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अपने उसूल की खातिर उसने जान दे दी

अपने उसूल की खातिर उसने जान दे दी

अपने उसूल की खातिर उसने जान दे दी

“ऑगस्ट डिकमन (जन्म 1910) की याद में, जो यहोवा का एक साक्षी था।” ये शब्द एक पटिया (यहाँ तस्वीर दी गयी है) पर लिखे हैं, जिसका अनावरण जर्मनी के ज़ाकसनहाउसन में किया गया था। यह पहले नात्ज़ियों का यातना शिविर हुआ करता था। लेकिन एक यहोवा के साक्षी के लिए ऐसी पटिया क्यों बनायी गयी? इसकी कहानी पटिया के बाकी के शब्द बताते हैं: “सितंबर 15, 1939 को [उसे] सबके सामने SS ने गोली मारकर खत्म कर दिया, क्योंकि उसने अपने विश्‍वास की खातिर फौज में भर्ती होने से इनकार किया।”

ऑगस्ट डिकमन को कैद करके, ज़ाकसनहाउसन यातना शिविर में 1937 में लाया गया। सन्‌ 1939 में दूसरा विश्‍वयुद्ध शुरू होने के तीन दिन बाद, उसे फौज में भर्ती होने के लिए एक पर्ची पर साइन करने का हुक्म दिया गया। जब उसने साइन करने से इनकार कर दिया, तो उस शिविर के कमांडर ने SS (शुट्‌सश्‍टाफल, हिटलर का खास सैनिक-दल) मुखिया हाइनरिख हिमलर से इस बात की इजाज़त माँगी कि शिविर के बाकी कैदियों की मौजूदगी में डिकमन को मौत के घाट उतार दिया जाए। सितंबर 17, 1939 को, द न्यू यॉर्क टाइम्स्‌ ने जर्मनी से यह रिपोर्ट दी: “29 साल के ऑगस्ट डिकमन को . . . यहाँ सैनिकों के एक जत्थे ने गोलियों से भून डाला।” उस अखबार ने कहा कि वह जर्मनी का पहला नागरिक था जिसने अपने विश्‍वास की वज़ह से इस लड़ाई में शामिल होने से इनकार कर दिया।

साठ साल बाद, सितंबर 18, 1999 को ब्रैनडनबर्ग मेमोरियल फाउन्डेशन ने डिकमन की मौत की याद में इस पटिया का अनावरण किया, जो उस शिविर को देखने आनेवालों को डिकमन की हिम्मत और उसके पक्के विश्‍वास की याद दिलाती है। इस शिविर की बाहरी दीवार पर एक और पटिया लगी है जो वहाँ आनेवालों को याद दिलाती है कि डिकमन की तरह करीब 900 साक्षियों को अपने विश्‍वास की वज़ह से ज़ाकसनहाउसन यातना शिविर में कई कष्ट उठाने पड़े। दूसरे यातना शिविरों में भी कई साक्षियों को सताया गया। जी हाँ, यातना शिविरों के खौफनाक माहौल में भी बहुत से लोग परमेश्‍वर के उसूलों पर टिके रहे।

यहोवा के साक्षी मानते हैं कि बाइबल के हिसाब से यह उनका फर्ज़ बनता है कि “प्रधान [सरकारी] अधिकारियों के आधीन” रहें। (रोमियों 13:1) लेकिन जब सरकारें उन पर परमेश्‍वर का कानून तोड़ने का दबाव डालती हैं तो वे मसीह के प्रेरितों की मिसाल पर चलते हैं, जिन्होंने कहा था: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।” (प्रेरितों 5:29) इसलिए, आज की दुनिया में जहाँ जाति के नाम पर लोग एक-दूसरे से नफरत करते हैं और भयानक ज़ुल्म ढाते हैं, ऑगस्ट डिकमन की तरह हर तरफ यहोवा के साक्षी शांति बनाए रखने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं। वे बाइबल की इस सलाह को मानते हैं: “बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई को जीत लो।”—रोमियों 12:21.