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शादियाँ—जिनसे यहोवा की महिमा होती है

शादियाँ—जिनसे यहोवा की महिमा होती है

शादियाँ—जिनसे यहोवा की महिमा होती है

वेल्श और एल्थीआ की शादी सन्‌ 1985 में, साउथ अफ्रीका के सवेतो नगर में हुई थी। कभी-कभी वे अपने शादी के एल्बम को लेकर बैठ जाते हैं और बेटी ज़ीन्ज़ी को उस खुशनुमा दिन की तस्वीरें दिखाकर यादें ताज़ा करते हैं। ज़ीन्ज़ी, शादी में आए मेहमानों के नाम बताकर बड़ी खुश होती है और उसे गुड़िया-सी सजी अपनी मम्मी की तस्वीरें तो बहुत ही अच्छी लगती हैं।

उनकी शादी का समारोह सवेतो के कम्युनिटी हॉल में हुआ था। शुरूआत में एक भाई ने शादी-शुदा जीवन के बारे में छोटा-सा भाषण दिया। इसके बाद कुछ मसीही युवाओं ने बहुत ही सुरीली तान पर परमेश्‍वर की महिमा के गीत गाए। फिर मेहमानों ने स्वादिष्ट खाने का आनंद लिया और इस दौरान किंग्डम मेलडीज़ की हल्की, मधुर धुनें माहौल को खुशनुमा बनाए हुए थीं। मेहमानों को शराब नहीं दी गयी थी, और न ही ज़ोर-शोर से नाच-गाने का कोई कार्यक्रम था। इसके बजाय, मेहमान एक-दूसरे से मिल-मिलाकर खुश हो रहे थे और नए जोड़े को बधाइयाँ भी दे रहे थे। शादी का समारोह लगभग तीन घंटे तक चला। इसके बारे में एक मसीही प्राचीन, रेमन्ड ने कहा: “इस शादी की मीठी यादें मेरे मन में हमेशा कायम रहेंगी।”

वेल्श और एल्थीआ अपनी शादी के वक्‍त साउथ अफ्रीका में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के ब्रांच आफिस में सेवा कर रहे थे। इसलिए उनके पास इतने ही पैसे थे जिससे वे बिना किसी धूमधाम के सादगी से शादी करें। कुछ मसीहियों ने बड़ी धूमधाम से शादी करने के लिए, पूरे समय की सेवा को छोड़कर नौकरियाँ की हैं ताकि उनके पास इसका खर्च उठाने के लिए पैसा हो। लेकिन, वेल्श और एल्थीआ को इस बात का पछतावा नहीं है कि उनकी शादी बहुत ही सादगी से हुई। बल्कि उन्हें खुशी है कि वे ज़ीन्ज़ी के पैदा होने तक, पूरे समय परमेश्‍वर की सेवा कर पाए।

लेकिन तब क्या अगर एक जोड़ा अपनी शादी में दुनियावी संगीत और डांस का कार्यक्रम रखना चाहता है, मेहमानों को वाइन या कोई और किस्म की शराब देना चाहता है? तब क्या जब वे अपनी शादी बड़ी धूमधाम से करना चाहते हैं? वे इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हैं कि इस मौके से सभी को खुशी मिले और इसमें ऐसा कुछ भी न हो जिससे परमेश्‍वर के लोगों की बदनामी हो? ऐसे सवालों पर अच्छी तरह ध्यान देने की ज़रूरत है, क्योंकि बाइबल आज्ञा देती है: “तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।”—1 कुरिन्थियों 10:31.

रंग-रलियों से परे रहना

यह तो मुमकिन नहीं कि किसी की शादी हो और खुशियाँ न मनायी जाएँ। लेकिन खुशी के इस मौके पर, मर्यादा की हद पार करके रंगरलियों में डूब जाने का भी खतरा रहता है। जो साक्षी नहीं हैं, उनके शादी-ब्याह में ऐसा बहुत कुछ होता है जिससे परमेश्‍वर घृणा करता है। मिसाल के तौर पर, उनकी शादियों में ज़्यादा शराब पीकर धुत्त हो जाना एक आम बात है। दुःख तो इस बात का है कि कुछ मसीहियों की शादी में भी ऐसा हुआ है।

बाइबल चेतावनी देती है कि “मदिरा हल्ला मचानेवाली है।” (नीतिवचन 20:1) इब्रानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद ‘हल्ला मचाना’ किया गया है उसका मतलब है “बहुत शोर मचाना।” अगर शराब पीकर एक आदमी शोरगुल मचा सकता है तो सोचिए कि अगर बड़ी तादाद में लोग इकट्ठे हों और बहुत ज़्यादा शराब पी लें तो इसका नतीजा क्या हो सकता है! बेशक, ऐसे मौकों पर बड़ी आसानी से “मतवालापन, रंगरेलियां तथा इस प्रकार के अन्य काम” किए जाएँगे जिन्हें बाइबल “शरीर के काम” कहती है। जो इन कामों में लगे रहते हैं वे परमेश्‍वर के राज्य में अनंत जीवन नहीं पाएँगे।—गलतियों 5:19-21, NHT.

