आज परमेश्वर की भविष्यवाणी के वचन पर ध्यान दें
आज परमेश्वर की भविष्यवाणी के वचन पर ध्यान दें
“हे मनुष्य के सन्तान, उन देखी हुई बातों को समझ ले, क्योंकि उनका अर्थ अन्त ही के समय में फलेगा।”—दानिय्येल 8:17.
1. यहोवा इस दुनिया पर क्या प्रकट करना चाहता है?
यहोवा जानता है कि भविष्य में क्या होनेवाला है मगर वह इस जानकारी को अपने तक ही नहीं रखता। वह भेदों का प्रकट करनेवाला परमेश्वर है इसलिए वह आज दुनिया के छः अरब लोगों पर प्रकट करना चाहता है कि वे ‘अन्त के समय’ में जी रहे हैं। क्या ही ज़रूरी संदेश!
2. किन हालात को देखकर आज इंसानों को अपने भविष्य की चिंता हो रही है?
2 इसमें कोई शक नहीं कि यह दुनिया विनाश की तरफ बढ़ रही है। ज़रा सोचिए, इंसान ने चाँद पर कदम रखकर बहादुरी का काम तो किया, मगर वह घर के बाहर कदम रखने से डरता है। सुख-सुविधा का सामान तो जुटा लिया, मगर घर-घर में फूट और कलह मची हुई है। कंप्यूटर के इस युग में सब कुछ तो सीख रहा है, मगर शांति और प्यार-मुहब्बत से जीना नहीं सीख पाया। बाइबल में बताए गए अंतिम दिनों के ये सारे निशान साबित करते हैं कि अंत की घड़ी बहुत करीब आ पहुँची है।
3. पृथ्वी पर पहली बार ‘अन्त के समय’ का ज़िक्र कब किया गया था?
3 पहली बार ‘अन्त के समय’ का यह ज़रूरी संदेश, आज से करीब 2,600 साल पहले परमेश्वर के दूत जिब्राएल ने एक भविष्यवक्ता को दिया था। जिब्राएल ने कहा: “हे मनुष्य के सन्तान, उन देखी हुई बातों को समझ ले, क्योंकि उनका अर्थ अन्त ही के समय में फलेगा।”—दानिय्येल 8:17.
यही है ‘अन्त का समय’!
4. बाइबल में और किस तरह से अंत के समय का ज़िक्र किया गया है?
4 वह भविष्यवक्ता था दानिय्येल जिसने अपनी किताब में कम-से-कम छः बार ‘अन्त के समय’ और “अन्त के ठहराए हुए समय” का ज़िक्र किया। (दानिय्येल 8:17, 19; 11:35, 40; 12:4, 9) यह अंत समय वही ‘अन्तिम दिन’ हैं, जिनके बारे में बाद में पौलुस ने भविष्यवाणी की थी। (2 तीमुथियुस 3:1-5) खुद यीशु ने भी बताया था कि इसी अंत के समय के दौरान वह राजा बनकर स्वर्ग में ‘उपस्थित’ (NW) होगा।—मत्ती 24:37-39.
5, 6. अंत के समय में किन लोगों ने “ढूंढ़-ढांढ़” की है और नतीजा क्या हुआ है?
5 दानिय्येल 12:4 में लिखा है: “हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर करके इन वचनों को अन्त समय तक के लिए बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ़-ढांढ़ करेंगे, और उस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।” दानिय्येल ने जो लिखा था, उसका भेद सदियों तक किसी इंसान की समझ में नहीं आया। मगर आज भी क्या यह भेद ही है?
