हिंसा को कौन खत्म कर सकता है?
हिंसा को कौन खत्म कर सकता है?
सितंबर 1999 में संयुक्त राष्ट्र के जनरल एसेंब्ली में सॆक्रेटरी-जनरल कोफी आनन ने एक भाषण दिया था, जिसके बारे में द टोरोन्टो स्टार अखबार ने एक रिपोर्ट दी थी। अपने भाषण में कोफी आनन ने दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं से अपील की: “हिंसा से परेशान इस दुनिया को सिर्फ हमदर्दी और खोखले वादों की नहीं, बल्कि हिंसा को मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। हिंसा को मिटाकर उन्हें खुशहाली की राह पर फिर से लाने के लिए हमें यकीनन कुछ-न-कुछ करना होगा।”
क्या संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्य-राष्ट्र हिंसा को खत्म करके सच्ची सुख-शांति लाने के लिए ‘ठोस कदम’ उठा सकते हैं? उसी रिपोर्ट में अमरीका के राष्ट्रपति, बिल क्लिंटन द्वारा कही एक बात छपी थी। उन्होंने कहा था: “इस सदी में हुए युद्ध और हिंसा को देखकर यह फैसला करना बहुत आसान है कि अब हम और युद्ध-हिंसा नहीं करेंगे, मगर इस फैसले पर अमल करना लोहे के चने चबाने के बराबर है।” उन्होंने आगे कहा: “ढेर सारे वादे करके लोगों में उम्मीदें जगाना और उन वादों को पूरा न करना बहुत ही क्रूरता की बात है।”
कुछ 2,500 साल पहले भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने कहा: “हे यहोवा, मैं जान गया हूं, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” (यिर्मयाह 10:23) इससे साफ दिखाई देता है कि हिंसा को खत्म करना इंसानों के बस की बात नहीं है। तो फिर, हिंसा को कौन खत्म कर पाएगा?
हमें इसका जवाब यशायाह 60:18 में मिलता है जहाँ परमेश्वर हमें तसल्ली देता है: “तेरे देश में फिर कभी उपद्रव और तेरे सिवानों के भीतर उत्पात वा अन्धेर की चर्चा न सुनाई पड़ेगी।” यह भविष्यवाणी पहली बार तब पूरी हुई जब परमेश्वर अपने लोगों को, यानी यहूदियों को बाबुल से वापस अपना देश लाया। यह भविष्यवाणी आज फिर एक बार सारी दुनिया में पूरी होगी जिसे हम अपनी आँखों से देखेंगे। यह यहोवा परमेश्वर का कोई ‘खोखला वादा’ नहीं है। वह अपने वादों को ज़रूर पूरा करेगा। उसके पास ऐसा करने की ताकत है क्योंकि उसी ने सारी दुनिया बनायी है। और वही ‘हिंसा को मिटा’ सकता है। इसके बाद, परमेश्वर के आनेवाले राज्य में चारों तरफ बस शांति-ही-शांति होगी। हिंसा का नामो-निशान भी न रहेगा!—दानिय्येल 2:44.