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परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचन पर विश्‍वास रखिए!

परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचन पर विश्‍वास रखिए!

परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचन पर विश्‍वास रखिए!

“हमारे पास जो भविष्यद्वक्‍ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा।”2 पतरस 1:19.

1, 2. सबसे पहली भविष्यवाणी कौन-सी थी और इससे क्या सवाल उठा?

 परमेश्‍वर यहोवा ने ही सबसे पहली भविष्यवाणी की थी। जब आदम और हव्वा ने पाप किया तब यहोवा ने सर्प से ये वचन कहे थे: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति 3:1-7, 14, 15) यह भविष्यवाणी पाप में फँसे इंसानों के लिए एकमात्र आशा थी।

2 मगर इस भविष्यवाणी को पूरी तरह समझने में सदियाँ लग गयी थीं। बरसों बाद बाइबल ने यह प्रकट किया कि शैतान यानी इब्‌लीस ही वह “पुराना सांप” है। (प्रकाशितवाक्य 12:9) लेकिन वह वंश कौन था?

वंश कौन था?

3. हाबिल ने पहली भविष्यवाणी पर अपना विश्‍वास कैसे दिखाया?

3 हाबिल अपने पिता, आदम की तरह नहीं था। उसने पहली भविष्यवाणी पर विश्‍वास रखा और इसी विश्‍वास की वज़ह से उसने पशु की बलि चढ़ाई क्योंकि उसे इस बात का एहसास हुआ कि इंसानों के पापों को ढाँपने के लिए लहू बहाना ज़रूरी है। परमेश्‍वर भी उसके बलिदान से खुश हुआ। (उत्पत्ति 4:2-4) लेकिन तब भी वंश का राज़, राज़ ही रहा।

4. परमेश्‍वर ने इब्राहीम से क्या वादा किया और इस वादे से वंश के बारे में क्या पता चला?

4 हाबिल के ज़माने से कुछ 2000 साल बाद यहोवा ने इब्राहीम से एक वादा किया, जो दरअसल एक भविष्यवाणी थी: “मैं निश्‍चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्‍चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, . . . के समान अनगिनित करूंगा, . . . और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी।” (उत्पत्ति 22:17, 18) इस वादे के ज़रिए यहोवा ने इब्राहीम से कुछ खुलासा किया कि शैतान का सिर कुचलनेवाला वंश उसी से आनेवाला है। (1 यूहन्‍ना 3:8) इब्राहीम और पुराने ज़माने के दूसरे वफादार सेवकों ने ‘परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर कोई संदेह नहीं किया,’ हालाँकि “उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।” मगर वे “विश्‍वास में दृढ़” रहे। (रोमियों 4:20, 21; इब्रानियों 11:39) जी हाँ, उन्होंने परमेश्‍वर की भविष्यवाणी पर अपना विश्‍वास मज़बूत बनाए रखा।

5. वादा किया हुआ वंश कौन था और ऐसा क्यों कहा जा सकता है?

5 इब्राहीम से किए गए उस वादे के बारे में प्रेरित पौलुस ने लिखा: “निदान, प्रतिज्ञाएं इब्राहीम को, और उसके वंश को दी गईं: वह यह नहीं कहता, कि वंशों को; जैसे बहुतों के विषय में कहा, पर जैसे एक के विषय में कि तेरे वंश को: और वह मसीह है।” (गलतियों 3:16) इससे पता चलता है कि इब्राहीम के एक ही वंश के ज़रिए पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को धन्य माननेवाली थीं। यह वंश उसके बेटे इश्‍माएल से या उसकी दूसरी पत्नी कतूरा के बेटों से नहीं आनेवाला था, बल्कि उसके बेटे इसहाक और उसके पोते याकूब से आनेवाला था। (उत्पत्ति 21:12; 25:23, 31-34; 27:18-29, 37; 28:14) बाद में, याकूब ने बताया कि उसके बेटे यहूदा के कुल से वंश यानी शीलो आएगा और राज्य-राज्य के “लोग” उसके अधीन होंगे। बाद में यहोवा ने ज़ाहिर किया कि वंश दाऊद के ही कुल से आएगा। (उत्पत्ति 49:10; 2 शमूएल 7:12-16) इसलिए पहली सदी की यहूदी जाति, दाऊद के कुल से उस वंश यानी मसीहा के आने का इंतज़ार कर रही थी। (यूहन्‍ना 7:41, 42) और परमेश्‍वर ने उसी सदी में वंश का राज़ खोला कि वह वंश खुद उसका बेटा यीशु मसीह है।

मसीहा की पहचान!

