबी की चक्की में पिसते रहें, बच्चों के साथ लैंगिक बदसलूकी और अत्याचार होते रहें, ऊँच-नीच, काले-गोरे, जाति-धर्म के भेद को लेकर ज़ुल्म होते रहें, तो क्या हमारी आँखों में आँसू नहीं आएँगे? हाँ, ज़रूर आएँगे। इसीलिए उस “नये आकाश और नयी पृथ्वी” में शोक, विलाप और पीड़ा के हर एक कारण को पूरी तरह से निकाल दिया जाएगा। दुनिया की शक्ल ही बदल जाएगी! अब तक हमने “नये आकाश और नयी पृथ्वी” की सिर्फ तीन भविष्यवाणियों पर चर्चा की है। एक और भी भविष्यवाणी है, जिस पर हम अगले लेख में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि परमेश्‍वर कब और कैसे ‘सब कुछ नया’ करेगा, और किस तरह हमें इससे फायदा होगा।

[फुटनोट]

^ ए न्यू हिन्दी ट्रान्स्लेशन और नयी हिन्दी बाइबिल में भी भजन 96:1 का अनुवाद इसी तरह किया गया है। इससे भी पता चलता है कि यशायाह में “नई पृथ्वी” का मतलब लोगों से है, यानी परमेश्‍वर के लोग जिन्होंने अपने वतन लौटकर एक नया समाज बसाया।

क्या आपको याद है?

• “नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में बाइबल में कौन-सी तीन जगहों में बताया गया है?

• यहूदियों के बंधुवाई से लौटने के बाद “नए आकाश और नई पृथ्वी” की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

• पतरस द्वारा बताया गया ‘नया आकाश और नई पृथ्वी’ क्या है?

प्रकाशितवाक्य के 21वें अध्याय की भविष्यवाणी हमें किस तरह के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद देती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

जैसे यहोवा ने भविष्यवाणी की थी, कुस्रू की वज़ह से यहूदी लोग सा.यु.पू. 537 में अपने वतन लौट सके