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अध्ययन—फायदेमंद और मज़ेदार

अध्ययन—फायदेमंद और मज़ेदार

अध्ययन—फायदेमंद और मज़ेदार

‘अगर तू उसकी खोज में लगा रहे, तो परमेश्‍वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।’ —नीतिवचन 2:4, 5.

1. फुरसत के समय हम जो पढ़ते हैं, उससे हमें क्या मिलता है?

 कई लोग सिर्फ लुत्फ उठाने के लिए किताबें पढ़ते हैं। अगर किताब अच्छी हो तो उसे पढ़ने से खुशी और आराम मिलता है। कुछ मसीहियों को, अपने शॆड्यूल के मुताबिक बाइबल पढ़ने के अलावा, बाइबल की भजन, नीतिवचन, मत्ती से यूहन्‍ना जैसी किताबों के कुछ-कुछ भाग पढ़ने से बहुत आनंद मिलता है। बाइबल की मनोहर शैली और गहरे विचार मसीहियों को अंदर तक ठंडक पहुँचाते हैं। कुछ मसीही इयरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनॆसॆस किताब, सजग होइए! पत्रिका, इसमें दी गयी जीवन-कहानियाँ, या इतिहास, भूगोल या प्रकृति पर दिए गए विषय फुरसत के समय पढ़ने के लिए चुनते हैं।

2, 3. (क) किस तरह से गहरी आध्यात्मिक बातों की तुलना अन्‍न के साथ की जा सकती है? (ख) अध्ययन में क्या-क्या शामिल है?

2 जो किताबें हम फुरसत के समय पढ़ते हैं, उनसे दिल और दिमाग को आराम पहुँचता है। मगर अध्ययन करने के लिए बहुत दिमागी कसरत करनी पड़ती है। अँग्रेज़ फिलॉसफर फ्रांसिस बेकन ने लिखा: “कुछ किताबों को बस चखना पड़ता है, कुछ को निगलना, और कुछ को तो अच्छी तरह चबाकर पचाना पड़ता है।” और बाइबल ऐसी किताब है जिसे खाने यानी ज्ञान लेने के बाद अच्छी तरह चबाकर पचाना पड़ता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: राजा और याजक मलिकिसिदक के प्रतीक, “[मसीह] के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझाना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो। . . . अन्‍न सयानों से लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।” (इब्रानियों 5:11, 14) अन्‍न को निगल कर पचाने से पहले उसे अच्छी तरह चबाना पड़ता है। उसी तरह गहरी आध्यात्मिक बातों को अच्छी तरह समझकर अपने दिल में बिठाने से पहले उन पर मनन करना पड़ता है।

3 एक डिक्शनरी “अध्ययन” की परिभाषा यूँ देती है: ‘किसी ग्रन्थ या विषय की सब बातों का अच्छी तरह ज्ञान और समझ पाने के लिए ध्यान देकर, जाँच करते हुए और विशेष विचारपूर्वक पढ़ना।’ इसका मतलब यही है कि इसमें सिर्फ सरसरी तौर पर पढ़ने से ज़्यादा शामिल है यानी पढ़ते समय शब्दों पर निशान लगाना शामिल है। अध्ययन का मतलब होता है काम करना, दिमागी कसरत, और अपनी ज्ञानेंद्रियों यानी समझ-शक्‍ति का इस्तेमाल करना। हालाँकि अध्ययन करने में मेहनत करने की ज़रूरत है मगर इसका मतलब यह नहीं कि यह मज़ेदार हो ही नहीं सकता।

अध्ययन को मज़ेदार बनाने के तरीके

4. भजनहार के मुताबिक, परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने से कैसे लाभ और ताज़गी मिल सकती है?

