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अच्छा नाम बनाए रखना

अच्छा नाम बनाए रखना

अच्छा नाम बनाए रखना

सुंदर बिल्डिंग की डिज़ाइन करनेवाला आदमी अपने लिए ‘एक कुशल आर्किटॆक्ट’ का नाम कमाता है। अच्छे नंबर से पास होनेवाली लड़की अपने लिए ‘होशियार स्टूडॆंट’ का नाम कमाती है। कुछ नहीं करनेवाला भी अपने लिए एक नाम कमाता है, ‘निट्ठल्ला।’ अच्छा नाम कमाने के बारे में बाइबल कहती है: “बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य हैं, और सोने चान्दी से औरों की प्रसन्‍नता उत्तम है।”—नीतिवचन 22:1.

अच्छा नाम कमाने के लिए कई महीने या कई साल लग जाते हैं, मगर इसे मिट्टी में मिलाने के लिए एक पल भी नहीं लगता। बदचलनी जैसा सिर्फ एक गलत काम ही मेहनत से कमाए हुए अच्छे नाम को मिट्टी में मिला सकता है। बाइबल की किताब, नीतिवचन के छठे अध्याय में इस्राएल के राजा सुलैमान ने कुछ ऐसे रवैयों और कामों के बारे में बताया जो हमारा नाम मिट्टी में मिला सकते हैं और यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते को बिगाड़ सकते हैं। वो रवैये या काम कौन-से हैं? वो हैं बिना सोचे-समझे वादे करना, आलसीपन, धोखाधड़ी, और बदचलनी, जिनसे यहोवा को खास नफरत है। अगर सुलैमान की सलाह पर अमल करें तो हम अपना नाम खराब करने से बच सकते हैं।

बिना सोचे-समझे वादे मत कीजिए

नीतिवचन के छठे अध्याय की शुरूआत में कहा गया है: “हे मेरे पुत्र, यदि तू ने अपने पड़ोसी के लिए ज़मानत दी हो, अथवा तू किसी परदेशी के लिए वचनबद्ध हुआ हो, यदि तू अपने ही मुंह की बातों के जाल में फंस गया हो, और अपने ही मुँह के वचन से पकड़ा गया हो, तो हे मेरे पुत्र, तू ऐसा कर कि अपने आप को बचा ले: क्योंकि तू अपने पड़ोसी के हाथ में पड़ गया है, इसलिए आ और दीन-हीन होकर अपने पड़ोसी को मना ले।”—नीतिवचन 6:1-3, NHT.

इस नीतिवचन में हमें सलाह दी गयी है कि हम दूसरों के, खासकर परदेशियों या अजनबियों के कर्ज़े के लिए “वचनबद्ध” होते समय होशियारी बरतें। अगर कोई इस्राएली ‘कंगाल हो जाता,’ तो बाकी इस्राएलियों पर उसे ‘संभालने’ की ज़िम्मेदारी थी। (लैव्यव्यवस्था 25:35-38) मगर कुछ अमीर इस्राएली ज़्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में बड़े-बड़े कर्ज़ लेने लगे और अपने कर्ज़ के लिए दूसरे इस्राएलियों को “वचनबद्ध” या ज़ामिन बनाने लगे। इस तरह अब उस कर्ज़ के लिए कर्ज़दार के अलावा ज़ामिन भी ज़िम्मेदार ठहरता। आज भी ऐसा होता है। कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था किसी को कर्ज़ में बड़ी रकम देने से पहले किसी भरोसेमंद व्यक्‍ति का दस्तखत माँगती है, जो उस कर्ज़दार के लिए ज़ामिन बनता है और उसके कर्ज़ के लिए ज़िम्मेदार हो जाता है। इसीलिए बिना सोचे-समझे या जल्दबाज़ी में किसी का ज़ामिन बन जाना कितनी बड़ी बेवकूफी की बात होगी! इससे न सिर्फ हम कर्ज़ में डूब जाएँगे, बल्कि बैंकवालों या कर्ज़ देनेवालों के सामने हमारा नाम भी खराब हो जाएगा!