6 जी नहीं। जिस तरह दानिय्येल की किताब में भविष्यवाणी की गई थी, हमारे ज़माने में कई अभिषिक्त मसीहियों ने परमेश्वर के वचन बाइबल में “ढूंढ़-ढांढ़” की और यहोवा ने उन्हें सच्चे ज्ञान की गहरी समझ दी। उदाहरण के लिए वे जान गए कि सन् 1914 में यीशु मसीह स्वर्ग में राजा बना। जी हाँ, जैसा 2 पतरस 1:19-21 में लिखा है, ये अभिषिक्त मसीही और बड़ी भीड़ के लोग आज ‘भविष्यवाणी के वचन पर ध्यान’ दे रहे हैं और उन्हें पक्का यकीन है कि यही अंत का समय है।
7. दानिय्येल की किताब किन मायनों में बेजोड़ है?
7 दानिय्येल की किताब, जो परमेश्वर की भविष्यवाणी का वचन है, कई मायनों में बेजोड़ है। इसमें एक राजा के बारे में बताया गया है, जिसने अपने राज्य के सभी बुद्धिमान पंडितों की बोटी-बोटी कर देने का हुक्म दिया था, क्योंकि वे राजा का न तो अजीबो-गरीब सपना बता पाए थे, ना ही उसका अर्थ। मगर ऐन मौके पर यहोवा के भविष्यवक्ता ने वह सपना और उसका अर्थ बताया। तीन नौजवानों को आग की धधकती हुई भट्ठी में फिंकवा दिया गया क्योंकि उन्होंने एक बड़ी मूरत के आगे झुकने से इंकार कर दिया था, मगर फिर भी उन्हें आँच तक नहीं आयी। एक अवसर पर राजमहल में, मस्ती में चूर लोग जश्न मना रहे थे कि अचानक दीवार पर रहस्यमय शब्द लिखता हुआ एक हाथ नज़र आया। कुछ दुष्ट लोग साज़िश करके एक बूढ़े इंसान को शेरों की माँद में फिंकवा देते हैं, लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आती। एक दर्शन में चार खतरनाक जन्तु दिखाए गए हैं और यह दर्शन एक भविष्यवाणी है जिसका संबंध हमारे इन अंतिम दिनों से है।
8, 9. खासकर इन अंतिम दिनों में दानिय्येल की किताब से हमें क्या फायदा मिल सकता है?
8 ऊपर बताई गई बातों से साफ नज़र आता है कि दानिय्येल की किताब दो धागों से बनी एक डोर है। एक डोर है इतिहास, तो दूसरी है भविष्यवाणियाँ। ये दोनों हमारा विश्वास मज़बूत कर सकती हैं। इसमें दी गई घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि जो यहोवा के वफादार रहते हैं, यहोवा उनका साथ कभी नहीं छोड़ता। भविष्यवाणियाँ हमें यकीन दिलाती हैं कि सैकड़ों क्या, हज़ारों साल बाद भी होनेवाली घटनाओं को यहोवा पहले से बता सकता है।
9 दानिय्येल ने जो भविष्यवाणियाँ लिखीं, उनसे साफ ज़ाहिर होता है कि परमेश्वर का राज्य जल्द ही पूरी दुनिया पर हुकूमत करेगा। जब हम इन भविष्यवाणियाँ को पूरा होते देखते हैं, तो हमारा विश्वास बहुत मज़बूत हो जाता है, साथ ही हमें यकीन हो जाता है कि हम अंत समय में जी रहे हैं। मगर कुछ आलोचकों ने यह इलज़ाम लगाया कि दानिय्येल ने दरअसल कोई भविष्यवाणी लिखी ही नहीं, बल्कि उसने बीती हुई घटनाओं को भविष्यवाणियाँ बताकर लिखा है। अगर यह इलज़ाम सच है तो अंत समय के बारे में दानिय्येल ने जो भविष्यवाणियाँ लिखी हैं, उन पर कैसे भरोसा किया जा सकता है? आलोचक तो यह भी कहते हैं कि इसमें गलत ऐतिहासिक जानकारी दी गई है। तो आइए देखें कि क्या यह इलज़ाम सच है?
कठघरे में!
10. दानिय्येल की किताब आज कठघरे में क्यों है?