4 परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने और अध्ययन करने से ताज़गी मिल सकती है और शरीर में चुस्ती-फुरती आ सकती है। भजनहार ने कहा: “यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्‍वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है।” (भजन 19:7, 8) यहोवा की व्यवस्था और नियम हमारे प्राणों को बहाल करते हैं, हमारी आध्यात्मिकता को बढ़ाते हैं, हमारे दिल को आनंदित करते हैं और हमारी आँखों में चमक लाते हैं क्योंकि इनसे हमें यहोवा के शानदार उद्देश्‍य और भी साफ-साफ दिखने लगते हैं। ये कितनी खुशी की बात है!

5. अध्ययन करने से हमें किन तरीकों से खुशी मिल सकती है?

5 जब हमारी मेहनत रंग लाने लगती है, तो हम और भी दिल लगाकर मेहनत करते हैं और हमें अपने काम में खुशी मिलती है। उसी तरह अगर हम अपनी स्टडी से खुशी पाना चाहते हैं या उसे मज़ेदार बनाना चाहते हैं, तो स्टडी के दौरान मिले ज्ञान को हमें जल्द-से-जल्द ज़िंदगी में इस्तेमाल करना चाहिए। याकूब ने लिखा: “जो व्यक्‍ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर भूलता नहीं, पर वैसा ही काम करता है।” (याकूब 1:25) सीखे हुए मुद्दों को फौरन इस्तेमाल करने से बहुत संतुष्टि मिलती है। इतना ही नहीं, प्रचार या सिखाने के काम में जब लोग हमसे कोई सवाल पूछते हैं, तो उसका जवाब ढूँढ़ने के ईरादे से जब हम रिसर्च करते हैं तब भी हमें बहुत खुशी मिलेगी।

परमेश्‍वर के वचन के लिए प्यार पैदा करना

6. भजन 119 के लेखक ने यहोवा के वचन के लिए अपना प्यार कैसे ज़ाहिर किया?

6 भजन 119 को शायद हिजकिय्याह ने लिखा। हालाँकि वह उस समय बस राजकुमार ही था, मगर उसने यहोवा के वचन के लिए अपना प्यार ज़ाहिर किया। कविता की शैली में उसने कहा: “मैं तेरी विधियों से आनन्दित होऊंगा, और तेरे वचन को न भूलूंगा। तेरी चेतावनियां तो मेरा आनन्द हैं। और मैं तेरी आज्ञाओं में मग्न रहूंगा, जिनसे मैं प्रेम करता हूं। तेरी दया मुझ पर हो कि मैं जीवित रहूं, क्योंकि तेरी व्यवस्था मेरा आनन्द है। हे यहोवा, मैं तेरे उद्धार का अभिलाषी हूं, और तेरी व्यवस्था मेरा आनन्द है।”—भजन 119:16, 24, 47, 77, 174, NHT.

7, 8. (क) एक शब्दकोष के मुताबिक, परमेश्‍वर के वचन से ‘आनन्दित होने’ का मतलब क्या है? (ख) हम यहोवा के वचन के प्रति अपना प्यार कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं? (ग) एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था पढ़ने के लिए किस तरह से खुद को तैयार किया था?

7 भजन 119 में अनुवाद किए गए शब्द “आनन्दित होऊंगा” को समझाते हुए, इब्रानी शास्त्र का एक शब्दकोश कहता है: “चौदहवीं आयत में लेखक हर्षित होने की बात करता है, . . . पंद्रहवीं आयत में वह ध्यान करने की बात करता है . . . और फिर सोलहवीं आयत में वह आनंदित होने की बात करता है। . . . इससे पता चलता है कि यहोवा के वचन से आनंदित होने के लिए पहले ध्यान या मनन करने की ज़रूरत है। . . . इससे यह भी पता चलता है कि ये भावनाएँ दिल और दिमाग से जुड़ी हुईं हैं।” *