6. (क) सत्तर सप्ताह की भविष्यवाणी को समझाइए। (ख) “पापों का अन्त” यीशु ने कब और कैसे किया?

6 इसी मसीहा के बारे में दानिय्येल को भी भविष्यवाणी मिली थी। मादी राजा, दारा के राज्य के पहले साल में, दानिय्येल को एहसास हुआ कि यरूशलेम के 70 साल उजाड़ पड़े रहने का समय खत्म होनेवाला है। (यिर्मयाह 29:10; दानिय्येल 9:1-4) उस समय दानिय्येल प्रार्थना कर ही रहा था कि परमेश्‍वर के एक दूत जिब्राइल ने आकर मसीहा के बारे में भविष्यवाणी करते हुए कहा, ‘पापों का अन्त करने के लिए सत्तर सप्ताह ठहराए गए हैं।’ ये 70 सप्ताह दिनों में नहीं बल्कि सालों में गिने जाते। इनकी शुरूआत सा.यु.पू. 455 से हुई, जब फारस के राजा अर्तक्षत्र I ने “यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा” दी। (दानिय्येल 9:20-27; नहेमायाह 2:1-8) भविष्यवाणी के मुताबिक मसीहा 69 सप्ताह बाद आनेवाला था और 70वें सप्ताह के बीच में काटा जानेवाला था। अगर हम सा.यु.पू. 455 से गिनें तो 69 सप्ताह यानी 483 साल सा.यु. 29 में खत्म होते हैं। उसी साल यीशु का बपतिस्मा हुआ था और परमेश्‍वर ने उसे मसीहा के तौर पर अभिषिक्‍त किया। (लूका 3:21, 22) इसके साढ़े तीन साल बाद सा.यु. 33 में जब यीशु ने अपना छुड़ौती बलिदान दिया तब वह काटा गया और उस समय “पापों का अन्त” हुआ। (मरकुस 10:45) ठीक जैसा परमेश्‍वर ने बताया था, एक-एक बात पूरी हुई। परमेश्‍वर की भविष्यवाणियों पर विश्‍वास रखने का यह क्या ही ठोस कारण है! *

7. बाइबल से बताइए कि मसीहा के बारे में जो भविष्यवाणियाँ की गई थीं उन्हें यीशु ने कैसे पूरा किया?

7 अगर हम मसीहा के बारे में दूसरी भविष्यवाणियों पर भी ध्यान दें तो साफ पता चलता है कि यीशु ही मसीहा है। यूनानी शास्त्र के लेखकों ने इसका सबूत दिया कि इब्रानी शास्त्र में मसीहा के बारे में जितनी भविष्यवाणियाँ लिखी गई थीं, उन्हें यीशु ने पूरा किया। उदाहरण के लिए: यीशु बेतलेहेम में एक कुँवारी से पैदा हुआ। (यशायाह 7:14; मीका 5:2; मत्ती 1:18-23; लूका 2:4-11) उसे मिस्र से बुलाया गया और उसके पैदा होने के बाद बच्चों की हत्या की गई। (यिर्मयाह 31:15; होशे 11:1; मत्ती 2:13-18) यीशु ने बीमारियों को उठा लिया। (यशायाह 53:4; मत्ती 8:16, 17) वह यरूशलेम में गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ आया। (जकर्याह 9:9; यूहन्‍ना 12:12-15) यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के बाद भजनहार की भविष्यवाणी सच हुई कि सिपाहियों ने उसके बाहरी वस्त्र को आपस में बाँट लिया और उसके भीतरी वस्त्र पर चिट्ठी डाली। (भजन 22:18; यूहन्‍ना 19:23, 24) यीशु की हड्डी तोड़ी नहीं गई और उसे बेधा गया। (भजन 34:20; जकर्याह 12:10; यूहन्‍ना 19:33-37) यहाँ तो हमने सिर्फ चंद भविष्यवाणियों को पढ़ा है, इसके अलावा मसीहा के बारे में और भी कई भविष्यवाणियाँ हैं, जिन्हें परमेश्‍वर से प्रेरित लेखकों ने बाइबल में दर्ज़ किया है और उन्हें पढ़ने से परमेश्‍वर के वचन पर हमारा विश्‍वास और भी मज़बूत होता है। *