‘रंग-रलियों’ के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल किया जाता है, वह शब्द ऐसे नौजवानों के लिए इस्तेमाल होता था जो नशे में धुत्त होकर सड़क पर नाचते-गाते और हल्ला मचाते हुए जाते थे। इसलिए अगर शादी के मौके पर शराब पानी की तरह बहायी जाए, ज़ोर-ज़ोर से संगीत बजाया जाए और लोग पागलों की तरह नाच रहे हों तो यह मुमकिन है कि मर्यादाओं को तोड़कर सभी रंग-रलियों में डूब जाएँगे। ऐसे माहौल में, जो लोग आध्यात्मिक तरीके से कमज़ोर हैं वे बड़ी आसानी से ऐसे काम कर सकते हैं जैसे कि “व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, [और] क्रोध।” अगर एक मसीही चाहता है कि उसकी शादी में शरीर के ऐसे काम न हों तो उसे क्या करना चाहिए? इसका जवाब पाने के लिए, आइए देखें कि बाइबल एक शादी के बारे में क्या कहती है।

शादी जिसमें यीशु मौजूद था

एक बार यीशु और उसके चेलों को, गलील के काना नगर में ब्याह में आने का न्यौता मिला था। वे उस शादी में गए और यीशु ने उस मौके की खुशी भी बढ़ायी। जब दाखरस कम पड़ गया तो उसने चमत्कार करके बढ़िया किस्म का दाखरस बनाया। यीशु के इस चमत्कार के लिए, दूल्हा उसका कितना एहसानमंद रहा होगा! और बेशक जो दाखरस बच गया था, वह शादी के बाद दूल्हे और उसके परिवार के काम आया होगा।—यूहन्‍ना 2:3-11.

इस शादी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। पहली बात कि यीशु और उसके चेले बिन-बुलाए मेहमानों की तरह शादी में नहीं आ धमके। बाइबल में साफ-साफ बताया गया है कि उन्हें न्यौता मिला था। (यूहन्‍ना 2:1, 2) और बाद में जब यीशु ने शादी के भोज के बारे में दो दृष्टांत दिए, तो दोनों ही में उसने बताया कि मेहमानों को न्यौता दिया गया था।—मत्ती 22:2-4, 8, 9; लूका 14:8-10.

कुछ देशों में यह आम बात है कि शादी की पार्टी में कोई भी आ सकता है, फिर चाहे उसे न्यौता मिला हो या नहीं। लेकिन, इस वज़ह से शादी करनेवाला जोड़ा मुसीबत में फँस सकता है। अगर उनके पास काफी पैसा नहीं है तो ढेरों मेहमानों के खाने-पीने का खर्च उठाने के लिए उन्हें शायद कर्ज़ लेना पड़े। इसलिए, अगर एक मसीही जोड़ा शादी के रिसेप्शन में ज़्यादा धूमधाम नहीं करना चाहता और कुछ गिने-चुने मेहमानों को ही बुलाता है तो बाकी मसीहियों को यह बात समझनी चाहिए और उनके इस फैसले का लिहाज़ भी करना चाहिए। केप टाऊन, साउथ अफ्रीका में एक आदमी ने अपनी शादी में 200 लोगों को न्यौता दिया था। लेकिन 200 के बजाय 600 मेहमान आए और इस वज़ह से खाना कम पड़ गया। बिन बुलाए मेहमानों में, एक पूरी बस के यात्री भी थे जो शादीवाले दिन ही केप टाऊन घूमने आए थे। उनकी बस का गाइड, दुल्हन का दूर का रिश्‍तेदार था और उसे लगा कि बस के सभी लोगों को पार्टी में ले जाने का उसका हक बनता है और ऐसा करने से पहले, उसने दूल्हा-दुल्हन से पूछने की कोई ज़रूरत भी नहीं समझी!