8 जी हाँ, यहोवा के वचन के लिए हमारा प्यार हमारे दिल से निकलना चाहिए, क्योंकि दिल हमारी भावनाओं का केंद्र है। पढ़ते वक्‍त हमें खास आयतों पर थोड़ी देर रुककर उसका लुत्फ उठाना चाहिए। हमें गहरी आध्यात्मिक बातों पर विचार करना चाहिए, उनमें पूरी तरह डूब जाना चाहिए और उन पर मनन करना चाहिए। इसके लिए शांति से सोचने और प्रार्थना करने की ज़रूरत है। एज्रा की तरह हमें परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने और उसका अध्ययन करने के लिए अपना मन लगाने या हृदय को तैयार करने की ज़रूरत है। एज्रा के बारे में लिखा है: “एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ बूझ लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था।” (एज्रा 7:10) ध्यान दीजिए कि एज्रा ने तीन उद्देश्‍य से अपने हृदय को तैयार किया था: अध्ययन करने, उसे अमल में लाने, और दूसरों को सिखाने के लिए। हमें भी उसकी मिसाल पर चलना चाहिए।

स्टडी को सच्ची उपासना का भाग समझिए

9, 10. (क) भजनहार ने किन तरीकों से दिखाया कि उसे यहोवा के वचन का हमेशा ध्यान रहता है? (ख) जिस इब्रानी क्रिया का अनुवाद ‘अपना ध्यान लगाना’ किया गया है, उसका मतलब क्या है? (ग) अगर हम बाइबल के अध्ययन को अपनी उपासना का भाग समझते हैं, तो हम क्या करेंगे?

9 भजनहार ने कहा कि उसे यहोवा की विधियों, आज्ञाओं और चितौनियों का हमेशा ध्यान रहता है। वह गीत में यह कहता है: “मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा। . . . मैं तेरी आज्ञाओं की ओर जिन में मैं प्रीति रखता हूं, हाथ फैलाऊंगा, और तेरी विधियों पर ध्यान करूंगा। . . . अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।” (भजन 119:15, 48, 97, 99) यहोवा के वचन पर दिन भर अपना ‘ध्यान लगाने’ का मतलब क्या है?

10 यहाँ जिस इब्रानी क्रिया का अनुवाद ‘अपना ध्यान लगाना’ किया गया है, उसका मतलब है, “मनन या विचार करना,” या “किसी विषय पर गहराई से सोचना।” “ध्यान शब्द को परमेश्‍वर के वचन . . . और उसके कामों पर अपने मन से विचार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।” (थिओलॉजिकल वर्डबुक ऑफ दी ओल्ड टॆस्टामॆन्ट) यहाँ “ध्यान” के लिए जो संज्ञा रूप इस्तेमाल किया गया है, वह “भजनहार के मनन करने,” और परमेश्‍वर की व्यवस्था के प्रति “प्यार की वजह से उसका अध्ययन” करने को सूचित करता है, और ऐसा ध्यान ‘उपासना का एक भाग समझते’ हुए किया जाता है। अगर हम परमेश्‍वर के वचन की स्टडी को अपनी उपासना का भाग समझते हैं, तो हम उसे गंभीरता से लेंगे। इसलिए अध्ययन बहुत ही ध्यान से और प्रार्थना के साथ किया जाना चाहिए। अध्ययन हमारी उपासना का एक भाग है और अपनी उपासना को बेहतर बनाने के इरादे से किया जाता है।

परमेश्‍वर के वचन की गहराई तक जाना

11. यहोवा अपने लोगों पर अपने गहरे आध्यात्मिक विचार किस तरह प्रकट करता है?

11 श्रद्धा के साथ, भजनहार ने कहा: “हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं!” (भजन 92:5) और प्रेरित पौलुस ने ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ के बारे में कहा जो यहोवा “अपने आत्मा” के ज़रिए विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग पर प्रकट करता है और इस तरह वे गूढ़ बातें हम तक पहुँचती हैं। (1 कुरिन्थियों 2:10; मत्ती 24:45) दास वर्ग सभी को आध्यात्मिक पोषण, यानी नए लोगों को “दूध,” और “सयानों” को “अन्‍न” देने के लिए कड़ी मेहनत करता है।—इब्रानियों 5:11-14.

12. ‘परमेश्‍वर की एक गूढ़ बात’ की मिसाल दीजिए जिसे दास वर्ग ने समझाया है?