10 मान लीजिए कि एक मुकद्दमे की सुनवाई हो रही है और आप वहाँ मौजूद हैं। सरकारी वकील एक आदमी पर इलज़ाम लगा रहा है कि वह धोखेबाज़ है मगर आदमी कहता कि यह इलज़ाम सरासर झूठ है। इसी तरह आज दानिय्येल की किताब भी आलोचकों के इलज़ाम को झूठा कहती है। दानिय्येल की किताब एक यहूदी नबी ने सा.यु.पू. सातवीं और छठी सदी के दौरान लिखी, मगर आलोचक यह बात नहीं मानते और कहते हैं कि यह झूठ है। तो आइए जाँच करें कि दानिय्येल की किताब सच है या नहीं?
11, 12. क्या वाकई बेलशस्सर नाम का कोई राजा इतिहास में नहीं था?
11 आइए पहले इसके इतिहास को जाँचे। दानिय्येल किताब का 5वाँ अध्याय कहता है कि सा.यु.पू. 539 में जब बाबुल पर कब्ज़ा किया गया तब उसका राजा बेलशस्सर था। मगर आलोचकों का कहना है कि उस समय नबोनाइडस राज कर रहा था और वही बाबुल का आखिरी राजा था। उनके मुताबिक बेलशस्सर नाम का कोई राजा तो इतिहास में था ही नहीं।
12 लेकिन 1854 में एक खोज ने आलोचकों का मुँह बंद कर दिया। बाबुल के ऊर शहर के खंडहरों में, जहाँ आज इराक बसा हुआ है, खुदाई करने पर मिट्टी के कुछ बेलन मिले। इन बेलनों पर राजा नबोनाइडस ने अपने बेटे का ज़िक्र किया था: “बेलसरस्सर, मेरा ज्येष्ठ पुत्र।” भले ही दुनिया ने बेलशस्सर को जानने में देर लगा दी, मगर वह इतिहास में मौजूद था। इसके अलावा भी ढेरों सबूत ज़ाहिर करते हैं कि दानिय्येल की किताब सच्ची है। इससे यह भी सबूत मिलता है कि दानिय्येल की किताब परमेश्वर की भविष्यवाणी का वचन है। इसलिए खासकर आज, इन अंतिम दिनों में उस पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है।
13, 14. नबूकदनेस्सर कौन था और वह किस देवता का सबसे बड़ा भक्त था?
13 दानिय्येल की किताब में विश्वशक्तियों और उनके कुछ राजाओं के बारे में भविष्यवाणियाँ की गई हैं। क्या आप जानते हैं कि इनका हमारे दिनों से क्या ताल्लुक है? मसलन, इसमें से एक ज़िक्र राजा नबूकदनेस्सर का है। जब वह एक राजकुमार था तब उसने करकैमीश में, मिस्र के फिरौन-निको की सेना को पूरी तरह हिलाकर रख दिया था। मगर तभी उसे खबर मिली कि उसके पिता राजा नबोपोलास्सर की मौत हो गई है इसलिए उसे सब कुछ अपने सेनापतियों के हाथ छोड़कर जाना पड़ा। पिता की मौत के बाद सा.यु.पू. 624 में वह बाबुल का राजा बना। उसे बहुत बड़ा योद्धा कहा जाता है क्योंकि उसने अपने 43 साल के राज के दौरान एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया था। अपने राज्य में उसने उन इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया जो एक ज़माने में विश्वशक्ति अश्शूर के हाथों में थे। इसके अलावा उसने सीरिया और इस्राएल पर भी कब्ज़ा किया और फिर मिस्र की सीमाओं तक पहुँच गया।
14 नबूकदनेस्सर को पूरा विश्वास था कि उसकी हर जीत के पीछे बाबुल के सबसे बड़े देवता मरदूक का हाथ है, जिसका वह बहुत बड़ा भक्त था। उसने मरदूक के अलावा दूसरे देवी-देवताओं के लिए भी कई मंदिर बनवाए। दूरा के मैदान में इस राजा ने सोने की जो मूर्ति खड़ी करवायी थी, लगता है कि यह मूर्ति मरदूक को ही समर्पित थी। (दानिय्येल 3:1, 2) नबूकदनेस्सर लड़ाई की तैयारी करने और रण-नीति बनाने से पहले ज्योतिषियों से सलाह-मशविरा लिया करता था। उसे शकून-विद्या पर बहुत ही विश्वास था।
15, 16. नबूकदनेस्सर को अपनी किन कामयाबियों पर घमंड था और इसका अंजाम क्या हुआ?