अगर साफ-साफ यह न कहा जाए कि रिसेप्शन में कोई भी आ सकता है, तो एक सच्चे मसीही को बिन बुलाए शादी के रिसेप्शन में नहीं जाना चाहिए, न ही मेहमानों के लिए रखे गए खाने-पीने में से कुछ लेना चाहिए। जो बिन बुलाए ही पहुँच जाना चाहते हैं उन्हें अपने आप से पूछना चाहिए, ‘अगर मैं बिन बुलाए ही पहुँच जाता हूँ तो क्या इससे यह ज़ाहिर नहीं होगा कि नए जोड़े के लिए मेरे मन में बिलकुल भी प्यार नहीं है? क्या मैं दूसरों की खुशी में बाधा डालकर उनको तकलीफ नहीं पहुँचाऊँगा?’ न्यौता न मिलने पर नाराज़ होने के बजाय, एक समझदार मसीही नए जोड़े को बधाई-संदेश भेजेगा और उन पर यहोवा की आशीष की कामना करेगा। वह चाहे तो उस जोड़े की खुशी को और बढ़ाने के लिए उन्हें एक तोहफा भी भेजने की सोच सकता है।—सभोपदेशक 7:9; इफिसियों 4:28.

ज़िम्मेदार कौन है?

अफ्रीका के कई इलाकों में शादी-ब्याह का सारा इंतज़ाम आम-तौर पर घर के बुज़ुर्ग करते हैं। शादी करनेवाला जोड़ा इसके लिए एहसानमंद होता है, क्योंकि उन्हें खर्च की चिंता नहीं करनी पड़ती। इसके साथ-साथ उन्हें शायद यह भी लगे कि जो कुछ भी होगा वे इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे। लेकिन, रिश्‍तेदारों से किसी भी किस्म की मदद लेने से पहले, एक जोड़े को इस बात का ध्यान रखना है कि रिसेप्शन में जो कुछ हो वह उनकी ख्वाहिशों के मुताबिक ही हो।

हालाँकि यीशु परमेश्‍वर का पुत्र था जो ‘स्वर्ग से उतरा’ था, लेकिन बाइबल में यह नहीं बताया गया कि काना में ब्याह के सभी मामले उसने अपने हाथ में ले लिए और सबको निर्देश देने लगा। (यूहन्‍ना 6:41) बाइबल बताती है कि ‘भोज का प्रधान’ कोई और था। (यूहन्‍ना 2:8) इस प्रधान को ब्याह के सभी इंतज़ामों के लिए दूल्हे को जवाब देना था, जो अब अपने परिवार का मुखिया था।—यूहन्‍ना 2:9, 10.

परमेश्‍वर ने परिवार का मुखिया पति को ठहराया है। इसलिए मसीही रिश्‍तेदारों को चाहिए कि वे इस नए परिवार के मुखिया की ज़िम्मेदारी का लिहाज़ करें। (कुलुस्सियों 3:18-20) शादी के वक्‍त क्या-क्या होगा इसकी ज़िम्मेदारी उसी की है। बेशक, दूल्हा समझदारी से काम लेगा और हो सके तो अपनी दुल्हन और अपने माँ-बाप साथ ही अपने ससुराल वालों की ख्वाहिशें पूरी करना चाहेगा। लेकिन अगर रिश्‍तेदार, अपनी मन-मरज़ी से सारे इंतज़ाम करना चाहें और जोड़े की ख्वाहिशों के मुताबिक काम न करें, तो फिर उन्हें शायद प्यार से रिश्‍तेदारों को बताना होगा कि उनकी मदद की ज़रूरत नहीं है और वे बिना धूमधाम के शादी करना चाहते हैं जिसका खर्च वे खुद उठाएँगे। इस तरह ऐसा कुछ नहीं होगा जिसे बाद में याद करके शादी करनेवाले जोड़े का मन दुःखी हो। मिसाल के तौर पर, अफ्रीका में एक साक्षी के विवाह पर एक अविश्‍वासी रिश्‍तेदार, मेज़बान बनकर काम कर रहा था। उसने मरे हुए बुज़ुर्गों के नाम पर मेहमानों को जाम पिलाए!