12 ‘परमेश्‍वर की ऐसी गूढ़ बातों’ को समझने के लिए प्रार्थना करना और उसके वचन पर गहराई से अध्ययन और मनन करना बहुत ज़रूरी है। मिसाल के लिए, कुछ ऐसे लेख प्रकाशित किए गए हैं जो बताते हैं कि कैसे यहोवा एक ही समय पर न्यायी और दयालु हो सकता है। जब वह दया दिखाता है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसने उस व्यक्‍ति के पाप को माफ कर दिया और सही इंसाफ नहीं किया। इसके बजाय, परमेश्‍वर की दया में उसके न्याय के साथ-साथ उसके प्यार की झलक मिलती है। किसी भी पापी का न्याय करते वक्‍त, यहोवा पहले यह तय करता है कि क्या इस पापी को अपने बेटे के छुड़ौती बलिदान के आधार पर दया दिखायी जा सकती है। अगर पापी पश्‍चाताप नहीं करता है यानी बगावत करना नहीं छोड़ता, तो ऐसे में परमेश्‍वर दया नहीं दिखाता बल्कि न्याय करता है। दोनों ही तरीकों में वह अपने ऊँचे सिद्धांतों के मुताबिक ही काम करता है। * (रोमियों 3:21-26) ‘आहा! परमेश्‍वर की बुद्धि कैसी अथाह है!’—रोमियों 11:33.

13. अब तक यहोवा ने हमें जो आध्यात्मिक सच्चाइयों का ‘बड़ा जोड़’ दिया है, उसके लिए हम उसके शुक्रगुज़ार कैसे हो सकते हैं?

13 भजनहार की तरह, हमें यह जानकर खुशी होती है कि यहोवा अपने विचार हमें बताता है। दाऊद ने लिखा: “मेरे लिये तो हे ईश्‍वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते।” (भजन 139:17, 18) यहोवा हमें अनंतकाल तक जो बेहिसाब ज्ञान देनेवाला है उसकी तुलना में आज वह हमें जितना ज्ञान दे रहा है, वह तो बहुत ही कम है। मगर इसके बावजूद, हम इन बहुमूल्य आध्यात्मिक सच्चाइयों के ‘बड़े जोड़’ के लिए दिल से यहोवा के शुक्रगुज़ार हैं। इतना ही नहीं, हमें परमेश्‍वर के संपूर्ण वचन की तह तक जाने में खुशी होती है।—भजन 119:160.

मेहनत और कारगर औज़ारों की ज़रूरत

14. नीतिवचन 2:1-6 में परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने में मेहनत करने के लिए किस तरह ज़ोर दिया गया है?

14 गहराई से बाइबल अध्ययन करने के लिए यानी परमेश्‍वर का ज्ञान, उसकी बुद्धि और समझ पाने के लिए मेहनत की ज़रूरत होती है। यह बात अच्छी तरह तब समझ में आती है जब हम नीतिवचन 2:1-6 को ध्यान से पढ़ते हैं। यहाँ राजा सुलैमान ने मेहनत पर ज़ोर देने के लिए जिन क्रियाओं का इस्तेमाल किया है, उन पर ध्यान दीजिए। उसने लिखा: “हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, और उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्‍वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) जी हाँ, अगर हमें अपनी स्टडी से फायदा पाना है तो रिसर्च करना, मानो गुप्त धन के लिए खोदना ज़रूरी है।

15. बाइबल में ऐसा कौन-सा वचन दिया गया है जो हमें अच्छी तरह बाइबल अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करता है?