15 युद्ध में कामयाबी हासिल करने के अलावा भी उसने कई बड़े काम किये। उसने बाबुल में झूलता बाग बनाया जो उस ज़माने के सात अजूबों में से एक था। यह बाग उसने अपनी एक रानी को खुश करने के लिए बनाया था जिसे अपने देश मादी की हरियाली और पहाड़ियों की बड़ी याद आती थी। इसके अलावा उसने बाबुल को उस ज़माने का सबसे मज़बूत शहर बनाया था। उसने दो ऊँची शहरपनाह बनवायी, जिन्हें बनाने का काम उसके पिता ने अधूरा छोड़ दिया था। इसकी मज़बूत शहरपनाह की वज़ह से दुश्मनों के लिए बाबुल पर कब्ज़ा करना नामुमकिन था। इस शोहरत और कामयाबी की वज़ह से उसकी छाती घमंड से फूल गई थी।
16 इसी घमंड में चूर उसने कहा: “क्या यह बड़ा बाबूल नहीं है, जिसे मैं ही ने . . . बसाया है?” दानिय्येल 4:30-36 के मुताबिक “यह वचन राजा के मुंह से निकलने भी न पाया था” कि वह पागल हो गया। ठीक जैसे दानिय्येल ने भविष्यवाणी की थी वह सात सालों तक पागलों की तरह घूमता रहा और उसने घास-फूस खायी। बाद में उसे उसका राजपाट लौटा दिया गया। क्या आप जानते हैं कि दानिय्येल की इस भविष्यवाणी में आज हमारे दिनों के लिए क्या संदेश है?
भविष्यवाणियों पर गौर करना
17. परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को कौन-सा सपना दिखाया?
17 आइए अब दानिय्येल द्वारा लिखी गई कुछ भविष्यवाणियों पर गौर करें। इनमें से एक भविष्यवाणी नबूकदनेस्सर के सपने को लेकर है जो उसने विश्व-सम्राट बनने के दूसरे साल (सा.यु.पू. 606/605) में देखा था। परमेश्वर ने उसे इतना भयानक सपना दिखाया था कि उसकी नींद ही उड़ गयी थी। दानिय्येल अध्याय 2 कहता है कि उसने सपने में एक लंबी-चौड़ी मूर्ति देखी जिसका सिर सोने का, छाती और भुजाएँ चांदी की, पेट और जांघें पीतल कीं, टांगें लोहे की और उसके पैर कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे। इस मूर्ति के अलग-अलग अंगों का मतलब क्या था?
18. नबूकदनेस्सर के सपने में, सोने के सिर, चांदी की छाती और भुजाओं, पीतल का पेट और जांघ का मतलब क्या है?
18 भविष्यवक्ता दानिय्येल ने उसका मतलब बताते हुए नबूकदनेस्सर से कहा: “हे राजा, . . . यह सोने का सिर तू ही है।” (दानिय्येल 2:37, 38) नबूकदनेस्सर के वंश से बाबुल के विशाल साम्राज्य पर राज्य करनेवाले दूसरे राजा भी थे, मगर नबूकदनेस्सर ही उनमें पहला राजा था इसलिए उसे सोने का सिर कहा गया। चांदी की छाती और भुजाएँ मादी-फारस का राज है, जिसने बाबुल के साम्राज्य का तख्ता पलट दिया। पीतल का पेट और जांघ यूनान साम्राज्य है, मगर यूनान साम्राज्य एक विश्व-शक्ति कैसे बना?