मान लीजिए कि हम किसी के ज़ामिन बनते हैं। लेकिन बाद में ध्यान से छानबीन करने पर हमें पता चलता है कि हमने गलत कदम उठा लिया है। तब क्या करना चाहिए? अगर ऐसा हुआ है तो अपना अहंकार छोड़ दीजिए और ‘दीन-हीन होकर उसको मना लीजिए।’ यानी उस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कर्ज़दार से बार-बार बिनती कीजिए, जिसके आप ज़ामिन बने हैं। मामले को सुलझाने की हर कोशिश कीजिए। इसके बारे में एक किताब कहती है: “जब तक उसके साथ तेरी सुलह न हो जाए और तू उसके साथ मामले को न सुलझा ले, तब तक हार नहीं मानना, ताकि तू और तेरा परिवार कर्ज़ से छूट जाए।” और इस काम में देर बिलकुल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि राजा सुलैमान आगे कहता है: “तू न तो अपनी आंखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दे; और अपने आप को हरिणी के समान शिकारी के हाथ से, और चिड़िया के समान चिड़िमार के हाथ से छुड़ा।” (नीतिवचन 6:4, 5) किसी खतरनाक और बड़े कर्ज़ में फँस जाने के बजाय, मौका रहते उससे छूट जाना कितनी अक्लमंदी होगी!

चींटी की तरह मेहनती बनिए

राजा सुलैमान आगे सलाह देता है: “हे आलसी, च्यूंटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो।” एक आलसी इंसान, चींटियों से क्या सीख सकता है? राजा इसका जवाब देता है: “उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला, तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं।”नीतिवचन 6:6-8.

चींटियों में आला किस्म की व्यवस्था होती है और वे एक-दूसरे के साथ बहुत ही मिल-जुलकर काम करती हैं। वे खुद से ही अपने भविष्य के लिए खाना बटोरने में जी-जान से जुट जाती हैं। उनके “न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करनेवाला।” हाँ, उनमें एक रानी ज़रूर होती है, मगर वो सिर्फ अंडे देने और बच्चे पैदा करने का ही काम करती है। वो हुक्म नहीं चलाती। उन पर नज़र रखने के लिए कोई सुपरवाइज़र भी नहीं होता, फिर भी वे बिना रुके अपना काम करती रहती हैं।

तो क्या इन चींटियों की तरह हमें भी मेहनती नहीं होना चाहिए? चाहे हम पर लोग नज़र रखें या नहीं, हमें हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए और अपने काम को सुधारने की कोशिश भी करनी चाहिए। चाहे हम स्कूल में हों, नौकरी पर हों, मीटिंग में हों या प्रचार में हों, हमें जी-तोड़ मेहनत करनी चाहिए। जैसे चींटी को अपनी मेहनत का फायदा होता है, उसी तरह परमेश्‍वर चाहता है कि हम भी ‘अपने सब परिश्रम में सुखी रहें’ और उसका फायदा उठाएँ। (सभोपदेशक 3: 13, 22; 5:18) क्योंकि मेहनत करने से हमें खुशी मिलती है और हमारा मन साफ रहता है।—सभोपदेशक 5:12.

अब सुलैमान सोये हुए आलसी को जगाने के लिए दो सवाल पूछता है: “हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी?” फिर सुलैमान उसे उसके आलस का अंजाम समझाते हुए कहता है: “कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी।” (नीतिवचन 6:9-11) जब आलसी खटिया तोड़ता रहता है और खर्रांटे भरता रहता है, तभी गरीबी उस पर बटमार या डकैतों की तरह अचानक हमला करती है और उसकी ज़रूरतें या कमियाँ किसी हथियारबंद इंसान की तरह उस पर टूट पड़ती हैं। आलसी इंसान का खेत जल्द ही ऊँट-कटारों से भर जाता है। (नीतिवचन 24:30, 31) कुछ ही समय में नौकरी-धंधे में उसे भारी नुकसान होने लगता है। आखिर एक मालिक किसी आलसी निठल्ले को कितने दिन बरदाश्‍त करेगा? एक आलसी विद्यार्थी की भी यही दशा होती है। वह स्कूल में अच्छे नंबर लाने की सोच भी नहीं सकता।

ईमानदार होइए

एक और बात है जो इंसान का नाम खराब कर सकती है और परमेश्‍वर के साथ उसका रिश्‍ता बिगाड़ सकती है। सुलैमान कहता है: “ओछे और अनर्थकारी को देखो, वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है, वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अपनी अंगुलियों से संकेत करता है, उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और झगड़ा रगड़ा उत्पन्‍न करता है।”नीतिवचन 6:12-14.