मसीह का राज्य

8. “अति प्राचीन” कौन है और दानिय्येल 7:9-14 में लिखी भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

8 यहोवा ने दानिय्येल को एक दर्शन दिया जिसमें मसीह को राजा बनने का अधिकार दिया जाता है। उसे यह दर्शन बाबुल के राजा बेलशस्सर के राज्य के पहले साल में मिला। दर्शन में वह चार खतरनाक जन्तुओं को देखता है। परमेश्‍वर का दूत बाद में उसे इसका मतलब समझाता है कि ये चार जन्तु “चार राज्य” हैं जो दरअसल एक-के-बाद-एक आनेवाली चार विश्‍वशक्‍तियाँ होंगे। (दानिय्येल 7:1-8, 17) फिर दानिय्येल स्वर्ग का दर्शन देखता है जिसमें “अति प्राचीन” यहोवा परमेश्‍वर अपने महिमावान सिंहासन पर न्याय करने बैठा है। परमेश्‍वर उन जन्तुओं से शासन करने का अधिकार छीनकर चौथे जन्तु को नाश कर देता है। फिर वह ‘देश-देश और जाति-जाति के भिन्‍न-भिन्‍न भाषा बोलनेवालों’ पर हमेशा के लिए हुकूमत करने का अधिकार किसी “मनुष्य के सन्तान” को देता है। (दानिय्येल 7:9-14) इस भविष्यवाणी की शानदार पूर्ति सन्‌ 1914 में हुई जब “मनुष्य के सन्तान” यीशु मसीह को स्वर्ग में सिंहासन पर बिठाया गया।—मत्ती 16:13.

9, 10. (क) बड़ी मूर्ति के अलग-अलग भागों का क्या मतलब है? (ख) दानिय्येल 2:44 को समझाइए।

9 दानिय्येल जानता था कि यहोवा ही ‘राजाओं का अस्त करता है और उनका उदय करता है।’ (दानिय्येल 2:21) उसे विश्‍वास था कि यहोवा ही “भेदों का प्रकटकर्ता” है इसलिए बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को बड़ी मूर्ति का मतलब समझाने में वही उसकी मदद करेगा। मूर्ति के चार भाग, चार विश्‍वशक्‍तियों के उदय होने और उनके टूटने के बारे में दर्शाते हैं और ये विश्‍वशक्‍ति थे, बाबुल, मादी-फारस, यूनान और रोम। परमेश्‍वर ने दानिय्येल पर हमारे दिनों और भविष्य में होनेवाली घटनाओं के बारे में भी प्रकट किया।—दानिय्येल 2:24-30.

10 यहोवा ने कहा, “उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्‍वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानिय्येल 2:44) नबूकदनेस्सर के सपने में जिस “पहाड़” का ज़िक्र किया गया था, वह इस विश्‍वमंडल पर यहोवा परमेश्‍वर की हुकूमत है। इसी “पहाड़” से “पत्थर” यानी मसीह का राज्य निकला। यह 1914 में हुआ जब “अन्य जातियों का समय पूरा” हुआ और परमेश्‍वर ने स्वर्ग में मसीह के अधीन एक राज्य स्थापित किया। (लूका 21:24; प्रकाशितवाक्य 12:1-5) अरमगिदोन में यह “पत्थर” उस बड़ी मूर्ति को चूर-चूर कर देगा जिसके बाद मसीह का राज्य बड़ा पहाड़ बनकर “सारी पृथ्वी में” हमेशा हमेशा के लिए स्थिर रहेगा।—दानिय्येल 2:35, 45; प्रकाशितवाक्य 16:14, 16. *

11. यीशु का रूपांतरण किस बात की झलक थी और उस दर्शन का पतरस पर कैसा प्रभाव पड़ा?

11 यीशु जब पृथ्वी पर था तब उसने इसी राज्य के बारे में अपने चेलों से कहा, “जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।” (मत्ती 16:28) यह कहने के छः दिन बाद यीशु अपने साथ पतरस, याकूब और यूहन्‍ना को ऊँचे पहाड़ पर ले गया जहाँ उसका रूपांतरण हुआ। उस दौरान जब प्रेरितों पर बादल छाया तब परमेश्‍वर की यह वाणी हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्‍न हूं: इस की सुनो।” (मत्ती 17:1-9; मरकुस 9:1-9) मसीह के राज्य का क्या ही शानदार दर्शन! इसमें शक नहीं कि चकाचौंध कर देनेवाले इस दर्शन ने भविष्यवाणी के वचन पर उनका विश्‍वास और भी मज़बूत किया, इसीलिए बाद में पतरस ने लिखा: “हमारे पास जो भविष्यद्वक्‍ताओं का वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा।”—2 पतरस 1:16-19. *

12. आज हमारे लिए परमेश्‍वर के वचन पर दृढ़ विश्‍वास रखना और भी ज़रूरी क्यों है?