19, 20. सिकंदर महान कौन था और उसने यूनान को एक विश्वशक्ति कैसे बनाया?
19 सामान्य युग चौथी सदी में एक नौजवान ने इस भविष्यवाणी की पूर्ति में अहम भूमिका निभायी। दुनिया उसे सिकंदर महान के नाम से जानती है। उसका जन्म सा.यु.पू. 356 में हुआ था और सा.यु.पू. 336 में जब वह सिर्फ 20 साल का था, तब उसके पिता की हत्या कर दी गई, उसके बाद मकीदोनिया में उसने अपने पिता की राजगद्दी संभाली।
20 सिकंदर की दिली ख्वाहिश थी कि पूरी दुनिया पर उसकी हुकूमत हो इसलिए सा.यु.पू. 334 में, मई के शुरू होते ही वह युद्ध के लिए निकल पड़ा। उसके पास 30,000 सैनिक और 5,000 घुड़सवार थे। उसकी सेना थी तो बहुत कम, मगर बहुत ही हुनरमंद और होशियार। उसी साल उसने उत्तर-पश्चिम के एशिया माइनर, ग्रेनिकस नदी के पास, (आज जहाँ टर्की देश है) फारस के खिलाफ अपनी पहली जीत हासिल की। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह मैदाने-जंग में हर बाज़ी मारता गया। सा.यु.पू. 326 तक उसने पूर्व में सिंधु नदी तक अपना साम्राज्य फैला दिया जहाँ आज पाकिस्तान है। मगर जून 13 सा.यु.पू 323 में, जब वह बाबुल में था तो मौत ने उसे परास्त कर दिया। (1 कुरिन्थियों 15:55) वह सिर्फ 32 साल और 8 महीने ही जी पाया था। तो जैसा दानिय्येल ने भविष्यवाणी की थी, सिकंदर ने जीत-पर-जीत हासिल करके यूनान को एक विश्वशक्ति बना दिया था।
21. रोमी साम्राज्य के अलावा दूसरा कौन-सा साम्राज्य लोहे जैसा है?
21 नबूकदनेस्सर ने सपने में जो बड़ी मूर्ति देखी थी, उसकी लोहे की टाँगों का मतलब क्या है? यह रोमी साम्राज्य है जो लोहे की तरह ही मज़बूत था। उसने यूनान के साम्राज्य को चकनाचूर कर डाला। उसने परमेश्वर के राज्य के लिए भी कोई कदर नहीं दिखायी और सा.यु. 33 में परमेश्वर के बेटे यीशु मसीह को सूली पर चढ़ा दिया। उसने सच्ची मसीहियत को जड़ से उखाड़ देने के लिए यीशु के चेलों को भी बेरहमी से सताया। लेकिन लोहे की टाँगे सिर्फ रोमी साम्राज्य ही नहीं था, बल्कि उसके साम्राज्य में से निकलनेवाली ब्रिटेन-अमरीकी विश्वशक्ति भी थी।
22. नबूकदनेस्सर ने जो बड़ी मूर्ति देखी थी उससे कैसे पता चलता है कि हम अंत के समय में जी रहे हैं?
22 दानिय्येल की इस भविष्यवाणी का गहराई से अध्ययन करने पर साफ पता चलता है कि अंत की घड़ी एकदम करीब आ पहुँची है। उस मूर्ति के पैर कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के बने थे, तो अंत के समय में सारी दुनिया अलग-अलग राष्ट्रों में विभाजित होगी और इसमें चारों तरफ फूट ही फूट होगी! आज हम यही पाते हैं, दुनिया में कुछ तानाशाह सरकारें लोहे की तरह सख्त हैं तो दूसरी तरफ लोकतंत्र सरकारें मिट्टी की तरह नरम। लेकिन जैसे लोहे और मिट्टी का मेल नहीं हो सकता, उसी तरह इन सरकारों में भी आपस में फूट ही फूट है। (दानिय्येल 2:43, अय्यूब 10:9) यह वही दौर है जब परमेश्वर का राज्य सारी हुकूमतों को मिट्टी में मिला देगा और दुनिया पर अपनी हुकूमत कायम करेगा।—दानिय्येल 2:44.
