प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 अगस्त, 2000 लोग अधिकारियों के हक को क्यों नहीं स्वीकारते? अधिकारियों के हक को स्वीकारना क्यों ज़रूरी है? यहोवा से प्रेम करनेवाले—उसे लगते बहुत ही प्यारे गुस्ताखी करने से अपमान होता है “नम्र लोगों में बुद्धि होती है” उनके बच्चे क्यों नहीं हैं? हथियार बनाने से जान बचाने तक का सफर हमारी इच्छाएँ कब पूरी होती हैं? ईश्वरीय बुद्धिवाले—इंसान को कैसे पहचाने? क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले? प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 अगस्त, 2000 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 अगस्त, 2000 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 अगस्त, 2000 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/1add6d1d93/images/cvr_placeholder.jpg