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“हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा”

“हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा”

“हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा”

“मैंअपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊंगा, तब हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा।” (भजन 26:6) पुराने ज़माने के राजा दाऊद ने यहोवा के लिए अपनी भक्‍ति इन शब्दों से ज़ाहिर की। लेकिन वह यहोवा की वेदी की “प्रदक्षिणा” क्यों करेगा या उसके चारों ओर क्यों घूमेगा, और वह ऐसा किस तरह करेगा?

निवासस्थान और उसकी वेदी ही वह खास जगह थी जहाँ दाऊद अपने ज़माने में यहोवा की उपासना कर सकता था। दाऊद के राज में यह वेदी, यरूशलेम के उत्तर में एक नगर गिबोन में थी। (1 राजा 3:4) यह वेदी पीतल से मढ़ी हुई थी और इसी पर यहोवा को बलिदान चढ़ाए जाते थे। यह सुलैमान के मंदिर की वेदी से काफी छोटी थी और करीब सात वर्ग फुट की ही थी। * लेकिन उस वक्‍त इसी वेदी और इसके निवासस्थान के ज़रिए, सारे इस्राएली यहोवा की उपासना करते थे। इसलिए दाऊद को यह निवासस्थान और वेदी बहुत प्यारे थे।—भजन 26:8.

निवासस्थान की वेदी पर होमबलि, मेलबलि और दोषबलियाँ चढ़ाई जाती थीं और हर साल प्रायश्‍चित्त दिन पर सारी इस्राएल जाति के लिए बलियाँ चढ़ाई जाती थीं। आज मसीहियों के लिए भी उस वेदी का और उस पर चढ़ाए जानेवाले बलिदानों का गहरा अर्थ है। प्रेरित पौलुस ने बताया कि यह वेदी परमेश्‍वर की इच्छा को दर्शाती है। अपनी इस इच्छा के ज़रिए परमेश्‍वर ने वह बलिदान स्वीकार किया जिससे इंसान को पाप से छुड़ाया जा सकता था। यह यीशु मसीह का बलिदान था, जिसके बारे में पौलुस ने कहा: “उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।”—इब्रानियों 10:5-10.

निवासस्थान या मंदिर की वेदी पर बलिदान चढ़ाने से पहले, याजक पानी से हाथ धोकर शुद्ध होते थे। इसलिए, राजा दाऊद ने कहा कि उसने ‘यहोवा की वेदी की प्रदक्षिणा’ करने से पहले, “निर्दोषता के जल से” अपने हाथ धोए। दाऊद “मन की खराई और सिधाई से” चला। (1 राजा 9:4) अगर उसने निर्दोषता के जल से हाथ न धोए होते और वह शुद्ध न हुआ होता तो उसकी उपासना परमेश्‍वर को पसंद नहीं आती। या दूसरे शब्दों में कहें तो, अगर वह ‘यहोवा की वेदी की प्रदक्षिणा’ करता भी तो वह व्यर्थ होता। दरअसल, इस्राएल में सिर्फ लेवियों को यहोवा की वेदी पर याजकों के रूप में सेवा करने का सुअवसर प्राप्त था। मगर दाऊद, लेवी गोत्र का नहीं था। वह इस्राएल जाति का राजा था, फिर भी उसे निवासस्थान के आँगन में भी आने की इजाज़त नहीं थी। तो फिर, उसने यहोवा की वेदी की प्रदक्षिणा कैसे की होगी? वह ऐसे कि दाऊद वफादारी से मूसा की कानून-व्यवस्था में दी गयी आज्ञा को मानता था, और यहोवा की वेदी पर चढ़ाने के लिए नियमित रूप से बलिदान लाता था। इससे दाऊद ने दिखाया कि उसकी ज़िंदगी में यहोवा की उपासना ही सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है।

क्या हम भी दाऊद की तरह हो सकते हैं? जी हाँ, ज़रूर। हम भी निर्दोषता के जल से अपने हाथ धो सकते हैं और परमेश्‍वर की वेदी की प्रदक्षिणा कर सकते हैं। वह कैसे? यीशु के छुड़ौती बलिदान पर विश्‍वास रखने से और ‘निर्दोष हाथों और शुद्ध हृदय’ से, तन-मन लगाकर यहोवा की सेवा करने से।—भजन 24:4, NHT.

[फुटनोट]

^ सुलैमान के मंदिर की वेदी लगभग 30 वर्ग फुट की थी।

[पेज 23 पर तसवीर]

वेदी, यहोवा की इच्छा को दर्शाती है जिसके ज़रिए वह इंसान को पाप से छुड़ाने के लिए उपयुक्‍त बलिदान स्वीकार करता है