यहाँ एक धोखेबाज़ इंसान की बात हो रही है। ऐसा इंसान झूठा होता है और अपने झूठ पर अकसर परदा डालने की कोशिश करता है। कैसे? सिर्फ “टेढ़ी बातें” कहकर ही नहीं, बल्कि जैसे एक विद्वान कहता है: “वह इंसान झूठ बोलने या धोखा देने में इतना उस्ताद होता है कि न तो उसके हाव-भाव से, न उसकी बातों से, और ना ही उसकी आवाज़ से कोई उस पर भूलकर शक कर सकता है। उसके चहरे पर एक शिकन तक नहीं आती। मगर उसकी मासूमियत और ईमानदारी के पीछे उसकी मक्कारी छिपी होती है।” ऐसा धोखेबाज़ और ओछा व्यक्‍ति हर वक्‍त बुरी साज़िशें रचता है और झगड़ा पैदा करता है। ऐसे व्यक्‍ति का अंजाम क्या होगा?

सुलैमान कहता है: “इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी; वह पल भर में ऐसा नाश हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।” (नीतिवचन 6:15) जी हाँ, धोखेबाज़ के चहरे से मासूमियत का नकाब उतरने पर वह किसी को मुँह दिखाने के लायक न रहेगा। उसकी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी। कौन उस पर फिर भरोसा करेगा? बाइबल कहती है कि ऐसे “सब झूठों” का अंत वाकई भयंकर होगा। उनका ऐसा सर्वनाश होगा कि उन्हें फिर ज़िंदा नहीं किया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 21:8) सो आइए, हम ‘सब बातों में अच्छी चाल चलते रहें।’—इब्रानियों 13:18.

यहोवा जिससे नफरत करता है, उससे नफरत कीजिए

अगर हम चाहते हैं कि हमारा नाम खराब न हो, तो हमें बुराई से नफरत करनी चाहिए। मगर वो कौन-सी बुराइयाँ हैं जिनसे हमें नफरत करनी चाहिए? सुलैमान कहता है: “छः वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है: अर्थात्‌ घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहानेवाले हाथ, अनर्थ कल्पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पांव, झूठ बोलनेवाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्‍न करनेवाला मनुष्य।”नीतिवचन 6:16-19.

बुराई इंसान के विचारों, उसकी बातों या उसके कामों में होती है। नीतिवचन में इन्हीं बुराइयों का ज़िक्र किया गया है। “घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें” और “अनर्थ कल्पना गढ़नेवाला मन,” ये मन के विचारों में किए गए पाप हैं। “झूठ बोलनेवाली जीभ” और “झूठ बोलनेवाला साक्षी,” ये अपनी बातों से किए गए पाप हैं। और “निर्दोष का लोहू बहानेवाले हाथ” और “बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पांव” ये बुरे काम या पाप के काम हैं। मगर यहोवा को सबसे ज़्यादा उस व्यक्‍ति से नफरत है जो प्यार और मेलजोल से रहनेवाले लोगों में झगड़ा लगाने के लिए बहुत उतावला होता है। सुलैमान ने छः बुराइयों में एक और बुराई जोड़ दी थी, जिसका मतलब है कि बुराइयों का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता।

वाकई, हमें उन बातों से नफरत करनी चाहिए जिनसे यहोवा नफरत करता है। मिसाल के तौर पर, हमें कभी “घमण्ड” नहीं करना चाहिए। हमें गपशप बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे “भाइयों के बीच में झगड़ा” पैदा हो सकता है। जब हम बेवजह किसी की आलोचना करते हैं, सुनी सुनायी बातों को फैलाते हैं, या झूठ बोलते हैं, तो हम उनका अच्छा नाम मिट्टी में मिला देते हैं, जो किसी ‘निर्दोष का लोहू बहाने’ के बराबर है।

“उसके सौंदर्य की अभिलाषा न कर”

सुलैमान आगे कहता है: “हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न तज। इन को अपने हृदय में सदा गांठ बान्धे रख; और अपने गले का हार बना ले।” क्यों? “वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी।”नीतिवचन 6:20-22.