23. बेलशस्सर के राज्य के पहले साल के दौरान दानिय्येल ने सपने में जो दर्शन देखा उसका वर्णन कीजिए।
23 दानिय्येल के 7वें अध्याय में दी गई भविष्यवाणी भी यही बताती है कि हम एकदम अंत के समय में जी रहे हैं। जब दानिय्येल 70 साल का था, तब उसने ‘सपने में अपने पलंग पर लेटे हुए दर्शन’ देखा जिसके ज़रिए उसे वह भविष्यवाणी मिली। (इज़ी-टू-रीड वर्शन) उस समय बाबुल में, राजा बेलशस्सर के राज्य का पहला साल था। उस दर्शन को देखकर तो दानिय्येल के हाथ-पैर बिलकुल ढीले पड़ गए थे! वह कहता है, “मैं ने . . . देखा कि महासागर पर चौमुखी आंधी चलने लगी। तब समुद्र में से चार बड़े बड़े जन्तु, जो एक दूसरे से भिन्न थे, निकल आए।” (दानिय्येल 7:1-8, 15) जन्तु कितने भयानक थे! पहला जन्तु था सिंह की तरह मगर उसके पंख भी थे। दूसरा था रीछ की तरह। तीसरा था चीते की तरह मगर उसके चार पंख और चार सिर थे! और चौथा जन्तु उन सबसे अलग बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके लोहे के बड़े-बड़े दाँत और दस सींग थे। उन सींगों के बीच से एक “छोटा-सा सींग” निकला, और इस छोटे सींग में “मनुष्य की सी आंखें, और बड़ा बोल बोलनेवाला मुंह” था। वाकई ये जन्तु कितने खतरनाक और डरावने थे!
24. दानिय्येल 7:9-14 के मुताबिक स्वर्ग के दर्शन में दानिय्येल क्या देखता है और इससे क्या ज़ाहिर होता है?
24 इसके बाद दानिय्येल स्वर्ग का दर्शन देखता है। (दानिय्येल 7:9-14) उसने देखा कि “अति प्राचीन” यहोवा परमेश्वर अपने महिमावान सिंहासन पर न्याय करने बैठा है। वहाँ ‘हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे हैं, और लाखों लाख लोग उसके साम्हने हाज़िर हैं।’ फिर परमेश्वर उन जन्तुओं से शासन करने का अधिकार छीनकर चौथे जन्तु का नाश कर देने का आदेश देता है। इसके बाद वह ‘देश-देश और जाति-जाति के और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाले’ लोगों पर हमेशा के लिए हुकूमत करने का अधिकार किसी “मनुष्य के सन्तान” को देता है। यह मनुष्य का सन्तान, यीशु मसीह है जिसे 1914 में यह अधिकार दिया गया। अब वह राजा बनकर उपस्थित है, जिससे यह साफ ज़ाहिर होता है कि हम अंत की घड़ी के बिलकुल करीब आ पहुँचे हैं।
25, 26. दानिय्येल द्वारा लिखी भविष्यवाणियाँ पढ़ने पर मन में कौन-से सवाल उठते हैं और इनका जवाब हमें कहा मिल सकता है?