12 ‘भविष्यद्वक्‍ताओं के वचन,’ में न सिर्फ मसीहा के बारे में की गई इब्रानी शास्त्र की भविष्यवाणियाँ हैं बल्कि यीशु की यह भविष्यवाणी भी शामिल है कि वह “सामर्थ और ऐश्‍वर्य के साथ” आएगा। (मत्ती 24:30) रूपांतरण से “भविष्यवक्‍ताओं का वचन” और भी पक्का हुआ कि यीशु ऐश्‍वर्य के साथ जल्द ही न्याय करने आएगा। तब वह विश्‍वास न दिखानेवालों का नाश करेगा, लेकिन जो विश्‍वास रखते हैं, उन्हें ज़िंदगी देगा। (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-10) परमेश्‍वर के वचन में लिखी भविष्यवाणियों का पूरा होना यह भी साबित करता है कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे है। (2 तीमुथियुस 3:1-5, 16, 17; मत्ती 24:3-14) इसी अंत के समय के दौरान जब “भारी क्लेश” शुरू होगा तब यहोवा की तरफ से मीकाएल यानी यीशु मसीह इस दुष्ट दुनिया पर न्यायदंड सुनाएगा और उसका नाश कर देगा। वह इस काम के लिए बिलकुल तैयार खड़ा है। (मत्ती 24:21; दानिय्येल 12:1) इसीलिए आज परमेश्‍वर के वचन, बाइबल पर अपना दृढ़ विश्‍वास रखना हमारे लिए और भी ज़रूरी है!

परमेश्‍वर के वचन पर विश्‍वास बनाए रखिए

13. परमेश्‍वर के लिए हमारा प्यार बरकरार रहे और उसके वचन पर से हमारा विश्‍वास न डगमगाए इसके लिए क्या करना ज़रूरी है?

13 जब हम नये थे और हमने जाना कि किस तरह बाइबल में लिखी भविष्यवाणियाँ पूरी हुई हैं तो परमेश्‍वर के वचन पर हमारा विश्‍वास कितना मज़बूत हुआ था और परमेश्‍वर के लिए हमारा प्यार कितना बढ़ गया था! लेकिन क्या अब हमारा विश्‍वास कमज़ोर पड़ गया है? इफिसुस की कलीसिया की तरह क्या हमने भी “अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है”? हमारे साथ ऐसा कभी न हो! (प्रकाशितवाक्य 2:1-4) हम शायद कई सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हों, लेकिन हमें आगे भी इसी तरह सबसे ‘पहिले, परमेश्‍वर के राज्य और उसके धर्म की खोज’ करनी चाहिए ताकि हमारा धन स्वर्ग में इकट्ठा होता रहे। अगर ऐसा न करें तो परमेश्‍वर के लिए हमारा प्यार ठंडा पड़ सकता है। (मत्ती 6:19-21, 31-33) हमें मन लगाकर बाइबल का अध्ययन करते रहना चाहिए, सभाओं और प्रचार-काम में जोश के साथ हिस्सा लेते रहना चाहिए तभी परमेश्‍वर, उसके बेटे और बाइबल के लिए हमारा प्यार बरकरार रहेगा। (भजन 119:105; मरकुस 13:10; इब्रानियों 10:24, 25) यही प्यार हमारी मदद करेगा कि परमेश्‍वर के वचन पर से हमारा विश्‍वास कभी न डगमगाए।—भजन 106:12.

14. परमेश्‍वर के वचन पर अटल विश्‍वास दिखाने का अभिषिक्‍त मसीहियों को क्या इनाम मिला?