अगर माता-पिता बाइबल की शिक्षाओं के मुताबिक बच्चे की परवरिश करते हैं, तो क्या ऐसी परवरिश उसे बदचलनी के काम करने से बचा सकती है? जी हाँ, बचा सकती है। नीतिवचन कहता है: “आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखानेवाले की डांट जीवन का मार्ग है, ताकि तुझ को बुरी स्त्री से बचाए और पराई स्त्री की चिकनी चुपड़ी बातों से बचाए।” (नीतिवचन 6:23, 24) जब हम बाइबल की शिक्षाओं को याद रखेंगे और उन्हें ‘पांव के लिये दीपक, और मार्ग के लिये उजियाला’ बनने देंगे, तो हम बदचलन औरत या मर्द की चिकनी-चुपड़ी बातों से दूर रह सकेंगे।—भजन 119:105.

राजा आगे सलाह देता है: “अपने हृदय में उसके सौंदर्य की अभिलाषा न कर, और वह अपने कटाक्ष से तुझे फंसाने न पाए।” क्यों? क्योंकि “वेश्‍या के कारण मनुष्य का मूल्य तो रोटी के टुकड़े के बराबर ही रह जाता है, और व्यभिचारिणी एक बहुमूल्य जीवन का शिकार कर लेती है।”नीतिवचन 6:25, 26, NHT.

यहाँ सुलैमान किसे वेश्‍या कह रहा है? शायद एक व्यभिचारिणी को, जिसने शादी-शुदा होते हुए भी किसी पराए मर्द से नाजायाज़ संबंध रखा है। या हो सकता है कि वह दो अलग-अलग औरतों की बात कर रहा है, एक वेश्‍या की और एक व्यभिचारिणी की। वह बताता है कि उनके साथ संबंध रखने का क्या अंजाम होता है। वेश्‍या के साथ संबंध रखनेवाला व्यक्‍ति “रोटी के टुकड़े” का मोहताज़ हो जाता है और दर-ब-दर की ठोकरें खाता है। शायद उसे एड्‌स जैसी खतरनाक लैंगिक बीमारी भी लग सकती है। और व्यभिचारिणी के साथ संबंध रखने के बारे में क्या? मूसा की व्यवस्था के मुताबिक जो व्यक्‍ति किसी और की पत्नी के साथ व्यभिचार करता है, उसके लिए सज़ा थी सज़ा-ए-मौत। (लैव्यव्यवस्था 20:10; व्यवस्थाविवरण 22:22) इसीलिए सुलैमान कहता है कि पराए मर्द से नाजायज़ संबंध रखनेवाली औरत, उसका “बहुमूल्य जीवन” खतरे में डाल देती है। सो, चाहे वह औरत कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो, कभी भूलकर भी उसकी अभिलाषा नहीं करनी चाहिए।

‘अपनी छाती पर आग न रख’

व्यभिचार करना कितना बड़ा पाप है, यह समझाने के लिए सुलैमान आगे कहता है: “क्या हो सकता है कि कोई अपनी छाती पर आग रख ले; और उसके कपड़े न जलें? क्या हो सकता है कि कोई अंगारे पर चले, और उसके पांव न झुलसें?” अपने इन सवालों का मतलब समझाते हुए वह कहता है: “जो पराई स्त्री के पास जाता है, उसकी दशा ऐसी है; वरन जो कोई उसको छूएगा वह दण्ड से न बचेगा।” (नीतिवचन 6:27-29) ऐसे पापी को अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी।