कभी-कभी शादी का समारोह खत्म होने से पहले ही नया जोड़ा हनीमून के लिए निकल जाता है। अगर ऐसा है तो दूल्हा कुछ ज़िम्मेदार लोगों को यह ध्यान रखने के लिए ठहराएगा कि उसके जाने के बाद ऐसा कुछ भी न हो जो बाइबल के स्तरों के खिलाफ है और यह भी कि पार्टी ठीक वक्‍त पर खत्म हो।

सोच-समझकर की गयी तैयारी और संतुलन

जिस ब्याह के भोज में यीशु गया था, ज़ाहिर है कि उसमें ढेर सारा स्वादिष्ट खाना परोसा गया होगा। और जैसे पहले भी बताया गया है, वहाँ दाखरस भी बहुत था। हो सकता है कि अच्छे किस्म का संगीत और नाच भी हो क्योंकि यहूदियों के सामाजिक जीवन में यह एक आम बात थी। यह बात उड़ाऊ बेटे के बारे में यीशु की जानी-मानी कहानी से साफ नज़र आती है। उस कहानी में जब एक धनवान पिता का बेटा अपने गलत रास्ते को छोड़ वापस लौट आया तो पिता ने खुश होकर कहा: “[आओ] हम खाएं और आनन्द मनाएं।” यीशु के मुताबिक, इस स्वागत-समारोह में ‘गाना-बजाना व नाचना’ भी शामिल था।—लूका 15:23, 25, NHT.

लेकिन, गौर कीजिए कि काना में हुई शादी के बारे में बाइबल साफ-साफ नहीं बताती कि वहाँ संगीत और नाच भी हुआ था। दरअसल, बाइबल में जहाँ-जहाँ शादियों के बारे में बताया है वहाँ कहीं भी नाच का ज़िक्र नहीं किया गया। तो इससे साफ ज़ाहिर होता है कि बाइबल के ज़माने में परमेश्‍वर के वफादार सेवकों की शादियों में नाच-गाना बहुत कम होता था। क्या हम इससे कुछ सीख सकते हैं?

अफ्रीका में कुछ मसीही अपनी शादी में बहुत तेज़ साउंड सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। संगीत इतना ज़ोर से बजता है कि मेहमान आराम से बैठकर बात भी नहीं कर सकते। खाना कम पड़ जाए तो पड़ जाए लेकिन डांस कभी कम नहीं होता बल्कि बे-लगाम बढ़ता ही जाता है। शादी की पार्टी के बहाने एक डांस पार्टी हो जाती है। इसके अलावा, तेज़ संगीत की आवाज़ अकसर अजनबियों के लिए बुलावा होता है जो बिन बुलाए ही पार्टी में घुस आते हैं और हंगामा करते हैं।

बाइबल में शादियों के बारे में दी गयी जानकारी से ज़ाहिर है कि उस ज़माने में संगीत और डांस को बहुत ज़्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए, क्या एक जोड़ा अपनी शादी का इंतज़ाम इस तरह न करेगा जिससे यहोवा की महिमा हो? हाल ही में, दक्षिणी अफ्रीका में हुई कई शादियों की तैयारी करते वक्‍त युवाओं ने डांस की प्रैक्टिस में ही अपना बहुत सारा वक्‍त बरबाद कर दिया। लेकिन मसीहियों के लिए ज़रूरी है कि वे “उत्तम से उत्तम बातों” के लिए वक्‍त निकालें जैसे कि प्रचार करने, बाइबल का निजी तौर पर अध्ययन करने और मसीही सभाओं में इकट्ठा होने के लिए।—फिलिप्पियों 1:10; इफिसियों 5:16.

काना में यीशु ने चमत्कार करके जितना दाखरस बनाया उससे ज़ाहिर होता है कि उस ब्याह में बहुत लोग आए थे और काफी तैयारियाँ भी की गयी थीं। लेकिन हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि इस ब्याह में बहुत ज़्यादा हो-हल्ला नहीं मचा होगा और यहूदियों में बाकी शादियों की तरह मेहमान शराब पीकर नशे में चूर नहीं हुए होंगे। (यूहन्‍ना 2:10) हम ऐसा यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं? क्योंकि खुद प्रभु यीशु मसीह वहाँ मौजूद था। भला यीशु से ज़्यादा कौन इस बात का ख्याल रखेगा कि वह बुरी संगति के बारे में परमेश्‍वर की इस आज्ञा को न तोड़े: “तू पियक्कड़ों के साथ मत रहना।”—नीतिवचन 23:20, NHT.