15 आध्यात्मिक रूप से फायदा पाने के लिए भी अच्छी तरह से अध्ययन करने की ज़रूरत है। सुलैमान ने लिखा: “यदि कुल्हाड़ा थोथा हो और मनुष्य उसकी धार को पैनी न करे, तो अधिक बल लगाना पड़ेगा।” (सभोपदेशक 10:10) अगर एक कारीगर अपनी कुल्हाड़ी का सही तरीके से इस्तेमाल न करे या फिर ऐसी कुल्हाड़ी इस्तेमाल करे, जिसकी धार तेज़ न हो, तो उसकी मेहनत बेकार जाएगी और उसका काम भी घटिया होगा। उसी तरह, चाहे हम स्टडी के लिए कितना ही समय क्यों न बिताएँ मगर स्टडी से मिलनेवाला फायदा, इस बात पर निर्भर करेगा कि हम किस तरह से स्टडी करते हैं। थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल गाइडबुक के अध्याय 7 में यह सुझाव दिया गया है कि हम अध्ययन करने के अपने तरीके को कैसे बेहतर बना सकते हैं। *

16. गहराई से स्टडी करने के लिए हमें कौन-सी बढ़िया सलाह दी गयी है?

16 जब एक कारीगर अपना काम शुरू करता है, तो वह अपने सभी ज़रूरी औज़ारों को सामने रखता है। उसी तरह, जब हम गहराई से स्टडी करने के लिए बैठते हैं, तो अपनी लाइब्ररी से सभी ज़रूरी औज़ारों यानी किताबों को पास में रख लेना चाहिए। याद रखिए कि अध्ययन एक काम है और इसमें समझ-शक्‍ति का काफी इस्तेमाल करना पड़ता है, सो सही मुद्रा में बैठना अच्छा होगा। अगर हम चाहते हैं कि हमें झपकी न आए, और हमारा दिमाग काम करता रहे, तो बिस्तरे पर लेटकर पढ़ने या आराम-कुर्सी पर बैठकर पढ़ने के बजाय, कुर्सी पर बैठकर टेबल का इस्तेमाल करना ज़्यादा बेहतर होगा। कुछ देर ध्यान से पढ़ने के बाद, थोड़ी अंगड़ाई लेने या ताज़ी हवा के लिए बाहर जाने से आप बेहतर रूप से स्टडी कर पाएँगे।

17, 18. उदाहरण देकर समझाइए कि स्टडी के लिए दी गयी बेहतरीन किताबों को कैसे इस्तेमाल करना है।

17 स्टडी करने के लिए हमारे पास कई बेहतरीन औज़ार भी हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है बाइबल का न्यू वर्ल्ड ट्रांसलेशन जो अब 37 भाषाओं में या तो पूरी-की-पूरी या कुछ भागों में उपलब्ध है। न्यू वर्ल्ड ट्रांसलेशन के स्टैंडर्ड एडिशन में क्रॉस-रैफ्ररॆंस और “बाइबल-किताबों की तालिका” दी गयी है जिसमें हर किताब के लेखक का नाम, किताब लिखने की जगह, लिखने में कितना समय लगा, ये सभी जानकारी दी गयी हैं। इसमें शब्दों का एक इंडैक्स, एक एपेंडिक्स और कुछ नक्शे भी हैं। कुछ भाषाओं में, यह बाइबल बड़े संस्करण में भी मिलती है जिसे रैफ्ररॆंस बाइबल कहा जाता है। इसमें ऊपर दी गयी सभी खासियतों के साथ-साथ और भी विशेषताएँ हैं। इसमें काफी फुटनोट हैं जिनका इंडैक्स बनाया गया है। परमेश्‍वर के वचन में गहराई से खोदने या ढूँढ़-ढ़ाँढ करने के लिए आपकी भाषा में जो भी किताबें उपलब्ध हैं, क्या आप उन सबका पूरा-पूरा फायदा उठाते हैं?