14 हम इस बात का पूरा विश्‍वास रख सकते हैं कि परमेश्‍वर की दूसरी भविष्यवाणियाँ भी जल्द पूरी होंगी। कुछ तो पहले ही पूरी हो चुकी हैं, जैसे यीशु ने 1914 में स्वर्ग से राज्य करना शुरू कर दिया। इसके कुछ ही समय बाद यह वादा भी पूरा हुआ: “जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।” (प्रकाशितवाक्य 2:7, 10; 1 थिस्सलुनीकियों 4:14-17) जो अभिषिक्‍त मसीही मरते दम तक वफादार रहे, उन्हें यीशु ने फिर से जी उठाया। जी हाँ, उन्हें “परमेश्‍वर के स्वर्गलोक” में, ‘जीवन के पेड़ में से खाने’ का सम्मान मिला। इसका मतलब है कि “सनातन राजा अर्थात्‌ अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्‍वर” खुद यहोवा ने उन्हें अमर और अविनाशी होने का वरदान दिया। (1 तीमुथियुस 1:17; 1 कुरिन्थियों 15:50-54; 2 तीमुथियुस 1:10) यह उनके अटल विश्‍वास के लिए क्या ही बढ़िया इनाम!

15. “नयी पृथ्वी” की बुनियाद किन लोगों ने डाली और उनके साथ कौन हैं?

15 इसके कुछ ही समय बाद 1919 में “परमेश्‍वर के इस्राएल,” के बाकी जन, जो पृथ्वी पर थे, वे ‘बड़े बाबुल’ यानी झूठे धर्म से निकल आए। (प्रकाशितवाक्य 14:8; गलतियों 6:16) तब उन्होंने “नयी पृथ्वी” यानी एक नए समाज की बुनियाद डाली। (प्रकाशितवाक्य 21:1) इसी के साथ मानो एक ही दिन में ‘एक देश’ उत्पन्‍न हुआ और यह आध्यात्मिक रूप से फलता-फूलता गया। (यशायाह 66:8) इस लाक्षणिक “देश” में इन अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ आज “अन्त के दिनों में,” भेड़ समान लाखों लोग इकट्ठा हो रहे हैं।—यशायाह 2:2-4; जकर्याह 8:23; यूहन्‍ना 10:16; प्रकाशितवाक्य 7:9.

हमारे भविष्य के लिए परमेश्‍वर की भविष्यवाणी

16. अभिषिक्‍त जनों का वफादारी से साथ निभानेवालों के लिए कैसा भविष्य है?

16 इन अभिषिक्‍त जनों का साथ देनेवाले भी परमेश्‍वर के वचन पर अपना अटल विश्‍वास दिखाते हैं, तो उनके लिए भविष्य में क्या रखा है? वे एक ऐसी नयी दुनिया में जीने की आशा करते हैं, जहाँ शांति और चैन होगा। (लूका 23:39-43) वहाँ वे ज़िंदगी देनेवाले ‘जीवन के जल की नदी’ में से पीएँगे और उसके किनारे लगे “पेड़ के पत्तों” से चंगे होंगे। (प्रकाशितवाक्य 22:1, 2) अगर आपको भी ऐसे उज्जवल भविष्य की आशा है तो परमेश्‍वर के लिए अपना प्यार कभी कम मत होने दीजिए और उसके वचन पर अपना अटल विश्‍वास बनाए रखिए। हमारी यही दुआ है कि आप भी उन लोगों में हों, जो आगे जाकर उस खूबसूरत दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए जीएँगे।

17. नयी दुनिया में लोगों को कैसी खुशियाँ मिलेगी?

17 आनेवाली दुनिया इतनी खूबसूरत होगी कि हम इंसानों के लिए उसे पूरी तरह बयान कर पाना नामुमकिन है। मगर बाइबल हमें साफ-साफ बताती है कि उस समय परमेश्‍वर के वफादार सेवकों के पास दुनिया की तमाम खुशियाँ होंगी। उन्हें ये खुशियाँ कैसे मिलेंगी? जब सिर्फ यहोवा की हुकूमत होगी और जैसे स्वर्ग में उसकी इच्छा होती है, इस पृथ्वी पर भी होगी, तब न तो कोई इंसान ना ही कोई जानवर किसी को “कोई दु:ख देगा और न हानि करेगा।” (यशायाह 11:9; मत्ती 6:9, 10) वहाँ सिर्फ नम्र लोग ही बसे होंगे और “बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” (भजन 37:11) तब कहीं अकाल नहीं पड़ेगा क्योंकि “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्‍न होगा।” (भजन 72:16) कोई गम नहीं होगा, ना ही आँसू, ना ही बीमारी। सोचिए वहाँ न तो कोई मरीज़ होगा, न डॉक्टर। अस्पतालों की ज़रूरत नहीं होगी और दवाइयों को कूड़े में फेंक दिया जाएगा। जी हाँ, दुनिया में कोई भी मातम नहीं मनाएगा क्योंकि मौत का नामो-निशान ही मिटा दिया जाएगा। (यशायाह 33:24; प्रकाशितवाक्य 21:4) हमारे लिए क्या ही उज्जवल और शानदार भविष्य!