25 जब हम दानिय्येल द्वारा लिखी भविष्यवाणियाँ पढ़ते हैं तो हमारे मन में कई सवाल उठते हैं। जैसे अध्याय 7 में जो चार जन्तु दिखाए गए हैं, उनका मतलब क्या है? अध्याय 9:24-27 में, “सत्तर सप्ताह” की भविष्यवाणी को कैसे समझा जा सकता है? अध्याय 11 में “उत्तर देश के राजा” और “दक्खिन देश के राजा” के बीच की लड़ाई का अंत के दिनों से क्या ताल्लुक है?
26 यहोवा ने इन बातों की समझ पृथ्वी पर रहनेवाले अपने अभिषिक्त मसीहियों को यानी “विश्वासयोग्य बुद्धिमान दास” को दी है। (मत्ती 24:45) इन्हें दानिय्येल 7:18 में “परमप्रधान के पवित्र लोग” भी कहा गया है। इन्होंने दानिय्येल द्वारा लिखी गई भविष्यवाणियों को समझाने के लिए हाल ही में एक किताब निकाली, जिसका नाम है दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! 320 पन्नेवाली यह किताब आकर्षक चित्रों से भरी है, जिसमें दानिय्येल की हर भविष्यवाणी और इतिहास का पूरा-पूरा ब्यौरा दिया गया है। परमेश्वर के प्रिय दानिय्येल ने जो भी घटना दर्ज़ की, उस हर घटना को पढ़कर हमारा विश्वास दृढ़ होता है और हौसला बुलंद होता है।
हमारे दिनों में खास मतलब
27, 28. (क) दानिय्येल ने जो भविष्यवाणियाँ लिखीं उनके बारे में क्या कहा जा सकता है? (ख) हम कौन-सी समयावधि में जी रहे हैं इसलिए हमें क्या फैसला करना चाहिए?
27 यह बात ध्यान देने लायक है कि दानिय्येल ने जितनी भी भविष्यवाणियाँ लिखीं, एकाध को छोड़कर सभी पूरी हो चुकी हैं। मसलन, दुनिया आज उस दौर से गुज़र रही है जो दानिय्येल अध्याय 2 में मूर्ति के पैर को सूचित करता है। जैसा अध्याय 4 में बताया गया कि पेड़ के ठूँठ का बंधन खोल दिया जाता है तो यह भविष्यवाणी 1914 में पूरी हुई, जब यीशु ने अपना मसीहाई राज शुरू किया। जी हाँ, उसी साल अति प्राचीन ने मनुष्य के संतान को शासन करने का अधिकार दिया, जिसके बारे में अध्याय 7 में बताया गया है।—दानिय्येल 7:13, 14; मत्ती 16:27–17:9.
28 इनके अलावा दानिय्येल अध्याय 8 में 2,300 दिनों के बारे में और अध्याय 12 में 1,290 दिनों और 1,335 दिनों के बारे में लिखी भविष्यवाणियाँ बहुत पहले ही पूरी हो चुकी हैं। अध्याय 11 का गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि “उत्तर देश के राजा” और “दक्खिन देश के राजा” के बीच का संघर्ष अब खत्म ही होनेवाला है। इन सारी भविष्यवाणियों की पूर्ति यही साबित करती हैं कि हम अंत की बिलकुल आखिरी घड़ी में आ पहुँचे हैं। हम जिस खास समय में जी रहे हैं उसे ध्यान में रखते हुए हमें किस बात का दृढ़ फैसला करना चाहिए? यही कि हम परमेश्वर की भविष्यवाणी के वचन पर पूरा-पूरा ध्यान देंगे।
आप क्या जवाब देंगे?
• परमेश्वर कौन-सी खबर दुनिया के हर इंसान तक पहुँचाना चाहता है?
• दानिय्येल की किताब आज हमारा विश्वास कैसे मज़बूत कर सकती है?
• नबूकदनेस्सर ने कौन-सा सपना देखा और उसका क्या मतलब है?
• दानिय्येल द्वारा लिखी भविष्यवाणियों में कौन-सी बात ध्यान देने लायक है?
[अध्ययन के लिए सवाल]