इसलिए अगर एक जोड़ा फैसला करता है कि वे शादी की पार्टी में वाइन या कोई और किस्म की शराब रखेंगे, तो उन्हें कुछ ज़िम्मेदार भाइयों को ठहराना चाहिए जिनकी निगरानी में ही मेहमानों को शराब दी जानी चाहिए। और अगर वे संगीत बजाना चाहते हैं तो उन्हें अच्छे किस्म का संगीत चुनना चाहिए और किसी ज़िम्मेदार व्यक्‍ति को ठहराना चाहिए जो इस बात का ध्यान रखेगा कि संगीत बहुत तेज़ न बजाया जाए। इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि मेहमान अपनी ही न चलाने लगें क्योंकि हो सकता है कि वे गलत किस्म का संगीत बजाने लगें या आवाज़ हद-से-ज़्यादा तेज़ कर दें। अगर डांस रखा जाता है तो यह देखना चाहिए कि इसमें ओछापन न हो और यह काबू में रहे। अगर अविश्‍वासी रिश्‍तेदार या गैर-ज़िम्मेदार मसीही डांस करते वक्‍त गंदे या बेहूदा किस्म के हाव-भाव करते हैं तो दूल्हा, संगीत बदलने या डांस रोकने के लिए कह सकता है। अगर ऐसा न किया जाए तो शादी की पार्टी में बहुत ज़्यादा हो-हल्ला हो जाएगा और जो आध्यात्मिक रीति से कमज़ोर है वह ठोकर भी खा सकता है।—रोमियों 14:21.

इन सभी खतरों को ध्यान में रखते हुए, हमारे कई भाइयों ने अपनी शादी में डांस, संगीत और शराब का कार्यक्रम न रखने का फैसला किया है। कुछ भाइयों को इसकी वज़ह से लोगों के ताने सुनने पड़े हैं, जबकि असल में उनकी तारीफ की जानी चाहिए। क्योंकि वे ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते जिससे परमेश्‍वर के पवित्र नाम पर कोई कलंक लगे। दूसरी ओर कुछ भाई अपनी शादी में अच्छा संगीत बजाने, कुछ देर तक डांस रखने और मेहमानों को सीमित मात्रा में शराब परोसने का फैसला करते हैं। बात चाहे जो भी हो, शादी की पार्टी में जो कुछ होता है इसका ज़िम्मेदार दूल्हा ही है।

अफ्रीका में कई मसीहियों की शादियाँ जब मर्यादाओं में रहकर की गयीं तो कुछ गैर-ज़िम्मेदार लोगों ने ऐसी शादियों का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, ‘ऐसा लग रहा था मानो हम किसी की मौत का मातम मनाने आए हैं।’ लेकिन ऐसा सोचना ठीक नहीं है। पापी शरीर के कामों से चंद घड़ियों का मज़ा तो मिलता है मगर बाद में इन्हीं कामों की वज़ह से मसीहियों का विवेक उनको सताता है और परमेश्‍वर के नाम पर भी कलंक लगता है। (रोमियों 2:24) दूसरी तरफ, परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से सच्ची खुशी मिलती है। (गलतियों 5:22) बहुत-से मसीही जोड़े अपने शादी के दिन को फख्र से याद करते हैं, क्योंकि वह खुशियों भरा मौका था, न कि “ठोकर खाने का . . . अवसर।”—2 कुरिन्थियों 6:3.

वेल्श और एल्थीआ को अब भी याद है कि उनकी शादी में आए अविश्‍वासी रिश्‍तेदारों ने भी उनकी तारीफ की थी। एक ने कहा: “आजकल शादियों में इतना शोरगुल होता है कि उनमें जाने का मन ही नहीं करता। मगर आपकी शादी में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यह शादी मुझे बहुत अच्छी लगी।”

सबसे बड़ी बात यह है कि मसीहियों की जिन शादियों में मर्यादा रखी जाती है उनसे, विवाह का बंधन रचनेवाले यहोवा परमेश्‍वर की महिमा होती है।

[पेज 22 पर बक्स/तसवीर]

शादी की रिसेप्शन के लिए इन बातों का ध्यान रखें

• अगर आपने किसी अविश्‍वासी रिश्‍तेदार को भाषण देने के लिए बुलाया है, तो क्या आपने पहले से इस बात का ध्यान रखा है कि वह किसी ऐसी परंपरा का पालन न करने लगे जो बाइबल के खिलाफ है?

• अगर संगीत बजाया जाएगा, तो क्या आपने सिर्फ सही किस्म के गीत चुने हैं?

• संगीत बहुत तेज़ तो नहीं बजाया जाएगा?

• अगर डांस की इजाज़त दी जाती है, तो क्या यह मर्यादाओं को ध्यान में रखकर किया जाएगा?

• क्या शराब देने पर नियंत्रण रखा जाएगा?

• कितनी शराब देनी है क्या इस पर ज़िम्मेदार लोग नियंत्रण रखेंगे?

• क्या आपने रिसेप्शन खत्म होने का ठीक समय ठहराया है?

• रिसेप्शन में आखिर तक सब ठीक-ठाक हो, क्या इसके लिए ज़िम्मेदार लोग मौजूद होंगे?