18 स्टडी के लिए एक और बेशकीमती औज़ार है दो खंड़ों वाली बाइबल एनसाइक्लोपीडिया जिसका नाम है इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स। अगर आपके पास यह उस भाषा में है जिसे आप समझ सकते हैं, तो स्टडी करते वक्‍त इनका हमेशा इस्तेमाल कीजिए। इनसे आपको बाइबल विषयों पर और भी ज़्यादा जानकारी मिलेगी। इसी तरह का एक और औज़ार है, “ऑल स्क्रिपचर इज़ इन्सपायर्ड ऑफ गॉड एण्ड बेनेफीशियल।” जब आप बाइबल की कोई नयी किताब पढ़ना शुरू करते हैं, तब “ऑल स्क्रिपचर” किताब में उस किताब की जानकारी को पहले पढ़ लेना फायदेमंद होगा। क्योंकि इसमें बताया गया है कि बाइबल की घटना कब और कहाँ घटी थी। इसके अलावा इसमें बाइबल की हर किताब का सार बताया गया है, साथ ही हमारे लिए उसका क्या महत्त्व है यह जानकारी भी दी गई है। इतना ही नहीं, अध्ययन में मदद करने के लिए हाल ही में कंप्यूटराइज़्ड वॉचटावर लाइब्ररी भी निकाली गयी है जो 9 भाषाओं में मिलती है।

19. (क) बाइबल अध्ययन करने के लिए यहोवा ने हमें इतने सारे बेहतरीन औज़ार क्यों दिए हैं? (ख) सही तरीके से बाइबल रीडिंग और स्टडी करने के लिए क्या ज़रूरी है?

19 यहोवा ने “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए हमें ये सभी औज़ार दिए हैं, ताकि हम ‘परमेश्‍वर के ज्ञान की खोज कर सकें और उसे प्राप्त कर सकें।’ (नीतिवचन 2:4, 5) अगर हमें अच्छी तरह अध्ययन करने की आदत होगी तो इससे हम यहोवा के ज्ञान को बेहतर रूप से समझ पाएँगे और उसके साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता रख पाएँगे। (भजन 63:1-8) जी हाँ, अध्ययन करना एक काम है, मगर यह काम मज़ेदार और फलदायक है। मगर इसके लिए समय लगता है। सो आप शायद सोचने लगें कि ‘मेरे पास इतना समय कहाँ है कि मैं अपनी बाइबल रीडिंग भी पूरी करूँ और पर्सनल स्टडी भी?’ इसके बारे में अगले लेख में ज़्यादा चर्चा की जाएगी।

[फुटनोट]

^ न्यू इंटरनैशनल डिक्शनरी ऑफ ओल्ड टॆस्टामॆन्ट थिओलॉजी एण्ड एक्ज़ीजॆसिस, खंड 4, पेज 205-7.

^ अगस्त 1, 1998 की प्रहरीदुर्ग के पेज 13, पैराग्राफ 7 देखिए। अपनी बाइबल स्टडी में, आप शायद उस अगस्त अंक के दोनों स्टडी आर्टिकल को, साथ ही, हमारी बाइबल एनसाइक्लोपीडिया यानी इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स में दिए गए “न्याय,” “दया,” और “धार्मिकता” के विषयों को फिर से पढ़ना चाहें। इंसाइट किताब को वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने प्रकाशित किया है।

^ वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित। अगर यह किताब आपकी भाषा में उपलब्ध न हो, तो स्टडी करने के तरीकों के बारे में अच्छी सलाह आपको प्रहरीदुर्ग के इन अंकों से मिल सकती हैं: अगस्त 1, 1993 के पेज 21-25; जून 1, 1987 के पेज 13-15.

इन सवालों को फिर से देखें

• हमें अपनी पर्सनल स्टडी से कैसे लाभ और ताज़गी मिल सकती है?

• भजनहार की तरह, हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा के वचन के लिए “प्रीति” है और हम उस पर “ध्यान” लगाते हैं?

नीतिवचन 2:1-6 से कैसे पता चलता है कि परमेश्‍वर का वचन पढ़ने में मेहनत करनी पड़ती है?

• स्टडी करने के लिए यहोवा ने कौन-कौन-से बेहतरीन औज़ार दिए हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के वचन के प्रति प्यार बढ़ाने के लिए शांति से सोचने और प्रार्थना करने की ज़रूरत है

[पेज 17 पर तसवीरें]

परमेश्‍वर के वचन में गहराई से खोदने या ढूँढ़-ढाँढ़ करने के लिए क्या आप मौजूद सभी किताबों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करते हैं?