इसी के बारे में आगे समझाते हुए सुलैमान कहता है कि “जो चोर भूख के मारे अपना पेट भरने के लिये चोरी करे, उसको तो लोग तुच्छ नहीं जानते; तौभी यदि वह पकड़ा जाए, तो उसको सातगुणा भर देना पड़ेगा; वरन अपने घर का सारा धन देना पड़ेगा।” (नीतिवचन 6:30, 31) इस्राएलियों में चोर को चुराई गई वस्तु का हर्जाना भरना पड़ता था, चाहे उसने मजबूरी में ही यह अपराध क्यों न किया हो। और हर्जाना भरने के लिए शायद उसे अपना सब कुछ बेचना पड़ जाता। * सो अगर मजबूरी में चोरी करनेवाले चोर को इतनी बड़ी सज़ा थी, तो व्यभिचार करनेवाले पापी को कितनी बड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, क्योंकि वह तो अपने अपराध के लिए कोई सफाई भी नहीं दे सकता!

सुलैमान ने कहा, “जो परस्त्रीगमनव्यभिचार] करता है वह निरा निर्बुद्ध है।” इसीलिए तो वह सही फैसला नहीं कर पाता और ‘अपने प्राणों को नाश कराना चाहता है।’ (नीतिवचन 6:32) हो सकता है कि बाहर से वह बहुत ही शरीफ और इज़्ज़तदार लगे, मगर अंदर से वह बहुत ही घटिया इंसान होता है।

ऐसे व्यभिचारी को और भी सज़ा भुगतनी पड़ती है। सुलैमान कहता है: “उसको घायल और अपमानित होना पड़ेगा, और उसकी नामधराई कभी न मिटेगी। क्योंकि जलन से पुरुष बहुत ही क्रोधित हो जाता है, और पलटा लेने के दिन वह कुछ कोमलता नहीं दिखाता। वह घूस पर दृष्टि न करेगा, और चाहे तू उसको बहुत कुछ दे, तौभी वह न मानेगा।”नीतिवचन 6:33-35.

एक चोर तो नुकसान की भरपाई कर सकता है, मगर एक व्यभिचारी क्या कर सकता है। उसने जिस औरत के साथ व्यभिचार किया है, उसके क्रोधित पति को वह क्या जवाब देगा, क्या मुँह दिखाएगा? उसका नुकसान कैसे भरेगा? चाहे वह रहम की कितनी ही भीख माँग ले, उस पर बिलकुल भी रहम नहीं किया जाएगा। वह अपने पाप द्वारा किए गए नुकसान को कभी नहीं भर सकता। उसके नाम पर जो कलंक लग गया, वह उसे कभी नहीं मिटा सकता। इसके अलावा, चाहे वह कितनी भी रिश्‍वत क्यों न दे, वह खुद को आज़ाद नहीं कर सकता, ना ही वह सज़ा से बच सकता है।

सो, यह कितनी अक्लमंदी की बात होगी कि हम मसीही व्यभिचार से, या बुरे कामों और विचारों से दूर रहें। अगर हम ऐसा न करे तो हमारा अच्छा नाम मिट्टी में मिल ही जाएगा, साथ ही परमेश्‍वर के नाम पर भी कलंक लगेगा! और हम बिना सोचे-समझे वादे करने से भी होशियार रहें। हम मेहनत और ईमानदारी से अपने लिए इज़्ज़त कमाएँ। और आइए हम ऐसे सभी कामों से नफरत करें जिनसे यहोवा नफरत करता है। इस तरह हम यहोवा और लोगों के सामने एक अच्छा नाम कमाएँगे।

[फुटनोट]

^ वैसे तो मूसा की कानून-व्यवस्था के मुताबिक चोर को कभी-कभी दो-गुना, चार-गुना या पाँच-गुना नुकसान भरना पड़ता था। (निर्गमन 22:1-4) मगर यहाँ “सातगुणा” भरपाई करने का मतलब है कि पूरा-पूरा हर्जाना भरना, जो शायद चुराई गई वस्तु के कीमत से कई गुना ज़्यादा हो।

[पेज 25 पर तसवीर]

किसी को कर्ज़ दिलाते समय होशियार रहिए

[पेज 26 पर तसवीर]

चींटी की तरह मेहनती बनिए

[पेज 27 पर तसवीर]

गपशप मत कीजिए, इससे दूसरों को नुकसान पहुँचता है