18. (क) दानिय्येल से क्या वादा किया गया था? (ख) दानिय्येल के “निज भाग” में क्या शामिल है?

18 लेकिन जो मर चुके हैं उनका क्या? यहोवा उन्हें फिर से जी उठाएगा। यही आशा धर्मी अय्यूब को थी। (अय्यूब 14:14, 15) और दानिय्येल से भी यहोवा के दूत ने यही वादा किया था: “अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्राम करता रहेगा; और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” (दानिय्येल 12:13) दानिय्येल मरते दम तक यहोवा का वफादार रहा। आज वह कब्र में मौत की नींद सोया हुआ है, मगर जल्द ही जब मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान ‘धर्मियों को जी उठाया जाएगा’ तो वह “अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” (लूका 14:14) मगर उसका निज “भाग” क्या होगा? अगर यहेजकेल की भविष्यवाणी पर गौर करें तो पता चलता है कि नयी दुनिया में यहोवा हर इंसान को उसका एक निज भाग यानी ज़मीन देगा और किसी के साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी। (यहेजकेल 47:13–48:35) तो दानिय्येल को भी नयी दुनिया में उसके हिस्से की ज़मीन मिलेगी, इसके अलावा उसे परमेश्‍वर का उद्देश्‍य पूरा करने में कई ज़िम्मेदारियाँ भी दी जाएँगी।

19. खूबसूरत दुनिया में जीने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है?

19 क्या दानिय्येल की तरह आप भी नयी दुनिया में अपना निज भाग पाना चाहते हैं? ज़रूर चाहेंगे! अगर परमेश्‍वर के वचन बाइबल पर आपका विश्‍वास पक्का है तो आप बेशक उस खूबसूरत दुनिया में रहने की तमन्‍ना करेंगे। आप तो शायद खुद को वहाँ देख भी रहे हों! आप देख रहे हों कि आप इस पृथ्वी को सुंदर बनाने में हाथ बँटा रहे हैं और ज़िंदगी का पूरा मज़ा लूट रहे हैं। यही नहीं, वह तस्वीर भी आपके मन में बिलकुल साफ नज़र आती होगी कि आप मौत में बिछड़े अपने अज़ीज़ों का खुशी-खुशी स्वागत कर रहे हैं। परमेश्‍वर का मकसद यही है कि उसकी आज्ञा माननेवाला हर इंसान एक खूबसूरत दुनिया में रहे। आखिर उसने इसी मकसद से तो पहला जोड़ा बनाया था। (उत्पत्ति 2:7-9) वही दुनिया इंसानों का असली घर है। क्या आप अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक जीएँगे ताकि अरबों लोगों के साथ आप भी नयी दुनिया में प्रवेश कर सकें? अगर आप स्वर्ग के परमेश्‍वर यहोवा के लिए सच्चा प्यार दिखाएँगे और उसके वचन पर अपना विश्‍वास बनाए रखेंगे तो आप वहाँ ज़रूर होंगे!

[फुटनोट]

^ किताब दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! का 11वाँ अध्याय देखिए और वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स में “सत्तर सप्ताह” का भाग देखिए।

^ वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित “ऑल स्क्रिप्चर इज़ इंस्पायर्ड ऑफ गॉड एण्ड बैनिफीशियल” का पेज 343-4 देखिए।

^ दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! का अध्याय 4 और 9 देखें।

^ अप्रैल 1, 2000 के प्रहरीदुर्ग का लेख, “परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचन पर ध्यान दें” देखिए।

आप क्या जवाब देंगे?

• पहली भविष्यवाणी कौन-सी थी और वादा किया हुआ वंश कौन था?

• यीशु ने मसीहा के बारे में लिखी भविष्यवाणियों को किस तरह पूरा किया?

दानिय्येल 2:44, 45 में की गई भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी?

• परमेश्‍वर अपनी आज्ञा माननेवालों को किस तरह के भविष्य की आशा देता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

क्या आप आनेवाली खूबसूरत दुनिया में रहने की तमन्‍ना करते हैं?